महा सम्मेलन
अनुबंधों के माध्यम से परमेश्वर की शक्ति तक पहुंचना
अप्रैल 2023 महा सम्मेलन


अनुबंधों के माध्यम से परमेश्वर की शक्ति तक पहुंचना

जब आप बपतिस्मा से लेकर मंदिर तक और जीवन भर, अनुबंध मार्ग पर चलते हैं, तो मैं आपसे स्वाभाविक सांसारिक प्रवाह के विरूद्ध जाने की शक्ति की प्रतिज्ञा करता हूं।

पिछले नवंबर, मुझे बेलेम ब्राजील मंदिर के समर्पण में जाने का सौभाग्य मिला था। उत्तरी ब्राजील में गिरजे के प्रतिष्ठित सदस्यों के साथ होना आनंद की बात थी। उस समय, मुझे पता चला कि बेलेम उस क्षेत्र का प्रवेश द्वार है जिसमें दुनिया की सबसे शक्तिशाली नदी, अमेजन है।

नदी की शक्ति के बावजूद, वर्ष में दो बार, कुछ अस्वाभाविक सा प्रतीत होता है। जब सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी एक रेखा में होते हैं, तो पानी के अस्वाभाविक प्रवाह के विरूद्ध नदी में एक शक्तिशाली ज्वारीय लहर बहती है। इसमें 6 मीटर ऊंची लहरों को1 धारा के विरूद्ध 50 किलोमीटर2 तक ऊपर की ओर बहते हुए देखा गया है। यह अद्भुत घटना, जिसे आम तौर पर ज्वारीय लहर के रूप में जाना जाता है, को स्थानीय रूप से पोरोरोका या “महान गरज” कहा जाता है क्योंकि इसमें बहुत तेज आवाज होती है। हम शुद्ध रूप से निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि कि शक्तिशाली अमेजन को भी स्वर्गीय शक्तियों के सामने झुकना पड़ता है।

अमेजन की तरह, हमारे जीवन में एक स्वाभाविक प्रवाह है; हम वही करते हैं जो स्वाभाविक रूप से आता है। अमेजन की तरह, स्वर्गीय मदद के साथ, हम कठिन दिखने वाले कार्य कर सकते हैं। आखिरकार, हमारे लिए विनम्र, दीन होना, या परमेश्वर के प्रति अपनी इच्छाओं को समर्पित होना स्वाभाविक नहीं है। फिर भी केवल ऐसा करके ही हम परिवर्तित हो सकते हैं, परमेश्वर की उपस्थिति में रहने के लिए लौट सकते हैं, और अपने अनन्त नियति को प्राप्त कर सकते हैं।

अमेजन के विपरीत, हम चुन सकते हैं कि क्या हम स्वर्गीय शक्तियों के सामने झुकते हैं या “प्रवाह के साथ बहते हैं।”3 प्रवाह के विरूद्ध जाना मुश्किल हो सकता है। लेकिन जब हम “पवित्र आत्मा के प्रलोभनों” के आगे झुक जाते हैं और स्वाभाविक पुरुष या स्त्री की स्वार्थी प्रवृत्तियों को दूर कर देते हैं,4 तो हम अपने जीवन में उद्धारकर्ता की परिवर्तनकारी शक्ति, कठिन कार्यों को करने की शक्ति प्राप्त कर सकते हैं।

अध्यक्ष रसल एम. नेल्सन ने हमें सिखाया कि यह कैसे करना है। उन्होंने प्रतिज्ञा की है, “प्रत्येक व्यक्ति जो बपतिस्मा कुंड और मंदिरों में अनुबंध बनाता—और पालन करता है—उसने इस पतित संसार के खिंचाव से ऊपर उठाने के लिए … यीशु मसीह की शक्ति को प्राप्त करने में वृद्धि की है।”5 दूसरे शब्दों में, हम परमेश्वर की शक्ति तक पहुंच सकते हैं, परन्तु केवल तभी जब हम पवित्र अनुबंधों के माध्यम से उसके साथ जुड़ते हैं।

पृथ्वी की सृष्टि से पहले, परमेश्वर ने अनुबंधों को उस तंत्र के रूप में स्थापित किया था जिसके द्वारा हम, उसकी संतान के तौर पर, स्वयं को उसके साथ एकजुट करते हैं। अनंत कालीन, अपरिवर्तनीय व्यवस्था के आधार पर, उसने उन अहस्तांतरणीय परिस्थितियों को बताया है, जिनके द्वारा हम रूपांतरित होते, बचाए जाते और उत्कर्ष प्राप्त करते हैं। इस जीवन में, हम पौरोहित्य विधियों में भाग लेकर और परमेश्वर से जो करने के लिए कहता है उसे करने प्रतिज्ञा कर इन अनुबंधों को बनाते हैं, और बदले में, परमेश्वर हमें कुछ आशीषों की प्रतिज्ञा करता है।6

अनुबंध एक प्रतिज्ञा है जिस के लिए हमें तैयार होना चाहिए, स्पष्ट रूप से समझना चाहिए, और पूर्णरूप से सम्मान करना चाहिए।7 परमेश्वर के साथ अनुबंध बनाना यूं ही प्रतिज्ञा करने से बहुत भिन्न है। इसके लिए सबसे पहले, पौरोहित्य अधिकार की आवश्यकता होती है। दूसरा, किसी कमजोर प्रतिज्ञा में हमें प्राकृतिक प्रवाह के खिंचाव से ऊपर उठाने के लिए जुड़ने की ताकत नहीं होती है। हम अनुबंध केवल तभी बनाते हैं जब हम इसे पूरा करने के लिए स्वयं को असाधारण रूप से प्रतिबद्ध करने की इच्छा रखते हैं।8 हम परमेश्वर की अनुबंधित संतान और उसके राज्य के उत्तराधिकारी बन जाते हैं, विशेषकर जब हम पूर्णरूप से अनुबंध के साथ स्वयं की पहचान बनाते हैं।

ये शब्द अनुबंध मार्ग अनुबंधों के एक क्रम को दर्शाता है जिसके द्वारा हम मसीह के पास आते और उससे जुड़ते हैं। इस अनुबंध बंधन के माध्यम से, हम उसकी अनन्त शक्ति तक पहुंच सकते हैं। यह मार्ग यीशु मसीह में विश्वास और पश्चाताप से शुरू होता है, और इसके बाद बपतिस्मा और पवित्र आत्मा को प्राप्त किया जाता है।9 यीशु मसीह ने बपतिस्मा लेकर हमें दिखाया था कि इस मार्ग में कैसे प्रवेश करना है।10 मरकुस और लूका में नए नियम के सुसमाचार के वर्णनों के अनुसार, स्वर्गीय पिता ने यह कहते हुए यीशु से उसके बपतिस्मा के समय सीधे बात की थी, “तू मेरा प्रिय पुत्र है, मैं तुझ से प्रसन्न हूं।” जब हम बपतिस्मा के माध्यम से अनुबंध मार्ग पर चलते हैं, तो मैं कल्पना कर सकता हूं कि स्वर्गीय पिता हम में से प्रत्येक से वही बात कहता है: “तुम मेरे प्यारे बच्चे हो जिस से मैं प्रसन्न हूं। ऐसे ही आगे बढ़ते रहो।”11

बपतिस्मा लेते समय और जब हम प्रभु-भोज में भाग लेते हैं,12 तो हम गवाही देते हैं कि हम यीशु मसीह का नाम धारण करने के लिए तैयार हैं।13 इस संदर्भ में, आइए हम पुराने नियम की आज्ञा पर विचार करें, “तू अपने प्रभु परमेश्वर का नाम व्यर्थ न लेना।”14 हमारे आज के कानों के लिए, यह प्रभु के नाम को अपमानजनक रूप से लेने के विरूद्ध मनाही की तरह लगता है। जो इस आज्ञा में शामिल है, वह अत्यधिक गंभीर है। इब्रानी शब्द “लेने” का अनुवाद “उठाना” या “ले जाना” है, जैसे कोई बैनर किसी व्यक्ति या समूह की पहचान बताता है।15 अनुवाद किए गए शब्द “व्यर्थ” का अर्थ है “खाली” या “भ्रामक”।16 प्रभु का नाम व्यर्थ न लेने की आज्ञा का अर्थ यह हो सकता है, “आपको स्वयं की यीशु मसीह के शिष्य के रूप में तब तक पहचान नहीं बनानी चाहिए जब तक कि आप उचितरूप से उसका प्रतिनिधित्व करने की इच्छा न रखते हों।”

हम उसके शिष्य बन जाते हैं और उसका उचितरूप से प्रतिनिधित्व करते हैं जब हम स्वेच्छा से और निरंतर विकास करते हुए अनुबंधों के द्वारा यीशु मसीह का नाम स्वयं पर धारण करते हैं। हमारे अनुबंध हमें अनुबंध मार्ग पर बने रहने की शक्ति देते हैं क्योंकि यीशु मसीह और हमारे स्वर्गीय पिता के साथ हमारा संबंध बदल गया है। हम उनसे अनुबंध बंधन से जुड़े हुए हैं।

अनुबंध मार्ग मंदिर की विधियों की ओर ले जाता है, जैसे कि मंदिर वृत्तिदान।17 वृत्तिदान परमेश्वर की पवित्र अनुबंधों का उपहार है जो हमें उससे अधिक पूर्णरूप से जोड़ता है। वृत्तिदान में, हम, सबसे पहले, परमेश्वर की आज्ञाओं को पूरा करने का प्रयास करने के लिए अनुबंध बनाते हैं; दूसरा, टूटे हुए हृदय और पश्चातापी आत्मा के साथ पश्चाताप करना; तीसरा, यीशु मसीह के सुसमाचार को जीना। हम ऐसा उस पर विश्वास करके करते हैं, परमेश्वर के साथ अनुबंध बनाते हैं जब हम उद्धार और उत्कर्ष की विधियां प्राप्त करते हैं, उन अनुबंधों को जीवन भर निभाते हैं, और परमेश्वर और पड़ोसी से प्रेम करने के लिए दो महान आज्ञाओं को जीने का प्रयास करते हैं। चौथा, हम पवित्रता की व्यवस्था का पालन करने और, पांचवां, हम स्वयं को और जो कुछ प्रभु हमें आशीष देता है उसे उसके गिरजे के निर्माण में समर्पित करने का अनुबंध करते हैं।18

मंदिर अनुबंधों को बनाने और पालन करने से, हम प्रभु के उद्देश्यों के बारे में अधिक सीखते हैं और पवित्र आत्मा की परिपूर्णता प्राप्त करते हैं।19 हमें अपने जीवन के लिए दिशा मिलती है। हम अपने शिष्यत्व में परिपक्व होते हैं ताकि हम सदैव अनभिज्ञ बच्चे न बने रहें।20 इसके बजाय, हम एक अनंत परिप्रेक्ष्य के साथ रहते हैं और परमेश्वर और दूसरों की सेवा करने के लिए अधिक प्रेरित होते हैं। हम नश्वरता में अपने उद्देश्यों को पूरा करने के लिए अधिक क्षमता प्राप्त करते हैं। हम बुराई से सुरक्षित रहते हैं,21 और हम प्रलोभन का विरोध करने और जब हम कमजोर होते हैं तो पश्चाताप करने के लिए अधिक शक्ति प्राप्त करते हैं।22 जब हम कमजोर होते हैं, तो परमेश्वर के साथ हमारी अनुबंधों की स्मृति हमें मार्ग पर लौटने में मदद करती है। परमेश्वर की शक्ति से जुड़ने से, हम अपने स्वयं के पोरोरोका बन जाते हैं, और जीवन भर और अनंतकाल में संसार के प्रवाह के विरुद्ध जाने में सक्षम होते हैं। अंततः, हमारी नियति बदल जाती हैं क्योंकि अनुबंध मार्ग उत्कर्ष और अनन्त जीवन की ओर जाता है।23

बपतिस्मा के कुंड और मंदिरों में बनाए गए अनुबंधों का पालन करने से हमें नश्वरता की परीक्षाओं और जीवन के दर्द का सामना करने की ताकत मिलती है।24 इन अनुबंधों से जुड़ा सिद्धांत हमारे मार्ग को सरल बनाता है और आशा, दिलासा और शांति प्रदान करता है।

मेरे दादा-दादी लीना सोफिया और मैट्स लिएंडर रेनलैंड ने 1912 में फिनलैंड में गिरजे में शामिल होने पर अपने बपतिस्मा अनुबंध के माध्यम से परमेश्वर की शक्ति प्राप्त की थी। वे फिनलैंड में गिरजे की पहली शाखा का हिस्सा बनकर खुश थे।

लिएंडर की पांच साल बाद तपेदिक से मृत्यु हो गई जब लीना अपने दसवें बच्चे से गर्भवती थी। वह बच्चा, मेरे पिता, लिएंडर की मृत्यु के दो महीने बाद पैदा हुआ था। लीना ने अंततः न केवल अपने पति को, बल्कि अपने दस बच्चों में से सात को भी दफनाया था। एक निर्धन विधवा के रूप में, उसने संघर्ष किया था। 20 साल तक वह एक रात भी ठीक से सो नहीं पाई थी। दिन के दौरान, वह अपने परिवार के लिए भोजन प्रदान करने के लिए संघर्ष करती थी। रात में, वह मरने वाले परिवार के सदस्यों की देखभाल करती थी। इसकी कल्पना करना कठिन है कि उसने इन सब का सामना कैसे किया था।

लीना दृढ़ बनी रही क्योंकि वह जानती थी कि उसका मृत पति और बच्चे अनंत काल में उसके हो सकते हैं। मंदिर आशीषों के सिद्धांत, जिसमें अनंत परिवार भी शामिल हैं, ने उसे शांति दी क्योंकि वह मुहरबंदी की शक्ति में भरोसा करती थी। नश्वरता में रहते हुए, उसे न तो अपना वृत्तिदान मिला और न ही उसे लिएंडर के साथ मुहरबंद किया गया था, लेकिन लिएंडर उसके जीवन में एक महत्वपूर्ण प्रभाव और भविष्य के लिए उसकी बड़ी आशा का हिस्सा बना रहा।

1938 में, लीना ने रिकॉर्ड प्रस्तुत किए ताकि उसके मृत परिवार के सदस्यों के लिए मंदिर विधियों को संपन्न किया जा सके, जिनमें से कुछ सबसे पहले फिनलैंड से प्रस्तुत किए गए थे। उनकी मृत्यु के बाद, उनके, लिएंडर और उनके मृत बच्चों के लिए अन्य लोगों द्वारा मंदिर विधियों को संपन्न किया गया था। प्रतिनिधि द्वारा, उसे वृत्तिदान मिला था, लीना और लिएंडर को एक-दूसरे से मुहरबंद किया गया था, और उनके मृत बच्चों और मेरे पिता को उनके साथ मुहरबंद किया गया था। दूसरों की तरह, लीना “विश्वास ही की दशा में मरी; और उसने प्रतिज्ञा नहीं पाईं; पर उन्हें दूर से देखकर आनन्दित हुई और अपना लिया था।”25

लीना ने ऐसा जीवन जीया मानो उसने अपने जीवन में पहले से ही इन अनुबंधों को बना लिया था। वह जानती थी कि उसके बपतिस्मा और प्रभु-भोज अनुबंध उसे उद्धारकर्ता से जोड़ते हैं। उसने “[मुक्तिदाता के] पवित्र स्थान के प्रति मधुर आशा को [उसके] उजाड़ हृदय में आशा प्रदान करने दी थी।”26 लीना ने इसे परमेश्वर की महान दया में से एक माना था जिसने उसने अपने जीवन में त्रासदियों का अनुभव करने से पहले अनंत परिवारों के बारे में सीखा था। अनुबंध के द्वारा, उसे अपनी चुनौतियों और कठिनाइयों की निराशा के दबाव को सहन करने और ऊपर उठने के लिए परमेश्वर की शक्ति प्राप्त हुई थी।

जब आप बपतिस्मा से लेकर मंदिर तक और जीवन भर, अनुबंध मार्ग पर चलते हैं, तो मैं आपसे स्वाभाविक सांसारिक प्रवाह के विरूद्ध जाने की शक्ति—सीखने की शक्ति, पश्चाताप करने की शक्ति, और पवित्र होने और आशा, दिलासा और खुशी पाने की शक्ति भी जब आप जीवन की चुनौतियों का सामना करते हैं। मैं आपको और आपके परिवार को शैतान के प्रभाव से सुरक्षा पाने की प्रतिज्ञा करता हूं, विशेषकर जब आप मंदिर को अपने जीवन में एक महत्वपूर्ण स्थान देते हैं।

जब आप मसीह के निकट आते हो और अनुबंध के द्वारा उससे और हमारे स्वर्गीय पिता से संबंध बनाते हो, तो कुछ अस्वाभाविक प्रतीत होता है। आप यीशु मसीह में रूपांतरित होकर परिपूर्ण हो जाते हैं।27 आप परमेश्वर के अनुबंधित बच्चे और उसके राज्य में उत्तराधिकारी बन जाते हो।28 मैं कल्पना कर सकता हूं कि वह आपसे कहेगा, “तुम मेरे प्रिय बच्चे हो जिससे मैं प्रसन्न हूं। घर में आपका स्वागत है। यीशु मसीह के नाम में, आमीन।

विवरण

  1. लगभग 20 फुट।

  2. लगभग 30 मील।

  3. हमारे पास एक विकल्प है क्योंकि परमेश्वर ने हमें अपने लिए चुनने और कार्य करने का विशेषाधिकार दिया है। देखें, Guide to the Scriptures, “Agency,” scriptures.ChurchofJesusChrist.org; 2 नफी 2:27; मूसा 7:32

  4. देखें मुसायाह 3:19

  5. रसल एम. नेल्सन, “संसार पर विजय पाना और विश्राम प्राप्त करना,” Liahona, Nov. 2022, 96, 97।

  6. देखें Guide to the Scriptures, Guide to the Scriptures, “Covenant,” scriptures.ChurchofJesusChrist.org।

  7. हर कोई कभी न कभी लड़खड़ाता है, लेकिन परमेश्वर हमारी ठोकरों में धैर्य रखता है और अनुबंध तोड़ने के बाद भी हमें पश्चाताप का उपहार देता है। जैसा कि एल्डर रिचर्ड जी. स्कॉट ने सिखाया था, “प्रभु कमजोरियों को विद्रोह की तुलना में अलग तरह से देखते हैं … [क्योंकि] जब प्रभु कमजोरियों के बारे में बात करता है, तो यह हमेशा दया के साथ होता है” (“Personal Strength through the Atonement of Jesus Christ,” Liahona, Nov. 2013, 83)। इस प्रकार, हमें अपनी कमजोरियों पर हमारी मदद करने के लिए उद्धारकर्ता की क्षमता पर संदेह नहीं करना चाहिए। हालांकि, बाद में पश्चाताप करने की कठोर योजना के साथ जानबूझकर अनुबंध तोड़ना—दूसरे शब्दों में, पूर्वनियोजित पाप और पश्चाताप—प्रभु के विरूद्ध है (देखें इब्रानियों 6:4–6)।

  8. देखें Robert Bolt, A Man for All Seasons: A Play in Two Acts (1990), xiii–xiv, 140।

  9. देखें 2 नफी 31:17–18

  10. देखें 2 नफी 31:4-15

  11. लूका लिखता है, “और पवित्र आत्मा शारीरिक रूप में कबूतर की नाईं उस पर उतरा, और यह आकाशवाणी हुई, कि तू मेरा प्रिय पुत्र है, मैं तुझ से प्रसन्न हूं” (लूका 3:22)। मरकुस लिखता है, “और यह आकाशवाणी हई, कि तू मेरा प्रिय पुत्र है, तुझ से मैं प्रसन्न हूं” (मरकुस 1:11)। विलियम टिंडेल के अनुवाद में राजा जेम्स संस्करण की तुलना में अधिक सजीवता और अपनापन है। उसके अनुवाद में, स्वर्गीय पिता की वाणी कहती है, “तू मेरा प्रिय पुत्र है, जिससे मैं आनंदित हूं” (Brian Moynahan, God’s Bestseller: William Tyndale, Thomas More, and the Writing of the English Bible—A Story of Martyrdom and Betrayal [2002], 58 में)। केवल मत्ती लिखता है कि वाणी यह कहते हुए सुनाई दी, “और देखो, यह आकाशवाणी हुई, कि यह मेरा प्रिय पुत्र है, जिस से मैं अत्यन्त प्रसन्न हूं” (मत्ती 3:17)। यूहन्ना का सुसमाचार केवल यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले द्वारा बपतिस्मा के बारे में लिखता है: “और मैं ने देखा, और गवाही दी है, कि यही परमेश्वर का पुत्र है” (यूहन्ना 1:34)।

  12. देखें 2 नफी 31:13; सिद्धांत और अनुबंध 20:77

  13. अध्यक्ष डालिन एच. ओक्स ने “इच्छुक” शब्द के महत्व को समझाया क्योंकि हम संस्कार के साथ अपनी बपतिस्मा अनुबंध को नवीन करते हैं: “यह महत्वपूर्ण है कि जब हम संस्कार में भाग लेते हैं तो हम यह नहीं देखते हैं कि हम अपने ऊपर यीशु मसीह का नाम लेते हैं। हम गवाह हैं कि हम ऐसा करने की इच्छा करते हैं। [देखें सिद्धांत और अनुबंध 20:77।] सच यह है कि हम केवल अपनी इच्छा के गवाह हैं, यह बताता है कि इससे पहले कि हम वास्तव में उस पवित्र नाम को सबसे महत्वपूर्ण अर्थों में हम पर लें, कुछ और होना चाहिए” (“Taking upon Us the Name of Jesus Christ,” Ensign, May 1985, 81)। “कुछ और” मंदिर की आशीषें और भविष्य के उत्कर्ष को संदर्भित करता है।

  14. निर्गमन 20:7

  15. देखें James Strong, The New Strong’s Expanded Exhaustive Concordance of the Bible (2010), Greek dictionary section, number 5375।

  16. देखें Strong, The New Strong’s Expanded Exhaustive Concordance of the Bible, Hebrew dictionary section, page 273, number 7723।

  17. एल्डर डेविड ए. बेडनार ने सिखाया: “बपतिस्मा के अनुबंध में भविष्य की घटना या घटनाओं के बारे में साफ-साफ बताया गया है और मंदिर की ओर दृष्टि करती है। … यीशु मसीह का नाम अपने ऊपर लेने की प्रक्रिया जो बपतिस्मा के जल में शुरू की जाती है, प्रभु के घर में जारी रहती है और बढ़ी हुई होती है। जब हम बपतिस्मा के पानी में खड़े होते हैं, तो हम मंदिर की ओर दृष्टि करते हैं। जब हम प्रभु भोज में भाग लेते हैं, तो हम मंदिर की ओर दृष्टि करते हैं। हम हमेशा उद्धारकर्ता को याद करने और मंदिर के पवित्र विधियों में भाग लेने और नाम के माध्यम से और प्रभु यीशु मसीह के अधिकार के माध्यम से उपलब्ध उच्चतम आशीर्वाद प्राप्त करने की तैयारी के रूप में उसकी आज्ञाओं का पालन करने की प्रतिज्ञा करते हैं। इस प्रकार, पवित्र मंदिर के नियमों में हम यीशु मसीह का नाम पूरी तरह से और पूरी तरह से अपने ऊपर लेते हैं” (“Honorably Hold a Name and Standing,” Liahona, May 2009, 98)। यह प्रक्रिया तबतक पूरी नहीं होती है जबतक हम उसके समान (मोरोनी 7:48) नहीं होंगे, जब हम पूर्णरूप से परिवर्तित हो जाते हैं।

  18. जैसा General Handbook: Serving in The Church of Jesus Christ of Latter-day Saints, 27.2 (ChurchofJesusChrist.org) में लिखा है, अनुबंध आज्ञाकारिता की व्यवस्था को जीने, बलिदान की व्यवस्था का पालन करने, यीशु मसीह के सुसमाचार की व्यवस्था का पालन करने, पवित्रता की व्यवस्था का पालन करने और अभिषेक की व्यवस्था का पालन करने के लिए है; David A. Bednar, ““इस घर का निर्माण मेरे नाम पर किया जाए,” Liahona, May 2020, 84–87 भी देखें।

  19. देखें सिद्धांत और अनुबंध 109:14-15। एल्डर टॉड क्रिस्टोफरसन ने सिखाया था, “’पवित्र आत्मा की पूर्णता’ में वह भी शामिल है जिसे यीशु ने “उस प्रतिज्ञा” के रूप में वर्णन किया है जिसे मैं आपको अनन्त जीवन, यहां तक कि सिलेस्टियल राज्य की महिमा के रूप में वर्णन करता हूं; यह महिमा पहलौठे के गिरजे की है, अर्थात परमेश्वर के, सब में से पवित्र, उसके पहलौठे यीशु मसीह के द्वारा, (D&C 88:4–5)” (“The Power of Covenants,” Liahona, May 2009, 23, note 5)।

  20. देखें सिद्धांत और अनुबंध 109:15

  21. देखें सिद्धांत और अनुबंध 109:22; 25:-26।

  22. देखें सिद्धांत और अनुबंध 109:21

  23. सिद्धांत और अनुबंध 109:15, 22; रसल एम. नेल्सन, “आत्मिक संवेग की शक्ति,” Liahona, May 2022, 98।

  24. देखें रसल एम. नेल्सन, “संसार पर विजय पाना और विश्राम प्राप्त करनाt,” 96; सिद्धांत और अनुबंध 84:20। विशेषकर, अध्यक्ष नेल्सन ने कहा था, “हर बार जब आप आत्मा की प्रेरणाओं की खोज करते हो और उसका अनुसरण करते हो, तो हर बार जब आप कुछ भी अच्छा करते हो—ऐसी बातें जिसे “स्वाभाविक मनुष्य” नहीं करेंगे तो आप संसार पर विजय प्राप्त कर रहे हो’ (“संसार पर विजय पाना और विश्राम प्राप्त करना,” 97)।

  25. इब्रानियों 11:13

  26. Redeemer of Israel,” Hymns, no. 6, verse 5। यह लीना सोफिया रेनलैंड का पसंदीदा स्तुतिगीत था।

  27. देखें मॉरोनी 10:30–33

  28. (देखें सिद्धांत और अनुबंध 132:19-20।)