पवित्रशास्त्र
मूसा 7


अध्याय 7

(दिसंबर 1830)

हनोक सीखाता है, लोगों का नेतृत्व करता है, और पहाड़ों को हटाता है—सिय्योन शहर की स्थापना होती है—हनोक मानव पुत्र के आगमन, उसके प्रायश्चित बलिदान, और संतों के पुनरुत्थान को पहले से देखता है—वह पुनःस्थापना, एकत्रित होने, द्वितीय आगमन, और सिय्योन की वापसी को पहले से देखते है ।

1 और ऐसा हुआ कि हनोक ने अपनी वार्ता जारी रखी, कहते हुए: देखो, हमारे पिता आदम ने ये बाते सीखाई थी, और बहुतों ने विश्वास किया, और परमेश्वर के बेटे बने, और बहुतों ने विश्वास नहीं किया, और अपने पापों में नष्ट हो गए, और भय से प्रतिक्षा कर रहे हैं, पीड़ा में, परमेश्वर के क्रोध की अग्नि की ज्वाला की उन पर उंडेले जाने की ।

2 और उस समय से हनोक ने भविष्यवाणी करना आरंभ किया, लोगों को कहते हुए, कि: जब मैं यात्रा कर रहा था, और महूजा क्षेत्र पर खड़ा हुआ, और प्रभु को पुकारा, स्वर्ग से एक आवाज आई, कहते हुए—तुम घूमो, और तुम शिमोन पर्वत पर खड़े हो जाओ ।

3 और ऐसा हुआ कि मैं घूमा और पर्वत पर चढ़ गया; और जब मैं पर्वत पर खड़ा हुआ, मैं आकाश को खुला हुआ देखा, और मैं महिमा से घिर गया था;

4 और मैंने प्रभु को देखा; और वह मेरे सामने खड़ा था, और उसने मुझ से बात की, जैसे कोई मनुष्य दूसरे से बात करता है, आमने-सामने; और उसने मुझ से कहा: देखो, और मैं तुम्हें संसार दिखाऊंगा कई पीढ़ियों के अंतर से ।

5 और ऐसा हुआ कि मैंने शम की घाटी में देखा, और देखा, बहुत से लोगों को जो तबूं में रहते थे, और जो शम के लोग थे ।

6 और फिर प्रभु ने मुझ से कहा: देखो; और मैंने उत्तर की ओर देखा, और मैंने कैनान के लोगों को देखा, जो तंबू में रहते हैं ।

7 और प्रभु ने मुझ से कहा: भविष्यवाणी करो; और मैंने भविष्यवाणी की, कहते हुए: देखो कैनान के लोगों, जोकि बहुत सारे हैं, युद्ध के समुह में शम के लोगों के विरूद्ध आगे बढ़ेंगे, और उन्हें मार देंगे कि वे बुरी तरह नष्ट हो जाएंगे; और कैनान के लोग प्रदेश में स्वयं को बांट लेंगे, और प्रदेश बंजर और अनुपजाऊ हो जाएगा, और कोई अन्य लोग वहां नहीं रहेंगे सिवाय कैनान के लोगों के ।

8 क्योंकि देखो, प्रभु प्रदेश को अत्यधिक गर्मी का श्राप देगा, और इसका बंजरपन हमेशा के लिए कायम रहेगा; और कैनान के सब बच्चों पर कालापन आ गया, कि वे सब लोगों के बीच तुच्छ समझे जाने लगे ।

9 और ऐसा हुआ कि प्रभु ने मुझ से कहा: देखो; और मैंने देखा, और मैंने शारोन के प्रदेश को देखा, और हनोक के प्रदेश को, और ओमनार के प्रदेश को, और हेनी के प्रदेश को, और शेम के प्रदेश को, और हेनर के प्रदेश को, और हनन्याहा के प्रदेश को, और इनके सब निवासियों को;

10 और प्रभु ने मुझ से कहा: इन लोगों के पास जाओ, और इन से कहो—पश्चाताप करो, वरना मैं आऊंगा और उन्हें श्राप दूंगा, और वे मर जाएंगे ।

11 और उसने मुझे एक आज्ञा दी कि मुझे पिता, पुत्र, जो अनुग्रह और सच्चाई से परिपूर्ण है, और पवित्र आत्मा, जो पिता और पुत्र की गवाही देती है, के नाम में बपतिस्मा देना चाहिए ।

12 और ऐसा हुआ कि हनोक ने सब लोगों को पुकारना जारी रखा, सिवाय कैनान के लोगों के, पश्चाचाप करने के लिए;

13 और हनोक का विश्वास इतना महान था कि उसने परमेश्वर के लोगों का मार्गदर्शन किया, और उनके शत्रु उनके विरूद्ध युद्ध करने आए; और उसने प्रभु के वचन को बोला, और पृथ्वी कांपने लगी, और पर्वत गायब हो गए, असल में उसके निर्देश के अनुसार; और जल की नदियां अपने मार्ग से हट गई; और जंगल से शेरों का दहाड़ना सुना गया; और सारे राष्ट्र अत्यधिक भयभीत हो गए, हनोक का वचन इतना शक्तिशाली था, और उस भाषा की शक्ति बहुत अधिक थी जो परमेश्वर ने उसे दी थी ।

14 समुद्र की गहराई से जमीन भी निकल आई, और परमेश्वर के लोगों का भय इतना अधिक था, कि वे भाग खड़े हुए और दूर खड़े हो गए और उस जमीन पर खड़े हो गए जो समुद्र की गहराई से बाहर निकली थी ।

15 और प्रदेश के योद्धा, भी, दूर खड़े हो गए; और उन सब लोगों पर श्राप आया जो परमेश्वर के विरूद्ध लड़े थे;

16 और उस समय के बाद उनके बीच युद्ध और रक्तपात हुआ; लेकिन प्रभु आया और अपने लोगों के बीच रहा, और उन्होंने धार्मिकता में निवास किया ।

17 प्रभु का भय सब राष्ट्रों पर छाया था, प्रभु की महिमा अत्य़ाधिक महान थी, जो उसके लोगों पर थी । और प्रभु ने प्रेदश को आशीषित किया, और वे पर्वतों पर आशीषित हुए, और ऊंचे स्थानों पर, और फले-फूले ।

18 और प्रभु ने अपने लोगों को सिय्योन कहा, वे एक हृदय और एक मन थे, और धार्मिकता में निवास करते थे; और उनके बीच कोई गरीब न था ।

19 और हनोक ने धार्मिकता में परमेश्वर के लोगों को प्रचार करना जारी रखा । और ऐसा हुआ कि उसके समय में, कि उसने एक शहर का निर्माण किया जिसे पवित्रता का शहर, अर्थात सिय्योन कहा गया ।

20 और ऐसा हुआ कि हनोक ने प्रभु से बात की; और उसने प्रभु से कहा: अवश्य ही सिय्योन हमेशा सुरक्षा में निवास करेगा । लेकिन प्रभु ने हनोक से कहा: सिय्योन को मैंने आशीषित किया है, लेकिन शेष लोगों को मैंने श्रापित किया है ।

21 और ऐसा हुआ कि प्रभु ने हनोक को पृथ्वी के सभी निवासियों को दिखाया; और उसने देखा, और देखो, सिय्योन, को कुछ दिनों के पश्चात, स्वर्ग में उठा लिया गया । और प्रभु ने हनोक से कहा: देखो हमेशा के लिए मेरा निवास ।

22 और हनोक ने भी देखा शेष लोगों को देखा जो आदम के बेटे थे; और वे आदम के सभी वंशजों के मिश्रण थे सिवाय कैन के वंशज के, क्योंकि कैन के वंशज काले थे, और उनके बीच स्थान न था ।

23 और सिय्योन के स्वर्ग में उठा लिए जाने के बाद, हनोक ने देखा, और देखो, पृथ्वी के सभी राष्ट्र उसके सामने थे;

24 और पीढ़ियां दर पीढ़ियां आई; और हनोक ऊंचा और ऊपर उठाया गया, पिता और मानव पुत्र की गोद में; और देखो, शैतान की शक्ति संपूर्ण पृथ्वी पर थी ।

25 और उसने स्वर्गदूतों को स्वर्ग से उतरते देखा; और उसने एक ऊंची आवाज को कहते सुना: हाय, पृथ्वी के निवासियां पर हाय हो ।

26 और उसने शैतान को देखा; और उसके हाथ बहुत बड़ी जंजीर थी, और इसने संपूर्ण पृथ्वी को अंधकार से ढका हुआ था; और उसने ऊपर देखा और हंसा, और उसके दूत आनंदित हुए ।

27 और हनोक ने स्वर्गदूतों को स्वर्ग से उतरते देखा, पिता और पुत्र की गवाही देते हुए; और बहुतों पर पवित्र आत्मा उतरी, और वे स्वर्ग की शक्तियों द्वारा सिय्योन में ले जाए गए थे ।

28 और ऐसा हुआ कि स्वर्ग के परमेश्वर ने शेष लोगों की ओर देखा, और वह रोया; हनोक ने इसकी गवाही दी, कहते हुए: यह कैसा कि स्वर्ग स्वर्ग रोया, और उनके आंसूओं को बहाया जैसे पर्वतों पर वर्षा?

29 और हनोक ने प्रभु से कहा: यह कैसे संभव कि आप रोएं, देखते हुए कि आप पवित्र हो, संपूर्ण अनंतता से संपूर्ण अनंतता तक?

30 और यदि यह संभव होता कि मनुष्य पृथ्वी के कणों की संख्या गिन सकता, हां, इस तरह की लाखों पृथ्वी की, तो यह आपकी सृष्टियों की संख्या का शुरुआत भी नहीं होगी; और अभी आपके परदे तने हुए हैं; और फिर भी आप हैं, और आपकी गोद है; और आप धर्मी भी हैं; आप हमेशा करूणामय और दयालु हैं;

31 और आपने सिय्योन को अपनी स्वयं की गोद में ले लिया है, अपनी सारी सृष्टियों से, संपूर्ण अनंतता से संपूर्ण अनंतता तक; और कुछ नहीं सिवाय शांति, न्याय, और सच्चाई ही आपके सिंहासन का निवास्थान है; और कृपा आपके आगे चलेगी और इसका कोई अंत न होगा; यह कैसे संभव है कि आप रोएं?

32 प्रभु ने हनोक से कहा: देखो अपने इन भाइयों को; वे मेरे स्वयं के हाथों की कारीगरी हैं, और मैंने उन्हें उनका ज्ञान दिया था, उस समय जब मैं उनकी सृष्टि की थी; और अदन की वाटिका में, मैंने मनुष्य को उसकी स्वतंत्रता दी थी;

33 और तुम्हारे भाइयों से मैंने कहा, और आज्ञा भी दी, कि वे एक दूसरे से प्रेम करेंगे, और कि वे मुझे चुनेंगे, अपने पिता को; लेकिन देखो, वे बिना प्यार के हैं, और वे अपने स्वयं के लहू से नफरत करते हैं;

34 और मेरे क्रोध की अग्नि उनके विरूद्ध भड़कती है; और अपनी क्रोधी नाराजगी में मैं उन पर बाढ़ भेजूंगा, क्योंकि मेरा उग्र क्रोध उनके विरूद्ध भड़कता है ।

35 देखो, मैं परमेश्वर हूं; पवित्रता का मनुष्य मेरा नाम है; सलाह का मनुष्य मेरा नाम है; और अंतहीन और अनंत भी मेरा नाम है ।

36 इसलिए, मैं अपने हाथों को फैला सकता हूं और उन सब सृष्टियों को थाम सकता हूं जिन्हें मैंने बनाया है; और मेरी आंखें उन्हें भेद भी सकती हैं, और मेरे स्वयं के हाथों की सारी कारीगरी में इतनी अधिक भ्रष्टता कहीं नहीं जितनी तुम्हारे भाइयों के बीच है ।

37 लेकिन देखो, उनके पाप उनके पिताओं की सरों पर होंगे; शैतान उनका पिता होगा, और दुख उनका दुर्भाग्य होगा; और संपूर्ण स्वर्ग उनके लिए रोएगा, अर्थात मेरी हाथों की संपूर्ण कारीगरी; इसलिए क्या स्वर्ग को नहीं रोना चाहिए, जानते हुए कि ये दुख सहेंगे?

38 लेकिन देखो, ये जिन पर तुम्हारी आंखें हैं बाढ़ में नष्ट हो जाएंगे; और देखो, मैं उन्हें बंद कर दूगा; मैंने उनके लिए एक जेल तैयार किया है ।

39 और कि जिसे मैंने चुना है मेरे सम्मुख याचना की है । इसलिए, वह उनके पापों के लिए कष्ट भोगता है; यद्यपि वे उस समय पश्चाताप करेंगे जब मेरा चुना हुआ मेरे पास लौटेगा, और उस समय तक वे पीड़ा में रहेंगे;

40 इसलिए, इस बात के लिए स्वर्ग रोएगा, हां, और मेरे हाथों की संपूर्ण कारीगरी ।

41 और ऐसा हुआ कि प्रभु ने हनोक से बात की, और हनोक को मानव संतान के सब कामों को बताया; इसलिए, हनोक जानता था, और उनकी दुष्टता को देखा, और उनके दुख को, और रोया और अपनी भुजाओं को फैलाया, और उसका हृदय अनंतता के समान फूल गया; और उसका मन भर आया; और संपूर्ण अनंतता हिल उठी ।

42 और हनोक ने नूह को भी देखा, और उसका परिवार; कि नूह के सारे बेटों की संतानों को नश्वर उद्धार के साथ बचाया जाना चाहिए;

43 इसलिए, हनोक ने नूह को देखा जिसने जहाज बनाया था; और कि प्रभु इस पर मुस्काराया, और इसे अपने स्वयं के हाथ में रखा था; लेकिन बाकी बचे हुए दुष्ट पर बाढ़ आई और उन्हें निगल गई ।

44 और जब हनोक ने इसे देखा, उसकी आत्मा दुखी हुई, और अपने भाइयों के लिए रोया, और स्वर्ग से कहा: मैं दिलासा पाने से इंकार करूंगा; लेकिन प्रभु ने हनोक से कहा: आनंद मनाओ और खुश हो जाओ; और देखो ।

45 और ऐसा हुआ कि हनोक ने देखा; और नूह से आगे, उसने पृथ्वी के सारे परिवारों को देखा; और प्रभु से चिल्लाया, कहते हुए: प्रभु का दिन कब आयेगा? कब धर्मी का लहू बहाया जाएगा, ताकि वे सब जो शोक करते हैं शुद्ध किए जाएं और अनंत जीवन पाएं?

46 और प्रभु ने कहा: यह समय की मध्य में होगा, दुष्टता और प्रतिशोध के समय में ।

47 और देखो, हनोक ने मानव पुत्र के आने के समय को देखा, अर्थात शरीर में; और उसकी आत्मा आनंदित हुई, कहते हुए: धार्मिक उठाया जाता है, और मेमना संसार के आंरभ से मारा जाता है; और विश्वास के द्वारा मैं पिता की गोद में हूं, और देखो, सिय्योन मेरे साथ है ।

48 और ऐसा हुआ कि हनोक ने पृथ्वी को देखा; और इसके कराहने को सुना, कहते हुए: हाय, हाय, मनुष्य की मां; मैं पीड़ा में हूं, मैं थक चुकी हूं, अपनी संतान की दुष्टता के कारण । कब मैं विश्राम करूंगी, और उस गंदगी से शुद्ध होंगी जो मुझ से निकली है? कब मेरा सृष्टिकर्ता मुझे पवित्र करेगा, ताकि मैं विश्राम कर सकूं, और धार्मिकता कुछ समय के लिए मुझ पर कायम रहे?

49 और जब हनोक ने पृथ्वी के दुख को सुना, वह रोया, और प्रभु से चिल्लाया, कहते हुए: ओ प्रभु, क्या आप पृथ्वी पर दया नहीं करोगे? क्या आप नूह की संतान को आशीषित नहीं करोगे?

50 और ऐसा हुआ कि हनोक ने प्रभु से याचना करना जारी रखा कहते हुए: मैं आपसे मांगता, ओ प्रभु, आपके एकलौते के नाम में, अर्थात यीशु मसीह, कि आप नूह पर दया रखें और उसके वंश पर, ताकि पृथ्वी बाढ़ द्वारा और न डूबे ।

51 और प्रभु अस्वीकार न कर सका; और उसने हनोक से अनुबंध किया, और उसने शपथ खाई, कि वह बाढ़ को रोकेगा; कि वह नूह की संतान से बातें करेगा;

52 और उसने एक अपरिवर्तनीय आदेश दिया, कि उसकी वंश के अवशेष, हमेशा सब राष्ट्रों में पाए जाएंगे, जबतक पृथ्वी कायम रहेगी;

53 और प्रभु ने कहा: आशीषित है वह जिसके वंश के द्वारा मसीहा आएगा; क्योंकि वह कहता है—मैं मसीहा हूं, सिय्योन का राजा, स्वर्ग की चट्टान, जो अनंतता के सामान फैला है; जो इस द्वार से प्रवेश करता और मेरे द्वारा उन्नति करता है कभी न गिरेगा; इसलिए, आशीषित हैं वे जिनसे मैंने बोला है, क्योंकि वे अनंत आनंद के गीतों के साथ आएंगे ।

54 और ऐसा हुआ कि हनोक ने प्रभु से याचना की, कहते हुए: मानव पुत्र कब शरीर में आएगा, पृथ्वी विश्राम करेगी? मैं आपसे प्रार्थना करता हूं, मुझे इन बातों को दिखाओ ।

55 और प्रभु ने हनोक से कहा: देखो, और उसने नजर उठाई और मानव पुत्र को सलीब पर उठाए देखा, मनुष्यों की रीति के अनुसार;

56 और उसने ऊंची आवाज सुनी; और आकाश में अंधकार छा गया; और परमेश्वर की संपूर्ण सृष्टि ने शोक किया; और पृथ्वी पीढ़ा में कहराई; और चट्टानें फट गई; और संत जीवित हो उठे, और मानव पुत्र के दाहिने ताज पहनाया गया, महिमा के ताज से;

57 और जितनी आत्माएं कैद में थी बाहर निकल आई, और परमेश्वर के दाहिने खड़ी हो गई; और बाकी अंधकार की जंजरी में जकड़े रहे न्याय के महान दिन तक ।

58 और फिर हनोक रोया और प्रभु से याचना की, कहते हुए: पृथ्वी कब विश्राम करेगी?

59 और हनोक ने मानव पुत्र को देखा पिता के पास जाते हुए; और उसने प्रभु को पुकारा, कहते हुए: क्या आप पृथ्वी पर दुबारा फिर नहीं आएंगे? इसलिए आप परमेश्वर हैं, और मैं आपको जानता हूं, और आपने मुझ से प्रतिज्ञा की है, और मुझे आदेश दिया है कि मुझे आपके एकलौते के नाम में मांगना चाहिए; आपने मुझे बनाया है, और आपके सिंहासन का अधिकार मुझे दिया है, और मेरे स्वयं के नहीं, लेकिन आपके स्वयं के अनुग्रह के द्वारा; इसलिए, मैं आप से प्रार्थना करता हूं क्या आप पृथ्वी पर दुबारा नहीं आएंगे ।

60 और प्रभु ने हनोक से कहा: जिस प्रकार मैं जीवित हूं, उसी प्रकार मैं अंतिम दिनों में आऊंगा, दुष्टता और प्रतिशोध के समय में, उस शपथ को पूरा करने के लिए जो मैंने तुम्हारे साथ बनाई है नूह की संतान के संबंध में;

61 और वह दिन आएगा कि पृथ्वी विश्राम करेगी, लेकिन उस दिन से पहले आकाश अंधकारमय हो जाएगा, और अंधकार की चादर पृथ्वी को ढक लेगी; और आकाश हिल उठेगा, और पृथ्वी भी; और मानव संतान के बीच बहुत विपत्तियां होंगी, लेकिन अपने लोगों को मैं सुरक्षित रखूंगा;

62 और धार्मिकता को मैं स्वर्ग से नीचे भेजूंगा; और सच्चाई को पृथ्वी पर भेजूंगा, मेरे एकलौते की गवाही देने के लिए; मृतक से उसका पुनरूत्थान; हां, और सारे मनुष्यों का पुनरूत्थान भी; और धार्मिकता और सच्चाई को मैं पृथ्वी पर फैला दूंगा बाढ़ के समान, मेरे चुने हुओं को एकत्रित करने के लिए पृथ्वी के चारों कोनों से, उस स्थान पर जिसे मैं तैयार करूंगा, एक पवित्र शहर, ताकि मेरे लोग अपनी कमर कस लें, और मेरे आने के समय का इंतजार करें; क्योंकि वहां मेरा मंडप होगा, और यह सिय्योन कहलाएगा, नया यरूशलेम ।

63 और प्रभु ने हनोक से कहा: तब तुम और तुम्हारा संपूर्ण शहर उन्हें वहां मिलेगा, और हम उन्हें अपनी छाती से लगाएंगे, और वे हमें देखेंगे; और हम उनके गले लगेंगे, और वे हमारे गले लगेंगे, और हम एक दूसरे को चूमेंगे;

64 और वहां मेरा निवास होगा, और यह सिय्योन होगा, जो संपूर्ण सृष्टियों में से निकलकर आएगा जिसे मैंने बनाया है; और हजार वर्षों के समय के लिए पृथ्वी विश्राम करेगी ।

65 और ऐसा हुआ कि हनोक ने मानव पुत्र के आने के दिन को देखा, अंतिम दिनों में, पृथ्वी पर निवास करने के लिए हजार वर्षों के समय के लिए;

66 लेकिन उस दिन से पहले उसने दुष्ट के बीच बहुत सी विपत्तियों को देखा; और उसने सागर को भी देखा कि यह अशांत था, और मनुष्यों के हृदय थम रहे थे, सर्वशक्तिमान के न्याय के भय की प्रतिक्षा करते हुए, जो दुष्ट पर आएगा ।

67 और प्रभु ने हनोक को सब बातों को दिखाया, यहां तक की संसार के अंत को; और उसने धर्मी के समय को देखा, उनकी मुक्ति की घड़ी को, और परिपूर्णता के आनंद को प्राप्त किया;

68 और सिय्योन की संपूर्ण आयु, हनोक के समय में, तीन सौ पैंसठ वर्ष थी ।

69 और हनोक और उसके सारे लोग परमेश्वर के मार्ग पर चलते थे, और वह सिय्योन के बीच निवास करता था; और ऐसा हुआ सिय्योन न रहा, क्योंकि परमेश्वर ने इसे अपनी गोद उठा लिया था; और तब से यह बात चल पड़ी कि, सिय्योन को उठा लिया गया है ।