पवित्रशास्त्र
मॉरमन 3


अध्याय 3

मॉरमन नफाइयों से पश्चाताप करने की याचना करता है—अपने बल के अनुसार वे महान विजय और महिमा प्राप्त करते हैं—मॉरमन इनका मार्गदर्शन करने से मना करता है, और इनके प्रति उसकी प्रार्थनाएं बिना विश्वास के हो जाती हैं—मॉरमन की पुस्तक इस्राएल की बारह जातियों को सुसमाचार पर विश्वास करने को कहती है । लगभग 360–362 ईसवी ।

1 और ऐसा हुआ कि लमनाई फिर से आक्रमण करने नहीं आए जब तक कि और दस वर्ष न बीत गए । और देखो, युद्ध के समय की तैयारी के प्रति मैंने अपने लोगों, नफाइयों को उनके प्रदेश और उनके अस्त्र-शस्त्रों की तैयारी में लगा दिया ।

2 और ऐसा हुआ कि प्रभु ने मुझसे कहा: इन लोगों से याचना करो—पश्चाताप करो, और मेरे पास आओ, और बपतिस्मा लो, और फिर से मेरे गिरजे का निर्माण करो, और तुम बचाए जाओगे ।

3 और मैंने इन लोगों से याचना की, परन्तु यह व्यर्थ था; और इन्हें समझ नहीं आया कि वह प्रभु ही था जिसने इन्हें बचाया था, और उन्हें पश्चाताप करने का एक मौका दिया था । और देखो उन्होंने प्रभु अपने परमेश्वर के प्रति अपने हृदयों को कठोर किया ।

4 और ऐसा हुआ कि जब यह दस वर्ष बीत गया, मसीह के आने के समय से लेकर तीन सौ साठ वर्ष पूरे हो गए, तब लमनाइयों के राजा ने मुझे एक पत्र भेजा, जिससे मुझे पता चला कि वे हम पर आक्रमण करने की तैयारी कर रहे थे ।

5 और ऐसा हुआ कि मैंने अपने लोगों को उजाड़ प्रदेश पर एकत्रित होने को कहा जो कि उस संकरे मार्ग से होते हुए सीमाओं पर स्थित था जो दक्षिणी प्रदेश की तरफ जाता था ।

6 और वहां हमने अपनी सेनाओं को स्थित किया जिससे कि हम लमनाइयों की सेनाओं को रोक सकें, ताकि वे हमारे किसी भी प्रदेश पर कब्जा न कर सकें; इसलिए हमने अपनी पूरी ताकत से उनके विरूद्ध किलाबंदी की ।

7 और ऐसा हुआ कि तीन सौ इकसठवें वर्ष में उजाड़ प्रदेश के नगर पर लमनाई हमसे युद्ध करने आए; और ऐसा हुआ कि उस वर्ष हमने उन्हें पराजित कर दिया, इतना अधिक कि वे फिर से अपने प्रदेश वापस चले गए ।

8 और तीन सौ बासठवें वर्ष में वे फिर से युद्ध करने आए । और हमने उन्हें फिर से पराजित कर दिया, और उनमें से बहुत से लोगों को मार डाला, और उनके मृतकों को समुद्र में फेंक दिया ।

9 और अब इस महान काम के कारण जिसे मेरे लोगों, नफाइयों ने किया था, वे अपनी ही ताकत के कारण अहंकारी होने लगे, और आसमान की तरफ देखकर शपथ लेने लगे कि वे अपने उन भाइयों की मृत्यु का प्रतिशोध स्वयं लेंगे जो उनके शत्रुओं द्वारा मारे गए थे ।

10 और उन्होंने आसमान की तरफ देखकर शपथ ली, और परमेश्वर के सिंहासन की भी कि वे अपने शत्रुओं से युद्ध करने जाएंगे, और प्रदेश से उन्हें खत्म कर देंगे ।

11 और ऐसा हुआ कि मैं, मॉरमन ने इस बार उनकी दुष्टता और उनके घृणित कार्यों के कारण इन लोगों का सेनाध्यक्ष या मार्गदर्शक होने से पूरी तरह मना कर दिया ।

12 देखो, मैंने उनका मार्गदर्शन किया था, उनकी दुष्टता के बावजूद युद्ध में कई बार मैंने उनका नेतृत्व किया था, और परमेश्वर का जो प्रेम मुझमें था उसके अनुसार मैंने अपने पूरे हृदय से उनसे प्रेम किया था; और उनके लिए पूरे समय मैंने परमेश्वर से प्रार्थना करने में अपना हृदय उंडेला था; फिर भी, उनके हृदयों की कठोरता के कारण यह प्रार्थना बिना विश्वास के थी ।

13 और तीन बार मैंने उन्हें उनके शत्रुओ के हाथों से बचाया, और उन्होंने अपने पापों का पश्चाताप नहीं किया ।

14 और जब उन्होंने उन सब चीजों की शपथ ली जो कि हमारे प्रभु और उद्धारकर्ता यीशु मसीह के द्वारा वर्जित थीं, कि वे युद्ध करने अपने शत्रुओं के पास जाएंगे, और अपने भाइयों के लहू का प्रतिशोध लेंगे. देखो यह कहते हुए प्रभु की आवाज मुझे सुनाई दी:

15 प्रतिशोध मेरा है, और मैं भुगतान करूंगा; और मेरे बचाए जाने के बावजूद भी इन लोगों ने पश्चाताप नहीं किया है जिसके कारण, देखो धरती से इनका नाश होगा ।

16 और ऐसा हुआ कि मैंने अपने शत्रुओं से युद्ध करने से पूरी तरह से मना कर दिया; और मैंने वैसा ही किया जैसे कि प्रभु ने मुझे आज्ञा दी थी; और जिन बातों को मैंने देखा और सुना था, उनको संसार पर प्रकट करने के लिए मैं निरर्थक साक्षी के रूप में खड़ा रहा, और उस आत्मा के प्रकटीकरण के अनुसार भी जिसने होनेवाली बातों की गवाही दी थी ।

17 इसलिए हे अन्य जातियों, मैं तुम्हें लिख रहा हूं, और हे इस्राएल का घराना, तुम्हें भी, कि जब कार्य आरंभ होगा, कि जब तक अपनी धरोहर की धरती पर जाने की तैयारी कर रहे होगे;

18 हां, देखो, मैं पृथ्वी की सभी छोरों को लिख रहा हूं; हां, तुम्हें, इस्राएल की बारह जातियों को, जिनका न्याय उनके कार्यों के अनुसार उन बारह लोगों के द्वारा होगा जिन्हें यीशु ने यरूशलेम की धरती पर अपने शिष्यों के रूप में चुना था ।

19 और इन लोगों के बाकी बचे हुए लोगों को भी लिख रहा हूं, जिनका न्याय भी उन बारह लोगों के द्वारा होगा जिन्हें यीशु ने इस प्रदेश में चुना है; और इन बारह लोगों का न्याय उन बारह लोगों के द्वारा होगा जिन्हें यीशु ने यरूशलेम की धरती पर चुना था ।

20 और इन चीजों को मुझ पर आत्मा ने प्रकट किया; इसलिए मैं तुम सबको लिख रहा हूं । और यह सब मैं इसलिए लिख रहा हूं कि तुम जान सको कि तुम सब को मसीह के न्याय-आसन के समाने खड़ा होना होगा, हां, हर उस आत्मा को जो आदम के पूरे मानव परिवार का सदस्य है; और तुम्हें तुम्हारे कर्मों के अनुसार न्याय के लिए खड़ा होना होगा चाहे वे अच्छे हों या बुरे;

21 और इसलिए भी जिससे कि तुम यीशु मसीह के सुसमाचार पर विश्वास कर सको, जो कि तुम्हारे ही बीच में होगा; और यहूदियों में और प्रभु के अनुबंधित लोगों में होगा, उसके अलावा उनके पास एक अन्य साक्षी होगी जिसे उन्होंने देखा और सुना था, कि यीशु जिसे उन लोगों ने मार डाला था वही मसीह और परमेश्वर था ।

22 और मैं चाहूंगा कि पृथ्वी की छोर के सारे लोगों को पश्चाताप करने और मसीह के न्याय-आसन के सामने खड़े होने के प्रति उनकी तैयारी के लिए मैं उन्हें मना सकूं ।