2010–2019
प्रतिदिन अनंत
अक्टूबर 2017


प्रतिदिन अनंत

हम कौन हैं और हमारे लिये परमेश्वर का उद्देश्य के प्रति विनम्रता आवश्यक है ।

ब्रिटिश मिशन में युवक के रूप में मेरी सेवा से, मैंने ब्रिटिश हास्य का आनंद लिया है । कभी-कभी स्वयं के व्यक्तित्व के विपरीत कथन, साधारण, विनम्र जीवन के दृष्टिकोण द्वारा इसका वर्णन किया जाता है । इसका उदाहरण है गरमियां कैसे बताई जाती है । ब्रिटिश गरमियां अपेक्षाकृत थोड़ी और अप्रत्याशित होती हैं । जैसा एक लेखक ने दबी जबान में कहा था, “मुझे ब्रिटिश गरमियों से प्रेम है । यह साल का मेरा प्रिय दिन होता है ।” 1 मेरा पंसदीदा ब्रिटिश कार्टून किरदार का चित्र उसके बिस्तर पर लगा था एक सुबह देर से उठने पर वह अपने कुत्ते से बोली, “हे भगवान ! हम देर तक सोते रह गए और लगता है गरमियां खतम हो गई ।” 2

इस सुंदर पृथ्वी पर हमारा जीवन के लिये इस हास्य में समानता है । धर्मशास्त्र स्पष्ट हैं कि हमारा बहुमूल्य नश्वर अस्तित्व बहुत कम समय का है । ऐसा कहा जा सकता है कि अनंत दृष्टिकोण से, पृथ्वी पर हमारा समय उतना ही कम है जितनी ब्रिटिश की गरमियां । 3

कभी-कभी मनुष्य का उद्देश्य और अस्तित्व भी बहुत विनम्र शब्दों में दर्शाया जाता है । भविष्यवक्ता मूसा ऐसे माहौल में बड़ा हुआ था जिसे आज के समय में सुख-सुविधा से संपन्न कहा जाता है । जैसा अनमोल मोती में लिखा है, प्रभु ने, मूसा को उसके भविष्यवक्ता संबंधी जिम्मेदारी के लिये तैयार करते समय, उसे संसार और मनुष्य की संतानों का संक्षप्ति इतिहास दिखाया था जिनकी सृष्टि की गई है और थी । 4 मूसा की प्रतिक्रिया कुछ-कुछ निराशाजनक थी: “अब ... मैं जानता हूं कि मनुष्य कुछ नहीं है, इस बात को मैंने कभी नहीं समझा था ।” 5

बाद में, कोई भी महत्त्वहीनता की अनुभूतियां जो मूसा ने महसूस की होंगी उनका खंडन करते हुए परमेश्वर ने, अपने सही उद्देश्य की घोषणा की: “क्योंकि देखो, यह मेरा कार्य और मेरी महिमा है--मनुष्य के अमरत्व और अनंत जीवन को कार्यान्वित करना ।” 6

परमेश्वर के सामने हम सब एकसमान हैं । उसका सिद्धांत स्पष्ट है । मॉरमन की पुस्तक में, हम पढ़ते हैं, “परमेश्वर के लिये सब समान हैं,” चाहे “काले और गोरे, गुलाम और स्वतंत्र, पुरुष और स्त्री, कोई भी हो ।”7इस तरह सब लोग प्रभु को आने के लिए निमंत्रित हैं। 8

कोई भी जो पिता की योजना में जाति, लिंग, राष्ट्रियता, भाषा, या आर्थिक परिस्थितियों के गुणों के कारण श्रेष्ठ होने का दावा करता है वह नैतिकरूप से गलत है और हमारे पिता के सब बच्चों के लिये प्रभु के वास्तविक उद्देश्य को नहीं समझता है । 9

दुर्भाग्य से, हमारे समय में समाज के लगभग प्रत्येक हिस्से में, हम अहंकार और घमंड के दिखावे को देखते हैं जबकि विनम्रता और परमेश्वर के प्रति जिम्मेदारी कम समझी जाती है । बहुत से समाज मूलभूत सच्चाइयों को नहीं समझते हैं और न ही जानते हैं कि हम इस पृथ्वी पर क्यों हैं । सच्ची विनम्रता, जोकि हमारे लिये प्रभु के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिये जरूरी है, बहुत कम दिखाई देती है । 10

मसीह की विनम्रता, धार्मिकता, चरित्र, और शिक्षा की अहमियत को समझना महत्वपूर्ण है जैसा कि धर्मशास्त्रों में समझाया गया है । इन मसीह समान खूबियों और गुणों, विशेषकर विनम्रता का दिन-प्रतिदिन के आधार पर निरंतर प्रयास करने जरूरत को कम आंकना मूर्खता है । 11

धर्मशास्त्र स्पष्ट हैं कि जबकि यह जीवन तुलनात्मक रूप से छोटा है, परंतु यह बहुत ही महत्वपूर्ण है । मॉरमन की पुस्तक में, अमूलेक, जोकि अलमा का प्रचारक साथी था, ने कहा था, “यह जीवन परमेश्वर से मिलने के प्रति लोगों की तैयारी का समय है; हां, देखो इस जीवन का समय लोगों के परिश्रम करने का समय है ।”12 हम नहीं चाहते, मेरे कार्टून किरदार के चित्र के समान, इस जीवन-भर सोते रहें ।

संपूर्ण मानव-जाति के लिये उद्धारकर्ता की विनम्रता और बलिदान का उदाहरण इतिहास में बहुत बड़ी घटना है । उद्धारकर्ता, परमेश्वरत्व का एक सदस्य होते हुए भी, दीन बालक के रूप में पृथ्वी पर आने और जिंदगी जीने को तैयार था जिसमें अपने भाइयों और बहनों को सीखाना और चंगा करना और अंतत: अपने प्रायश्चित को परिपूर्ण करने के लिये गत्समनी में और सलीब पर अथाह के कष्ट को सहना शामिल था । प्रेम और विनम्रता की मसीह की इस भूमिका को उसकी कृपा के तौर पर जाना जाता है । 13 उसने यह प्रत्येक पुरुष और स्त्री के लिये किया था जिसकी सृष्टि परमेश्वर ने की है या सृष्टि करेगा ।

हमारा स्वर्गीय पिता नहीं चाहता है कि उसकी संतान सिलेस्टियल महिमा की उनकी चाहत में निरुत्साहित या इसका त्याग कर दे । जब हम वास्तव में पिता परमेश्वर और पुत्र मसीह पर विचार करते हैं, कि वे कौन हैं, और उन्होंने हमारे लिये क्या किया है तो हम श्रद्धा, आश्चर्य, कृतज्ञता, और विनम्रता से भर जाते हैं ।

उसका गिरजा स्थापित करने में प्रभु की मदद के लिये विनम्रता आवश्यक है

अलमा ने अपने समय में एक प्रश्न पूछा था जो आज भी प्रासंगिक है: “यदि तुमने हृदय में परिवर्तन अनुभव किया है, मुक्तभरे प्रेमगीत गाने की इच्छा की है, मैं पूछता हूं, क्या अब भी तुम्हारी यही इच्छा है ?”14 अलमा आगे कहता है, “यदि तुम्हें मन ही मन मरने के लिये कहा जाए, ... ताकि तुम पर्याप्त मात्रा में विनम्र रहे हो ?” 15

प्रत्येक बार मैं छोटे अलमा को परमेश्वर के वचन का प्रचार करने के लिये राज्य के प्रमुख के रूप में अपनी भूमिका का त्याग करने के बारे में पढ़ता हूं, 16 तो मैं प्रभावित हो जाता हूं । अलमा के पास परमेश्वर पिता और यीशु समीह की प्रगाढ़ गवाही थी और उनके प्रति पूर्णरूप से और बिना शर्त जिम्मेदार महसूस किया था । उसके पास उचित प्राथमिकताएं और प्रतिष्ठा और पद का त्याग करने की विनम्रता थी क्योंकि उसने महसूस किया था कि प्रभु की सेवा करना अधिक महत्वपूर्ण था ।

हमारे जीवन में पर्याप्त विनम्रता होना गिरजे की स्थापना में मदद के लिये विशेषरूप से बहुमूल्य है । गिरजे के इतिहास का एक उदाहरण इसे समझने में बेहतर मदद कर सकता है । जून 1837 में, प्रेरित हिबर  सी. किंबल को यीशु मसीह के सुसमाचार को “इंगलैंड ले जाने और उस राष्ट्र के लिये उद्धार के द्वार खोलने” को भविष्यवक्ता जोसफ प्रेरित हुए थे जब वह कर्टलैंड मंदिर में थे । 17 प्रेरित ओर्सन हाइड और कुछ अन्य लोगों को उनके साथ जाने के लिये नियुक्त किया । एल्डर किंबल की प्रतिक्रिया उल्लेखनीय थी । “इस तरह के महत्वपूर्ण मिशन के लिये नियुक्त किए जाने के विचार मेरी सहने से अधिक था । ... मैं उस बोझ तले लगभग दबने ही वाला था जो मुझ पर रखा गया था ।” 18 फिर भी, उन्होंने पूर्ण विश्वास, प्रतिबद्धता, और विनम्रता के उस मिशन को लिया था ।

कई बार विनम्रता नियुक्तियां को स्वीकार करना होता है जब हम योग्य महसूस नहीं करते हैं । कई बार विनम्रता विश्वसनीयता से सेवा करनी होती है जब हम अधिक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी के लायक महसूस करते हैं । विनम्र मार्गदर्शक मौखिक रूप से और उदाहरण द्वारा स्थापित करते हैं कि हम कहां सेवा करते हैं महत्वपूर्ण नहीं, बल्कि कितने विश्वसनीयता से हम सेवा करते हैं । 19 कई बार विनम्रता भावना पर काबू पाना होता है जब हम महसूस करते हैं कि मार्गदर्शकों या अन्य लोगों ने हमारे साथ दुर्व्यवहार किया है ।

23 जुलाई  1837 को, भविष्यवक्ता एल्डर थॉमस  बी. मार्श, बारह प्रेरितों की परिषद के अध्यक्ष से मिले थे । एल्डर मार्श जाहिर तौर पर परेशान थे कि भविष्यवक्ता ने उनकी परिषद के दो सदस्यों को बिना उनसे सलाह किए इंगलैंड जाने के लिये नियुक्त किया था । जब जोसफ एल्डर मार्श से मिले, किसी भी ठेस पहुंचाने वाली भावनाओं को एक तरफ रखा गया, और भविष्यवक्ता ने उल्लेखनीय प्रकटीकरण प्राप्त किया । यह अब सिद्धांत और अनुबंध के खंड 112 में है । 20आयत 10 में लिखा है, “तुम विनम्र रहो; और प्रभु तुम्हारा परमेश्वर तुम्हारा हाथ थामे तुम्हारा नेतृत्व करेगा, और तुम्हारी प्रार्थनाओं का जवाब देगा ।” 21

यह प्रकटीकरण ठीक उसी दिन प्राप्त हुआ था जब एल्डर किंबल, हाइड, और जॉन गुडसन, पूर्ण विनम्रता से यीशु मसीह के पुनास्थापित सुसमाचार की इंगलैंड के प्रेस्टन वाक्सहॉल चैपल में घोषणा कर रहे थे । 22 यह इस प्रबंध में पहली बार था जब प्रचारकों ने पुनास्थापित सुसमाचार की घोषणा उत्तरी अमरीका के बाहर की थी । उनके प्रचारक प्रयास से लगभग तुरंत परिवर्तित बपतिस्मे हुए और अनेक विश्वसनीय सदस्यों को राह दिखाई थी ।23

इस प्रकटीकरण के बाद के हिस्से हमारे समय के प्रचारक प्रयास का मार्गदर्शन करते हैं । इनमें इस प्रकार लिखा है, “जिस किसी को तुम मेरे नाम में भेजोगे ... मेरे राज्य का द्वार खोलने की शक्ति होगी किसी भी राष्ट्र में ... जितना अधिक वे स्वयं को मेरे सम्मुख विनम्र करेंगे, और मेरे वचन का पालन करेंगे, और मेरी आत्मा की वाणी सुनेंगे ।”24

विनम्रता ने प्रभु को अपने गिरजे को उल्लेखनीय तरीके से स्थापित करने के लिये इस अविश्वसनीय प्रचारक प्रयास ने अनुमति थी ।

कृतज्ञतापूर्वक, इसे आज हम इस गिरजे में लगातार देखते हैं । सदस्य, उभरती पीढ़ी सहित, मिशन में सेवा करने के लिये अपने समय का त्याग करते हैं और शिक्षा और रोजगार में विलंब करते हैं । कई वरिष्ठ सदस्य परमेश्वर की सेवा करने के लिये किसी भी क्षमता में नियुक्त किए जाने पर रोजगार छोड़ते और अन्य बलिदान करते हैं । उसके उद्देश्यों को पूरा करने के लिये हम व्यक्तिगत बातों को हमारा ध्यान हटाने या भटकाने की अनुमति नहीं देते हैं ।25 गिरजे की सेवा में विनम्रता की जरूरत होती है । हम सार्मथ्य, मन, और शक्ति से विनम्रतापूर्वक सेवा करते हैं जब नियुक्त किए जाते हैं । गिरजे के प्रत्येक स्तर पर, विनम्रता के मसीह समान गुण को जानना महत्वपूर्ण है ।

व्यक्तियों को परमेश्वर से मिलने के लिये तैयार होने में मदद के लिये निरंतर विनम्रता आवश्यक है

प्रभु का सम्मान करने और स्वयं को उसकी इच्छा 26 के लिये समर्पित करने के लक्ष्य को आज समाज में उतना महत्व नहीं दिया जितना अतीत में दिया जाता था । अन्य धर्मों के कुछ ईसाई मार्गदर्शक विश्वास करते हैं कि हम उस संसार में रहते हैं जिसमें मसीयत उपयुक्त नहीं है । 27

पीढ़ियों से, धर्म-आधारित विनम्रता के गुण और नम्रता और खामोशी के समाजिक गुण मुख्य आदर्श रहे हैं ।

आज के संसार में, घमंड, दिखावा, और कथित “सत्यता” पर बहुत अधिक जोर दिया जाता है जिसके कारण कई बार सच्ची विनम्रता कम हो जाती है । खुशी के लिये कुछ लोग नैतिक मूल्यों का सुझाव देते हैं जिसमें शामिल हैं “वास्तविक बनें, मजबूत बनें, उत्पादक बनें --- और अति महत्वपूर्ण, अन्य लोगों पर भरोसा न रखें ... क्योंकि आपका भाग्य आपके ... स्वयं के हाथों में है ।” 28

धर्मशास्त्र भिन्न दृष्टिकोण को बताते हैं । वे सुझाव देते हैं कि हमें यीशु मसीह के सच्चे शिष्य बनना चाहिए । यह परमेश्वर के प्रति जिम्मेदारी की शक्तिशाली अनुभूति और जीवन के प्रति विनम्र दृष्टिकोण को स्थापित करने पर जोर डालता है । राजा बिन्यामीन ने सीखाया कि प्राकृतिक मनुष्य परमेश्वर का शत्रु है और बताता है कि हमें “पवित्र आत्मा के प्रलोभनों” के प्रति समर्पित होने की जरूरत है । अन्य बातों के साथ, उसने समझाया था, कि इसमें “विनम्र, नम्र, धैर्यवान, और प्रेम से परिपूर्ण” होने की आवश्यकता है ।29

कुछ प्राकृतिक मनुष्य और योग्यताओं के उत्सव के रूप में प्रमाणिकता का दुरूपयोग करते हैं जोकि विनम्रता, करूणा, दया, क्षमा, और शिष्टता के विपरीत हैं । परमेश्वर की संतान के रूप में हम अपनी व्यक्तिगत विशिष्टता का उत्सव मना सकते हैं गैर-मसीही व्यवहार के बहाना को प्रामाणिकता के रूप में उपयोग के किए बिना ।

विनम्रता की हमारी खोज में, आधुनिक इंटरनेट घमंड को दूर करने के लिये चुनौतियां पैदा करता है । दो उदाहरण हैं, “मुझे देखो” दृष्टिकोण स्वयं उसे प्राप्त करना या जो वे करना चाहते हैं उसे इस तरह करना जोकि जरूरत से अधिक या अनुपयोगी है या समाजिक माध्यम पर लंबी, क्रोध की बातें लिखना । एक दूसरा उदाहरण है “विनयपूर्ण शेखी मारना” । इसकी परिभाषा इस प्रकार है “साधारण दिखना या स्वयं के व्यक्तित्व के विपरीत कथन या चित्र जिसका मुख्य उद्देश्य किसी ऐसी बात के लिये ध्यान आकर्षण कराना जिस पर किसी को घमंड हो ।” 30 भविष्यवक्ताओं ने हमेशा घमंड और संसार की बेकार की वस्तुओं पर जोर डालने के विषय में चेतावनी दी है । 31

सम्मानजनक नागरिक बातचीत में व्यापक गिरावट होना भी एक चिंता है । स्वतंत्रता के अनंत नियम में जरूरत है कि हम बहुत से अन्य चुनावों का सम्मान करें जिससे हम सहमत नहीं हैं । टकराव और विवाद अब अक्सर “सामान्य शिष्टचार की सीमाओं का उल्लंघन करते हैं ।” 32 हमें अधिक शिष्टता और विनम्रता की आवश्यकता है ।

अलमा “अपने हृदय के अहंकार में फूलाने,” “यह मानते हुए एक दूसरे से बहेतर हो,” के विरूद्ध चेतावनी देता है, और विनम्र लोगों को सताते हुए जो “पवित्र रीति के अनुसार चलते हैं” । 33

मैंने उन लोगों के बीच सच्ची भलाई को पाया है जो विनम्र और परमेश्वर के प्रति उत्तरदायी हैं । उनमें से बहुत से पुराने नियम के भविष्यवक्ता मीका की शिक्षाओं का अनुसरण करते हैं, जिसने घोषणा की थी, “प्रभु तुम से क्या चाहता है, कि तू न्याय से काम करे, और कृपा से प्रीती रखे, और अपने परमेश्वर के साथ नम्रता से चले ?”34

जब हम वास्तव में विनम्र होते हैं, हम क्षमा के लिये प्रार्थना और दूसरों को क्षमा करते हैं । जैसा हम मुसायाह में पढ़ते हैं, अलमा ने सीखाया था जितनी बार हम पश्चाताप करते हैं प्रभु हमारे अपराधों को क्षमा करता है । 35 दूसरी ओर, जैसा कि प्रभु की प्रार्थना में बताया गया है, 36 जब हम दूसरों के अपराधों को क्षमा नहीं करते हैं, हम स्वयं के लिये दंड लाते हैं । 37 यीशु मसीह के प्रायश्चित के कारण, पश्चाताप के द्वारा हमारे पाप क्षमा होते हैं । जब उन्हें क्षमा नहीं करते हैं जिन्होंने हमारे विरूद्ध अपराध किया है, हम उद्धारकर्ता के प्रायश्चित के प्रभाव को अस्वीकार करने की दशा में होते हैं । प्रतिशोध रखने और क्षमा करने से मना करना और अपने संबंधों में मसीह समान तरीके से विनम्रता को नकारने से वास्तव में हम अपने लिये निंदा लाते हैं । प्रतिशोध रखना हमारी आत्माओं को कमजोर करता है । 38

मैं किसी भी प्रकार के अहंकार के प्रति चेतावनी भी दे दूं । प्रभु ने, भविष्यवक्ता मोरोनी के द्वारा, अहंकार और विनम्रता को एक दूसरे के एकदम विपरीत बताया है: “मूर्ख लोग हंसी उड़ाते हैं, परंतु वे विलाप करेंगे; और विनम्र लोगो के लिये मेरा अनुग्रह पर्याप्त है ।” प्रभु आगे घोषणा करते हैं, “मैं मनुष्य को दुर्बलता देता हूं ताकि वे विनम्र हो सकें; और उन सारे मनुष्यों के लिये मेरा अनुग्रह पर्याप्त है जो मेरे सामने स्वयं को विनम्र करते हैं; क्योंकि यदि वे स्वयं को मेरे सामने विनम्र करेंगे, और मुझ में विश्वास रखेंगे, तो मैं दुर्बलताओं को उनके लिये मजबूत कर दूंगा ।” 39

विनम्रता में हमारी अनेक आशीषों और दिव्य सहायता के लिये आभारी होना भी शामिल है । विनम्रता कुछ भव्य उपलब्धियां नहीं हैं और न ही महान चुनौतियों पर विजय प्राप्त करना है । यह आत्मिक सामर्थ का चिन्ह है । यह शांत विश्वास है कि दिन प्रतिदिन और घंटे प्रति-घंटे हम प्रभु पर भरोसा सकते हैं, उसकी सेवा कर सकते हैं, और उसके उद्देश्यों को प्राप्त कर सकते हैं । यह मेरी प्रार्थना है कि इस विवादास्पद संसार में हम प्रतिदिन सच्ची विनम्रता के लिये निरंतर प्रयास करेंगे । एक पसंदीदा कविता में इसे इस तरह लिखा है:

महानता की परिक्षा ही मार्ग है

व्यक्ति प्रतिदिन अनंतकाल से मिलता है । 40

मैं उद्धारकर्ता और उसके प्रायश्चित और प्रत्येक और हर दिन विनम्रता से उसकी सेवा करने के अत्याधिक महत्व की दृढ़ गवाही देता हूं । यीशु मसीह के नाम में, आमीन ।

विवरण

  1. Kathy Lette, in “Town and Country Notebook,” ed. Victoria Marston, Country Life, जून  7, 2017, 32 ।

  2. Annie Tempest, “Tottering-by-Gently,” Country Life, अक्टू.   3, 2012, 128 ।

  3. देखें  भजन संहिता 90:4 । बेशक छोटी हो या बड़ी पृथ्वी के वर्षों के अनुसार, हमार जीवन अनंतता के दृष्टिकोण से बहुत छोटा है । “सभी समय परमेश्वर के लिये एक समान है, और समय का नापतोल केवल मनुष्य के लिये ही है ।”(Alma 40:8). प्रेरित पौलुस ने घोषणा की थी, “हे प्रियों, यह एक बात तुम से छिपी न रहे, कि प्रभु के यहां एक दिन हजार वर्ष के बराबर है, और हजार वर्ष एक दिन के बराबर हैं” (2 पतरस 3:8) ।

  4. देखें Moses 1:6–9. This is Christ speaking with divine investiture of authority (देंखें  Teachings of Presidents of the Church: Joseph Fielding Smith [2013], 47, footnote 11) ।

  5. मूसा 1:10

  6. मूसा 1:39

  7. 2 Nephi 26:33; see also Doctrine and Covenants 1:34–35; 38:16; Official Declaration 2.

  8. देखें सिद्धांत और अनुबंध 20:37 begins, “All those who humble themselves before God.” । बपतिस्मे के लिये आवश्यकताएं निर्धारित करना । मैथ्यू 11:28 भी देखें

  9. देखें सिध्दांत और अनुबंद 20:37.

  10. हम जानते हैं यदि हम पश्चाताप नहीं करते, विधियां प्राप्त नहीं करते, और उन अनुबंधित मार्ग का अनुसरण नहीं करते जो हमें अनंतकाल के लिये तैयार करते हैं, “तो फिर काली रात आएगी जिसमें कोई भी परिश्रम नहीं किया जा सकता है” (अलमा 34:33) ।(Alma 34:33)

  11. देखें 3  नफी 27:27

  12. अलमा 34:32

  13. देखें 1  नफी 11:26–33; 2  नफी 9:53; याकूब 4:7; सिद्धांत और अनुबंध 122:8

  14. अलमा 5:26

  15. अलमा 5:27

  16. देखें See अलमा 4:19 ।.

  17. Joseph Smith, in Heber C. Kimball, “History of Heber Chase Kimball by His Own Dictation,” ca. 1842–1856, Heber C. Kimball Papers, 54, Church History Library; see also Orson F. Whitney, Life of Heber C. Kimball, an Apostle; the Father and Founder of the British Mission (1888), 116.

  18. Heber C. Kimball, “History of Heber Chase Kimball by His Own Dictation,” 54; see also Orson F. Whitney, Life of Heber C. Kimball, 116.

  19. अध्यक्ष जे.   रूबेन क्लार्क ने सीखाया था, “परमेश्वर की सेवा में, यह वह स्थान नहीं है जहां आप सेवा करते हैं लेकिन आप सेवा कैसे करते हैं । अंतिम-दिनों के संतों के यीशु मसीह के गिरजे में, व्यक्ति केवल उसी स्थान को लेता है जिसके लिये वह विधिवत नियुक्त किया जाता है, उस स्थान को न तो कोई लेता है न ही अस्वीकार करता है” (in Conference Report, अप्रै. 1951, 154) ।

  20. See The Joseph Smith Papers, Documents, Volume 5: October 1835–January 1838, ed. Brent M. Rogers and others (2017), 412–17. Vilate Kimball reported in a letter to her husband, Heber C. Kimball, that she had copied the revelation from “Elder Marshs book as he wrote it from Josephs mouth” (Vilate Murray Kimball to Heber C. Kimball, Sept. 6, 1837, in The Joseph Smith Papers, Documents, Volume 5: October 1835–January 1838, 412).

  21. सिद्धांत और अनुबंध 112:10; महत्व जोड़ा गया है ।

  22. देखें Orson F. Whitney, Life of Heber C. Kimball,, 136–37 ।

  23. देखें Orson F. Whitney, Life of Heber C. Kimball,, 149 ।

  24. सिद्धांत और अनुबंध 112:21–22; महत्व जोड़ा गया है ।

  25. “While we do not ask to be released from a calling, if our circumstances change it is quite in order for us to counsel with those who have issued the call and then let the decision rest with them” (Boyd K. Packer, “Called to Serve,” Ensign, Nov. 1997, 8).

  26. See “Humility,” in chapter 6 of Preach My Gospel: A Guide to Missionary Service (2004), 120.

  27. देखें Charles J. Chaput, Strangers in a Strange Land 14–15; Rod Dreher, The The Benedict Option (2017) भी पढ़ें ।

  28. Carl Cederstrom, “The Dangers of Happiness,” New York Times,, जुलाई  19, 2015, 8 ।

  29. मुसायाह 3:19. ।

  30. English Oxford Living Dictionaries, “humblebrag,” oxforddictionaries.com.

  31. कुछ तरीके में यह बताता है उनके लिये अलमा की व्याख्या जिन्होंने “हर प्रकार की मूल्यवान वस्तुएं ... जिसे उन्होंने अपने परिश्रम से प्राप्त किया था; ... लेकिन वे अहंकारी हो गए” (अलमा 4:6) । यह ध्यान दिया गया है कि “विनयपूर्ण शेखी मारना” तो भी घमंड करना है ।

  32. David Brooks, “Finding a Way to Roll Back Fanaticism,” New York Times, , अगस्त  15, 2017, A23 ।

  33. अलमा 5:53, 54

  34. मीका 6:8

  35. देखें मुसायाह 26:30

  36. देखें मत्ती 6:12, 15

  37. देखें मुसायाह 26:31

  38. As Nelson Mandela said, “Resentment is like drinking poison and then hoping it will kill your enemies” (in Jessica Durando, “15 of Nelson Mandela’s Best Quotes,” USA Today, Dec. 5, 2013, usatoday.com).

  39. ईथर 12:26, 27; महत्व जोड़ा गया है ।

  40. Edmund Vance Cooke, “The Eternal Everyday,” Impertinent Poems (1907), 21.