2010–2019
दूर, फिर भी एक
अक्टूबर 2017


दूर, फिर भी एक

गिरजे में, हमारी भिन्नता के होते हुए, प्रभु चाहता है हम एकजुट रहें !

जून 1994 में मैं तेजी से टीवी पर विश्व कप में हमारी राष्ट्रीय फूटबॉल टीवी के मैच को देखने के लिये घर जा रहा था । जैसे ही मैंने चलना आरंभ किया, मैंने कुछ दूर एक विकलांग को साइड में अपनी वील चेयर पर तेजी से जाते हुए देखा जिस पर ब्राजील झंडा लगा हुआ था । मैं जानता था वह भी मैच देखने घर जा रहा है ।

जब हमारे रास्ते टकराए और हमारी आंखें मिली, चंद सेकंड के लिये, मुझे उस व्यक्ति के साथ एकता महसूस हुई ! हम भिन्न दिशा में जा रहे थे, एक दूसरे को नहीं जानते थे, बिलकुल भिन्न समाजिक और भौतिक स्थितियां थी, लेकिन फूटबॉल के उसी जूनून और हमारे देश के प्रति प्रेम ने हमें उस क्षण के लिये एक महसूस कराया ! आज, दशकों बाद, मैं अभी भी उन आंखों को देख सकता हूं और उस व्यक्ति के साथ मजबूत संबंध को महसूस कर सकता हूं । आखिकार, हमने उस वर्ष मैच और विश्वकप जीता था ।

गिरजे में, हमारी भिन्नता के होते हुए, प्रभु चाहता है हम एकजुट रहें ! उसने सिद्धांत और अनुबंध में कहा: “एक रहो; और यदि तुम एक नहीं हो तो तुम मेरे नहीं हो ।” 1

जब हम आराधनालय या मंदिर में समुह के रूप में आराधना के लिये प्रवेश करते हैं, तो हमें अपनी भिन्नताएं, जैसे, जाति, समाजिक दर्जा, रानीतिक विचार, शैक्षिणक और व्यवसायिक उपलब्धियां को बाहर छोड़ देना चाहिए और इसके स्थान पर हमारे समान आत्मिक लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए । मिलकर हम स्तुति-गीत गाते, प्रभु-भोज के दौरान एकसमान अनुबंधों पर मनन करते, वार्ता, पाठ, और प्रार्थना के बाद एकसाथ मिलकर “आमीन” कहते हैं --- जिसका अर्थ है जो कहा गया था उससे हम मिलकर सहमत हैं ।

ये बातें जो हम मिलकर करते हैं कलिसिया के बीच में एकता के एहसास को मजबूत अनुभूति देने में मदद करती है ।

हालांकि, जब हम अपने साथी गिरजे के सदस्यों से दूर होते हैं उस समय हम कैसा आचरण करते हैं वास्तव में हमारी एकता को निर्धारित, दृढ़, या नष्ट करती है । जैसा हम सब जानते हैं, यह जरूरी और सामान्य है कि हम अंतत: एकदूसरे के बारे में बात करते हैं ।

इस पर निर्भर होते हुए कि हम एक दूसरे के बारे में क्या कहते हैं, हमारे शब्द या तो हमारे “हृदय एकता के बंधन में बंध जाएं,”2 जैसा अलमा मॉरमन के जल पर सीखाता है, या वे हमारे प्रेम, भरोसे, और मित्रता को नष्ट करेंगे ।

ये टिप्पणियां हैं जो हमारी एकता को धीरे-धीरे नष्ट करती है, जैसे “हां, वह अच्छा धर्माध्यक्ष है; ओह, लेकिन तुमने उसे समय नहीं देखा जब वह जवान था !”

इसका अधिक रचनात्मक तरीका यह हो सकता है “धर्माध्यक्ष बहुत अच्छा है, और समय के साथ-साथ उसने समझदारी और ज्ञान में बहुत तरक्की की है ।”

कई बार हम लोगों पर कुछ इस प्रकार कहकर हमेशा का ठप्पा लगा देते हैं “हमारी सहायता संस्था अध्यक्षा बिलकुल किसी काम की नहीं है; वह बहुत जिद्दी है !” इसके बदले, हम कह सकते हैं, “हमारी सहायता संस्था अध्यक्षा हाल ही में किसी की बात कम मानती है; शायद वह कुछ कठिन दौर से गुजर रही है । हमें उसकी सहायता और समर्थन करना चाहिए ।”

भाइयों और बहनों, हमारे पास किसी की छवि बिगाड़ने का कोई अधिकार नहीं है, विशेषकर हमारे गिरजे के समाज में, एक बुरी तरह से तैयार वस्तु के रूप में ! असल में, अपने साथी लोगों के बारे में हमारे शब्दों के द्वारा यीशु मसीह और उसके प्रायश्चित में हमारी आस्था दिखाई देनी चाहिए, और कि उसमें और उसके द्वारा, हम हमेशा अच्छे के लिये बदलाव कर सकते हैं !

कुछ लोग ऐसी बातों की आलोचना करना आरंभ करते हैं जो बहुत छोटी होती हैं और गिरजे के मार्गदर्शकों और सदस्यों के बीच में विभाजन होने लगते हैं ।

ऐसा ही एक सदस्य के साथ हुआ था जिसका नाम साइमंड्स राइडर था, जो 1831 में गिरजे का सदस्य बना था । उस प्रकटीकरण को पढ़ने के बाद जोकि उसके संबंध में था, वह यह देखकर हैरान हो गया कि उसका नाम राइडर लत लिखा हुआ था, अक्षर ‘वाई’ के स्थान अक्षर ‘आई’ लिखा हुआ था । इस घटना की प्रतिक्रिया में उसने भविष्यवक्ता पर सवाल उठाया और अतत: जोसफ केस कर दिया और गिरजे से अलग हो गया ।3

यह संभव है कि हम सभी गिरजे के अपने मार्गदर्शकों से कुछ गलती-सुधार का ऐसा अनुभव करें, जोकि हमारी परिक्षा लेगा कि हम उनके साथ कितने एकजुट हैं ।

मैं सिर्फ ११ साल का था, मुझे याद है 44 वर्ष पहले, वह सभा-घर जहां हमारा परिवार गिरजे जाता था उसे फिर से बनाने की जरूरत थी । ऐसा होने से पहले, एक सभा हुई जिसमें स्थानीय और क्षेत्र के मार्गदर्शकों ने चर्चा की कैसे सदस्य इसमें कार्य करेंगे । मेरे पिता, जो कई सालों से गिरजे के पूर्व अध्यक्ष रह चुके थे, ने अपनी बात बोली कि यह कार्य किसी ठेकदार से करवाया जाना चाहिए न कि अनाड़ी लोगों से ।

न केवल उनका विचार को अस्वीकार कर दिया गया, लेकिन हमें सुना कि उनकी बुरी तरह से और सार्वजनिक रूप से निंदा की गई । अब, यह व्यक्ति जोकि गिरजे के प्रति पूर्णरूप से समर्पित था और यूरोप में दूसरे विश्वयुद्ध का भूत-पूर्व सैनिक भी था, जो अपने विश्वास का बचाव करत और उस के लिये लड़ता था ! कुछ को चिंता थी कि इस घटना के बाद उसकी प्रतिक्रिया क्या होगी । क्या वह अपनी बात पर अड़ा रहेगा और जो निर्णय लिया गया था उसका विरोध करेगा ?

हमने अपने वार्ड में परिवारों को कमजोर होते और सभा में आना बंद करते देखा था क्योंकि वे मार्गदर्शकों के साथ एकजुट नहीं हो पाए थे । हमने यह भी देखा था कि प्राथमिक में हमारे मित्र युवा होने पर विश्वसनीय नहीं थे क्योंकि उनके माता-पिता गिरजे के भीतर लोगों में हमेशा गलतियां देखते थे ।

मेरे पिता ने, हालांकि, अपने साथी संतों के साथ एक रहने का निर्णय लिया । और कुछ दिनों बाद, जब वार्ड के सदस्य निर्माण कार्य करने के लिये एकत्रित हो रहे थे, उन्होंने हमारे परिवार को सभा-घर में उनके साथ आने के लिये कहा था, जहां हम अपने आप को किसी मदद के लिये उपलब्ध करा सकते थे ।

मैं बहुत गुस्से में था ।मुझे उनसे पूछने का मन हुआ, “पिता जी, आप क्यों निर्माण में मदद करने जा रहे हो जबकि आप इसके विरूद्ध हो कि सदस्य इसे करें?” लेकिन मैं पुन:समर्पण के लिय जिंदा और ठीक-ठाक रहना चाहता था, इसलिये, सौभाग्य से, मैंने चुप रहने और उनके साथ जाने और निर्माण में मदद करने का फैसला लिया ।

पिता जी आराधनालय को पूरा होते नहीं देख पाए, क्योंकि इस काम के समाप्त होने से पहले उनका निधन हो गया । लेकिन परिवार में हमने इसके पूरे होने तक इसमें अपने हिस्से कार्य किया, और इससे हम उनके साथ, हमारे साथी सदस्यों, मार्गदर्शकों, और अधिक महत्वपूर्ण प्रभु के साथ एकजुट रहे थे ।

गत्समनी में अपने कष्टकारी अनुभव से कुछ क्षण पूर्व, जब यीशु अपने प्रेरितों और सभी संतों के लिये पिता से प्रार्थना कर रहा था, उसने कहा, “जैसा तू हे पिता मुझ में हैं, और मैं तुझ में हूं, वैसे ही वे भी हम में हों ।”4

भाइयों और बहनों, मैं गवाही देता हूं कि जब हम गिरजे के सदस्यों और मार्गदर्शकों के साथ एकजुट होने का निर्णय लेते हैं -- जब हम मिलकर एकत्रित होते हैं लेकिन विशेषकर जब हम दूर होते हैं --- तो हम अधिक परिपूर्णता से अपने स्वर्गीय पिता और उद्धारकर्ता में एकजुट होंगे । यीशु मसीह के नाम में, आमीन ।