महा सम्मेलन
परमेश्वर की इच्छा के प्रति रूपांतरण
अप्रैल 2022 महा सम्मेलन


परमेश्वर की इच्छा के प्रति रूपांतरण

हमारे व्यक्तिगत रूपांतरण में संसार से यीशु मसीह के सुसमाचार को साझा करने की जिम्मेदारी शामिल है।

मैं आज सुबह अध्यक्ष रसल एम. नेलसन की प्रचारक सेवा के लिए प्रभावशाली निमंत्रण और अध्यक्ष एम. रसल बैलार्ड और एल्डर मार्कोस ए. एडूकैटिस के प्रेरणादायक प्रचारक संदेशों के लिए आभारी हूं।

पिछले साल के अंत में ग्रेट ब्रिटेन में एक प्रचारक कार्य के दौरान मुझे उन अनमोल आत्मिक घटनाओं पर विचार करने का अवसर मिला था जो एक प्रचारक के तौर पर सेवा करने के मेरे फैसले पर आधारित थीं।1 जब मैं 15 साल का था, तो 20 वर्ष का मेरा प्रिय बड़ा भाई, जोई, उस समय मिशन सेवा करने के लिए योग्यता की आयु का था। संयुक्त राज्य अमेरिका में, कोरियाई संघर्ष के कारण, बहुत कम लोगों को सेवा करने की अनुमति दी गई थी। प्रत्येक वार्ड से प्रति वर्ष केवल एक ही नियुक्त किया जा सकता था।2 यह आश्चर्य की बात थी कि जब हमारे धर्माध्यक्ष ने जोई को हमारे पिता से मिशन पर भेजने की सलाह दी थी। जोई मेडिकल स्कूल में आवेदन करने की तैयारी कर रहा था। हमारे पिता, जोकि गिरजे में सक्रिय नहीं थे, ने जोई की मदद करने के लिए खर्चे की तैयारी की और वह जोई को मिशन पर नहीं भेजना चाहते थे। पिताजी ने सुझाव दिया कि जोई के लिए मेडिकल स्कूल जाना बेहतर होगा। यह हमारे परिवार में एक बहुत बड़ा मुद्दा था।

मेरे समझदार और अच्छे बड़े भाई के साथ विशेष चर्चा में, हमने निष्कर्ष निकाला कि मिशन पर सेवा करने और उसकी शिक्षा में देरी करने के बारे में उसका निर्णय तीन प्रश्नों पर निर्भर करता है: (1) क्या यीशु मसीह दिव्य है? (2) क्या मॉरमन की पुस्तक परमेश्वर का वचन है? और (3) क्या जोसफ स्मिथ पुन:स्थापना के भविष्यवक्ता हैं? यदि इन प्रश्नों के उत्तर हां थे, तो यह स्पष्ट था कि जोई के लिए डॉक्टर बनने की तुलना में पहले यीशु मसीह के सुसमाचार का संसार में प्रचार करना अधिक अच्छा निर्णय था।3

उस रात मैंने जोश और सच्ची इस्छा से प्रार्थना की थी। आत्मा ने शक्तिशाली तरीके से, मुझे पुष्टि की थी कि इन तीनों प्रश्नों के उत्तर हां थे। यह मेरे लिए एक प्रभावशाली घटना थी। मुझे एहसास हुआ कि मैं अपने संपूर्ण जीवन में जो भी निर्णय लेता हूं वह इन सच्चाइयों द्वारा प्रभावित रहेगा। मैं यह भी जानता था कि यदि मुझे मौका दिया जाता है तो मैं मिशन पर सेवा करूंगा। सेवा और आत्मिक अनुभवों के जीवनकाल में, मुझे समझ में आया है कि सच्चा रूपांतरण परमेश्वर की इच्छा को स्वीकार करने से प्राप्त होता है, और कि पवित्र आत्मा द्वारा हमारे कार्यों में हमारा मार्गदर्शन हो सकता है।

मेरे पास पहले से ही संसार के उद्धारकर्ता के रूप में यीशु मसीह की दिव्यता की गवाही थी। उस रात मुझे मॉरमन की पुस्तक4 और भविष्यवक्ता जोसफ स्मिथ की आत्मिक गवाही मिली थी।

जोसफ स्मिथ प्रभु के हाथों में एक साधन थे।

आपकी गवाही को तब अधिक बल मिलेगा जब आप अपनी प्रार्थनाओं के द्वारा अपने हृदय में जानते हैं कि भविष्यवक्ता जोसफ स्मिथ प्रभु के हाथों में एक साधन थे। पिछले आठ वर्षों के दौरान, बारह प्रेरितों में मेरी जिम्मेदारियों के दौरान मुझे जोसफ स्मिथ के सभी उल्लेखनीय कागजात और दस्तावेजों की समीक्षा करना और पढ़ना और शोध करना था जिसके बाद Saints के संस्करणों का प्रकाशन हुआ था।5 भविष्यवक्ता जोसफ स्मिथ के जीवन और भविष्यसूचक सेवकाई की पूर्वनियुक्ति के प्रेरणादायक विवरण पढ़ने के बाद की उनके प्रति मेरी गवाही और प्रशंसा बहुत मजबूत हुई और बढ़ गई है।

परमेश्वर के उपहार और शक्ति से मॉरमन की पुस्तक का जोसफ द्वारा अनुवाद पुन:स्थापना के लिए महत्वपूर्ण था।6 मॉरमन की पुस्तक आंतरिक रूप से सुसंगत, खूबसूरती से लिखी गई है, और इसमें जीवन के महान प्रश्नों के उत्तर शामिल हैं। यह यीशु मसीह का अन्य नियम है । मैं गवाही देता हूं कि जोसफ स्मिथ धर्मी, विश्वास से भरे, और मॉरमन की पुस्तक लाने में प्रभु के हाथों में एक साधन थे।

सिद्धांत और अनुबंध में लिखे प्रकटीकरण और घटनाएं उद्धार और उत्कर्ष के लिए आवश्यक कुंजियां, विधियां और अनुबंध प्रदान करती हैं। वे गिरजे को पुन:स्थापित करने के लिए आवश्यक बातों को न केवल स्थापित करते हैं, बल्कि गहन सिद्धांत भी प्रदान करते हैं जो हमें जीवन के उद्देश्य को समझने की योग्यता और एक अनन्त दृष्टिकोण देता है।

जोसफ स्मिथ की भविष्यसूचक भूमिका के बहुत से उदाहरणों में से एक सिद्धांत और अनुबंध के 76 वें खंड में पाया जाता है। यह स्वर्ग के दिव्यदर्शन का एक स्पष्ट अभिलेख है, जिसमें महिमा के राज्य शामिल हैं, जिसे प्राप्त करने की आशीष भविष्यवक्ता जोसफ और सिडनी रिगडन को 16 फरवरी 1832 में दी गई थी। उस समय, बहुत से गिरजा सिखा रहे थे कि उद्धारकर्ता का प्रायश्चित अधिकांश लोगों को उद्धार प्रदान नहीं करेगा। यह माना जाता था कि कुछ ही लोग बचाए जाएंगे, और अधिकतर लोग नरक जाएंगे और दंडित किए जाएंगे, जिसमें भयानक और अकथनीय पीड़ा की अंतहीन यातनाएं भी शामिल हैं।7

76 वें खंड में लिखा प्रकटीकरण महिमा की श्रेणियों का एक महिमापूर्ण दिव्यदर्शन प्रदान करता है जहां स्वर्गीय पिता के बहुत से बच्चे जो अपने नश्वर-पूर्व जीवन में साहसी थे, अंतिम निर्णय के बाद अत्याधिकरूप से आशीषित होंगे।8 महिमा की श्रेणियों का दिव्यदर्शन, जिनमें से सबसे कम जोकि “समझ से परे है,”9 उस समय के महत्वपूर्ण लेकिन गलत सिद्धांत का सीधा खंडन करता है कि अधिकतर लोग नरक जाएंगे और दंडित किए जाएंगे।

जब आप महसूस करते हैं कि जोसफ स्मिथ केवल 26 वर्ष के थे, उनकी शिक्षा सीमित थी, और उन्हें उस उत्तम भाषा का बहुत कम या बिलकुल ज्ञान नहीं था, जिससे बाइबल का अनुवाद किया गया था, वह वास्तव में प्रभु के हाथों में एक साधन थे। खंड 76 के 17 वें पद में, उन्हें अधर्मी शब्द का उपयोग करने के लिए प्रेरित किया गया था बजाय दंड के, जिसका उपयोग यूहन्ना के सुसमाचार में किया गया था।10

यह दिलचस्प है कि 45 साल बाद एक एंग्लिकन गिरजे के मार्गदर्शक और शैक्षणिक दृष्टि से प्रमाणित विद्वान,11 फ्रेडरिक डब्ल्यू फर्रार, जिन्होंने The Life of Christ को लिखने में वर्षों बिताए थे,12 ने जोर देकर कहा था कि बाइबल के किंग जेम्स संस्करण में दंड की परिभाषा इब्रानी और यूनानी से अंग्रेजी में अनुवाद की त्रुटियों के कारण थी।13

हमारे समय में, बहुत से लोगों ने इस अवधारणा को अपनाया है कि पाप के लिए कोई प्रतिफल नहीं होना चाहिए। वे पाप को पश्चाताप की शर्त के बिना क्षमा किए जाने का समर्थन करते हैं। हमारा प्रकट सिद्धांत न केवल इस विचार का खंडन करता है कि अधिकतर लोग नरक जाएंगे और दंडित किए जाएंगे बल्कि यह भी स्थापित करता है कि व्यक्तिगत पश्चाताप उद्धारकर्ता के प्रायश्चित्त में भाग लेने और सिलेस्टियल राज्य की विरासत प्राप्त करने के लिए आवश्यक है।14 मैं गवाही देता हूं कि जोसफ स्मिथ वास्तव में प्रभु के सुसमाचार की पुन:स्थापना में उसके हाथों में एक साधन थे!

यीशु मसीह के सुसमाचार की पुन:स्थापना के कारण, हम पश्चाताप और “धार्मिकता के कामों” दोनों के महत्व को समझते हैं।15 हम उद्धारकर्ता के प्रायश्चित और उसके उद्धार की विधियों और अनुबंधों के महत्व को समझते हैं, जिसमें मंदिर में की जाने वाली विधियां भी शामिल हैं।

“धार्मिकता के काम” रूपांतरण से उत्पन्न होते हैं और उसके प्रतिफल हैं। सच्चा रूपांतरण परमेश्वर की इच्छा का पालन करने की स्वैच्छिक स्वीकृति और प्रतिबद्धता से प्राप्त किया जाता है।16 बहुत से प्रतिफलों और आशीषों से जो रूपांतरण से प्राप्त किया जाता है, वह सच्ची और स्थायी शांति और चरम सुख का व्यक्तिगत आश्वासन है17—इस जीवन की कठिन चुनौतियों के बावजूद।

उद्धारकर्ता में रूपांतरण किसी भी प्राकृतिक व्यक्ति को पवित्र, फिर से पैदा हुआ, शुद्ध व्यक्ति में बदल देता है—वह मसीह यीशु में एक नया प्राणी बन जाता है।18

कई लोगों को सच्चाई से दूर रखा जाता है क्योंकि वे नहीं जानते कि इसे कहां खोजना है

रूपांतरण से प्राप्त होने वाली जिम्मेदारियां क्या हैं? लिब्रटी जेल में, भविष्यवक्ता जोसफ ने सीखा था कि “बहुत से लोग हैं … जिन्हें केवल इसलिए सच्चाई से दूर से रखा गया है क्योंकि वे जानते नहीं हैं कि इसे कहां खोजना है।”19

सिद्धांत और अनुबंध में प्रभु की प्रस्तावना में, हमारे लिए प्रभु के उद्देश्य की समग्र दृष्टिकोण की घोषणा प्रदान की गई थी। उसने कहा था, “इसलिये, मैं प्रभु ने, उस विपत्ति को जानते हुए जोकि पृथ्वी के निवासियों पर आएंगी, अपने सेवक जोसफ स्मिथ,जु., नियुक्त किया था, और स्वर्ग से उससे कहा, और उसे आज्ञाएं दी थीं।” उसने आगे बताया था, ”ताकि मेरे सुसमाचार की संपूर्णता की घोषणा निर्बल और सरल के द्वारा संसार के कोने-कोने में की जा सके।”20 इसमें पूरे-समय के प्रचारक भी शामिल हैं। इसमें हम में से प्रत्येक शामिल है। यह उन सभी के लिए लेजर-समान एकाग्रता चाहिए, जिन्हें परमेश्वर की इच्छा के रूपांतरण से आशीषित किया गया है। उद्धारकर्ता अनुग्रहपूर्वक हमें उसकी वाणी और उसके हाथ बनने का निमंत्रण देता है।21 उद्धारकर्ता का प्रेम हमारा मार्गदर्शन करने वाली ज्योति होगा। उद्धारकर्ता ने अपने शिष्यों को सीखाया था, “इसलिए, तुम जाकर सब जातियों के लोगों को चेला बनाओ।”22 और जोसफ स्मिथ से, उसने बोला था, “प्रत्येक प्राणी को मेरे सुसमाचार का प्रचार करना जिसने इसे प्राप्त नहीं किया है।”23

3 अप्रैल 1836 को किर्टलैंड मंदिर के समर्पण के एक सप्ताह बाद, जोकि ईस्टर रविवार था और फसह का पर्व भी था, प्रभु जोसफ और ओलिवर काउडरी को भव्य दिव्यदर्शन में दिखाई दिया था। प्रभु ने मंदिर को स्वीकार किया और घोषणा की, “यह उस आशीष की शुरूआत है जो मेरे लोगों के सिरों पर उंडेली जाएंगी।”24

इस दिव्यदर्शन के बंद हो जाने के बाद, मूसा प्रकट हुआ, “और पृथ्वी के चारों छोर से इस्राएल को एकत्रित करने, और उत्तर के प्रदेश से दस जातियों का मार्गदर्शन करने की कुंजियां हमें सौंपी थी।”25

अध्यक्ष रसल एम. नेलसन, वर्तमान में हमारे प्यारे भविष्यवक्ता, जिनके पास वही कुंजियां हैं, ने आज सुबह इसके बारे में सिखाया है: “आप युवकों को इस समय के लिए आरक्षित रखा गया है जब इस्राएल को एकत्रित करने की प्रतिज्ञा पूरी हो रही है। जब आप मिशन पर सेवा करते हैं, तो आप इस अभूतपूर्व घटना में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं!”26

क्योंकि सुसमाचार को साझा करने के उद्धारकर्ता के आदेश के लिए हम जो हैं उसका हिस्सा बनने के लिए, हमें परमेश्वर की इच्छा के प्रति परिवर्तित होने की आवश्यकता है; हमें अपने पड़ोसियों से प्यार करने, यीशु मसीह के पुन:स्थापित सुसमाचार को साझा करने और सभी को आने और देखने के लिए आमंत्रित करने की आवश्यकता है। गिरजे के सदस्यों के रूप में, हम 1842 में Chicago Democrat के संपादक जॉन वेंटवर्थ को दिए भविष्यवक्ता जोसफ के जवाब की सराहना करते हैं। वह गिरजे के बारे में जानना चाहता था। जोसफ ने विश्वास के तेरह अनुच्छेद की प्रस्तावना के रूप में “सच्चाई का आदर्श” का उपयोग करके अपने उत्तर को समाप्त किया था। यह आदर्श बताता है, संक्षिप्त तरीके से, कि क्या पूरा किया जाना चाहिए:

“कोई भी अपवित्र हाथ इस कार्य को आगे बढ़ने से नहीं रोक सकता; उत्पीड़न तीव्रता से फैल सकते हैं, गिरोह गठबंधन कर सकते हैं, सेनाएं एकत्र हो सकती हैं, मिथ्या आरोप कलंक लगा सकते हैं, लेकिन परमेश्वर की सच्चाई साहसपूर्वक, उदारता के साथ, और स्वतंत्र रूप से आगे बढ़ेगी, जब तक कि यह हर महाद्वीप में प्रवेश न कर जाए, हर देश में न पहुंच जाए, और प्रत्येक कान में न सुनाई जाए, जब तक परमेश्वर के उद्देश्यों पूरे नहीं किए जाएंगे, और महान यहोवा जब तक यह न कहेगा कि कार्य सम्पन्न हो गया है।”27

यह अंतिम-दिनों के संतों की पीढ़ियों के लिए के लिए, विशेष रूप से प्रचारकों के लिए, नरसिंगे की ध्वनि रही है। “सच्चाई के आदर्श,” की भावना में, हम आभारी हैं कि संसार भर में महामारी के बीच में, विश्वसनीय प्रचारकों ने सुसमाचार साझा किया है। प्रचारकों, हम आपसे प्यार करते हैं! प्रभु हम में से प्रत्येक को वचन और कार्य में उसके सुसमाचार को साझा करने के लिए कहता है। हमारे व्यक्तिगत रूपांतरण में संसार से यीशु मसीह के सुसमाचार को साझा करने की जिम्मेदारी शामिल है।

सुसमाचार को साझा करने की आशीषों में परमेश्वर की इच्छा के प्रति हमारे रूपांतरण का विकास और हमारे जीवन में परमेश्वर को प्रबल करना शामिल होता है।28 हम दूसरे लोगों को हृदय के “महान परिवर्तन” का अनुभव करने की आशीष देते हैं।29 लोगों को मसीह तक लाने में मदद करने में ही वास्तव में अनंत आनंद है।30 स्वयं और दूसरों के रूपांतरण के लिए परिश्रम करना अति नेक कार्य है।31 मैं यह गवाही यीशु मसीह के नाम में देता हूं, आमीन ।

विवरण

  1. मैंने 1 सितंबर 1960 से 1 सितंबर 1962 तक ब्रिटिश मिशन में सेवा की थी।

  2. अन्य युवाओं को सेना में भर्ती होने के लिए उपलब्ध होना था।

  3. अपने मिशन से जोई की वापसी के बाद, उसने मेडिकल स्कूल से स्नातक किया और सफल डॉक्टर के रूप में सेवा की थी। उसके मिशन ने उसे धर्माध्यक्ष, स्टेक अध्यक्ष, क्षेत्रीय प्रतिनिधि और मिशन अध्यक्ष बनने के लिए भी तैयार किया था।

  4. देखें मोरोनी 10:4। मैं पहले ही मॉरमन की पुस्तक पढ़ चुका था। हमारे परिवार में इस मुद्दे की गंभीरता के लिए, मैं वास्तविक इरादे के साथ प्रार्थना कर रहा था।

  5. देखें Saints: The Story of the Church of Jesus Christ in the Latter Days, vol. 1, The Standard of Truth, 1815–1846 (2018), और सं. 2, No Unhallowed Hand, 1846–1893 (2020)।

  6. अनुवाद 7 अप्रैल 1829 को शुरू हुआ, और जुलाई 1829 की पहली तारीख के आसपास संपन्न हुआ था। अनुवाद के आसपास के तथ्यों का अध्ययन करना उल्लेखनीय रहा है। मैंने विशेष रूप से छपाई की पांडुलिपि और मॉरमन की पुस्तक की मूल पांडुलिपि को पढ़ने की प्रशंसा की थी, जो The Joseph Smith Papers के प्रकटीकरण और अनुवाद श्रृंखला में संस्करण 3 और 5 के रूप में प्रकाशित हुई थी। ये दोनों महत्वपूर्ण संस्करण हैं।

  7. देखें Frederic W. Farrar, Eternal Hope: Five Sermons Preached in Westminster Abbey, November, and December 1877 (1892), xxii।

  8. इस दिव्यदर्शन में वे लोग शामिल हैं जो इस जीवन में मसीह के बारे में नहीं सीखते हैं, ऐसे बच्चे जो जिम्मेदारी की आयु से पहले मर जाते हैं, और जिनके पास कोई समझ नहीं है।

  9. सिद्धांत और अनुबंध 76:89

  10. देखें यूहन्ना 5:29

  11. फर्रार की शिक्षा किंग्स कॉलेज, लंदन और ट्रिनिटी कॉलेज, कैम्ब्रिज में हुई थी। वह इंग्लैंड के एक गिरजे (एंग्लिकन), वेस्टमिंस्टर एब्बे के आर्कडेकन, कैंटरबरी कैथेड्रल के डीन और रॉयल हाउसहोल्ड के पादरी थे।

  12. देखें Frederic W. Farrar, The Life of Christ (1874)।

  13. देखें Farrar, Eternal Hope, xxxvi–xxxvii। फ्रेडरिक फर्रार ने दंड और नरक के बारे में शिक्षाओं को सही करना महसूस किया था। उसने दृढ़ता से घोषणा की जिसे उसने “सरल, अखण्डनीय और निर्विवाद तथ्य कहा था। … क्रिया ‘दंड देना’ और इसके मिलते-जुलते शब्द पुराने नियम में एक बार नहीं मिलते हैं। नए नियम के यूनानी संस्करण में इस तरह के किसी भी अर्थ को व्यक्त करने वाला कोई शब्द नहीं है। वह यह समझाने के लिए आगे कहता है कि शब्द दंड एक “गंभीर गलत अनुवाद है … [और] हमारे प्रभु के कथनों के वास्तविक अर्थ को विकृत और अस्पष्ट करता है (Eternal Hope, xxxvii)। फर्रार ने यह भी बताया कि पूरी बाइबल में स्वर्ग में एक प्रेमी पिता का अत्यधिक प्रदर्शन इस बात का सबूत है कि अंग्रेजी अनुवाद में इस्तेमाल की गई नरक और दंड की परिभाषाएं गलत थीं। (देखें Eternal Hope, xiv–xv, xxxiv, 93; Quentin L. Cook, “Our Father’s Plan—Big Enough for All His Children,” Liahona, मई 2009, 36 भी देखें)।

  14. पश्चाताप और प्रायश्चित के बीच का संबंध सिद्धांत और अनुबंध 19:15-18, 20 में बताया गया है। इसके अलावा, सिद्धांत और अनुबंध 19:10-12 में अंतहीन दंड को स्पष्ट किया गया है।

  15. सिद्धांत और अनुबंध 59:23

  16. देखें मुसायाह 27:25; सिद्धांत और अनुबंध 112:13; Dale E. Miller, “Bringing Peace and Healing to Your Soul,” Liahona, नवं. 2004,12–14, भी देखें।

  17. देखें मुसायाह 2:41

  18. देखें Dallin H. Oaks, “The Challenge to Become,” Ensign, Nov. 2000, 33; Liahona, Jan. 2001, 41; 2 कुरिंथियों 5:17; Bible Dictionary, “Conversion” भी देखें।

  19. सिद्धांत और अनुबंध 123:12

  20. सिद्धांत और अनुबंध 1:17, 23

  21. यदि यह हमारी इच्छा है, तो हमें “कार्य करने के लिए नियुक्त किया जाता है” (सिद्धांत और अनुबंध 4:3; Thomas S. Monson, “Called to the Work,” Liahona, जून 2017, 4–5, भी देखें)।

  22. मत्ती 28:19

  23. सिद्धांत और अनुबंध 112:28

  24. सिद्धांत और अनुबंध 110:10

  25. सिद्धांत और अनुबंध 110:11

  26. देखें Russell M. Nelson, “Preaching the Gospel of Peace,” Liahona, May 2022, 6–7; Russell M. Nelson, “Hope of Israel” (worldwide youth devotional, 3 जून 2018), HopeofIsrael.ChurchofJesusChrist.org भी देखें।

  27. Teachings of Presidents of the Church: Joseph Smith (2007), 444।

  28. देखें Russell M. Nelson, “Let God Prevail,” Liahona, नवं. 2020, 92–95।

  29. अलमा 5:14

  30. देखें सिद्धांत और अनुबंध 86:10; याकूब 5:19-20, भी देखें।

  31. देखें अलमा 26:22; सिद्धांत और अनुबंध 18:13–16; Bible Dictionary, “Conversion” भी देखें।