पवित्रशास्त्र
जोसफ स्मिथ—इतिहास 1


जोसफ स्मिथ—इतिहास

भविष्यवक्ता जोसफ स्मिथ इतिहास के अंश

अध्याय 1

जोसफ स्मिथ अपने पूर्वजों, परिवार के सदस्यों, और उनके आरंभिक निवास के बारे में बताता है—पश्चिमी न्यूयार्क में धर्म के बारे में असामान्य उत्तेजना प्रचलित होती है—वह याकूब द्वारा निर्देशित बुद्धि पाने का निश्चय करता है—पिता और पुत्र प्रकट होते हैं, जोसफ को उसकी भविष्यसूचक सेवकाई के लिए नियुक्त किया जाता है । (आयतें 1—20 ।)

1 बहुत सी रिपोर्टों के कारण जो बुरी-प्रवृति और धूर्त व्यक्तियों द्वारा प्रचलित की गई थी, अंतिम-दिनों के यीशु मसीह के गिरजे के विकास और प्रगति के संबंध में, वे सभी उन लेखकों द्वारा तैयार की गई थी जो गिरजे की प्रतिष्ठा और संसार में इसकी उन्नति को नष्ट करने के लिए इसके विरूद्ध कार्य कर रहे थे—मुझे इस इतिहास को लिखने के लिए प्रेरित किया गया, ताकि लोगों के मन से झूठे विचारों को दूर किया जाए, और वे लोग जो सच्चाई को जानना चाहते थे वे तथ्यों को जान सकें, जैसे वे हुए हैं, मेरे और गिरजे दोनों के संबंध में, जहां तक मुझे उन तथ्यों का ज्ञान है ।

2 इस इतिहास में मैं इस गिरजे के संबंध में विभिन्न घटनाओं को प्रस्तुत करूंगा, सच्चाई और धार्मिकता में, जैसे वे हुई हैं, या जैसे वे वर्तमान में हैं, अभी [1838] में आठवां वर्ष है इस गिरजे की स्थापना हुए ।

3 मैं हमारे प्रभु के एक हजार आठ सौ पांच वर्ष में, दिसंबर के तेईसवें दिन, शैरोन, विंडसर प्रांत, वरमांऊट राज्य में पैदा हुआ था । … मेरे पिता, जोसफ स्मिथ, क., ने वरमांऊट राज्य छोड़ा, और पलमाइरा, ओन्टारियो (अब वेन) प्रांत, न्यूयार्क राज्य चले गए, जब मैं अपने दसवें वर्ष में, या इसके आस-पास था । मेरे पिता के पलमाइरा में पहुंचने के चार वर्ष के बाद, वह अपने परिवार के साथ उसी ओन्टारियो प्रांत में मैनचस्टर चले गए—

4 उनके परिवार में ग्यारह प्राणी थे, अर्थात, मेरे पिता, जोसफ स्मिथ, क., मेरी मां, लूसी स्मिथ (जिनका नाम उनके विवाह से पहले, मैक, सोलोमन मैक की पुत्री थी); मेरे भाई, एलविन (जिसका निधन 19 नवंबर 1823 को 26 वर्ष की आयु में हो गया था), हाएरम, मैं, सैमुएल हैरिसन, विलियम, डॉन कारलोस; और मेरी बहनें, सोफ्रोनिया, कैथरीन, और लूसी ।

5 मैनचस्टर में हमारे आने के दूसरे वर्ष में किसी समय, उस स्थान में जहां हम रहते थे धर्म के विषय में असामान्य उत्तेजना थी । यह मेथोडिस्ट से आरंभ हुई, लेकिन जल्द ही उस प्रांत के सभी वर्गो में फैल गई थी । असल में, लगता था कि प्रांत का संपूर्ण जिला इसके द्वारा प्रभावित हो गया था, और बहुत से लोगों ने स्वयं को विभिन्न धार्मिक संस्थाओं से जोड़ लिया था, जिसने लोगों के बीच बेचैनी और मतभेद को कम नहीं किया था, कुछ चिल्लाते, “देखो, यहां है!” और अन्य कहते, “देखो, वहां है!” कुछ मेथोडिस्ट विश्वास के लिए बहस करते थे, कुछ प्रेस्बिटिरीअन के लिए, और कुछ बैप्टिस्ट के लिए ।

6 क्योंकि, उस महान प्रेम के बावजूद जो इन विभिन्न धर्मों के प्रति परिवर्तितयों ने अपने परिवर्तन के समय व्यक्त किया था, और संबंधित पादरियों द्वारा महान उत्साह प्रकट किया गया था, जोकि धार्मिक भावना के इस असाधारण माहौल को उठाने और बढ़ावा देने में सक्रिय थे, प्रत्येक को परिवर्तित करने के उद्देश्य से, जैसा कि वे इसे कहलाने में खुश थे, उन्हें उस वर्ग के साथ जुड़ने दिया जिसे वे चाहते थे; मगर जब परिवर्तित छोड़कर जाने लगे, कुछ एक दल से और कुछ अन्य से, ऐसा देखा गया कि अच्छी प्रतीत होने वाली अनुभूतियां याजकों और परिवर्तित दोनों की वास्तविकता से कहीं अधिक झूठी थीं; क्योंकि महान भ्रम और बुरी अनुभूतियों का माहौल उत्पन्न हो गया—याजक दूसरे याजक से बहस कर रहा था, और परिवर्तित दूसरे परिवर्तित के विरूद्ध था; इस प्रकार एक दूसरे के प्रति उनकी अच्छी भावनाएं, यदि कभी उनके पास थी, तो यह पूर्णरूप से शब्दों के संर्घष और विचारों के मतभेद में खो चुकी थी ।

7 इस समय मैं अपने पन्द्रहवें वर्ष में था । मेरे पिता का परिवार प्रेस्बिटिरीअन धर्म में परिवर्तित हो गया था, और उनमें से चार उस गिरजे में शामिल हो गए थे, अर्थात, मेरी मां, लूसी; मेरे भाई हाएरम और सैमुएल हैरिसन; और मेरी बहन सोफ्रोनिया ।

8 इस महान उत्तेजना के समय के दौरान मेरा दिमाग गंभीर विचार और बहुत अशांति से भरा हुआ था; और यद्यपि मेरी अनुभूतियां गहरी और अक्सर दुखद थीं, फिर भी मैंने स्वयं को इन सभी दलों से दूर रखा, यद्यपि मैं उनकी बहुत सी सभाओं में जाता था जब मुझे समय मिलता । समय की प्रक्रिया में मेरा मन बहुत कुछ मैथोडिस्ट पंथ के प्रति पक्षपातपूर्ण हो गया था, और मैंने उनके साथ जुड़ने की इच्छा को महसूस किया; लेकिन विभिन्न संप्रदायों के बीच भ्रम और मतभेद इतने अधिक थे, कि मेरे समान युवा व्यक्ति के लिए, जोकि लोगों और विषयों से बहुत ही अनजान था, किसी ऐसे निर्णय पर पहुंचना असंभव था कि कौन सही था और कौन गलत ।

9 मेरा मन कभी-कभी बहुत उत्तेजित हो जाता था, शोर और कोलाहल बहुत अधिक और बराबर बना रहा । प्रेस्बिटिरीअन बैपटिस्ट और मैथोडिस्ट के बहुत खिलाफ थे, और उनकी गलतियों को साबित करने के लिए तर्कों और कुतर्कों दोनों प्रकार की शक्ति का उपयोग करते थे, या, कम से कम, लोगों को सोचने पर मजबूर करते थे कि वे गलत थे । दूसरी ओर, बैपटिस्ट और मैथोडिस्ट बदले में अपने स्वयं के सिद्धांतों को साबित करने और दूसरों का खंडन करने के प्रयास में उतने ही उत्साही थे ।

10 शब्दों के इस युद्ध और विचारों के कोलाहल के बीच, मैं अक्सर अपने आप से कहता था: क्या किया जाना चाहिए? उन सब दलों में कौन सही है; या, क्या ये सभी ही गलत हैं? यदि कोई एक सही है, तो कौन है, और मैं इसे कैसे मालूम करूंगा?

11 जबकि मैं धर्मियों के इन दलों के विवादों द्वारा पैदा हुई अत्यधिक कठिनायों के दौर से गुजर रहा था, एक दिन मैं याकूब की पत्री का प्रथम अध्याय और पांचवी आयत पढ़ रहा था, जिसमें लिखा है: यदि तुम में से किसी को बुद्धि की घटी हो, तो परमेश्वर से मांगे, जो बिना उलाहना दिए सब को उदारता से देता है; और उस को दी जाएगी ।

12 धर्मशास्त्र के किसी वाक्य ने कभी भी मनुष्य के हृदय को इतनी गहराई से नहीं छुआ होगा जितना इसने उस समय मुझे छुआ था । ऐसा लगता था कि मानो यह अत्यधिक शक्ति से मेरे संपूर्ण हृदय में प्रवेश कर गया । मैंने इस पर बार बार विचार किया, जानते हुए कि यदि किसी व्यक्ति को परमेश्वर से बुद्धि की आवश्यकता थी, तो वह मैं था; क्योंकि क्या करना था मुझे नहीं पता था, और जब तक मैं उससे अधिक बुद्धि न प्राप्त करता जो मेरे पास थी, मैं कभी नहीं जान पाता; क्योंकि विभिन्न संप्रदाय के धर्म के शिक्षकों ने धर्मशास्त्र के उसी वाक्य को बहुत ही भिन्न तरीके से समझा था कि प्रश्न को सुलझाने में बाइबिल से प्रेरणा पाने के समस्त विश्वास का नाश होता है ।

13 आखिरकार मैं इस नतीजे पर पहुंचा कि मैं या तो अंधकार और दुविधा में रहूं, या फिर वैसा करूं जैसा याकूब निर्देश देता है, अर्थात, परमेश्वर से मांगूं । मैं आखिरकार इस निर्णय पहुंचा कि “परमेश्वर से मांगो”, निष्कर्ष निकालते हुए कि यदि वह उन्हें बुद्धि देता है जिनमें कमी होती है, और उदारता से देता है, और बिना उलाहना किए, तो मुझे प्रयास करना चाहिए ।

14 तो, इस के अनुसार, परमेश्वर से मांगने के अपने निश्चय के लिए, मैं जंगल में एकांत में इसका प्रयास करने के लिए गया । यह अठारह सौ बीस की बसंत ऋतु के आगमन की सुंदर सुबह का, साफ दिन था । यह मेरे जीवन का पहला अवसर था जब मैंने ऐसा प्रयास किया था, क्योंकि अपनी सारी उत्तेजनाओं के बीच मैंने अभी तक बोलकर प्रार्थना करने का प्रयास नहीं किया था ।

15 उस एकांत स्थान पर पहुंचने के बाद जिसका मैंने पहले से चुनाव किया था, मैंने अपने आस-पास देखा, और स्वयं को अकेला पा कर, मैं घुटनों के बल झुका और अपने हृदय की बातों को परमेश्वर के सामने रखना आरंभ किया । अभी मैंने ऐसा किया ही था कि तुरंत किसी शक्ति ने मुझे पूर्णरूप से जकड़ लिया, और इसका प्रभाव मुझ पर इतना अधिक था कि इसने मेरी जबान को बुरी तरह से जकड़ लिया कि मैं कुछ बोल न सका । गहरा अंधकार मेरे चारों ओर छा गया, और एक समय के लिए मुझे ऐसा लगा कि मानो मुझे यकायक नष्ट होने का अभिशाप मिला हो ।

16 लेकिन, शैतान की इस शक्ति से मुझे मुक्त करने के लिए मैंने अपनी संपूर्ण शक्ति का उपयोग करते हुए परमेश्वर को पुकारा, जिसने मुझे जकड़ रखा था, और उसी क्षण जब मैं निराशा में डूबने और स्वयं के नाश के लिए तैयार था—काल्पनिक विनाश के लिए नहीं, लेकिन अनदेखे संसार से किसी वास्तविक प्राणी की शक्ति से, जिसके पास अद्भुत शक्ति थी जिसे किसी प्राणी में मैंने पहले कभी महसूस नहीं किया था—महान चेतावनी के उस क्षण, मैंने अपने सिर के ठीक ऊपर प्रकाश का एक स्तंभ देखा, जिसकी चमक सूर्य से तेज थी, जो धीरे-धीरे नीचे आकर मुझ पर ठहर गया ।

17 जैसे ही यह प्रकट हुआ मैंने तुरंत स्वयं को शैतान के बंधन से मुक्त पाया । जब प्रकाश मेरे ऊपर आकर ठहरा मैंने दो व्यक्तियों को देखा, जिनकी चमक और महिमा का वर्णन करना कठीन है, मेरे ऊपर हवा में खड़े थे । उन में से एक ने मुझेमेरा नाम लेकर पुकारा और कहा, दुसरे की ओर इशारा करते हुए—यह मेरा प्रिय पुत्र है । इसकी बात सुनो!

18 प्रभु से पूछने का मेरा उद्देश्य यह जानना था कि सब संप्रदायों में से कौन सही था, ताकि मैं जान सकूं किस में शामिल होना है । इसलिए मैंने, तुरंत ही, स्वयं को संभाला, ताकि मैं बोलने के योग्य हो सकूं, फिर मैंने व्यक्तियों से पूछा जो मेरे ऊपर प्रकाश में खड़े थे, इन सब संप्रदायों में से कौन सही था (क्योंकि उस समय मेरे हृदय में यह नहीं आया था कि सब गलत हैं)—और मुझे किसमें शामिल होना चाहिए ।

19 मुझे जवाब मिला कि मुझे इनमें से किसी से भी नहीं जुड़ना चाहिए, क्योंकि वे सब गलत थे; और जो व्यक्ति मुझ से बात कर रहा था ने कहा कि उनके सभी सिद्धांत मेरी दृष्टि में घृणित थे; कि वे सभी धर्मी भ्रष्ट थे; कि: “वे होठों से तो मेरे निकट आते हैं, लेकिन उनके हृदय मुझ से दूर हैं, वे मनुष्यों की आज्ञाओं के सिद्धांतों की शिक्षा देते हैं, भक्ति का भेष धरते हुए, पर वे उसकी शक्ति को अस्वीकार करते हैं ।”

20 उसने मुझे फिर से किसी से भी न जुड़ने के लिए कहा; और उसने मुझ से अन्य बहुत सी बातें कहीं, जो मैं इस समय नहीं लिख सकता । जब फिर से मैं अपने आप में आया, तो मैंने स्वयं को पीठ के बल लेटा पाया, ऊपर आकाश को देखते हुए । जब वह प्रकाश ओझल हो गया, तो मुझ में कोई ताकत नहीं थी; लेकिन मैंने अपने आप को कुछ हद तक संभाला, और घर लौट गया । और जब मैं अंगीठी पर झुका हुआ था, तो मेरी मां ने पूछा क्या बात है । मैंने जवाब दिया, “कुछ नहीं, सब ठीक है—मैं बिलकुल ठीक हूं ।” फिर मैंने अपनी मां से कहा, “मुझे स्वयं पता चला है कि प्रेस्बिटिरीअन सच्चा धर्म नहीं है ।” ऐसा लगता था मानो शैतान जानता था, कि अपने जीवन के आरंभ से ही, मैं उसके राज्य को भंग करने और तंग करने वाला साबित करने के लिए पैदा हुआ था; वरना क्यों अंधकार की शक्तियां मेरे विरूद्ध एकजुट होती? क्यों विरोध और अत्याचार मेरे विरूद्ध, लगभग मेरे बचपन में ही क्यों उठ खड़ा हुआ था?

कुछ प्रचारकों और अन्य धर्म के शिक्षकों ने प्रथम दिव्यदर्शन के घटना को अस्वीकार कर देते हैं—जोसफ स्मिथ पर अत्याचार बढ़ता है—वह दिव्यदर्शन की सच्चाई की गवाही देता है । (आयत 21–26 ।)

21 मुझे दिव्यदर्शन दिखने के कुछ दिनों के बाद, मैं मैथोडिस्ट प्रचारक के साथ था, वह पहले बताई हुई धार्मिक उत्तेजना में बहुत सक्रिय था; और, उसके साथ धर्म के विषय में बात कर रहा था, मैंने उससे दिव्यदर्शन का वर्णन किया जो मैंने देखा था । मुझे उसके व्यवहार से बहुत आश्चर्य हुआ; उसने मेरी बातचीत को न केवल हल्के में लिया, बल्कि बहुत अपमान करते हुए कहा, यह सब शैतान का कार्य था, कि आजकल दिव्यदर्शन या प्रकटीकरण जैसी कोई बात नहीं होती; कि यह सब बातें प्रेरितों के साथ खतम हो गई थी, और कि अब ये कभी नहीं होंगी ।

22 मुझे जल्द ही पता चला, कि मेरी बताई हुई कहानी से धर्म के शिक्षक उत्तेजनावश मेरे विरूद्ध काफी पक्षपात करने लगे, और अत्यचार का एक बड़ा कारण बन गया जो लगतार बढ़ता गया; और जबकि मैं मात्र चौदह और पंद्रह वर्ष का अंजान लड़का था, और जीवन में मेरी परिस्थिति उस लड़के के समान थी जिसका इस संसार में कोई महत्व नहीं थी, फिर भी उच्च प्रतिष्ठा के व्यक्तियों ने मेरे विरूद्ध लोगों के मन को उत्तेजित करने में अधिक ध्यान लगाया था, और कठोर अत्याचार उत्पन्न किया; और यह सभी संप्रदायों में एकसमान था—सब मिलकर मुझ पर अत्याचार करने लगे ।

23 इस के कारण मुझ पर गंभीर असर हुआ, और प्रायः उसके बाद से, कितनी अजीब बात थी कि एक अंजान लड़का, जोकि चौदह वर्ष से थोड़ा बड़ा, और वह भी, जो अपने प्रतिदिन के परिश्रम से अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए अभागा था, को उस समय के लोकप्रिय संप्रदायों के महान लोगों का ध्यान आकर्षित करने के लिए अति महत्वपूर्ण व्यक्ति समझा गया, और इस तरह से उनमें अधिक कड़वाहट और बुरा-भला कहना की आत्मा को उत्पन्न किया । अजीब था या नहीं, लेकिन यह ऐसा ही था, और इससे मुझ में अत्यधिक दुख पहुंचा था ।

24 फिर भी, यह सच था कि मैंने दिव्यदर्शन देखा था । मैं तब से विचार करता हूं कि मुझे पौलुस के समान महसूस हुआ था, जब उसने स्वयं का बचाव राजा अग्रिप्पा के सामने किया था, और अपने दिव्यदर्शन के विषय में बताया था जब उसने प्रकाश देखा था और एक वाणी सुनी थी; परंतु तब भी कुछ ही लोगों ने उस पर विश्वास किया था; कुछ ने कहा वह आज्ञाकारी नहीं है, और अन्यों ने कहा वह पागल है; उसका मजाक उड़ाया और अपमान करने लगे । लेकिन यह सब उस दिव्यदर्शन की सच्चाई को नष्ट न कर सका । उसने दिव्यदर्शन देखा था, वह जानता था, और आकाश के नीचे के कोई भी अत्याचार इसे बदल नहीं सकता था; और यद्यपि लोग उसे मारने तक अत्याचार करते, फिर भी वह जानता था, और अपनी अंतिम सांस तक जानता रहेगा, कि उसने प्रकाश को देखा और वाणी को सुना था, और संपूर्ण संसार उसे अन्यथा सोचने या विश्वास करने के लिए मजबूर नहीं कर सकता था ।

25 ऐसा मेरे साथ भी था मैंने सच में प्रकाश देखा था, और उस प्रकाश के बीच मैंने दो व्यक्तियों को देखा था, और उन्होंने मुझ से वास्तव में बातें की थी; और यद्यपि मुझ से इसलिए नफरत और अत्याचार किया गया कि मैंने एक दिव्यदर्शन देखा था, फिर भी यह सच था; और जबकि यह कहने पर वे मुझ पर अत्याचार कर, बुरा भला कह, और मेरे विरूद्ध हर प्रकार की बुरी बातें बोल रहे थे, मैं अपने हृदय में सोचने लगा: सच्चाई बोलने के लिए मुझ पर अत्याचार क्यों करते हो? मैंने वास्तव में दिव्यदर्शन देखा है; और मैं कौन होता हूं कि मैं परमेश्वर के समक्ष खड़ा हो सकूं, या क्यों संसार मुझे उसका इंकार करने के लिए कह रहा था जो मैंने वास्तव में देखा था? क्योंकि मैंने एक दिव्यदर्शन देखा था; यह मैं जानता था, और मैं जानता था कि यह परमेश्वर जानता था, और मैं इसका इंकार नहीं कर सकता था, न ही मुझे में ऐसा करने का साहस था; कम से कम मैं जानता था कि ऐसा करने के द्वारा मैं परमेश्वर के विरूद्ध अपराध करूंगा, और दंड का भागी बनूंगा ।

26 अब मेरा मन संतुष्ट हो चुका था जहां तक संप्रदायिक संसार का संबंध था—कि उनमें से किसी एक के साथ जुड़ना यह मेरा कर्तव्य नहीं था, लेकिन जो मैं कर रहा था उसे करता हूं जब तक मुझे आगे का निर्देश नहीं मिलता । मैंने पाया कि याकूब की गवाही सच्ची थी—कि यदि कोई व्यक्ति जिसे बुद्धि की कमी हो परमेश्वर से मांगें, और जो बिना उलाहना किए सबको उदारता से देता है ।

मोरोनी जोसफ स्मिथ को दिखाई देता है—जोसफ का नाम सब राष्ट्रों के बीच अच्छे और बुरे के लिए जाना जाता है—मोरोनी उसे मॉरमन की पुस्तक और प्रभु के न्याय के विषय में बताता है और बहुत से धर्मशास्त्रों का उद्दरण करता है—सोने की पट्टियों के छिपने के स्थान को बताया जाता है—मोरोनी भविष्यवक्ता को निर्देश देना जारी रखता है । (आयतें 27–54 ।)

27 इक्कीस सिंतबर एक हजारा आठ सौ तेईस तक मैं अपने जीवन के कामकाज में व्यस्त रहा, हर समय तकलीफ में रहा, धार्मिक और गैर-धार्मिक सभी स्तर के मनुष्यों के हाथों से बुरी तरह सताया गया, क्योंकि मै लगातार यह कहता रहा कि मैंने दिव्यदर्शन देखा था ।

28 मेरे दिव्यदर्शन देखने और वर्ष अठारह सौ तेईस के बीच के समय के दौरान—किसी भी धार्मिक संप्रदाय से जुड़ने के लिए मना किए जाने, और बहुत कम आयु का होने के कारण, और उनके द्वारा सताये जाने जो अपने आप को मेरा मित्र कहते थे, और मुझ से अच्छा व्यवहार करते थे, और मुझे मोहित करने की ताक में रहते थे कि मैं उनकी बातों में आ जाऊं—मुझे सभी प्रकार के प्रलोभनों; और समाज के सभी वर्गों से मिलने के लिए रोका गया था मैंने बहुत बार मूर्खतापूर्ण गलतियां की और अपनी युवावस्था और मानव प्रकृति की कमजोरी को प्रकट किया था, जिसके लिए मुझे खेद है, मैं कई प्रकार के प्रलोभनों से घिरा और जोकि परमेश्वर की दृष्टि में घृणित थे । अब मैं अपना अपराध स्वीकार करता हूं, कोई यह न सोचे कि मैं किसी महान या बहुत घृणित पाप का दोषी था । मेरी प्रकृति इस तरह के पाप करने की कभी नहीं थी । लेकिन मैं चंचलता का दोषी था, और कभी-कभी हंसी-मजाक की संगति आदि से जुड़ रहता था, यह उसके चरित्र के अनुरूप नहीं था जिसे परमेश्वर द्वारा नियुक्त किया गया हो जैसे मुझे किया गया था । लेकिन यह उस के लिए बहुत अजीब नहीं होगा जो मेरी युवावस्था को जानता है, और मेरे स्वभाविक खुशदिल प्रकृति से परिचित है ।

29 इन बातों के परिणामस्वरूप, अपनी कमजोरियों और खामियों के लिए मैंने अक्सर दंडित महसूस किया है; जब, उपरोक्त इक्कीस सितंबर की शाम को, मैं रात में बिस्तर पर लेटने से पहले, मैंने स्वर्गीय पिता से अपने पापों और मूर्खता की क्षमा मांगने और मुझ पर उसकी इच्छा प्रकट करने के लिए प्रार्थना की, ताकि मुझे उसके समक्ष अपनी दशा और स्थिति का ज्ञान हो सके; क्योंकि मुझे दिव्यदर्शन प्रकटीकरण का प्राप्त होने का पूर्ण भरोसा था, जैसे मैंने पहले प्राप्त किया था ।

30 जब मैं परमेश्वर से प्रार्थना कर रहा था, तब मैंने पाया कि एक प्रकाश मेरे कमरे में प्रकट हो रहा था, जो लगातार बढ़ता जा रहा था और कमरा दोपहर के प्रकाश के समान हो गया, जब अचानक मेरे बिस्तर के निकट एक व्यक्ति प्रकट हुआ, जो ऊपर हवा में खड़ा था, क्योंकि उसके पैर जमीन को नहीं छू रहे थे ।

31 उसने बहुत ही सफेद ढीला वस्त्र पहना हुआ था । इसकी सफेदी को मैंने पृथ्वी पर पहले कभी नहीं देखा था; और मैं विश्वास करता हूं कि पृथ्वी की कोई भी वस्तु इतनी अधिक चमकदार सफेद नहीं हो सकती थी । उसके हाथ नंगे थे, उसकी बाजू भी, कलाई से थोड़ा ऊपर और, ऐसे ही उसके पैर भी नंगे थे, और पांव भी, एड़ी से थोड़ा ऊपर । उसका सिर और गरदन भी नंगे थे । मैं देख सकता था कि उसने उस वस्त्र के सिवाय कुछ नहीं पहना हुआ था, क्योंकि उसका वस्त्र खुला हुआ था, और मैं उसकी छाती देख सकता था ।

32 न केवल उसका वस्त्र ही चमकदार सफेद था, बल्कि उसका पूरा शरीर ही इतना महिमापूर्ण था जिसका वर्णन नहीं किया जा सकता, उसका चेहरा वास्तव में बिजली के समान चमकीला था । पूरा कमरा तेज प्रकाश से भर गया था लेकिन उस व्यक्ति के आस-पास से अधिक चमकदार नहीं था । जब मैंने पहली बार उसकी ओर देखा, मैं डर गया; लेकिन तुरंत मेरा डर खतम हो गया था ।

33 उसने मुझे मेरे नाम से बुलाया, और मुझ से कहा कि वह परमेश्वर की ओर से आया है, और उसका नाम मोरोनी था; कि परमेश्वर के पास मेरे लिए काम है जो मुझे करना है; और मेरा नाम अच्छे और बुरे, सभी राष्ट्रों, जातियों, और भाषाओं के बीच लिया जाएगा, या कि यह सब लोगों के बीच अच्छे और बुरे दोनों तरह से लिया जाएगा ।

34 उसने कहा कि एक पुस्तक कहीं पर रखी गई है, सोने की पट्टियों पर लिखी हुई, इस महाद्वीप के पहले के लोगों का वर्णन करते हुए, और उस स्रोत का जहां से वे आए थे । उसने यह भी बताया कि उस अनंत सुसमाचार की संपूर्णता इसमें शामिल है, जिसे उद्धारकर्ता ने प्राचीन निवासियों को दिया था;

35 यह भी, कि चांदी के धनुषों में दो पत्थर थे—और ये पत्थर, कवच के साथ बंधे हैं, जिसे यूरिम और थमिम कहते हैं—पट्टियों के साथ रखे हैं; और ये पत्थर प्राचीन या पूर्व समय में दूरदर्शी रखते और उपयोग करते थे और कि परमेश्वर ने इन्हें पुस्तक का अनुवाद करने के उद्देश्य के लिए तैयार किया था ।

36 मुझे यह सब बताने के बाद, उसने पुराने नियम में की गई भविष्यवाणियां का उद्धरण करना आरंभ किया । उसने पहले मलाकी के तीसरे अध्याय का हिस्सा उद्धरित किया; और उसने चौथे अध्याय या अंतिम अध्याय के समान भविष्यवाणी को उद्धरित किया, जिस तरह से बाइबिल में लिखा है उस से थोड़ा भिन्न । पहली आयत को उद्धरित करने के स्थान पर जैसा हमारी पुस्तकों में लिखा है, उसने इस प्रकार उद्धरित किया:

37 क्योंकि देखो, वह धधकते भट्ठे का सा दिन आता है, जब सब अभिमानी, और सब दुराचारी लोग अनाज की खूंटी बन जाएंगे; और उस आने वाले दिन में वे ऐसे भस्म हो जाएंगे कि उनका पता तक न रहेगा, सेनाओं के प्रभु का यही वचन है ।

38 और फिर, उसने पांचवी आयत का उदाहरण दिया: देखो, मैं एल्लियाह भविष्यवक्ता के द्वारा तुम्हें पौरोहित्य प्रकट करता हूं प्रभु के उस बड़े और भयानक दिन के आने से पहले ।

39 उसने फिर दूसरी आयत का उदाहरण भिन्न रूप से दिया: और वह पिताओं से किए वादे बच्चों के हृदय में बोएगा, और बच्चों के हृदय पिता की ओर फेरेगा । अगर ऐसा न हुआ तो, पूरी पृथ्वी का नाश उसके आगमन में हो जाएगा ।

40 इनके अतिरिक्त, उसने यह कहकर यशायाह के ग्यारहवें अध्याय को उद्धरित किया, कि यह लगभग पूरा होने वाला है । उसने प्रेरितों के काम के तीसरे अध्याय का बाईसवीं और तेईसवीं आयतों को उद्धरित किया, बिलकुल वैसे जैसे ये हमारे नये नियम में हैं । उसने कहा कि यह भविष्यवक्ता मसीह है; लेकिन वह दिन अभी तक नहीं आया है और जब “वे जो उसकी आवाज को नहीं सुनेंगे, लोगों में से अलग कर दिए जाएंगे,” परंतु वह जल्द आएगा ।

41 उसने योएल के दूसरे अध्याय के अठाईसवें आयत से अंत तक का उदाहरण भी दिया । उसने कहा कि यह अभी तक पूरा नहीं हुआ, लेकिन शीघ्र होने वाला है । और उसने यह भी कहा कि जब तक अन्य जातियां पूरी रीति से प्रवेश न कर लें । उसने धर्मशास्त्र के बहुत से अन्य अंशों के उदाहरण और कई स्पष्टीकरण दिए जिन्हें यहां नहीं लिखा जा सकता ।

42 फिर, उसने मुझे कहा, कि जब मुझे वे पट्टियां मिलें जिनके बारे में उसने कहा था—क्योंकि उन्हें प्राप्त करने का समय अभी पूरा नहीं हुआ है—मुझे उन्हें किसी भी व्यक्ति को नहीं दिखाना चाहिए; न ही कवच को जो यूरिम और थूमिम के साथ रखा है; केवल उन्हें ही दिखाना है जिन्हें दिखाने की आज्ञा मुझे दी जाएगी; यदि मैंने ऐसा किया तो मुझे नष्ट कर दिया जाएगा । जब वह मेरे साथ पट्टियों के बारे में बातचीत कर रहा था, तब मेरे मन में दिव्यदर्शन उभर आया कि मैं उस स्थान को देख सकता था जहां वह पट्टियां रखी हुई थी, और कि इतने स्पष्टरूप और प्रत्यक्षरूप से कि जब मैं उस स्थान पर पहुंचा तो मैं उसे पहचान गया ।

43 इस बातचीत के बाद, मैंने कमरे में प्रकाश देखा जो शीघ्र ही उस व्यक्ति के चारों ओर एकत्रित हो गई जिससे मैं बातें कर रहा था, और ऐसा होना जारी रहा जब तक कमरा में फिर से अंधकार नहीं हो गया, सिवाय उसके आस-पास को छोड़कर; और फिर, मैंने तुरंत देखा, ऐसा लगता था, ठीक ऊपर आकाश में एक मार्ग खुल गया, और वह ऊपर जाता गया जबतक वह पूर्णरूप ओझल नहीं हो गया, और कमरा वैसा हो गया जैसा इस स्वर्गीय प्रकाश के आने से पहले था ।

44 मैं उस विशेष घटना के विषय में गहराई से विचार करने लगा, और जो इस असाधारण दूत द्वारा बताया गया था उस पर बहुत आश्चर्य करते हुए; जब मैं विचार कर रहा था, मैंने अचानक पाया कि मेरा कमरा फिर से प्रकाशमान हो गया, और तुरंत, वही स्वर्गीय दूत फिर से मेरे बिस्तर के निकट था ।

45 उसने बोलना आरंभ किया, और फिर से वहीं बातें बताई जो उसने पहली भेंट में बोली थी, बिना किसी फेरबदल के; इसके बाद, उसने मुझे उन महान दंडों के विषय में बताया जो पृथ्वी पर आने वाले थे, अकाल, तलवार, और महामारी द्वारा विशाल विनाश; और कि ये गंभीर दंड पृथ्वी पर इस पीढ़ी में आएंगे । इस सब बातों को बताने के बाद, वह फिर से ऊपर चला गया जैसा वह पहले गया था ।

46 इस समय तक, मेरे मन में इतना गहरा प्रभाव पड़ चुका था, कि मेरी आंखों से नींद गायब हो गई थी, और मैं आश्चर्य में लेटा उन बातों पर विचार करता रहा जो मैंने देखा और सुना था । लेकिन मेरा आश्चर्य तब और बढ़ गया जब वही दूत फिर मेरे बिस्तर के बगल में था, और फिर से वही बातें दोहराते या कहते हुए जो पहले बोली थी; और उसने मुझे चेतावनी भी दी, कि शैतान मुझे लालच देने के कोशिश करेगा (क्योंकि मेरे पिता परिवार बहुत गरीब था), कि अमीर बनने के उद्देश्य से उन पट्टियों को प्राप्त करूं । उसने मुझे ऐसा करने से मना किया, कि मेरे मन में इन पट्टियों को लेकर कोई अन्य उद्देश्य नहीं आना चाहिए सिवाय परमेश्वर की महिमा करने के, और मुझे किसी अन्य प्रभाव में नहीं पड़ना सिवाय उसके राज्य के निर्माण के; वरना मैं उन्हें प्राप्त नहीं कर सकूंगा ।

47 इस तीसरी भेंट के बाद, वह पहले के समान फिर से आकाश में चला गया, और मैं फिर से इस घटना पर मनन करने लगा जिसे मैंने अभी अनुभव किया था; जब वह स्वर्गीय दूत मेरे पास से तीसरी बार ऊपर गया था, मूर्गे ने बांग दी, और मैंने देखा कि सवेरा होने वाला था, इसका अर्थ था कि पूरी रात उससे बातचीत करने में बीत गई थी ।

48 थोड़ी देर बाद मैं बिस्तर से उठा, और, उसी तरह, प्रतिदिन के जरूरी कामों में लग गया; लेकिन, उन कामों को करने का प्रयास करते समय, मैंने पाया कि मैं इतना थक चुका था कि मैं कुछ नहीं कर पाया । मेरे पिता, जो मेरे साथ कार्य कर रहे थे, देखा कि मेरे साथ कुछ गड़बड़ है, और मुझे घर जाने को कहा । मैंने घर जाने के उद्देश्य से चलना आरंभ किया; लेकिन, खेत के बाहर बाड़ को पार करने के प्रयास में, मेरी शक्ति पूरी तरह से खतम हो गई, और मैं असहाय होकर मैदान में गिर गया, और कुछ समय के लिए बिलकुल अचेत अवस्था में पड़ा रहा ।

49 सबसे पहले जो बात मुझे याद आई, वह आवाज थी जो मुझे से बोल रही थी, मेरा नाम लेते हुए । मैंने ऊपर देखा, और उसी दूत को अपने सिर पर खड़ा पाया, पहले के समान प्रकाश से घिरा हुआ । उसने फिर से वही सब बताया जो उसने मुझे पिछली रात बताया था, और मुझे पिता के पास और उन्हें दिव्यदर्शन और आज्ञा के बारे में बताने को कहा जो मैंने प्राप्त किए थे ।

50 मैंने वैसा ही किया; मैं खेत में अपने पिता के पास लौटा, और सारी बात उन्हें बताई । उन्होंने मुझे जवाब दिया कि यह परमेश्वर की ओर से था, और मुझे वह सब करने को कहा जिसकी आज्ञा दूत ने मुझे दी थी । मैं खेत से चला गया, और उस स्थान पर पहुंचा जहां दूत ने मुझे बताया था कि पट्टियों को रखा गया था; और दिव्यदर्शन की स्पष्टता के कारण जो मुझे इसके संबंध में मिला था, मैं उस स्थान को तुरंत पहचान गया जब मैं वहां पहुंचा था ।

51 ओनटारियो प्रांत, न्यूयार्क के मैनचस्टर गांव के निकट, अपने आस-पास के मुकाबले एक बहुत ऊंचा पहाड़ है । इस पहाड़ के पश्चिम की ओर, ऊंचाई से अधिक दूर नहीं, एक बहुत बड़े पत्थर के नीचे, पत्थर की पेटी में पट्टियां रखी थी । पत्थर मोटा और बीच में ऊपर से गोल, और किनारों पर पतला था, इसलिए इसका बीच का भाग जमीन के ऊपर दिखाई देता था, लेकिन चारों ओर से मिट्टी से ढका हुआ था ।

52 मिट्टी हटाने के बाद, मैंने एक धातू की छड़ को लिया, जिसे मैंने पत्थर के किनारे पर लगा, और थोड़ी सी ताकत से उसे ऊपर उठा दिया । मैंने अंदर देखा, और सच में मैंने पट्टियां, यूरिम और थमिम, और कवच को देखा, जैसा दूत द्वारा बताया गया था । जिस पेटी में इन्हें रखा गया था वह पत्थरों से एक प्रकार के सीमेंट से जोड़ा गया था । इस पेटी के नीचे दो पत्थरों को तीरछा रखा गया था, और उन पत्थरों पर पट्टियां और अन्य वस्तुएं रखी हुई थी ।

53 मैंने इन्हें निकालने का प्रयास किया, लेकिन उस दूत द्वारा मना किया गया, और फिर से बताया गया कि इन्हें निकालने का समय अभी नहीं आया था, और न ही यह, तब से चार वर्षों तक आएगा; लेकिन उसने मुझे बताया कि मुझे उस समय से ठीक एक वर्ष बाद उस स्थान को आना चाहिए, और कि वह मुझे वहां मिलेगा, और कि मुझे ऐसा करना तब तक जारी रखना है जब तक इन पट्टियों को प्राप्त करने का समय नहीं आ जाता ।

54 जैसे मुझे आज्ञा दी गई थी, उसी अनुसार, मैं प्रत्येक वर्ष के अंत में वहां गया, और हर बार मुझे वही दूत वहां मिला, और हमारी प्रत्येक भेंट में उसे निर्देश और ज्ञान प्राप्त किया, जो प्रभु करना चाहता था, और कैसे और किस प्रकार अंतिम दिनों में उसके राज्य का संचालन होगा, का आदर करते हुए ।

जोसफ स्मिथ एम्मा हेल से विवाह करता है—वह मोरोनी से सोने की पट्टियां प्राप्त करता और कुछ अक्षरों का अनुवाद करता है—मार्टिन हैरिस अक्षरों और अनुवाद प्रोफेसर ऐन्थन को दिखाता है, जो कहता है, “मैं मुहरबंद पुस्तक को नहीं पढ़ सकता हूं ।” (आयतें 55–65 ।)

55 क्योंकि मेरे पिता की आर्थिक स्थिति बहुत सीमित थी, हमें अपनी जरूरतों को अपने हाथों से पूरा करना पड़ता था, प्रतिदिन मजदूरी और अन्य कार्य करते थे, जब कभी हमें मौका मिलता था । कभी हम घर में ही रहते, और कभी बाहर जाते, और निरंतर परिश्रम के द्वारा सुख से गुजारा कर पाते थे ।

56 वर्ष 1823 मेरे परिवार ने मेरे बड़े भाई एलविन की मृत्यु के कारण बहुत दुख सहा था । 1825 के अक्टूबर महिने में, मुझे जोसाया स्टोल नामक सज्जन ने नौकरी पर रखा, जो न्यूयार्क राज्य के शेननगो प्रांत में रहता था । उसने स्पेनियों द्वारा पेंसिल्वेनिया राज्य के सस्कुएहैना प्रांत, हारमनी में खोली गई चांदी की खान के बारे में कुछ सुना था; और मुझे काम पर रखने से पहले, खान की खोज करने के लिए, खुदाई कर रहा था । मेरे उसके साथ रहने के बाद, वह मुझे, अन्य कर्मचारियों के साथ, चांदी की खान को खोदने के लिए ले गया, जहां मैंने लगभग एक महिने तक काम किया, हमें इस काम में सफलता नहीं मिली, और अंततः मैंने वृद्ध सज्जन को इसकी खुदाई बंद करने के लिए राजी कर लिया था । इसलिए मुझे धन खोदने वाले के रूप में प्रचलित किया था ।

57 उस समय के दौरान जब मैं इस प्रकार रोजगार में था, मैं उस स्थान के श्रीमान आईजैक हेल के साथ रहने लगा था; वहां मैंने पहली बार अपनी पत्नी (उसकी बेटी), एम्मा हेल के देखा था । 18 जनवरी 1827 को, हमारा विवाह हुआ, जब मैं श्रीमन स्टोल के यहां नौकरी कर रहा था ।

58 निरंतर मेरे द्वारा स्वीकार किए जाने के कारण कि मैंने दिव्यदर्शन देखा था, मुझ पर अत्याचार होता रहा, और मेरी पत्नी के पिता के परिवार ने हमारे विवाह का बहुत अधिक विरोध किया था । इसलिए, मैं उसे किसी अन्य स्थान पर ले जाने के लिए मजबूर था; तो हम न्यूयार्क राज्य के शेननगो प्रांत के साउथ बेनब्रिज में, स्क्वाइअर टारबिल के घर गए और विवाह किया । मेरे विवाह के तुरंत बाद, मैंने श्रीमन स्टोल को छोड़ दिया, और अपने पिता के पास चला गया, और उनके साथ उस ऋतु की खेती की ।

59 कुछ समय पश्चात पट्टियां, यूरिम और थमिम, और कवच प्राप्त करने का समय आ गया था । बाईस सितंबर एक हजार आठ सौ सत्ताईस में, एक अन्य वर्ष के समाप्त होने पर वहां जाने पर जहां इन्हें गाड़ा गया था, उसी स्वर्गीय दूत ने मुझे इन्हें सौंपा था; कि मैंने इनके लिए जिम्मेदार रहूंगा; कि इन्हें सुरक्षित रखने के लिए मैं अपना भरपूर प्रयास करूंगा, जबतक वह, दूत, इन्हें वापस न ले ले ।

60 मुझे तुंरत मालूम हो गया कि क्यों मुझे इन्हें सुरक्षित रखने की सख्त जिम्मेदारी दी गई थी, और क्यों उस दूत ने कहा था कि जब उस कार्य को करने के बाद जो मेरे हाथों होना था, वह इन्हें वापस ले लेगा । क्योंकि जैसे ही यह पता चला कि वे मेरे पास हैं, वैसे ही इन्हें मुझ से लेने का कठिन प्रयास किया जाने लगा था । इन्हें पाने के उद्देश्य से हर प्रकार की योजना बनाई गई । अत्याचार पहले से अधिक कष्टपूर्ण और कठोर हो गया, बहुत से लोग इन्हें मुझ से लेने के निरंतर सतर्क रहते हैं । लेकिन परमेश्वर के ज्ञान द्वारा, ये मेरे हाथों में सुरक्षित रहीं, जबतक मैंने उस कार्य को नहीं कर लिया जिसके लिए मुझे इन्हें सौंपा गया था । जब, समझौते के अनुसार, दूत ने इनकी मांग की, मैंने इन्हें उसे सौंप दिया; और आज दिन, दो मई, एक हजार आठ सौ अड़तीस तक वे उसके पास हैं ।

61 हालाकि, उत्तेजना अभी जारी थी, और मेरे पिता के परिवार, और मेरे विषय में निरंतर हजारों तरह की झूठी अफवाहें फैलाई जा रही थी । यदि मैं इनके एक हजारवें हिस्से को भी यहां लिखता तो कई खंड भर जाते । यद्यपि, अत्याचार इतना असहनशील हो गया था कि मैं मैनचैस्टर छोड़ने, और अपने पत्नी के साथ पेंसिल्वेनिया राज्य के सस्कुएहैना प्रांत जाने की आवश्यकता को महसूस करने लगा था । आरंभ करने के दौरान—बहुत गरीब होते हुए, और हमारे ऊपर अत्याचार इतने अधिक थे कि इसकी संभावना नहीं थी कि हमारा अच्छा समय आएगा—अपने कठिन समय के दौरान मार्टिन हैरिस नाम के सज्जन व्यक्ति से हमारी मित्रता हुई, जो हमारे पास आया और हमारी यात्रा के लिए मुझे पचास डॉलर की सहायता दी । श्रीमन हैरिस न्यूयार्क राज्य के वेन प्रांत के पलमाईरा शहर में रहते थे, और एक सम्माजनक किसान थे ।

62 समय पर दी गई इस मदद के द्वारा मैं पेंसिल्वेनिया में अपने स्थान तक पहुंच पाया; और वहां पहुंचने के तुरंत बाद मैंने पट्टियों के अक्षरों की नकल करना आरंभ कर दिया । मैंने बहुत अधिक संख्या में इनकी नकल कर ली थी, और यूरिम और थमिम के माध्यम से उन में से कुछ का अनुवाद किया था, जिसे मैंने अपनी पत्नी के पिता के घर पहुंचने के बीच, दिसंबर, और अगले फरवरी महिने के बीच में किया था ।

63 फरवरी के इस महिने में एक दिन, पूर्व कथित श्रीमन मार्टिन हैरिस हमारे घर आए, उन अक्षरों को लिया जो मैंने पट्टियों से नकल किए थे, और उनके साथ न्यूयार्क शहर चला गया । उसके और उन अक्षरों के साथ क्या हुआ, इसके लिए मैं उसके स्वयं के वर्णन को सदंर्भ करूंगा, जैसा उसने मुझे वापस आने के बाद बताया था, जोकि इस प्रकार था:

64 “मैं न्यूयार्क शहर पहुंचा, और उन अक्षरों को जिनका अनुवाद किया गया था, उसके अनुवाद के साथ, प्रोफैसर चालर्स ऐन्थन को दिखाया, जोकि अपनी साहित्यिक उपलब्धियों के लिए प्रसिद्ध थे । प्रोफैसर ऐन्थन ने कहा कि अनुवाद सही था, उसकी तुलना में जो उन्होंने मिस्र के अनुवाद को इससे पहले कभी देखा था । फिर मैंने उन्हें उन्हें दिखाया जिनका अभी अनुवाद नहीं हुआ था, और उन्होंने कहा कि वे मिस्री, कैल्डीअक, और अरबी थे; और उन्होंने बताया कि वे वास्तविक अक्षर थे । उसने मुझे एक प्रमाण पत्र भी दिया, पलमाएरा को लोगों को प्रमाणित करते हुए कि वे वास्तविक अक्षर थे, और कि उनका अनुवाद भी बिलकुल सही था । मैंने प्रमाण पत्र लिया और अपनी जेब में रख लिया, और घर से निकलने ही वाला था, जब श्रीमन ऐन्थन ने मुझे वापस बुलाया, और पूछा कैसे इस युवा पुरूष को पता चला की उस स्थान पर सोने की पट्टियां हैं जहां से उसने इन्हें पाया है । मैंने जवाब दिया कि परमेश्वर के दूत ने उसे बताया था ।

65 “तब उन्होंने मुझ से कहा, ‘मुझे वह प्रमाण पत्र दिखाओ ।’ मैंने अपनी जेब से इसे बाहर निकाला और उसे दिया, जब उसने इसे लिया और फाड़ दिया, यह कहते हुए कि दूतों की सेवकाई जैसी बातें अब नहीं होती हैं, और कि यदि वह उन पट्टियों को मुझे लाकर देगा तो मैं उनका अनुवाद करूंगा । मैंने उसे बताया कि पट्टियों के कुछ भाग मुहरबंद हैं, और कि मुझे उन्हें लाने के लिए मना किया गया था । उसने जवाब दिया, ‘मैं मुहरबंद पुस्तक को नहीं पढ़ सकता हूं ।’ मैं उसके पास चला आया और डाक्टर मीचैल के पास पहुंचा, जिन्होंने अक्षरों और अनुवाद के संबंध में प्रोफैसर ऐन्थन की बात का अनुमोदन किया था ।

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ओलिवर काउड्री मॉरमन की पुस्तक का अनुवाद करने में लेखक के रूप में सेवा करता है—यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले से जोसफ और ओलिवर हारूनी पौरोहित्य प्राप्त करते हैं—उनका बपतिस्मा होता है, नियुक्त होते और आत्मा की भविष्यवाणी प्राप्त करते हैं । (आयतें 66–75 ।)

66 अप्रैल 1829 के 5वें दिन, ओलिवर कॉऊड्री मेरे घर आया, उस समय तक मैंने उसे कभी नहीं देखा था । उसने मुझे बताया कि जहां मेरे पिता रहते थे वहीं पड़ोस में वह एक विद्यालय में पढ़ाता था, और मेरे पिता उनमें से एक थे जो विद्यालय में बच्चे भेजा करते थे, वह कुछ समय उनके घर में रहे थे, और जब वह वहां था परिवार ने उसे मुझे पट्टियां मिलने के विषय में बताया, और इसलिए वह मुझ से पूछताछ करने आया था ।

67 श्रीमान कॉऊड्री के आने के दो दिनों के बाद (7 अप्रैल को) मैंने मॉरमन की पुस्तक का अनुवाद आरंभ किया, और उसने मेरे लिए लिखना आरंभ किया ।

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68 हमने अनुवाद के कार्य को जारी रखा था, जब, अगले महिने (मई 1829), एक दिन हम जंगल में प्रार्थना करने और प्रभु से पापों की क्षमा के लिए बपतिस्मा के विषय में पूछने गए, जिसे हमने पट्टियों के अनुवाद में पाया था । जब हम प्रभु से प्रार्थना, और उसे पुकार रहे थे, स्वर्ग से प्रकाश के बादलों में नीचे उतरा, और हम पर हाथों को रखते हुए, उसने हमें नियुक्त किया, कहते हुए:

69 मेरे साथी सेवकों तुम्हारे ऊपर, मसीह के नाम में, मैं हारून को पौरोहित्य को प्रदान करता हूं, जो स्वर्गदूतों की सेवकाई, और पश्चाताप के सुसमाचार, और पापों की क्षमा के लिए डुबकी द्वारा बपतिस्मे की कुंजियां को धारण करता है; और यह फिर कभी पृथ्वी से वापस नहीं ली जाएगी जबतक लेवी के पुत्र प्रभु को धार्मिकता में भेंट न दें ।

70 उसने कहा यह हारूनी पौरोहित्य में हाथों को रखकर पवित्र आत्मा का उपहार देने की शक्ति नहीं थी, लेकिन इसे हमें इसके बाद प्रदान किया जाएगा; और उसने हमें जाने और बपतिस्मा प्राप्त करने की आज्ञा दी, और उसने हमें निर्देश दिया कि मुझे ओलिवर कॉऊड्री को बपतिस्मा देना चाहिए, और बाद में वह मेरे द्वारा बपतिस्मा प्राप्त करेगा ।

71 उसके अनुसार हम गए और बपतिस्मा लिया । मैंने उसे पहले बपतिस्मा दिया, और बाद में उसने मुझे बपतिस्मा दिया—इसके बाद मैंने उसके सिर पर हाथों को रखा और उसे हारूनी पौरोहित्य प्रदान किया, और बाद में उसने अपने हाथों को मेरे सिर पर रखा और मुझे वही पौरोहित्य प्रदान किया—क्योंकि हमें ऐसी आज्ञा दी गई थीथी ।*

72 वह दूत जिसने हम से इस अवसर पर मुलाकात की और हमें यह पौरोहित्य प्रदान किया था, कहा कि उसका नाम यूहन्ना था, वही जिसे नये नियम में यूहन्ना बपतिस्मा देने वाला कहा जाता है, और उसने पतरस, याकूब और यूहन्ना के निर्देशन में कार्य किया था जो मलकिसिदक पौरोहित्य की कुंजियां धारण करते हैं, यह पौरोहित्य हमें उचित समय पर प्रदान की जाएगी, और कि मैं इस गिरजे का प्रथम एल्डर कहलाऊंगा, और वह (ओलिवर कॉऊड्री) दूसरा । यह मई 1829 के पंद्रहवां दिन था, कि हमें इस दूत के हाथों नियुक्त किया, और बपतिस्मा दिया गया था ।

73 हमारा बपतिस्मा होने के तुरंत बाद पानी से बाहर आने पर, हमने स्वर्गीय पिता की ओर महान और महिमापूर्ण आशीषों को महसूस किया । जैसे ही मैंने ओलिवर कॉऊड्री को बपतिस्मा दिया, वैसे ही पवित्र आत्मा उस पर आई, और वह खड़ा हुआ और बहुत सी बातों की भविष्यवाणी की जो जल्द ही होने वाली थी । और फिर, जैसे ही मैंने उसके द्वारा बपतिस्मा प्राप्त किया, मुझे भी भविष्यवाणी आत्मा प्राप्त हुई, जब, खड़े होकर, मैंने इस गिरजे के खड़े होने, और बहुत सी अन्य बातें इस गिरजे के, और इस पीढ़ी के मनुष्य की संतान के संबंध में की थी । हम पवित्र आत्मा से भर गए थे, और अपने उद्धार के लिए परमेश्वर में आनंदित हुए थे ।

74 हमारे मन अब जागृत हो चुके थे, हमने धर्मशास्त्रों को समझना आरंभ कर दिया था, और अधिक रहस्यमय अनुच्छेदों के सही अर्थ और विचार को हमें इस तरह समझ में आने लगे थे जिस तरह हमने पहले कभी नहीं समझा था, और न ही पहले इस प्रकार सोचा था । इस बीच हमें पौरोहित्य को प्राप्त किए जाने और हमारे बपतिस्मे को गुप्त रखने के लिए बाध्य किया गया था, अत्याचार की आत्मा के कारण जो हमारे आस-पास दिखाई देने लगा था ।

75 समय समय पर, हम पर हमला किए जाने की धमकी दी जाती थी, और यह भी, धर्म के शिक्षकों द्वारा । और हमला किया जाने के इरादे मेरी पत्नी के पिता के परिवार के प्रभाव के विरोध में हुए थे, जिनके संबंध मेरे साथ बहुत मैत्रीपूर्ण थे, और जो हमले के विरूद्ध थे, और चाहते थे कि मुझे अनुवाद का कार्य को करने की अनुमति दी जानी चाहिए बिना किसी रूकावट के; और इसलिए सभी गैर-कानूनी कार्यवाहियों से हमारी सुरक्षा देने और करने का वादा किया था, जब तक वे उनके भीतर हैं ।

  • ओलिवर कॉऊड्री इन घटनाओं की इस प्रकार व्याख्या करता है: “ये दिन कभी नहीं भूले जा सकते—स्वर्ग की प्रेरणा द्वारा निर्देशित वाणी के अधीन बैठना, इस छाती में अत्यधिक आभार को महूसस करना! दिन प्रतिदिन मैं निरंतर, बिना रूकावट, उसके मुंह से लिख रहता रहा, जैसा वह यूरिम और थमिम द्वारा अनुवाद करता था, या, जैसे इतिहास या अभिलेख अर्थात ‘मॉरमन की पुस्तक’ में नफाइयों ने कहा था, ‘दुभाषिए’ ।

    “कुछ शब्दों में दर्शाने के लिए, मॉरमन और उसके विश्वसनीय बेटे, मोरोनी द्वारा दिया गया उन लोगों का दिलचस्प वर्णन, जो किसी समय स्वर्ग के प्रिय और अनुग्रह प्राप्त थे, मेरी कल्पना से परे है; इसलिए मैं इसे भविष्य के लिए स्थगित करूंगा, और, जैसा मैंने परिचय में कहा था, इस गिरजे के उत्थान से सीधे तौर से संबंधित कुछ बातें करूंगा, जो कुछ हजार लोगों के लिए रोचक हो सकता है जो आगे आए हैं, बड़े-बड़े लोगों और कपटियों की निंदा के बावजूद, और मसीह के सुसमाचार को अपनाया है ।

    “कोई भी, अपनी शांत संवेदनाओं में, उद्धारकर्ता के मुंह से नफाइयों को दिए गए निर्देशों का अनुवाद और लिख नहीं सकता था, इतने सटीकरूप से कि जिस पर लोग उसके गिरजे का निर्माण करें, और विशेषकर जब मनुष्यों के बीच भ्रष्टाचार सभी रूपों और व्यवस्थाओं में अनिश्चित रूप से फैला हुआ था, तरल कब्र में दफनाए जाने के द्वारा हृदय की इच्छा का प्रदर्शन करने के सौभाग्य के बिना, ‘मसीह के पुनरूत्थान के द्वारा भले अंतःकरण’ का जवाब देना ।

    “याकूब के बचे हुए वंशजों को उद्धारकर्ता की सेवकाई का वर्णन लिखने के बाद, इस महाद्वीप पर, यह देखा जाना सरल था, जैसा भविष्यवक्ता ने कहा था यह ऐसा होगा, कि अंधकार ने पृथ्वी को और घोर अंधकार ने लोगों के मनों को ढक लिया हो । आगे विचार करते हुए यह देखना सरल था कि धर्म के संबंध में अधिक झगड़ा और शोर के बीच, सुसमाचार की विधियों को संपन्न करने का किसी के पास परमेश्वर से अधिकार नहीं था । क्योंकि प्रश्न पूछा जा सकता था, क्या पुरूषों के पास मसीह के नाम में सेवकाई करने का अधिकार था, प्रकटीकरणों को कौन अस्वीकार करता, जब उसकी गवाही भविष्यवाणी की आत्मा से कम नहीं है, और उसका धर्म साक्षात प्रकटीकरणों द्वारा आधारित, निर्मित, और समर्पित था, संसार के सभी युगों में जब उसके पास पृथ्वी पर लोग थे? यदि इन सच्चाइयों को उन पुरूषों द्वारा दबा, और सावधानी से छिपा दिया जाता, जिनकी चलाकी खतरे में पड़ जाती यदि एक बार लोगों के चेहरे में चमकने दिया जाता, वे हमारे लिए नहीं थे; और हमने केवल ‘उठ, और बपतिस्मा ले’ आज्ञा की प्रतीक्षा कर रहे थे ।

    “यह महसूस होने से पहले यह लंबे समय तक वांछित नहीं था । प्रभु जो अनुग्रह का धनी है, और विन्रम की स्थिर प्रार्थना का उत्तर के लिए हमेशा तैयार है, जब हमने उसे जोश से पुकारा, मनुष्यों के निवास स्थान से अलग होकर, हम पर अपनी इच्छा प्रकट करने के लिए । अचानक, मानो अनंतता के मध्य से, मुक्तिदाता की वाणी ने हमें दिलासा दी, जबकि परदा हट गया और परमेश्वर का सेवक महिमा के वस्त्र पहने नीचे आया, और व्याकुलता से प्रतिक्षित संदेश, और सुसमाचार के पश्चाताप की कुंजियां प्रदान की । हमने बहुत आनंद, बहुत आश्चर्य, बहुत अचंभा महसूस किया! जबकि संसार पीड़ित और विचलित था—जबकि लाखों ऐसे एकत्रित हो रहे थे जैसे अंधे दीवार को टटोलते हैं, जबकि सब मनुष्य अनिश्चितता में भरोसा कर रहे थे, सामान्य मनुष्य के रूप में हमारी आंखों ने देखा, हमारे कानों ने सुना, ‘दिन की रोशनी’ के समान; हां, अधिक—मई के सूर्यकिरण से अधिक चमकदार, जिसने तब अपनी चमक से प्रकृति के चेहरे को ढक दिया! तब उसकी वाणी, यद्यपि कोमल, बीच से छेदती हुई, और उसके शब्दों, ‘मैं तुम्हारा साथी-सेवक हूं,’ ने सारा भय दूर कर दिया । हमने सुना, हमने देखा, हमने प्रसंशा की! यह महिमा से एक स्वर्गदूत की वाणी थी, यह परमेश्वर की ओर से एक संदेश था! और जब हमने सुना हम आनंदित हुए, जबकि उसके प्रेम ने हमारी आत्माओं को उत्तेजित किया, और हम सर्वशक्तिमान के दिव्यदर्शन में घिर गए! संदेह के लिए कोई स्थान न था? दूर-दूर तक; अनिश्चितता चली गई थी, संदेह डूब चुका था कभी न उठने के लिए, जबकि झूठ और धोखा हमेशा के लिए भाग चुके थे!

    “लेकिन, प्रिय भाई, सोचो, एक क्षण के लिए आगे की सोचो, हमारे हृदयों में क्या आनंद भर गया था, और किस आश्चर्य से हम झुके थे, (क्योंकि कौने ऐसी आशीष के लिए घुटनों के बल न झुकता?) तब हमने उसके हाथ से पवित्र पौरोहित्य प्राप्त किया जब उसने कहा, ‘मेरे साथी-सेवकों तुम पर, मसीह के नाम में, मैं इस पौरोहित्य और इसके अधिकार को प्रदान करता हूं, जोकि पृथ्वी पर कायम रहेगी, कि लेवी के पुत्र जबतक प्रभु को धार्मिकता में भेंट न दें ।’

    “मैं उसके हृदय की अनुभूतियों को बताने का प्रयास नहीं करूंगा, और न ही उस अवसर पर अपने आस-पास की सुंदरता और महिमा को बताऊंगा; लेकिन तुम मेरा विश्वास करोगे जब मैं कहता हूं, कि पृथ्वी पर कोई मनुष्य समय की वाकपटुता के द्वारा, भाषा को इतने दिलचस्प और बढ़िया तरीके से नहीं सजा सकता था जैसा इस पवित्र व्यक्ति ने किया था । नहीं; न ही इस पृथ्वी पर किसी को आनंद देने, शांति प्रदान करने, या ज्ञान की समझ की ऐसी शक्ति थी जैसी उन वाक्यों में शामिल थी जिन्हें पवित्र आत्मा की शक्ति द्वारा दिया गया था! मनुष्य अपने साथी-मनुष्यों को धोखा दे सकता है, धूर्तता से धूर्तता हो सकती है, और दुष्ट की संतान के पास मूर्ख और अशिक्षित को प्रलोभन देने की शक्ति हो सकती है, जबतक तुच्छ और झूठ बहुतों को परोसा जाता है, झूठ का प्रतिफल अस्थिर को अपने बहाव में कब्र तक ले जाता है; लेकिन उसके प्रेम की उंगली के एक स्पर्श से, हां, उच्च संसार की महिमा की एक किरण से, या उद्धारकर्ता के मुंह से एक शब्द, अनंतता की छाती से, एक झटके में महत्वहीन हो जाते हैं, और मन से हमेशा के लिए मिटा देता है । यह आश्वासन कि हम स्वर्गदूत की उपस्थिति में थे, निश्चितता कि हमने यीशु की वाणी सुनी थी, और बेदाग सच्चाई जो शुद्ध व्यक्ति से आई थी, परमेश्वर की इच्छा द्वारा बोले गए, मेरे लिए वर्णन के परे है, और मैं हमेशा उद्धारकर्ता की भलाई की अभिव्यक्ति पर नजर डालूंगा आश्चर्य और धन्यवाद देते हुए जबतक मुझे जीवित रहने की अनुमति है; और उन रहने के स्थानों में जहां परिपूर्णता निवास करती और पाप कभी प्रवेश नहीं करता, मैं उस दिन में आराधना करने की आशा करता हूं जो कभी समाप्त न होगा ।”—Messenger and Advocate, ख. 1 (अक्टबूर 1834), पृ. 14–16 ।