2010–2019
विश्वास करो, प्रेम करो, कार्य करो
अक्टूबर 2018


विश्वास करो, प्रेम करो, कार्य करो

यीशु मसीह के सच्चे शिष्य बनने—उसके तरीकों का अनुसरण करने और उसके कार्य में व्यस्त रहने के द्वारा बहुतायत का जीवन प्राप्त करते हैं ।

मेरे प्रिय भाइयों और बहनों, आज इस अनोखे महा सम्मलेन सत्र में आपके साथ होना एक अद्भुत अवसर है : प्रेरित संदेशों को सुन्ना; प्रचारकों की इस अनोखी, अद्भुत गायक मंडली को सुन्ना जो विश्वभर में हज़ारों प्रचारकों का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं—हमारी बेटियाँ, हमारे बेटे—और ख़ास तौर पर हमारे विश्वास में आज संयुक्त होना, फिर से हमारे प्रिय अध्यक्ष और भविष्यवक्ता, अध्यक्ष रस्सल एम्. नेल्सन, प्रथम अध्यक्षता, और गिरजा के जनरल पदाधिकारिओं का समर्थन करना | आपके साथ होने के लिए कितनी प्रसन्नता का दिन है |

प्रचानी राजा सुलेमान दिखने में इतिहास के अत्याधिक सफल व्यक्तियों में से एक था ।1 लगता था उसके पास सबकुछ था—धन, ताकत, प्रशंसा, सम्मान । लेकिन दशकों तक अपनी निजी लालसाओं की संतुष्टि, और शान शौकत के बाद, राजा सुलेमान अपने जीवन की व्याख्या कैसे करता है ?

वह कहता है, “सब बेकार है ।”2

यह व्यक्ति जिसके पास सबकुछ था, इतनी शान शौकत के होते हुए अंत में अपने जीवन से निराश, दुखी, और अप्रसन्न था ।3

एक जर्मन शब्द है, वेल्च्मेर्ट्स । सरल भाषा में, इसका अर्थ है कि एक ऐसी निराशा जो यह सोचने से आती है कि, यह संसार जैसा हम सोचते हैं इसे होना चाहिए, वैसा नहीं है ।

शायद हम सबों में थोड़ा बहुत वेल्च्मेर्ट्स है ।

जब बिना इसे महसूस किए हम दुखी होना आरंभ कर देते हैं । दिन और रात हम अत्याधिक दुखी रहने लगते हैं । जब हमारे साथ या जिनसे हम प्रेम करते हैं उनके साथ कुछ गलत या अन्याय होता है । हम सोचते हैं हमारे जीवन में बहुत विपतियां हैं और दूसरों की तुलना में हमारे जीवन में अधिक चुनौतियां हैं, और यह दुख हमारी शांति छीन लेता है और हम दुखी रहने लगते हैं—हम सुलेमान के समान मानने लगते हैं कि जीवन व्यर्थ है और इसका को मतलब नहीं है ।

महान आशा

खुशखबरी है, कि आशा है । इस जीवन का खालीपन, व्यर्थता, और वेल्च्मेर्ट्स का समाधान है । यहां तक कि गहन निराशा, और उदासी जिसे आप महसूस कर सकते हैं उसका भी समाधान है ।

यह आशा यीशु मसीह के सुसमाचार की बदलने वाली शक्ति और हमारी आत्मिक परिक्षाओं से उद्धारकर्ता की मुक्त करने वाली शक्ति में पाई जाती है ।

“मैं इसलिये आया हूं,” यीशु ने कहा था, “कि वे जीवन पाएं और बहुतायत से पाएं ।”4

हम उस बहुतायत के जीवन को तब पाते हैं जब हम अपनी स्वयं की जरूरतों या अपनी स्वयं की उपलब्धियों पर केंद्रित होने के स्थान पर यीशु मसीह का सच्चा शिष्य बनने का प्रयास करते हैं; उसके मार्गों का अनुसरण और उसके कार्यों को करते हुए । हम बहुतायत का जीवन पाते हैं जब हम स्वयं को भूल जाते और मसीह के महान कार्य में जुट जाते हैं ।

और मसीह का कार्य क्या है ? यह उसमें विश्वास करना, उसके समान प्रेम करना, और उसके समान कार्य करना है ।

यीशु “अच्छा करता रहा ।”5 वह गरीबों, जाति से बाहर किए हुओं, रोगियों, और अपमानित लोगों के बीच गया । उसने शक्तिहीन, कमजोर, मित्रहीन की सेवा की । उसने उनके साथ समय बिताया; उनके साथ बात की । “और उसने सबको चंगाई दी ।”6

जहां कहीं वह गया, उद्धारकर्ता ने सुसमाचार की “खुशखबरी”7 सीखाई । उसने अनंत सच्चाइयों को साझा किया जिसने लोगों को आत्मिकरूप के साथ-साथ संसारिकरूप से भी स्वतंत्र किया ।

जिन्होंने स्वयं को मसीह कार्य के लिये समर्पित किया, उद्धारकर्ता की प्रतिज्ञा की इस सच्चाई को पाया: “जो कोई मेरे लिये अपने प्राण खोएगा, वह उसे पाएगा ।” उन्होंने खोजा कि सुलेमान गलत था—जीवन “व्यर्थ नहीं है ।” यह अनंत उद्देश्य और अर्थ से परिपूर्ण है ।8

सुलेमान गलत था, मेरे प्रिय भाइयों और बहनों—जीवन “व्यर्थ” नहीं है । इसके विपरित, यह उद्देश्यपूर्ण, अर्थपूर्ण, और शांतिपूर्ण हो सकता है ।

यीशु मसीह की चंगाई देने वाले हाथ उन सबों को उपलब्ध है जो इसे पाने का प्रयास करते हैं । बिना संदेह मैं जानता हूं कि परमेश्वर में विश्वास और उससे प्रेम करने और मसीह का अनुसरण करने से हमारे हृदय परिवर्तन हो सकते हैं,9 हमारी पीड़ा को कम हो सकती है, और हमारी आत्माओं को “अत्याधिक आनंद” से भर सकता है ।10

विश्वास करो, प्रेम करो, कार्य करो

अवश्य ही, इसकी चंगाई देने वाले प्रभाव को हमारे जीवन में लाने के लिये हमें मात्र सुसमाचार के नियमों की बौद्धिक समझ रखने से अधिक करना चाहिए । हमें इसे अपने जीवनों में उतारना चाहिए—हम कौन हैं और हम क्या कर सकते हैं, को जीवन का हिस्सा बनाएं ।

मैं सुझाव देता हूं कि शिष्यता तीन सरल शब्दों से आरंभ होती है:

विश्वास करो, प्रेम करो, और कार्य करो |

परमेश्वर पर विश्वास करने से हमें उस में विश्वास और उसके वचन में भरोसा होता है । विश्वास हमारे हृदयों में परमेश्वर और दूसरों के प्रति प्रेम पैदा करता है । जब यह प्रेम बढ़ता है, तो हम शिष्यता के मार्ग में हमारी स्वयं के महान यात्रा करते हुए उद्धारकर्ता का अनुसरण करने की प्रेरणा पाते हैं

“लेकिन,” आप कहोगे, “स्थिति इतनी सरल नहीं । जीवन की समस्याएं—मेरी समस्याएं, निश्चितरूप से अति जटिल हैं जिनके समाधान इतने सरल नहीं हैं । आप तीन सरल शब्दों: विश्वास करो, प्रेम करो, कार्य करो, से वेल्च्मेर्ट्स का उपचार नहीं कर सकते है ।”

यह वाक्यांश नहीं है जो उपचार करता है । यह परमेश्वर का प्रेम है जो बचाता, पुनास्थापित, और पुनाजीवित करता है ।

परमेश्वर जानता है । आप उसके बच्चे हैं । वह आपसे प्रेम करता है ।

बेशक जब सोचते हैं कि आप प्रेम करने लायक नहीं हैं, वह आप तक पहुंचता है ।

आज—प्रतिदिन—वह आप तक पहुंचता है, आपको चंगाई देने की चाहत रखते हुए, आपको ऊपर उठाने के लिये और आपके हृदय के खालीपन को अनंत आनंद से भरने के लिये । वह आपके जीवन से किसी भी अंधकार को दूर करना चाहता है जो आपके जीवन को धुंधला करता है और इसे अपनी अनंत महिमा की पवित्र और चमकदार ज्योति से भरना चाहता है ।

मैंने स्वयं इसे अनुभव किया है ।

और प्रभु यीशु मसीह के प्रेरित के रूप में मेरी यह गवाही है कि वे सब जो परमेश्वर के निकट आते हैं—वे सब जो वास्तव में विश्वास करते, प्रेम करते, और कार्य करते हैं—इसका अनुभव कर सकते हैं ।

हम विश्वास करें

धर्मशास्त्र हमें सीखाते हैं कि, “बिना विश्वास के [परमेश्वर को] खुश करना असंभव है: क्योंकि वह जो परमेश्वर के निकट आता है उसे अवश्य विश्वास करना चाहिए कि वह है ।”11

कुछ के लिये, विश्वास करने का कार्य कठिन है । हमारा घमंड आड़े आता है । शायद हम सोचते हैं कि क्योंकि हम समझदार, पढ़-लिखे, या अनुभवी हैं, हम बस परमेश्वर में विश्वास नहीं कर सकते । और हम धर्म को एक बेवकूफी-भरी परंपरा की नजर से देखने लगते हैं ।12

मेरे अनुभव में, विश्वास एक चित्रकला नहीं है जिसे हम देखते और प्रशंसा करते हैं, और जिसके बारे में हम चर्चा करते और सिद्धांत बनाते हैं । यह एक हल के समान है जिसे हम खेत में ले जाते है और, अपने माथे के पसीने के द्वारा, धरती जोतते हैं जो बीज लेती और फसल उगाती है जो कायम रहेंगे ।13

परमेश्वर के निकट आओ, और वह आपके निकट आएगा ।14 यह प्रतिज्ञा उन सबों के लिये है जो विश्वास करने का प्रयास करते हैं ।

हम प्रेम करें

धर्मशास्त्र बताते हैं कि जितना अधिक हम परमेश्वर और उसके बच्चों से प्रेम करते हैं, उतने अधिक हम सुखी होते हैं ।15 जिस प्रेम के बारे में यीशु ने बोला है, वह कोई उपहार-कार्ड जैसा प्रेम नहीं है, कि एक बार उपयोग करो और फैंक दो, कि स्वीकार करो और भूल जाओ । यह वैसा प्रेम नहीं है जिसके बारे में बात होती है और फिर भुला दिया जाता है । यह इस तरह का प्रेम नहीं है, “कोई मदद चाहिए हो तो मुझे बताना” ।

प्रेम जिसके विषय में परमेश्वर बोलता है वैसा प्रेम है जो सवेरे जब हम उठते हैं तो हमारे हृदय में प्रवेश करता है, दिन-भर हमारे साथ रहता है, और हमारे हृदयों में कायम रहता है जब हम रात को अपनी प्रार्थना बोलते हैं ।

हमारे प्रति स्वर्गीय पिता का प्रेम वर्णन से परे है ।

यह असीम दया है जो हमें दूसरों को अधिक स्पष्टरूप से देखने के लायक बनाती है कि वे कौन हैं । शुद्ध प्रेम के द्वारा, हम दूसरों की असीमित क्षमता और योग्यता लिये सर्वशक्तिमान परमेश्वर के बेटे और बेटियां देखते हैं ।

एक बार जब हम उनके बारे ऐसे विचार रखते हैं, तो हम उनके बारे में गलत नहीं सोचते, उपेक्षा नहीं करते, या किसी से भेद-भाव नहीं करते ।

हम कार्य करें

उद्धारकर्ता के कार्य में, अक्सर “छोटी और साधारण बातों से ही बड़ी बातें होती हैं ।”16

हम जानते हैं कि किसी काम में अच्छा होने के लिये निरंतर अभ्यास की जरूरत होती है । चाहे क्लैरिनेट बजाना हो, बॉल को गोल में डालना हो, कार की मरम्मत करनी हो, या हवाई जहाज उड़ाना हो, अभ्यास के द्वारा ही हम बेहतर से बेहतर हो सकते हैं ।17

अंतिम-दिनों के संतों का यीशु मसीह का गिरजा—वह संगठन जिसे हमारे उद्धारकर्ता ने पृथ्वी पर बनाया था—ऐसा करने में हमारी मदद करता है । यह हमें उस तरह से जीवन जीने, जैसा उसने सीखाया और दूसरों को आशीष देने, जैसे उसने दी का अभ्यास करने का स्थान प्रदान करता है ।

गिरजे के सदस्यों के रूप में, हमें नियुक्तियां या जिम्मेदारियां, और मौके दी जाती है जिसमें हमें दूसरों तक दया में पहुंचने और उनकी सेवा करने के योग्य हो जाते हैं ।

हाल ही में, गिरजे ने दूसरों की सेवकाई या सेवा या प्रेम करने पर अधिक जोर दिया है । यह निर्धारित करने के लिये कि इस विशेष जोर को क्या नाम दिया जाए, बहुत विचार किया गया ।

एक नाम जिस पर विचार किया गया, वह शेपर्ड था, मसीह के निमंत्रण “मेरी भेड़ चराओ”18 के बिलकुल उपयुक्त । हालांकि, इससे कम से कम एक परेशानी थी: इस शब्द के उपयोग से मैं जर्मन-शेपर्ड बन जाता । इसलिये, मैं सेवकाई शब्द से बिलकुल संतुष्ट हूं ।

यह कार्य सबके लिये है

अवश्य ही, यह जोर नया नहीं है । यह हमें उद्धारकर्ता की आज्ञा “एक दूसरे से प्रेम रखो ।”19

जरा प्रचाकरक कार्य के बारे में विचार करें; सुसमाचार को साहस, नम्रता, और आत्माविश्वास के साथ बांटना दूसरों की आत्मिक जरूरतों की सेवकाई करने का शानदार उदाहरण है ।

या मंदिर कार्य करने के बारे में—हमारे पूर्वजों के नामों को खोजना और उन्हें अनंतता की आशीषों के लिये देना । यह बहुत ही दिव्य प्रकार की सेवकाई है ।

गरीब और जरूरतमंद को खोजने, निर्बल हाथों को उठाने, या जो बीमार और कष्ट में है उनको आशीष देने के कार्य पर विचार करें । क्या ये कार्य प्रभु की विशुद्ध सेवकाई के कार्य नहीं हैं जो उसने पृथ्वी पर अपने जीवन में किये थे ?

यदि आप गिरजे के सदस्य नहीं है, तो मैं आपको आने और देखने का निमंत्रण देता हूं, 20 हमारे साथ जुड़ें । यदि आप गिरजे के सदस्य हैं लेकिन वर्तमान में सक्रियता से भाग नहीं ले रहे हैं, तो कृपया लौट आएं । हमें आपकी जरूरत है !

आओ, अपनी ताकत हमारे साथ जोड़ो ।

आपकी अद्वितीय क्षमताएं, योग्यताएं, और व्यक्तिव्तव के कारण, आप हमें बेहतर और सुखी होने में मदद करोगे । बदले में, हम भी आपकी बेहतर और सुखी होने में मदद करेंगे ।

आओ, परमेश्वर के सभी बच्चों के प्रति चंगाई, करूणा, और दया की संस्कृति का निर्माण करने और मजबूती देने में हमारी मदद करो । क्योंकि हम नये प्राणी बनने का प्रयास कर रहे हैं जहां “पुरानी बातें बीत गई हैं” और “वे सब नई हो गई ।”21 परमेश्वर हमें आगे बढ़ने और उसके समान बनने का निरंतर निर्देशन देता है । वह कहता है, “यदि तुम मुझ से प्रेम करते हो, तो मेरी आज्ञाओं को मानो ।”22 आओ हम सब मिलकर वैसे लोग बनें जैसा वह हमें बनाना चाहता है ।

इस प्रकार की सुसमाचार सभ्यता, हम विश्वभर में यीशु मसीह के गिरजे में बनाना चाहते हैं । हम गिरजे को ऐसा स्थान बनने के लिये मजबूत करते हैं जहां हम एक दूसरे को क्षमा करते हैं । जहां अलोचना करने, बुराई करने, और दूसरों को नीचा दिखाने के प्रलोभन का हम विरोध करते हैं । जहां, गलतियों पर उंगली उठाने के स्थान पर, हम एक दूसरे को ऊपर उठाते और मदद करते हैं ताकि हम अपना सर्वोत्तम बन सकें ।

मैं आपको फिर से निमंत्रण देता हूं । हमारे साथ शामिल हों । हमें आपकी जरूरत है ।

दूसरों की सेवकाई

आप पाएंगे कि यह गिरजा दुनिया के कुछ बेहतरीन लोगों से भरा है । वे स्वागत करने वाले, प्रेमी, दयालु, और ईमानदार हैं । वे बलिदान करने वाले, मेहनती, और कभी कभी वीर भी हैं ।

और वे अपूर्ण भी हैं ।

वे गलतियां करते हैं ।

समय समय पर वे ऐसी बातें कहते हैं जो उन्हें नहीं कहनी चाहिए । वे ऐसा कार्य करते हैं जिनका उन्हें दुख होता है । उन में से सौ प्रतिशत लोग किसी न किसी रूप में दोषपूर्ण और अपर्याप्त हैं ।

लेकिन उनमें एक बात सामान्य है—वे सुधरना और प्रभु, हमारे उद्धारकर्ता के निकट आना चाहते हैं ।

वे सही रूप से कार्य करने की कोशिश कर रहे हैं ।

वे विश्वास करते हैं । वे प्रेम करते हैं । वे कार्य करते हैं ।

वे कम स्वार्थी, अधिक करूणामय, अधिक परिष्कृत, यीशु के समान बनना चाहते हैं ।

सुख पाने का मार्ग

हां, जीवन कई बार कठिन हो सकता है । निश्चितरूप से, हम सबों के पास निराशा और उदासी का समय आता है । कभी-कभी जीवन निरर्थक और व्यर्थ लग सकता है ।

लेकिन यीशु मसीह का सुसमाचार आशा प्रदान करता है । और यीशु मसीह के गिरजे में, हम दूसरों के साथ मिलते हैं जो एक ऐसा स्थान चाहते हैं जहां सुरक्षित महसूस करें, हम मिलकर, विश्वास, प्रेम, और कार्य कर सकें ।

हमारे मतभेदों के होते हुए, हम एक दूसरे को हमारे प्रिय परमेश्वर के बेटे और बेटियों के रूप में गले लगाते हैं । हम एक दूसरे की मदद करते हैं जब हम अपने स्वर्गीय पिता के पास और उसकी महिमापूर्ण राज्य में वापस लौटने की यात्रा करते हैं ।

मैं यीशु मसीह के गिरजे का सदस्य होने और जानने का बहुत ही आभारी हूं कि परमेश्वर अपने बच्चों से इतना अधिक प्रेम करता है कि उनके लिये इस जीवन में सुख और उद्देश्य और आने वाले जीवन में महिमा के भवनों में अनंत आनंद को अनुभव का करने का तरीका दिया है ।

मैं आभारी हूं कि परमेश्वर ने पीड़ित-आत्मा और जीवन के वेल्च्मेर्ट्स की चंगाई का तरीका दिया है ।

मैं प्रमाणित करता और आपको अशीष देता हूं कि जब हम परमेश्वर में विश्वास करते हैं, जब हम उनसे प्रेम करते हैं और उसके बच्चों से अपने संपूर्ण हृदयों से प्रेम करते हैं, और हम उसे करने का प्रयास करते हैं जैसा परमेश्वर हमें करने का निर्देश देता है, तो हम चंगाई और शांति, खुशी और उद्देश्य प्राप्त करेंगे । यीशु मसीह के नाम में, आमीन ।