2010–2019
विधवा का हृदय
अक्टूबर 2017


विधवा का हृदय

आओ हम उस कार्य को करने में विश्वव्यापी संतों के रूप में जुड़ें जो विधवा का हृदय पाने के लिये आवश्यक है, उन आशीषओं का वास्तविक आनंद लेते हुए जो “मांग” को पूरा करेंगी

मुझे अपने अधिकांश वयस्क जीवन में प्रशांत महासागरीय संतों के बीच सेवा करने की महान आशीष मिली थी । इन समर्पित संतों के विश्वास, प्रेम, और अद्भुत बलिदान मुझे प्रेरणा, आभार, और आनंद से भर देता है । उनकी कहानियां आपकी कहानियां जैसी हैं ।

मैंने विचार किया है कि इन संतों में बहुत कुछ ऐसा था जो उस विधवा में था जिस पर उद्धारकर्ता ने ध्यान दिया जब वह “बैठकर देख रहा था, कि लोग मंदिर के भंडार में किस प्रकार पैसे डालते हैं, और बहुत धनवानों ने बहुत कुछ डाला ।

“और इतने में एक कंगाल विधवा ने आकर दो दमड़ियां डाली ।  …

“और उसने अपने चेलों को पास बुलाकर उन से कहा; मैं तुम से सच कहता हूं, कि मंदिर के भंडार में डालने वालों में से इस कंगाल विधवा ने सबसे बढ़कर डाला है ।

“क्योंकि सब ने अपने धन की बढ़ती में से डाला है, परंतु इसने अपनी घटी में से जो कुछ उसका था, अर्थात अपनी सारी जीविका डाल दी है ।” 1

यद्यपि उसकी दमड़ियां बहुत छोटा योगदान थी, लेकिन उद्धारकर्ता के लिये उसका उपहार अत्याधिक मूल्य की थी, क्योंकि उसने सब कुछ दिया है । उस क्षण, उद्धारकर्ता उस विधवा को पूर्णरूप से जानता था, क्योंकि उसके उपहार ने उसे उसकी भावनाओं को प्रकट किया था । उसके प्रेम और विश्वास की गुणवत्ता और गहराई ऐसी थी कि उसने यह जानते हुए दिया था कि “जरूरत” पूरी की जाएगी ।

मैंने इसी प्रकार की भावना प्रशांतमहासागरीय संतों में देखी है । इन द्विपों में एक छोटे से गांव में, एक वृद्ध और उसकी पत्नी ने निष्ठा से प्रभु से पूछने के प्रचारकों के निमंत्रण को स्वीकार किया था कि क्या जो पाठ उन्हें सीखाए जा रहे थे सच्चे थे । इस प्रक्रिया में, उन्होंने प्रतिबद्धताओं के परिणामों पर विचार किया था कि उन्हें उसे पूरा करना होगा यदि उन्हें उत्तर पुनास्थापित सुसमाचार को स्वीकार करने के लिये मिलता है । उन्होंने गिरजे की सच्चाई और मॉरमन की पुस्तक की सत्यता को जानने के लिये उपवास रखा और प्रार्थना की । उनकी प्रार्थनाओं का उत्तर मधुर लेकिन स्पष्ट सकारात्मक रूप में था: “हां ! यह सत्य है ! ”

यह गवाही प्राप्त करने के बाद, उन्होंने बपतिस्मा लेना चुना । यह चुनाव उनके व्यक्तिगत जीवनों में नाकारात्मक परिणामों के बिना नहीं था । अपने निर्णय और बपतिस्मे का उन्होंने बड़ा मूल्य चुकाया था । उनका रोजगार चला गया, उन्हें अपनी समाजिक प्रतिष्ठा का बलिदान करना पड़ा, महत्वपूर्ण मित्रता समाप्त हो गई, परिवार का समर्थन, प्रेम, और आदर चला गया । वे अब प्रत्येक रविवार गिरजे आते थे, मित्रों और पड़ोसियों के साथ अजीब सी सरसरी नजर डालते हुए जो विपरीत दिशा में जाते हुए मिलते थे ।

इन कठिन परिस्थितियों में, इस भले भाई से पूछ गया कि उसने गिरजे से जुड़ने के अपने निर्णय के बारे में कैसा महसूस किया था । उसका जवाब सरल और मजबूत था “यह सत्य है, क्या नहीं है ? हमारा चुनाव स्पष्ट था ।”

इन दो नये परिवर्तित संतों के पास वास्तव में विधवा के समान हृदय था । उन्होंने, विधवा की तरह, “सबकुछ दे दिया” जो वे अपने थोड़े में से दे सकते थे । उनके विश्वासी हृदय और अटल विश्वास के परिणास्वरूप उस कठिन समय के दौरान, उनके बोझ हल्के हो गए थे । गिरजे के सहायक और सेवा करने वाले सदस्यों से उन्हें एकजुट होकर सहायता मिली, और वे गिरजे की अपनी नियुक्तियों में सेवा करके व्यक्तिगत रूप से मजबूत हुए थे ।

अपना सबकुछ देने के बाद, उनके लिये महानत्तम का दिन तब आया जब वे मंदिर में एक अनंत परिवार के रूप में मुहरबंद हुए । अलमा के मार्गदर्शन में परिवर्तित हुए लोगों के समान, “प्रभु ने उन्हें शक्ति दी कि वे अपने बोझों को सरलता के साथ उठा सकें, और वे आनंदपूर्वक और धैर्य के साथ प्रभु की सभी इच्छाओं के अधीन हो गए ।”2 इस प्रकार विधवा का हृदय इन शानदार दंपति में दिखाई दिया था ।

मैं आपसे एक अन्य अनुभव के विषय में बोलता हूं जहां विधवा का हृदय स्पष्टरूप से प्रदर्शित किया गया था । सामोआ में, हमने प्रचारकों को सुसमाचार प्रचार करने की अनुमति प्रदान करने के लिये ग्राम परिषदों के साथ कार्य किया था । कुछ वर्ष पहले, मैंने एक ग्राम के प्रधान से बात की थी जहां हमारे प्रचारकों का जाना कई वर्षों से मना था । मेरी बातचीत को अधिक समय नहीं हुआ था सर्वोच्च प्रधान ने ग्राम को गिरजे के लिये खोल दिया था, हमारे प्रचारकों को उन लोगों को सुसमाचार और इसके सिद्धांत सीखने की अनुमति दे दी जो इसे सीखना चाहते थे ।

इस चमत्कारी बदलाव के कई वर्षों के बाद, मैं जानने का इच्छुक था कि उस सर्वोच्च प्रधान के साथ क्या हुआ था जिसने यह निर्णय लिया था । मैंने इसके बारे में पूछा, और प्रधान जिससे मैं बात कर रहा था ने जवाब दिया, “व्यक्ति कुछ समय के लिये अंधकार में रह सकता है, लेकिन एक समय आता है जब वह प्रकाश में आना चाहेगा ।”

सर्वोच्च प्रधान ने, गांव को खोलने में, विधवा के हृदय का प्रदर्शन किया था---एक ऐसा हृदय जो कोमल हो जाता है जब सच्चाई की गरमाहट और प्रकाश प्रकट किया जाता है । यह मुखिया वर्षों की परंपरा को तोड़ने, अधिक विरोध सहने, और दृढ़ रहने को तैयार था, ताकि दूसरे आशीषित किए जा सकें । यह वह मुखिया था जिसका हृदय परंपराओं, संस्कृति, और व्यक्तिगत शक्ति के बजाए अपने लोगों के कल्याण और खुशी पर केंद्रित था । इन बातों के होते हुए भी उसने ऐसा किया क्योंकि अध्यक्ष थॉमस  एस. मॉनसन ने हमें सीखाया है: “जब हम उद्धारकर्ता के उदाहरण का अनुसरण करते हैं, तो हम दूसरों के जीवन में प्रकाश होने का मौका होंगे ।” 3

अंत में, प्रशांतमहासागरीय संतों के बीच के एक और अनुभव को आपके साथ बाटूंगा जो मेरी आत्मा में गहराई से और आत्मिक रूप से समाया हुआ है । कुछ वर्ष पहले, मैं अमरिकन सामोआ में एक नये वार्ड के धर्माध्यक्ष का युवा सलाहकार था । हमारे पास 99 सदस्य थे जिसमें निर्वाह खेती करने वाले किसान, डिब्बाबंद खाद्य पदार्थ फैक्टरी के कामगार, सरकारी नौकर, और उनके परिवार शामिल थे । जब प्रथम अध्यक्षता ने 1977 में घोषणा की थी कि सामोआ में मंदिर बनाया जाएगा, तो हम सबों के द्वारा आनंद मानाया और धन्यवाद व्यक्त किया गया था । उस समय अमरिकन सामोआ से मंदिर जाने के लिये या तो हवाई से या फिर न्यूजीलैंड से होकर यात्रा करनी पड़ती थी । यह यात्रा बहुत खर्चीली होती थी जो कि बहुत से विश्वासी गिरजे के सदस्यों की पहुंच से बाहर थी ।

इस समय के दौरान, सदस्यों को मंदिर निर्माण में सहायता के लिये भवन कोष में दान देने के लिये उत्साहित किया । इसको ध्यान में रखते हुए वार्ड के सदस्यों को प्रार्थनापूर्वक विचार करने के लिये कहा गया कि वे क्या दे सकते थे । अपने दान एकत्रित देने के लिये परिवारों को एक निश्चित तारीख दी गई । बाद में, जब इन दानों को गुप्त में खोला गया, तो हमारी धर्माध्यक्षता शानदार सदस्यों के विश्वास और उदारता से विनम्र और भावुक हो गई थी ।

प्रत्येक परिवार और उनकी परिस्थितियों के जानते हुए, मैंने आश्चर्य, सम्मान, और विनम्रता की मजबूत और चिर-स्थाई भावना को महसूस किया था । ये, हर तरह से, वर्तमान समय की विधवा की दमड़ियां थी जो उन्होंने अपने थोड़े में से और खुशी से सबकुछ दे दिया था सामोआ में वादा किए गए प्रभु के पवित्र मंदिर का निर्माण करने के लिये । इन परिवारों ने जो कुछ उनके पास था उसे प्रभु को समर्पित कर दिया था, इस विश्वास के साथ कि उन्हें आशीषों की कमी नहीं रहेगी । उनके उपहार ने उनके विधवा के हृदयों को व्यक्त किया था । उन सबों ने यह इच्छा और खुशी से दिया था क्योंकि उनके भीतर विधवा का हृदय विश्वास की आंख से उनके परिवारों, सामोआ और अमरीकन सामोआ के लोगों, आने वाली पीढ़ियों के लिये उपलब्ध श्रेष्ठत्तम आशीषों को देख सकता था । मैं जानता हूं कि उनकी समर्पित भेंटें, उनकी विधवा की दमड़ियां, प्रभु द्वारा पहचानी और स्वीकार की गई थी ।

विधवा का हृदय जिसने अपनी दो दमड़ियां दी थी एक ऐसा हृदय है जो बलिदान करके सबकुछ दे देगा; कठिनाइयां, अत्याचार, और परित्याग सहते हुए भी; और कई प्रकार के बोझों को उठाते हुए । विधवा का हृदय एक ऐसा हृदय है जो सच्चाई के प्रकाश को समझता, महसूस करता, और जानता है और उस सच्चाई को अपनाने के लिये कुछ भी दे देगा । यह दूसरों को यही प्रकाश देखने में मदद भी करता और वही अनंत खुशी और आनंद महसूस करता है । अंत में, विधवा के हृदय को इच्छा से पृथ्वी पर परमेश्वर के राज्य का निर्माण करने के लिये सबकुछ देने के द्वारा परिभाषित किया जाता है ।

आओ हम उस कार्य को करने में विश्वव्यापी संतों के रूप में जुड़ें जो विधवा का हृदय पाने के लिये आवश्यक है, उन आशीषओं का वास्तविक आनंद लेते हुए जो “मांग” को पूरा करेंगी । हम में से प्रत्येक के लिये मेरी इच्छा हमारे बोझों को सहने, आवश्यक बलिदान करने, का हृदय और देने और करने की इच्छा होने की याचना है । मैं प्रतिज्ञा करता हूं कि प्रभु आपके लिये कमी नहीं करेगा । विधवा का हृदय धन्यवाद से भरा रहता है कि उद्धारकर्ता “दुखी पुरूष, और रोगों को पहचानता था” 4 ताकि हमें कड़वे प्याले से न पीना पड़े । 5 हमारी कमजोरियों और असफलताओं के होते हुए भी, और उनके कारण, वह अपने हाथों को आगे बढ़ाता है, जोकि हमारे कारण छेदे गए थे । वह हमें ऊपर उठाएगा यदि हम उसके सुसमाचार के प्रकाश में आना, उसे गले लगाना चाहते हैं, और उसे हमारी “जरूरतों” को पूरा करने की अनुमति देते हैं ।

मैं महान प्रेम की अपनी गवाही देता हूं कि हम प्रभु यीशु मसीह के शिष्यों और अनुयाइयों के समान बांट सकते हैं । मैं अध्यक्ष थॉमस  एस. मॉनसन से प्रेम और पृथ्वी पर परमेश्वर के भविष्यवक्ता के रूप में उनका समर्थन करता हूं । मॉरमन की पुस्तक संसार के लिये यीशु मसीह का अन्य गवाह है, और मैं सबों को इसका अध्ययन करने और आपके लिये इसके संदेश की खोज करने का निमंत्रण देता हूं । वे सब उसके निकट आने के प्रभु के निमंत्रण को स्वीकार करते हैं शांति, प्रेम, और ज्योति प्राप्त करेंगे । यीशु मसीह हमारा महान आदर्श और मुक्तिदाता है । यह केवल यीशु मसीह और उसके असीमित प्रायश्चित के चमत्कार के द्वारा है, कि हम अनंत जीवन प्राप्त कर सकते हैं । इसकी गवाही मैं उसके, अर्थात यीशु मसीह के पवित्र नाम में देता हूं, आमीन ।