महा सम्मेलन
भावनाओं के संयोग द्वारा हम परमेश्वर के साथ शक्ति प्राप्त करते हैं
अक्टूबर 2020 महा सम्मेलन


भावनाओं के संयोग द्वारा हम परमेश्वर के साथ शक्ति प्राप्त करते हैं

जैसे कि हम भावनाओं के संयोग की इच्छा रखते हैं, हम अपने प्रयासों को संपूर्ण बनाने के लिए परमेश्वर की शक्ति को निमंत्रित करेंगे।

गॉर्डन की मां ने उससे कहा कि अगर वह अपने कार्य खत्म कर लेगा, तो वह उसे एक पाई(कचौड़ी की तरह) बना के देगी। उस की पसंदीदा किस्म का। सिर्फ उसके लिए। गॉर्डन उन कार्यों को पूरा करने के लिए चला गया, और उस की माँ ने पाई को बेलना शुरू कर दिया। उसकी दीदी कैथी एक दोस्त के साथ घर आई। उसने पाई को देखा और पूछा कि क्या वह और उस की दोस्त एक टुकड़ा खा सकते हैं।

“नहीं,” गॉर्डन ने कहा, “यह मेरा पाई है। माँ ने मेरे लिए इसे बेक किया हैं, और मुझे इसे अर्जित करना पड़ा।”

कैथी अपने छोटे भाई पर गुस्सा हो गई। वह इतना आत्म-केंद्रित और अनुदार था। वह यह सब अपने लिए कैसे रख सकता था?

घंटों बाद जब कैथी ने अपनी सहेली को घर छोड़ ने के लिए कार का दरवाजा खोला, तो सीट पर दो नैपकिन अच्छी तरह से मुड़े हुए थे, ऊपर दो कांटे और प्लेटों पर पाई के दो बड़े टुकड़े थे। कैथी ने गॉर्डन के अंतिम संस्कार में इस कहानी को बताया कि वह कैसे तैयार था बदलने और उन लोगों को दया दिखाने के लिए जो हमेशा इसके लायक नहीं थे।

1842 में,सन्त नावू मंदिर बनाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे थे। मार्च में सहायता संस्था के स्थापना के बाद, भविष्यवक्ता जोसफ अक्सर पवित्र मंदिरों के लिए उन्हें तैयार करने के लिए उनके बैठकों में आते थे, ताकि वे तैयार हो सके पवित्र, एकीकरणीय अनुबंधो के लिए जो वे जल्द ही मंदिर में बनाने वाले थे।

9 जून को, भविष्यवक्ता ने “कहा कि वह दया के बारे में शिक्षा देंगेंं[।] यह मानते हुए कि यीशु मसीह और स्वर्गदूतों को हमारे तुच्छ बातों पर आपत्ति होगी, हमारा क्या होगा? हमें दयालु होना चाहिए और छोटी चीजों को नजर अंदाज करना चाहिए।” अध्यक्ष स्मिथ ने कहा, “यह मुझे दुःख देता है कि कोई पूर्णरूप से मेलजोल नहीं करता—यदि एक सदस्य कष्ट उठाता हैं तो यह सभी को महसूस होना चाहिए, तो यह भावनाओं के संयोग द्वारा हम परमेश्वर से शक्ति प्राप्त करते हैं।”1

उस छोटे से वाक्य ने मुझे बिजली की तरह प्रभावित किया। भावनाओं के संयोग द्वारा हम परमेश्वर से शक्ति प्राप्त करते हैं। यह संसार वैसा नहीं है जैसा मै चाहता हूं। ऐसी कई चीजें हैं जिन्हें मैं प्रभावित करना और बेहतर बनाना चाहती हूं। और स्पष्ट रूप से, मैं जो आशा करती हूं, उसके लिए बहुत विरोध है, और कभी-कभी मैं शक्तिहीन महसूस करती हूं। हाल ही में, मैं अपने आप से सवाल पूछ रही थी: मैं अपने आसपास के लोगों को कैसे बेहतर समझ सकती हूं? जब सभी इतने अलग अलग हैं तो मैं उन “भावनाओं के संयोग” की रचना कैसे करुंगी? अगर मैं दूसरों के साथ थोड़ा और अधिक संयोगी हूं, तो मैं परमेश्वर से क्या शक्ति प्राप्त कर सकती हूं? मेरी अपनी आत्मविश्लेषण से, मेरे पास तीन सुझाव हैं। शायद वे आपकी भी मदद करें।

दया कीजिए

याकूब 2:17 व्याख्या किया हैं, “अपने भाइयों को अपने समान समझो, और सब के साथ मेल-जोल रखो और अपनी संपत्ति के साथ दयालु बनो, ताकि वे भी तुम्हारी तरह संपन्न हो जाएं।” आइए संपत्ति शब्द को दया के साथ बदलते हैं —अपनी दया के साथ खुले रहें, ताकि वे भी तुम्हारी तरह संपन्न हो जाएं।

हम अक्सर भोजन या धन के संदर्भ में सम्पति के बारे में सोचते हैं, लेकिन शायद हम सभी को हमारे सेवाकई करते समय अधिक दया की आवश्यकता होती है।

मेरी अपनी सहायता संस्था की अध्यक्ष ने हाल ही में कहा था: “एक बात मैं … वादा करती हूं … आप से कि मैं आपका नाम सुरक्षित रखूंगी। … मैं आपके लिए देखूंगी कि आप अपने श्रेष्ठ रूप में कब होते हो। … मैं तुम्हारे बारे में ऐसा कुछ नहीं कहूंगी जो कठोर हो, जो तुम्हें प्रेरणा ना दे सके। मैं आपसे मेरे लिए भी ऐसा करने के लिए कहती हूं क्योंकि मैं भयभीत हूं, स्पष्ट रूप से, आपको नीचा दिखाने के लिए।

जोसफ स्मिथ ने 1842 में एक जून के दिन पर बहनों को बताया:

“जब कोई व्यक्ति मेरे प्रति कम से कम दयालुता और प्रेम प्रकट करता हैं, ओह क्या प्रभाव मेरे मन में होता है। …

“… हम अपने स्वर्गीय पिता से जितना निकट होते हैं, उतने ही अधिक हम नष्ट हो जाने वालीआत्माओं को करुणा के साथ देखते हैं - [हमें लगता है कि हम चाहते हैं] उन्हें हमारे कंधों पर ले जाएं और उनके पापों को हमारी पीठ पर डाल दें। [मेरा भाषण इस समाज के लिए है]—यदि आप पर परमेश्वर की दया हो, तो आप एक दुसरे पर दया प्रकट करें।”2

यह सहायता संस्था के लिए विशेष रूप से परामर्श था। आइए एक-दूसरे पर दोष न लगाएं या हमारे शब्द दूसरों को ना काटें। एक दूसरे के नाम सुरक्षित रखें और दया का उपहार दें।3

अपनी नावघुमाओ(स्विंग)

1936 में, वाशिंगटन विश्वविद्यालय की एक अस्पष्ट रोइंग टीम ने ओलंपिक खेलों में भाग लेने के लिए जर्मनी की यात्रा की। उस समय सब कुछ महामंदी के चापेट में था। ये कामकाजी वर्ग के लड़के थे जिनके छोटे खनन और लकड़ी के शहरों ने थोड़े से पैसे दान किए थे ताकि वे बर्लिन की यात्रा कर सकें। प्रतियोगिता का हर पहलू उनके खिलाफ ढेर लगा रहा था, लेकिन दौड़ में कुछ हुआ। नौकायन की दुनिया में, वे इसे “स्विंग” कहते हैं। सुनिए इस विवरण को जो पुस्तक द बॉयज़ इन द बोट: पर आधारित है।

एक चीज है जो कभी-कभी होती है जिसे हासिल करना मुश्किल है और परिभाषित करना कठिन है। इसे “स्विंग” कहा जाता है। यह केवल तभी होता है जब सभी नौका को इस तरह के पूर्ण सामंजस्य में चप्पू पंक्तिबद्ध हो कर चलाते हैं कि सभी क्रिया निपुण रूप से एक हो जाती हैं।

चप्पू चलाने वालो को अपनी उग्र स्वतंत्रता पर लगाम लगानी चाहिए और अपनी व्यक्तिगत क्षमताओं को बढ़ाना होता हैं। प्रतियोगिता प्रतिरूपण वक्तियों द्वारा नहीं जीती जाती हैं। अच्छे खिलाडीयों के पास अच्छे गुण होते हैं—खेल का नेतृत्व करने के लिए कोई, संसाधनों में भरपूर कोई, लड़ाई लड़ने के लिए कोई। कोई चप्पू चलाने वाले दूसरे की तुलना में अधिक मूल्यवान नहीं है, सभी नाव के लिए वैभव हैं, लेकिन अगर वे एक साथ अच्छी तरह से चप्पू चलाने चाहते हैं, तो प्रत्येक को दूसरों की जरूरतों और क्षमताओं के साथ समायोजित करना होगा—छोटे-सशस्त्र व्यक्ति थोड़ी दूर तक पहुंचते हैं, लंबे सशस्त्र व्यक्ति सिर्फ एक थोड़ा सा खींच पाता हैं।

नुकसान के बजाय असहमती को एक लाभ में बदल दिया जा सकता है। तब ही यह महसूस होगा कि नाव अपने आप चल रही है। तभी दर्द पूरी तरह से उल्लास कि ओर जाता है। अच्छा “स्विंग” कविता की तरह लगता है।4

बढ़ते अवरोधों के खिलाफ, इस टीम ने सही स्विंग पाया और जीत हासिल की। ओलंपिक स्वर्ण रोमांचक था, लेकिन उस दिन प्रत्येक रोवर ने जो एकता का अनुभव किया वह एक पवित्र क्षण था जो उनके जीवन भर साथ रहेगा।

स्पष्ट रूप से बुराई को शीघ्र दूर करें ताकि अच्छाई उत्पन्न हो।

याकूब 5 के उत्कृष्ट दृष्टांत में, बगीचे के स्वामी ने अच्छी जमीन में एक अच्छा पेड़ लगाया, लेकिन यह समय के साथ दूषित हो गया और जंगली फल लाया। बगीचे का स्वामी आठ बार कहता हैं:”मुझे दुख है कि मैं इस वृक्ष को खो दूंगा।”

सेवक ने बगीचे के स्वामी से कहा: “[वृक्ष] को थोडी देर और छोड़ दीजिए। और स्वामी ने कहा: हाँ, मैं इसे थोड़ी और देर के लिए छोड़ दूंगा।5

और फिर निर्देश आता है जाे कि हम में से सभी लागू करने की कोशिश कर सकते हैं और अपने छोटे अंगूर के बागों में अच्छे फल पा सकते हैं:”इसलिए जैसे जैसे अच्छी शाखा बढ़े, वैसे वैसे बुरी शाखाओं को काट कर अलग करते जाओ।”6

एकता जादुई ढंग से नहीं होती है; इसके लिए प्रयास करना पड़ता है। यह अप्रिय है, कभी-कभी असुविधाजनक होती है, और धीरे-धीरे होती है जब हम बुराई को जितनी तेजी से दूर करते हैं ताकि अच्छाई पनप सके।

एकता बनाने के हमारे प्रयासों में हम कभी अकेले नहीं हैं। याकूब जारी करते हुए, “और ऐसा हुआ कि सेवकों ने जाकर पूरी शक्ति से परिश्रम किया और उनके साथ बगीचे के स्वामी ने भी परिश्रम किया।” 7

हम में से प्रत्येक के पास गहरे घायल होने वाले अनुभव हैं, ऐसी चीजें जो कभी नहीं होनी चाहिए थी। हम में से प्रत्येक ने भी, विभिन्न समयों पर, हमारे द्वारा पैदा किए गए फल को दूषित करने के लिए अभिमान और महत्वता काे अनुमती दी है। लेकिन यीशु मसीह सभी बातों में हमारा उद्धारकर्ता है। उसकी शक्ति अंदर तक पहुँचती है और जब हम उसे पुकारते हैं तो वह हमारे लिए स्थिरता से उपलब्ध रहता है। हम सभी अपने पापों और असफलताओं के लिए दया की भीख मांगते हैं। वह उदारता से देता है। और वह हमसे पूछता है कि क्या हम एक-दूसरे काे वही दया और समझ दे सकते हैं।

यीशु ने इसे सीधे शब्दों में कहा: “एक रहो; और यदि तुम एक नहीं हो तो तुम मेरे नहीं हो।”8 अगर हम एक हैं—अगर हम अपने पाई के एक टुकड़े को छोड़ सकते हैं या हमारे अलग-अलग प्रतिभाओं को सही बैठाएं ताकि एकजुट होकर नाव सही रूप से चला सकें—तब हम उसके हैं। और वह बुराई को दूर करने में मदद करेगा ताकि अच्छाई पनपे।

भविष्यसूचक प्रतिज्ञाएं

हम वहाँ तक नही पहुंचे जहाँ हमें होना चाहिए था,और अभी वहाँ नहीं हैं जहाँ हम होंगे। मेरा मानना ​​है कि हम जो परिवर्तन अपने आप में और जिन समूहों के हम हैं उन में चाहते हैं वह सक्रियता से कम और एक-दूसरे को हर एक दिन समझने के प्रयास से आएंगें। क्यों? क्योंकि हम सिय्योन का निर्माण कर रहे हैं—एक लोग “एक हृदय और एक मन के।”9

अनुबंधित स्त्रियों के रूप में, हमारा प्रभाव विस्तृत है। यह प्रभाव रोजमर्रा के क्षणों में लागू होता है जब हम एक दोस्त के साथ अध्ययन कर रहे होते हैं, बच्चों को बिस्तर पर सुला रहें होते हैंं, बस में संग यात्री से बात कर रहे होते हैं, एक सहयोगी के साथ एक प्रस्तुति की तैयारी कर रहे होते हैं। हमारे पास पूर्वाग्रह को दूर करने और एकता बनाने की शक्ति है।

सहायता संस्था और युवतियों केवल कक्षाएं ही नहीं हैं। वे अविस्मरणीय अनुभव भी हो सकते हैं जहां बहुत अलग-अलग महिलाएं सभी एक ही नाव और चप्पू चलाती हैं जब तक कि हम अपने स्विंग को नहीं पाते। मैं यह निमंत्रण देती हूं कि: एक सामूहिक ताकत का हिस्सा बने जो संसार को अच्छे कार्य के लिए बदल सके। हमारा अनुबंधित काम सेवकाई का है,नीचे लटके हाथाें को उठाना है,संघर्षरत लोगों को हमारी पीठ पर या हमारी बाँहों में रखना और उन्हें ढोना है। यह जानना जटिल नहीं है कि क्या करना है, लेकिन यह अक्सर हमारे स्वार्थों के खिलाफ जाता है, और हमें कोशिश करनी होगी। इस गिरजे की महिलाओं में समाज को बदलने की असीमित क्षमता है। मुझे पूर्ण आत्मिक विश्वास है कि, जैसे कि हम दुसरों से जुड़ने के लिए महसूस करने की विनती करेंगे तो, भावनाओं के संयोग द्वारा हम परमेश्वर से शक्ति प्राप्त करते हैं।

जब गिरजा ने पुरोहिती पर 1978 के प्रकटीकरण की घोषणा की, तो अध्यक्ष रसल एम. नेलसन ने एक शक्तिशाली भविष्यवाणी की आशीष दी: “यह मेरी प्रार्थना है और आशीष जो मैं उन सभी पर छोड़ता हूं जो सुन रहे हैं ताकि आप किसी भी पक्षपात के बोझ को पराजित कर सकते हैं और परमेश्वर के साथ धार्मिकता से चल सकते हैं—और एक दूसरे के साथ—पूर्ण शांति और सद्भाव में। ”10

हम इस भविष्यवक्ता की आशीष को आकर्षित करें और संसार में एकता बढ़ाने के लिए हमारे व्यक्तिगत और सामूहिक प्रयासों का उपयोग करें। मैं प्रभु यीशु मसीह की विनम्र,अनन्त प्रार्थना के शब्दों में अपनी गवाही देती हूं: “कि वे वैसे ही एक हों,जैसा तू हे पिता मुझ में हैं, और मैं तुझ में हूं, ताकि वे भी हम में एक साथ हो सकते हैं। ”11 यीशु मसीह के नाम में, आमीन।