पवित्रशास्त्र
अलमा 20


अध्याय 20

प्रभु अम्मोन को उसके बंदी बनाए गए भाइयों को बचाने के लिए मिदोनी भेजता है—अम्मोन और लमोनी, लमोनी के पिता से मिलते हैं जो सारे प्रदेश का राजा है—अम्मोन वृद्ध राजा को उसके भाइयों को छोड़ने की अनुमति देने के लिए विवश करता है । लगभग 90 ई.पू.

1 और ऐसा हुआ कि जब उन्होंने उस प्रदेश में गिरजे की स्थापना कर ली, राजा लमोनी ने इच्छा जाहिर की कि अम्मोन उसके साथ नफी के प्रदेश जाए, ताकि वह उसे अपने पिता को दिखा सके ।

2 और अम्मोन को प्रभु की आवाज सुनाई दी, यह कहते हुए: तुम्हें नफी के प्रदेश नहीं जाना है, क्योंकि देखो, राजा तुम्हारी जान लेना चाहेगा; परन्तु तुम्हें मिदोनी के प्रदेश जाना है; क्योंकि देखो, तुम्हारा भाई हारून, और मुलोकी और अम्मा बंदीगृह में हैं ।

3 अब ऐसा हुआ कि जब अम्मोन ने इसे सुना, उसने लमोनी से कहा: देखो, मेरे भाई और बन्धु मिदोनी के बंदीगृह में हैं, और मैं जाऊंगा ताकि मैं उन्हें बचा सकूं ।

4 अब लमोनी ने अम्मोन से कहा: मैं जानता हूं, प्रभु के बल में तुम हर काम कर सकते हो । परन्तु देखो, मिदोनी के प्रदेश मैं तुम्हारे साथ चलूंगा; क्योंकि मिदोनी प्रदेश का राजा जिसका नाम अंतीओमनोहै, मेरा मित्र है; इसलिए मैं मिदोनी के प्रदेश चलूंगा, ताकि मैं प्रदेश के राजा को फुसला सकूं, और वह तुम्हारे भाइयों को बंदीगृह से निकाल देगा । अब लमोनी ने उससे कहा: तुमसे किसने कहा कि तुम्हारे भाई बंदीगृह में हैं ?

5 और अम्मोन ने उससे कहा: परमेश्वर के सिवाय मुझे किसी और ने नहीं बताया; और उसने मुझसे कहा—जाओ और अपने भाइयों को बचाओ, क्योंकि वे मिदोनी प्रदेश के बंदीगृह में हैं ।

6 अब जब लमोनी ने इसे सुना तो अपने सेवकों से घोड़ों और रथों को तैयार करने के लिए कहा ।

7 और उसने अम्मोन से कहा: आओ, मैं मिदोनी के प्रदेश तुम्हारे साथ चलूंगा, और वहां मैं राजा से याचना करूंगा कि वह तुम्हारे भाइयों को बंदीगृह से बाहर निकाल दे ।

8 और ऐसा हुआ कि जब अम्मोन और लमोनी वहां की यात्रा कर रहे थे, वे लमोनी के पिता से मिले जो सारे प्रदेश का राजा था ।

9 और देखो, लमोनी के पिता ने उससे कहा: उस महान दिन के भोज पर तुम क्यों नहीं आए जब मैंने अपने बेटों और अपने लोगों के लिए भोज का आयोजन किया था ?

10 और उसने यह भी कहा: तुम इस नफाई के साथ कहां जा रहे हो, जो कि झूठ बोलने वालों के बच्चों में से एक है ?

11 और ऐसा हुआ कि लमोनी ने उसे बता दिया कि वह कहां जा रहा था, क्योंकि उसे डर था कि कहीं वह उसे नाराज न कर दे ।

12 और उसने अपने स्वयं के राज्य में रुके रहने का सारा कारण भी उसे बताया, जिससे वह अपने पिता द्वारा तैयार किये गए भोज पर नहीं आ सका था ।

13 और अब जब लमोनी उसे ये सारी बातें बता रहा था, देखो, वह आश्चर्यचकित हुआ कि उसका पिता उससे क्रोधित हो गया, और कहा: लमोनी, तुम उन नफाइयों को बचाने जा रहे हो जो झूठ बोलने वालों के बेटे हैं । देखो, उसने हमारे पूर्वजों को लूटा है; और अब उसके बच्चे भी हमारे बीच में आ गए हैं, कि वे भी अपनी धूर्तता और झूठ के द्वारा हमें धोखा दे सकें, ताकि वे फिर से हमारी संपत्तियों को लूट सकें ।

14 अब लमोनी के पिता ने उसे आज्ञा दी कि वह अपनी तलवार से अम्मोन को मार दे । और उसने उसे यह भी आज्ञा दी कि वह मिदोनी के देश न जाए, परन्तु वह उसके साथ इश्माएल प्रदेश वापस जाए ।

15 परन्तु लमोनी ने उससे कहा: न तो मैं अम्मोन को मारूंगा, न ही इश्माएल प्रदेश वापस जाऊंगा, परन्तु मैं मिदोनी के प्रदेश जाऊंगा ताकि मैं अम्मोन के भाइयों को छुड़ा सकूं, क्योंकि मैं जानता हूं कि वे न्यायी पुरुष हैं और सच्चे परमेश्वर के पवित्र भविष्यवक्ता हैं ।

16 अब जब उसके पिता ने इन बातों को सुना, वह उससे क्रोधित हो उठा, और उसने अपनी तलवार निकाली ताकि उसे मार सके ।

17 परन्तु अम्मोन आगे खड़ा हो गया और उससे कहा: देखो, तुम्हें अपने बेटे को नहीं मारना चाहिए; फिर भी, यह अच्छा है कि तुम्हारे गिरने की बजाय वह गिरे, क्योंकि देखो, उसने अपने पापों का पश्चाताप कर लिया है; परन्तु अपने क्रोध में इस समय यदि तुम गिर जाते हो तो तुम्हारी आत्मा को नहीं बचाया जा सकता है ।

18 और फिर से, यह आवश्यक है कि तुम अपने आपको रोको; क्योंकि यदि तुम अपने निर्दोष बेटे को मारोगे, तुमसे प्रतिशोध लेने के लिए धरती से उसका लहू प्रभु अपने परमेश्वर को पुकारेगा; और तब शायद तुम अपनी आत्मा को खो बैठोगे ।

19 अब जब अम्मोन ने उससे इन बातों को कहा, तब उसने यह कहते हुए उसे उत्तर दिया: मैं जानता हूं कि यदि मैं अपने बेटे को मारूंगा तो मैं निर्दोष का लहू बहाऊंगा; क्योंकि वह तुम हो जिसने उसका विनाश चाहा है ।

20 और उसने अम्मोन को मारने के लिए अपना हाथ उठाया । परन्तु अम्मोन ने उसके वार को रोका, और उसके हाथ पर ऐसा प्रहार किया कि वह उसका उपयोग न कर सके ।

21 अब जब राजा ने देखा कि अम्मोन उसे मार सकता है, वह अम्मोन से अपने जीवनदान की याचना करने लगा ।

22 परन्तु अम्मोन ने अपनी तलवार निकाली, और उससे कहा: देखो, यदि तुम मेरे भाइयों को बंदीगृह से निकलवाने का वचन नहीं दोगे तो मैं तुम्हें मार दूंगा ।

23 अब अपने जीवन को खोने के डर से राजा ने कहा: यदि तुम मुझे छोड़ दोगे तो तुम जो चाहोगे मैं तुम्हें दूंगा, यहां तक कि आधा राज्य भी ।

24 अब जब अम्मोन ने देखा कि उसने वृद्ध राजा को अपनी इच्छा के अऩुसार वश में कर लिया है, उसने उससे कहा: यदि तुम मेरे भाइयों को बंदीगृह से निकलवाने का वचन दोगे, और लमोनी के पास उसका राज्य रहने दोगे, और तुम उस पर क्रोध नहीं करोगे, परन्तु तुम उसे उसकी इच्छानुसार कार्य करने का वचन दोगे तो मैं तुम्हें छोड़ दूंगा; नहीं तो मैं तुम्हें यहीं धरती पर दंड दूंगा ।

25 अब जब अम्मोन ने इन बातों को कह लिया, जीवन दान पाने के कारण राजा आनंदित हुआ ।

26 और जब उसने देखा कि अम्मोन की इच्छा उसे मारने की नहीं है, और उसने उसके बेटे लमोनी के प्रति उसके महान प्रेम को भी देखा, वह बहुत आश्चर्यचकित हुआ, और कहा: क्योंकि तुम्हारी केवल यही इच्छा है कि मैं तुम्हारे भाइयों को छुड़वाऊं, और लमोनी का राज्य उसके पास रहे, देखो, मैं तुम्हें वचन देता हूं कि अभी से और सदा के लिए मेरे बेटे का राज्य उसके पास रहे; और अब मैं उस पर शासन नहीं करूंगा—

27 और मैं तुम्हें यह भी वचन देता हूं कि तुम्हारे भाई बंदीगृह से निकाले जाएंगे, और तुम और तुम्हारे भाई मेरे राज्य में आओगे; क्योंकि तुम्हें देखने की मेरी बड़ी इच्छा है । क्योंकि उसके द्वारा बोली गई बातों से, और अपने बेटे लमोनी द्वारा बोली गई बातों से भी राजा बहुत अचम्भीत था, इसलिए वह उन्हें जानना चाहता था ।

28 और ऐसा हुआ कि अम्मोन और लमोनी मिदोनी के प्रदेश की अपनी यात्रा पर निकल पड़े । और लमोनी ने उस प्रदेश के राजा की कृपा प्राप्त की; इसलिए अम्मोन के भाई बंदीगृह से बाहर निकाले गए ।

29 और जब अम्मोन उनसे मिला तब वह बहुत दुखी था, क्योंकि देखो वे नंगे थे, और मजबूत रस्सियों से बांधे जाने के कारण उनकी त्वचा कट गई थी । और उन्होंने भूख, प्यास, और हर प्रकार के कष्ट को सहा था; फिर भी, अपनी सारी उत्पीड़न में वे धैर्यवान रहे थे ।

30 और, जैसा कि हुआ था, वे अपने दुर्भाग्य के कारण निर्दयी और हठी लोगों के हाथों में पड़ गए थे; इसलिए उन्होंने उनकी बातों को नहीं सुना, और उन्हें बाहर निकाल दिया, और उन्हें मारा-पीटा, और उन्हें एक घर से दूसरे घर तक और एक जगह से दूसरी जगह तक तब तक खदेड़ते रहे जब तक कि वे मिदोनी के प्रदेश में न पहुंच गए; और वहां उन्हें पकड़कर बंदीगृह में डाल दिया गया, और मजबूत रस्सियों से बांधकर कई दिनों तक बंदीगृह में रखा गया, और वे लमोनी और अम्मोन द्वारा छुड़ाए गए ।