महा सम्मेलन
“तुम मुझ में बने रहो, और मैं तुम में; इसलिए मेरे साथ साथ चलो”
अप्रैल 2023 महा सम्मेलन


“तुम मुझ में बने रहो, और मैं तुम में; इसलिए मेरे साथ साथ चलो”

उद्धारकर्ता की हम में बने रहने की प्रतिज्ञा सच्ची है और उसके पुनःस्थापित गिरजे के प्रत्येक अनुबंध-पालन सदस्य के लिए उपलब्ध है।

प्राचीन भविष्यवक्ता हनोक, जिसका वर्णन पुराने नियम, सिद्धांत और अनुबंधों और अनमोल मोती में किया गया है,1 ने सिय्योन शहर की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

हनोक के सेवा करने के आह्वान का बाइबिल में दिया गया विवरण बताता है कि उसने स्वर्ग से वाणी सुनी, कहते हुए: हनोक, मेरे बेटे, इन लोगों से भविष्यवाणी करो, और उनसे कहो—पश्चाताप करो, … क्योंकि उनके हृदय कठोर हो गए हैं, और उनके कान ऊंचा सुनते हैं, और उनकी आंखें दूर तक नहीं देख सकती हैं।”2

“और जब हनोक ने इन शब्दों को सुना, उसने स्वयं को पृथ्वी पर झुकाया … और प्रभु के सम्मुख बोला, कहते हुए: यह क्यों हुआ कि मुझे आपकी दृष्टि में अनुग्रह मिला है, और मैं मात्र एक लड़का हूं, और सब लोग मुझ से नफरत करते हैं; क्योंकि ठीक से बोल नहीं पाता हूं; मैं आपका सेवक कैसे बन सकता हूं?”3

कृपया ध्यान दें कि हनोक सेवा करने के लिए नियुक्ति जाने पर, अपनी व्यक्तिगत कमजोरियों और सीमाओं को गहराई से जान गया था। और मुझे लगता है कि हम सभी ने एक समय या किसी अन्य समय में हमारी गिरजा सेवा में हनोक के समान महसूस किया है। लेकिन मेरा मानना है कि हनोक के विनम्र प्रश्न के प्रति प्रभु की प्रतिक्रिया शिक्षाप्रद है और आज हम में से प्रत्येक पर लागू होती है।

“और प्रभु ने हनोक से कहा: जाओ और करो जैसे मैंने तुम्हें आज्ञा दी है, और कोई मनुष्य तुम्हें छेद नहीं पाएगा। अपना मुंह खोलना और इसे भरा जाएगा, और मैं तुम्हें बोलने की शक्ति दूंगा। …

“देखो मेरी आत्मा तुम्हारे ऊपर है, इसलिए तुम्हारे सारे शब्दों को मैं उचित ठहराऊंगा; और पर्वत तुम्हारी आज्ञा मानेंगे, और नदियां तुम्हारे मार्ग से हटेंगी; और तुम तुम मुझ में बने रहो, और मैं तुम में; इसलिए मेरे साथ साथ चलो।4

हनोक अंततः एक शक्तिशाली भविष्यवक्ता बन गया और एक महान कार्य को पूरा करने के लिए परमेश्वर के हाथों में एक उपकरण बन गया, लेकिन उसने अपनी सेवकाई को उस तरह से शुरू नहीं किया! इसके बजाय, समय के साथ उसकी क्षमता बढ़ गई क्योंकि उसने परमेश्वर के पुत्र के में बने रहना और चलना सीख लिया था।

मैं पवित्र आत्मा की सहायता के लिए सच्चे दिल से प्रार्थना करता हूं जब हम प्रभु द्वारा हनोक को दी गई सलाह पर एक साथ विचार करते हैं और आज आपके और मेरे लिए इसका क्या अर्थ हो सकता है।

तुम मुझ में बने रहो

प्रभु यीशु मसीह हम में से प्रत्येक को उसमें बने रहने का आमंत्रण देता है।5 लेकिन हम वास्तव में कैसे सीखते और उसमें बने रहते हैं?

बने रहने का अर्थ है स्थिर रहना और हार माने बिना सहनशील रहना। एल्डर जेफ्री आर. हॉलैंड ने समझाया कि “स्थायी रहने” का अर्थ है “[दृढ़ रहना]—लेकिन हमेशा के लिए [दृढ़ रहना]। यह सुसमाचार के संदेश का आह्वान है … दुनिया में … सभी के लिए है। आओ, लेकिन दृढ़ बने रहो। दृढ़ विश्वास और धीरज के साथ आओ। अपने लिए और उन सभी पीढ़ियों के लिए हमेशा के लिए आओ जो आपका अनुसरण करेंगी।”6 इस प्रकार, हम मसीह में बने रहते हैं जब हम अच्छे और बुरे दोनों समय में मुक्तिदाता और उसके पवित्र उद्देश्यों के प्रति अपनी निष्ठा में स्थिर और दृढ़ रहते हैं।7

हम अपने आप को उसके जुए को लेने के लिए अपनी नैतिक स्वतंत्रता का उपयोग करके प्रभु में बने रहना शुरू करते हैं8 पुनःस्थापित सुसमाचार की अनुबंधों और नियमों के माध्यम से। हमारे स्वर्गीय पिता और उसके पुनर्जीवित और जीवित पुत्र के साथ हमारा अनुबंध संबंध समझ, आशा, शांति और स्थायी आनंद का अलौकिक स्रोत है; यह सदृढ़ नींव भी है9 जिस पर हमें अपने जीवन का निर्माण करना चाहिए।

हम पिता और पुत्र के साथ अपने व्यक्तिगत अनुबंध बंधन को मजबूत करने के लिए लगातार प्रयास करके उसमें बने रहते हैं। उदाहरण के लिए, अपने प्रिय पुत्र के नाम पर अनन्त पिता से ईमानदारी से प्रार्थना करना उनके साथ हमारे अनुबंध संबंध को गहरा और मजबूत करता है।

हम मसीह के वचनों को सच में ग्रहण करके उसमें बने रहते हैं। उद्धारकर्ता का सिद्धांत हमें, अनुबंध की सन्तान के रूप में, उसके करीब लाता है10 और हमें सब कुछ बताएगा कि हमें क्या करना चाहिए।11

हम प्रभु-भोज की विधि में भाग लेने के लिए दृढ़ता से तैयारी करके, अपने अनुबंध प्रतिज्ञाओं की समीक्षा और चिंतन करके और ईमानदारी से पश्चाताप करके उसमें बने रहते हैं। प्रभु-भोज में भाग लेना परमेश्वर के प्रति एक गवाही है कि हम यीशु मसीह का नाम धारण करने के लिए तैयार हैं और उस पवित्र विधि में भाग लेने के लिए आवश्यक संक्षिप्त अवधि के बाद “उसे हमेशा याद रखने”12 का प्रयास करते हैं।

और हम परमेश्वर की सेवा करके उसमें बने रहते हैं जब हम उसके बच्चों की सेवा करते हैं और अपने भाइयों और बहनों की सेवा करते हैं।13

उद्धारकर्ता ने कहा, “यदि तुम मेरी आज्ञाओं को मानोगे, तो मेरे प्रेम में बने रहोगे; जैसा कि मैं ने अपने पिता की आज्ञाओं को माना है, और उसके प्रेम में बना रहता हूं।”14

मैंने संक्षेप में कई तरीकों का वर्णन किया है जिससे हम उद्धारकर्ता में बने रह सकते हैं। और अब मैं हम में से प्रत्येक को उसके शिष्यों के रूप में पवित्र आत्मा की शक्ति से स्वयं के लिए उन अन्य सार्थक तरीकों को पूछने, खोजने, दस्तक देने और सीखने के लिए आमंत्रित करता हूं, कि जो कुछ भी हम करते हैं उसमें मसीह को हमारे जीवन का केंद्र बना सकें।

और मैं तुम में

अपने अनुयायियों के लिए उद्धारकर्ता की प्रतिज्ञा दो तरफा है: यदि हम उसमें बने रहें, तो वह हम में बना रहेगा। लेकिन क्या मसीह के लिए यह सच में संभव है कि वह आप में और मुझमें—व्यक्तिगत रूप से और निजी रूप से बने रह सके? इस सवाल का जवाब एक शानदार हां है!

मॉरमन की पुस्तक में, हम अलमा की शिक्षाओं के बारे में सीखते हैं और गरीबों को गवाही देते हैं जिनके दुखों ने उन्हें विनम्र होने के लिए मजबूर किया था। अपने निर्देश में, उसने शब्द की तुलना एक बीज से की जिसे बोया और पोषित किया जाना चाहिए, और उसने “शब्द” को यीशु मसीह के जीवन, मिशन और प्रायश्चित बलिदान के रूप में बताया था।

अलमा ने कहा था, “परमेश्वर के पुत्र पर विश्वास करना आरंभ करो, कि वह अपने लोगों की मुक्ति के लिए आएगा, और यह कि उनके पापों के प्रायश्चित के लिए वह सहेगा और मर जाएगा; और यह कि वह मुर्दों में से फिर से जी उठेगा, जिससे पुनरुत्थान होगा, ताकि अंतिम और न्याय वाले दिन, अपने कर्मों के अनुसार न्याय पाने के लिए सारे लोग उसके सामने खड़े हो सकें ।”15

अलमा द्वारा “शब्द” के इस वर्णन को देखते हुए, कृपया उस प्रेरणादायक संबंध पर विचार करें जिसे वह तब पहचानता है।

और अब … मैं चाहता हूं कि उसके वचन को अपने हृदयों में उगने दो, और जैसे-जैसे वह बढ़ने लगे अपने विश्वास के द्वारा उसकी देखभाल करो। और देखो, अनंत जीवन देने के प्रति वह तुम मेंएक हरा-भरा पेड़ बन जाएगा । और फिर परमेश्वर ऐसा होने दे कि उसके पुत्र की प्रसन्नता द्वारा तुम्हारे बोझ हलके हो सकें । और यदि तुम्हारी इच्छा होगी तो तुम यह सब कर सकते हो।”16

जिस बीज को हमें अपने दिलों में बोने का प्रयास करना चाहिए, वह वचन है—यहां तक कि यीशु मसीह का जीवन, मिशन और सिद्धांत भी। और जैसे-जैसे यह वचन विश्वास से पोषित होता है, यह एक ऐसा पेड़ बन सकता है जो हमारे भीतर अनन्त जीवन के लिए उगता है।17

लेही की दृष्टि में पेड़ का प्रतीक क्या था? पेड़ को यीशु मसीह का प्रतीक माना जा सकता है।18

मेरे प्यारे भाइयों और बहनों, क्या वचन हम में है? क्या उद्धारकर्ता के सुसमाचार की सच्चाइयां हमारे हृदय की मांस रूपी पट्टियों में लिखी गई हैं?19 क्या हम निकट आ रहे हैं और धीरे-धीरे उसके समान बनते जा रहे हैं? क्या मसीह का वृक्ष हमारे भीतर बढ़ रहा है? क्या हम उसमें21 “नए [प्राणी]“20 बनने की कोशिश कर रहे हैं?

शायद इस चमत्कारी क्षमता ने अलमा को यह पूछने के लिए प्रेरित किया, “क्या आप आत्मिक रूप से परमेश्वर से पैदा हुए हैं? क्या आपने अपने चेहरे में उसकी छवि प्राप्त की है? “क्या आपने इस महान परिवर्तन को अपने हृदयों में अनुभव किया है?”22

हमें हमेशा हनोक को प्रभु के निर्देश को याद रखना चाहिए, “तुम मुझ में बने रहो, और मैं तुम में।”23 और मैं गवाही देता हूं कि उद्धारकर्ता की हम में बने रहने की प्रतिज्ञा सच्ची है और उसके पुनःस्थापित गिरजे के प्रत्येक अनुबंध-पालन सदस्य के लिए उपलब्ध है।

इसलिए मेरे साथ साथ चलो

प्रेरित पौलुस ने उन विश्वासियों को चेतावनी दी जिन्होंने प्रभु को प्राप्त किया था: वैसे ही उसी में चलते रहो।”24

उद्धारकर्ता के साथ चलना शिष्यत्व के दो महत्वपूर्ण पहलुओं पर प्रकाश डालता है: (1) परमेश्वर की आज्ञाओं का पालन करना, और (2) उन पवित्र अनुबंधों को याद रखना और उनका सम्मान करना जो हमें पिता और पुत्र से जोड़ती हैं।

यूहन्ना के कहा था:

“यदि हम उसकी आज्ञाओं को मानेंगे, तो इससे हम जान लेंगे कि हम उसे जान गए हैं।

“जो कोई यह कहता है, “मैं उसे जान गया हूं,” और उसकी आज्ञाओं को नहीं मानता, वह झूठा है और उसमें सत्य नहीं;

“पर जो कोई उसके वचन पर चले, उसमें सचमुच परमेश्वर का प्रेम सिद्ध हुआ है। इसी से हम जानते हैं कि हम उसमें हैं :

“जो कोई यह कहता है कि मैं उसमें बना रहता हूं, उसे चाहिए कि आप भी वैसा ही चले जैसा वह चलता था।”25

यीशु हम में से हर एक को कहता है, “आओ, मेरा अनुसरण करो”26 और “मेरे साथ चलो।”27

मैं गवाही देता हूं कि जब हम विश्वास में आगे बढ़ते हैं और प्रभु की आत्मा की विनम्रता में चलते हैं,28 तो हमें शक्ति, सुरक्षा और मार्गदर्शन की आशीष मिलती है।

गवाही और प्रतिज्ञा

अलमा सभी जीवित आत्माओं के लिए प्रभु से एक प्रेमपूर्ण आग्रह का वर्णन करता है:

“देखो, वह सभी मनुष्यों को निमंत्रण भेजता है, क्योंकि दया का हाथ उनकी ओर फैलाया गया है, और वह कहता हैः पश्चाताप करो, और मैं तुम्हें स्वीकार करूंगा।

“… वह कहता है: मेरे पास आओ और तुम्हें जीवन के वृक्ष का फल ग्रहण करने मिलेगा; हां, तुम स्वतंत्र होकर जीवन की रोटी खाओगे और पानी पीओगे।”29

मैं उद्धारकर्ता की दलील की पूर्ण व्यापकता पर जोर देता हूं। वह हर उस व्यक्ति को उसके अनुग्रह और दया से आशीष देने के लिए तरसता है जो अब जीवित है, जो कभी जीवित रहा है, और जो कभी पृथ्वी पर जीवित रहेगा।

गिरजे के कुछ सदस्य सम्मेलन केंद्र और दुनिया भर के स्थानीय गिरजे में इस उपदेश से बार-बार घोषित सिद्धांत, सिद्धांतों और गवाहियों को सच्चाई के रूप में स्वीकार करते हैं—और फिर भी हो सकता है कि यह विश्वास करने के लिए संघर्ष करते हों कि ये अनन्त सच्चाइयां विशेष रूप से उनके जीवन और उनकी परिस्थितियों पर लागू होती हैं। वे ईमानदारी से विश्वास करते हैं और निष्ठा से सेवा करते हैं, लेकिन पिता और उसके मुक्तिदाता पुत्र के साथ उनका अनुबंध संबंध अभी तक उनके जीवन में एक जीवित और बदलने वाली सच्चाई नहीं बन पाई है।

मैं प्रतिज्ञा करता हूं कि पवित्र आत्मा की सामर्थ्य से, आप उन सुसमाचार सच्चाइयों को जान और महसूस कर सकते हो जिनका मैंने वर्णन करने का प्रयास किया है—आपके लिए व्यक्तिगत रूप से।

मैं आनंदपूर्वक गवाही देता हूं कि यीशु मसीह हमारा प्रेमी और जीवित उद्धारकर्ता और मुक्तिदाता है। यदि हम उसमें बने रहेंगे, तो वह हम में बना रहेगा।30 और जब हम उसमें और उसके साथ चलेंगे, तो हम बहुत सारे फलों से आशीषित होंगे। मैं यह गवाही प्रभु यीशु मसीह के पवित्र नाम में देता हूं, आमीन।

विवरण

  1. देखें उत्पत्ति 15: 18–24; सिद्धांत और अनुबंध 107:48-57; मूसा 6:6–7

  2. मूसा 6:27

  3. मूसा 6:31

  4. मूसा 6:32, 34; महत्व जोड़ा गया है।

  5. देंखें यूहन्ना 15:4-9

  6. Jeffrey R. Holland, “Abide in Me,” Liahona, May 2004, 32.

  7. देखें यूहन्ना 15:10

  8. देखें मत्ती 11:29-30

  9. देखें हिलामन 5:12

  10. देखें 3 नफी 27:14-15

  11. देखें 2 नफी 32:3

  12. मोरोनी 4:3; 5:2

  13. देखें मुसायाह 2:17

  14. यहून्ना 15:10

  15. अलमा 33:22

  16. अलमा 33:23; महत्व जोड़ा गया है।

  17. देखें Alma 26:13.

  18. मैंने 2017 में एक सभा में इस सिद्धांत को समझाया:

    “अलमा ने ‘लोगों के आराधनालयों, और उनके घरों में जाकर उनमें परमेश्वर के वचन का प्रचार आरंभ किया; और यहां तक कि उन्होंने वचन का प्रचार उनके सड़कों पर भी किया’ [अलमा 32:1; महत्व जोड़ा गया है]। उसने परमेश्वर के वचन की तुलना एक बीज से भी की थी।

    “अब, यदि तुम स्थान दो तो तुम्हारे हृदय में एक बीज बोया जा सकता है, देखो, यदि वह सच्चा और अच्छा बीज है, यदि तुम उसे अपने अविश्वास के कारण फेंकते नहीं हो तो तुम प्रभु की आत्मा का सामना कर सकोगे, देखो, वह तुम्हारी छाती में बढ़ने लगेगा; और जब तुम इस बढ़ती हुई गति को महसूस करोगे तो तुम स्वयं ही कहने लगोगे—यह एक अच्छा बीज है, या वचन अच्छा है क्योंकि यह मेरी आत्मा को विकसित करने लगा है; हां, यह मेरी समझ को बढ़ाने लगा है, हां, इसका स्वाद मुझे अच्छा लग रहा है’ (अलमा 32:28; महत्व जोड़ा गया है)।

    “दिलचस्प बात यह है कि एक अच्छा बीज एक पेड़ बन जाता है क्योंकि यह दिल में लगाया जाता है और सूजने, अंकुरित होने और बढ़ने लगता है।

    “और देखो, जैसे-जैसे पेड़ बढ़ने लगता है, तुम कहोगे: चलो इसकी देखभाल ध्यानपूर्वक करें, कि यह जड़ पकड़ सके ताकि यह बढ़ सके, और हमारे लिए फल ला सके । और अब देखो, यदि तुम इसकी देखभाल ध्यानपूर्वक करोगे तो यह जड़ पकड़ेगा और उगेगा, और अच्छा फल लाएगा ।

    परन्तु यदि तुम पेड़ की उपेक्षा करोगे, और उसकी देखभाल पर विचार नहीं करोगे, देखो यह जड़ नहीं पकड़ेगा; और जब सूर्य की गर्मी आएगी और उसे झुलसाएगी तो क्योंकि उसने जड़ नहीं पकड़ा है वह सूख जाएगा, और तुम उसे उखाड़कर फेंक दोगे ।

    अब, यह इसलिए नहीं है क्योंकि बीज अच्छा नहीं था, न ही इसलिए है क्योंकि उसका फल मन मुताबिक नहीं होगा; परन्तु ऐसा इसलिए है क्योंकि तुम्हारा धरातल बंजर है, और तुम पेड़ की देखभाल नहीं करोगे, इसलिए इसके पश्चात तुम फल नहीं पा सकोगे ।

    और इसी प्रकार, यदि तुम वचन की देखभाल नहीं करोगे, फल की आशा करते हुए उसकी तरफ देखते रहोगे, तो तुम जीवन के वृक्ष का फल कभी भी नहीं तोड़ सकोगे ।

    “परन्तु यदि तुम वचन की देखभाल करोगे, हां, इसके पश्चात फल की तरफ देखते हुए महान निष्ठा, और धैर्य के साथ अपने विश्वास के द्वारा तुम तभी से पेड़ की देखभाल करने लगोगे जब से वह बढ़ने लगता, है, तो वह जड़ पकड़ेगा; और देखो अनंत जीवन के प्रति यह एक हरा-भरा पेड़ बन जाएगा’ [अलमा 32:37–41; महत्व जोड़ा गया है]। … 

    लेही के सपने की मुख्य विशेषता जीवन का पेड़ है—परमेश्वर का प्रेम’ को दर्शाता है [1 नफी 11:21–22]।

    “क्योंकि परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम रखा कि उस ने अपना एकलौता पुत्र दे दिया, ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे, वह नाश न हो, परन्तु अनंत जीवन पाए” [यूहन्ना 3:16]।

    “प्रभु यीशु मसीह का जन्म, जीवन और प्रायश्चित बलिदान अपने बच्चों के लिए परमेश्वर के प्रेम की सबसे बड़ी अभिव्यक्तियां हैं। जैसा कि नफी ने गवाही दी, यह प्यार अत्यधिक मीठा और आत्मा को आनंदित करने के लिए आकर्षक था [1 नफी 11:22–23; 1 नफी 8:12, 15] भी देखें। नफी अध्याय 11 का पद 1 उद्धारकर्ता के जीवन, सेवकाई और बलिदान के प्रतीक के रूप में जीवन के पेड़ का विस्तृत विवरण प्रस्तुत करता है—परमेश्वर की कृपा’ [1 नफी 11:16]। पेड़ को मसीह का प्रतिरूप माना जा सकता है।

    “पेड़ पर फल के बारे में सोचने का एक तरीका उद्धारकर्ता के प्रायश्चित की आशीषों के प्रतीक के रूप में है। जिसके फल किसी को भी आनंदित करने के लिए आकर्षक थे [1 नफी 8:10] और महान खुशी और उस खुशी को दूसरों के साथ साझा करने की इच्छा पैदा करता है।

    गौरतलब है कि मॉरमन की पुस्तक का महत्वपूर्ण विषय, सभी को मसीह के पास आने (देखें मोरोनी 10:32] के लिए आमंत्रित करना लेही दिव्यदर्शन में सर्वोपरि है [देखें 1 नफी 8:19](उनके वचन की शक्ति जो हम में है [The Power of His Word Which Is in Us” [address given at seminar for new mission leaders, 27 जून, 2017], 4-5)।

  19. देखें 2 कुरिन्थियों 3:3

  20. 2 कुरिन्थियों 5:17

  21. अलमा की तुलना हमें सिखाती है कि हमारे दिलों में बीज बोने की इच्छा, विश्वास के बीज को पोषित करने से जीवन का पेड़ अंकुरित होता है, और पेड़ का पोषण करने से पेड़ का फल पैदा होता है, जो “मीठी वस्तुओं से अधिक मीठा है” (अलमा 32:42) और “परमेश्वर के सभी उपहारों में सबसे महान” है (1 नफी 15:36)।

  22. अलमा 5:14

  23. मूसा 6:34; महत्त्व दिया गया है।

  24. कुलुस्सियों 2:6

  25. 1 यूहन्ना 2:3, -6; महत्व जोड़ा गया।

  26. लूका 18:22

  27. मूसा 6:34

  28. देखें सिद्धांत और अनुबंध 19:23

  29. अलमा 5:33-34; महत्व जोड़ा गया है।

  30. देखें यूहन्ना 15:5