2010–2019
पिता
अक्टूबर 2018


पिता

हम में से प्रत्येक को पिता की तरह बनने की क्षमता है। ऐसा करने के लिए, हमें पुत्र के नाम पर पिता की आराधना करनी चाहिए।

अपने पुरे जीवन, में मेरी पत्नी, मेलिंडा, ने अपने पूरे दिल से कोशिश की वह येशु मसीह की शिषय बने, लेकिन अपनी युवा अवस्था में भी, वह खुद को इस लायक नहीं समझ पाई की वह स्वर्गगिये पिता से आशीष और प्रेम प्राप्त कर सकती है, दरअसल में वो उनको समझ ही नहीं पाई, इसके बावजूद मेलिंडा लगातार अज्ञयाओ का पालन कर रही थी, कुछ वर्षो बाद, उसको लगातार अनुभव हुए जिसकी वजह से वह परमेश्वर को जान पाई, उसका प्रेम उसके बच्चो के लिए, और उसका आभार हमारे प्रति, जबकि हम उसका कार्य करने योग्य नहीं है |

उसने विस्तार से बताया; की वह केसे इससे प्रभावित हुई, “अब मुझे पता लग चूका था की पिता की योजना काम करती है, की उसने निजी तोर से हमें हमारी कामयाबी के लिए चुना है, और उसने हमारे लिए कई प्रकार के सबक और उदाहरण दिए है, जिसको करके हम उसके पास जा सकते है, अब में खुद को और दूसरो को ऐसे देखती हूँ , जेसे परमेश्वर देखता है, अब में और अच्छे से, प्रेम से पालन पोसन कर सकती हूँ , और पड़ा सकती हु, बिना किसी डर के, अब में खुद में ज्यादा विश्वास और शांति महसूस करती हु, बजाय डर और उत्तेजना के, खुद में न्याय करने की वजह अब में सहारा महसूस करती हु, मेरा विश्वाश ज्यादा मजबूत हुआ है, अब में अपने पिता के प्रेम को बहुत ज्यादा और गहराई से समझ सकती हूँ |”1

[स्वर्गीय पिता]की उत्तमताको और उसकी दया को “ठीक से जानने के लिए, जरुरी है की हम पर्याप्त विश्वास करे, उधार्ता पाने के लिए, 2 स्वर्गीय पिता को समझने से हमे मदद मिलती है और हमारा नजरिया अपने प्रति और दूसरो के प्रति केसा है यह बदल भी जाता है, और परमेश्वर का भरपूर प्यार, उसके बच्चो के लिए, और उसकी महान इच्छा, की हम उसके जेसे बने, और उसको ठीक से न जानने से हम खुद को अयोग्य समझने लगते है, की हम वापस उसके पास नहीं जा सकते,

मेरा उद्देश्य आज यह है ,की में आपको चुने हुए पिता के सिधांतो के बारे में बताऊ, खासकर के उन लोगो के लिए, जो ये जानते है, की परमेश्वर उनसे प्यार करता है, उसके चरित्र को और अच्छे से समझने के लिए, और उस पर पूरी तरह से विश्वाश करना, उसके बेटे और उसकी योजना पर जो हमारे लिए है|

पृथ्वी पूर्व जीवन

पृथ्वी पूर्व जीवन ,हम अपने सव्र्गिये मातापिता से, आत्मिक रूप से पैदा हुए थे, और उनके साथ एक परिवार3की तरह रहे थे, वह हमे जानते है , हमे सिखाया है और प्यार किया है4, हम चाहते थे की हम स्वर्गिये पिता की तरह बने , हालांकि हम जान चुके थे की किसी भी हाल में हम ऐसा करेगे।

  1. महिमा युक्त, अमर शरीर पाना;5|

  2. विवाह करना परिवार बनाना और पुहोतिया;6शक्ति के दुआर मोहर बंद होना और

  3. सारी बुद्दि से ज्ञान, शक्ति , और ईश्वरीय दीनता को बटोरना7

परिणामस्वरूप, पिता ने एक योजना बनाई, जिसके दुआर कुछ शर्तो,8पर शरीर दिया, जो के बाद में अमर और महिमा में पुनरुत्थान हो सके, नश्वरता9में विवाह करना और परिवार बनाना और विशवाशियो के लिए, जिनको यह मोका नहीं मिला, नश्वरता के बाद उनात्ति प्राप्त करेगे ,और आखिरकार अपने स्वर्गिये माता पिता के पास आकर रहेगे, और हम हमारे परिवार में, हमेशा के लिए अनंत खुशिया पायेगे10

वचन में इसकों उद्धार11की योजना कहता है,जब ये योजना हमे दी गई थी, हम सब काफी खुश12थे , यहाँ तक के नाश्वर जीवन में आने वाले अनुभव , चुनोतिया जिनके दुआर हमे ईश्वरीय दीनता में बङाना है|13

नाश्वर जीवन

इस जीवन में स्वर्गिये पिता ने कुछ शर्ते रखी, जो के हमारे उद्धार के लिए उसकी योजना में जरुरी थी , पिता ने हमे, येशु मसीह को हमारे14लिए दे दिया, और इश्वर्य मदद दी, ताकि उसके दुआर उसकी योजना पूरी हो , स्वर्गिये पिता हमारी मदद करेगा, यदि हम उसकी आग्ग्याओ..15को मानेगे ,पिता ने हमे कार्य करने की छूट16दी है , हमारा जीवन उसके हाथो में है, “और हमारे दिन उसकी जानकारी में है”, और “कभी भी कम नहीं होगे”17और आखिरकार उसने सुनिचित कर लिया है, की जो भी उससे प्यार करता है, उसका सब सही होगा,18

यह हमारा स्वर्गिये पिता है, जो हमे रोज की रोटी,19देता है,जो हमे दोनों प्रकार से ताकत देता है ताकि हम उसकी अज्ञाओ,20का पालन कर सके, पिता अच्छे उपहार,21देते है, वह हमारी प्राथनाएं22सुनते है, और उनका जबाब देते है, स्वर्गिये पिता हर शेतानी ताकत से हमे बचाते है ,यदि हम उसे करने दे , 23 ,वह हमारे लिए रोते है, जब हम परेशानियो में होते है,24आखिरकार सारी आशीष पिता से ही आती है|25

हमारी ताकत, कमजोरी और चुनावो के लिए स्वर्गिये पिता, हमारा मार्गदर्शन करते है, हमे अनुभव प्रदान कराते है, ताकि हम अच्छे फल लाये,26जब जरूरी होता है पिता हम पर सख्ती भी करता है, क्युकी वह हमे प्यार करता है|27वह “सलहाकार का पुरुष है”28जो हमे सलाह देता है, जब भी हम उसको पूछते है|29

यह हमारा स्वर्गिये पिता है, जो दोनों, अपना असर, और पवित्र आत्मा का उपहार हमारे जीवन मे देता है,30पिता की पवित्र आत्मा के दुहारा , महिमा या समझ , रोशनी और ताकत --- हमारे अंदर रह सकते है,31यदि हम रोशनी और सच्चाई में लगातार तरक्की करते है, जब तक की परमेश्वर की महिमा को ना हासिल करले ,स्वर्गिये पिता वचन की पवित्र आत्मा भेजेगे , हमे अपने राज्य मे मोहरबंद करेगे और अपना चेहरा हमको दिखायेगे , या तो इस जीवन में यह आने वाले जीवन में,32

जीवन उपरान्त

जीवन उपरान्त आत्मिक दुनिया, स्वर्गिये पिता लगातार पवित्र अतमा को और मिशनरीओ को उनके पास भेजते है जिनकी उनको जरुरत है, वह प्राथनाओ का जबाब देते है, और उनकी मदद करते है, जिनको धर्म विधि की जरुरत है33

पिता ने येशु मसीह को जिलाया, और उसको ताकत दी, की वो पुरुथान लाये,34जिस कारण हमे अमर शरीर हासिल होगा, उधारकर्ता की मुक्ति और पुरुथान के दुआर, हम पिता के पास आयेगे , जहा हमारा न्याय येशु मसीह के दुआर होगा35|

जो पवित्र मसीह के “काम और दया , और महिमा पर उम्मीद रखते है”36वह महिमायुक्त शारीर पायेगे जेसा पिता37के पास है, और उसके साथ रहेगे, “हमेशा की अनंत खुशियों के साथ”38और वहा पिता हमारे सारे आसू39पोछ डालेगे, और हमारी यात्रा में हमारी मदद करेगे, उनके जेसा बनने में|

जेसा की आप देखते है, स्वर्गिये पिता हमेशा हमारे लिए मोजूद है |40

पिता का चरित्र

पिता के जेसा बनना, हमको उनके जेसा चरित्र बनना होगा, स्वर्गिये पिता की उतमता और योगिता उनमे शामिल है:

  • पिता “अंतहीन और सर्वसादा है”41

  • वह उत्तम है, दयालु , दीन , धेर्यवान, और वही चाहते है जो हमारे लिए उत्तम है|42

  • स्वर्गिये पिता प्रेम हैस्वर्गिये पिता प्रेम है|43

  • वह अपने आनुबंधो को रखता है |44

  • वह बदलता नहीं है |45

  • वह झूठ नहीं बोलता |46

  • पिता किसी की विशेषता को दर्जा नहीं देता |47

  • वह शुरू से ही सब जानने वाला है – पिछला, आज का और भविष्य का|48

  • स्वर्गिये पिता हम सब50से,अधिक बुद्दिमान49है|

  • पिता के पास सारी शक्तिया है,51वह सब करता है, और सबको अपने दिलो के भीतर रखता है,52|

भाईयो और बहनों , हम लोग पिता पर पुरे तरह से विश्वास कर सकते है, क्युकी वह उसके पास अनंत विकल्प है ,स्वर्गिये पिता सब देख सकता है, जो हम नहीं देख सकते , उसका उत्साह , काम और महिमा के दुआर अनंत जीवन53आएगा, वह जो भी करता है, हमारे अच्छे के लिए करता है , वह हम से जयादा.”54हमारी अन्नत खुशिया चाहता है.”55और वह नहीं चाहता की हम और मुश्किल अनुभवो को देखे,56

अपने पिता की तरह बनना

परमेश्वर के आत्मिक बेटे और बेटीया , हम सब के पास पिता के जेसा बनने का मोका है , ऐसा करने के लिए , हम पिता की आराधना, बेटे57के नाम से करनी चाहिए , ऐसा हम उसकी अग्ज्ञाओ को मान कर कर सकते है, जेसा की उधारकर्ता,58ने किया था , और लगातार पश्ताप.59से , हम ऐसा करते है “हम महिमा पर महिमा हासिल करते है” जब तक की हम पिता को पुरे तरह60प्राप्त नहीं कर लेते , और उसके चरीत्र, उतमता में शामिल नहीं हो जाते |61

यदि हम दुरी देखे, की हम ऐसे नश्वर शारीर में, और स्वर्गिये पिता केसे बन गए है , अब आशचर्य नहीं है, जेसा की कुछ मह्सूस करते है, की पिता की तरह होना मुमकिन नहीं , फिर भी वचन में सब साफ़ है, यदि हम मसीह के साथ विश्वास से जुड़े रहते है , पश्ताप , और अगयाओ के दुआर उसको खोजते है तो, हम भी पिता की तरह बन सकते है, में धेर्य से कह सकता हु की जो आज्ञा करीबने रहेगेवह, “महिमा पर महिमा पायेगे” और यक़ीननउसको पूरीतरह से पा लेगे | दुसरे शब्दों में हम खुद से पिता जेसे62नहीं बन सकते| जबकि यह महिमा.63के उपहार के साथ मिलेगा, कुछ बड़े, पर जयादा तर छोटे ,पर बनाते रहो एक के उपर एक जब तक पूरा ना हो|

में आपको निमंत्रण देता हु, की स्वर्गिये पिता जनता है, की केसे आपको बचाना है ; उसे रोज खोजो , सहारा बनो ; और लगातार मसीह में विश्वास के साथ बड़ते चलो , यहाँ तक की यदि आप परमेश्वर के प्रेम को नहीं मह्सूस कर रहे|

यहाँ काफी कुछ है, और हम समझ नहीं पाते, की केसे हम पिता64जेसे बन सकते है | पर में गवाही देता हु, की पिता के जेसा बनना किसी भी बलिदान से कम नहीं है | इस जीवन में हम जो भी बलिदान65करते है , चाहे कितना बड़ा हो , लेकिन तुलनात्मक और नापने योग्य नहीं है , खुशिया , और प्रेम, हम परमेश्वर के समीप66ही महसूस कर सकते है |यदि आप विश्वास में संघर्ष कर रहे है , आपके दुआरा बलिदान मांगना ठीक है ,उधारकर्ता बुलाता है कहता है “आप अभी भी समझ नहीं पाए है की कितनी महान आशीष पिता के पास हमारे लिए है आप सब बाते एक बार में नहीं जान सकते फिर भी हस्ते रहो , क्युकी में तुम्हे मार्ग दर्शन दूंगा”67

में गवाही देता हु, की आप का स्वर्गिये पिता, आप से प्रेमकरताहै, और चाहता है, की आपफिर से उसके साथ रहे , येशु मसीह के नाम से अमिन |