2010–2019
लोगों की देख-भाल
अक्टूबर 2018


लोगों की देख-भाल

हम दूसरों तक प्रेम में पहुंचते हैं क्योंकि यही कार्य हमारे उद्धारकर्ता ने हमें करने की आज्ञा दी है ।

अपने मित्र के साथ हाल की बातचीत में, उसने मुझे बताया कि जब वह युवा था, गिरजे का नया बपतिस्मा प्राप्त सदस्य, तो अचानक उसे लगने लगा कि अपने वार्ड में उसकी जरूरत नहीं है । जिन प्रचारकों ने उसे सीखाया था उनका दूर तबादला हो गया, और उसे लगा कि वह अकेला रह गया है । वार्ड में बिना मित्र के, उसे उसके पुराने मित्र मिले और वह उनके साथ व्यस्त रहने लगा जिसके कारण वह गिरजे की भागदारी से दूर होता गया—इतनी दूर हो गया कि वह झुंड से भटक गया । अपनी आंखों में आंसू के साथ, उसने बताया कि वह बहुत ही आभारी था जब वार्ड के एक साथी सदस्य ने अपनी सेवकाई का हाथ उसकी ओर बढ़ाया और उसे गर्मजोशी और विशेष तरह से वापस लौटने का निमंत्रण दिया । कुछ ही महिनों में, वह गिरजे की गतिविधियों में भाग लेने लगा, अपने साथ-साथ दूसरों को मजबूत करने लगा । हम ब्राजील में उसे चरवाहे के बहुत ही आभारी हैं जिसने इस युवक, एल्डर कॉरलोस ए. गोडी की तलाश की, जो अब सत्तर की सदस्य के रूप में मेरे पीछे बैठा है ।

यह अद्वितीय है कि कैसे इतने छोटे से प्रयासों के अनंत परिणाम हो सकते हैं । यह सच्चाई गिरजे की सेवकाई प्रयासों के हृदयों में होती है । स्वर्गीय पिता हमारे साधारण, प्रतिदिन के प्रयासों को स्वीकार करता और उन्हें चमत्कार में बदल देता है । केवल छह महिने हुए हैं जब अध्यक्ष रसल एम. नेलसन ने घोषणा की थी कि “प्रभु ने उसके तरीके में महत्वपूर्ण सुधार किये हैं जिन से हम एक दूसरे की देख-भाल करते हैं,”1 समझाते हुए, “हम एक नया, अधिक पवित्र दृष्टिकोण लागू करेंगे दूसरों की सेवकाई करने के लिये । हम इन प्रयासों को महज “सेवकाई” कहेंगे ।2

अध्यक्ष नेलसन ने यह भी समझाया: प्रभु के सच्चे और जीवित गिरजे की पहचान हमेशा परमेश्वर और उसके प्रत्येक बच्चों की सेवा के लिये संगठित, निर्देशित प्रयास करना रहेगा । क्योंकि यह उसका गिरजा है, हम उसके सेवक के रूप में दूसरों की सेवा करेंगे, ठीक जैसे उसने स्वयं की थी । हम उसके नाम में सेवा करेंगे, उसकी शक्ति और अधिकार के साथ, और उसकी प्यार भरी दया के साथ ।”3

घोषणा के बाद, आपकी प्रतिक्रिया बहुत अच्छी रही है ! हमें संसार के लगभग प्रत्येक स्टेक में इन बदलावों को लागू करने की महान सफलता की सूचानाएं मिली हैं जैसा हमारे जीवित भविष्यवक्ता ने निर्देश दिया था । उदाहरण के लिये, सेवा करने वाले भाइयों और बहनों को परिवार सौंपे गये हैं—जोड़ियां बनाई गई हैं—युवकों और युवतियों सहित, और सेवकाई साक्षात्कार हो रहे हैं । हालांकि, कल और आज घोषित किए गए बदलावों से, हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि इससे हमारे सेवाकाई के प्रयासों और दृष्टि में तेजी आएगी ।

मैं नहीं सोचता कि यह एक संयोग है कि कल की गई “घर और गिरजे में सुसमाचार निर्देशन के बीच नया संतुलन और संबंध”4 की भविष्यसूचक प्रकटीकरण की घोषणा से छह महिने पहले—सेवकाई पर भविष्यसूचक घोषणा की गई थी । जनवरी के आरंभ से, हम गिरजे की आराधना में एक घंटा कम व्यतीत करेंगे, वह सब जो हमने सेवकाई में सीखा है यह समय खाली समय हमें उच्च और पवित्र तरह से संतुलित करने में मदद करेगा, घर-केंद्रित सब्त दिन के अनुभव को परिवार और प्रिय जनों के साथ ।

इन संगठनों के बनने से, हम पूछ सकते हैं, हमें कैसे पता चलेगा कि हम प्रभु के तरीके में सेवा कर रहे हैं ? क्या हम अच्छे चरवाह की उस तरह मदद कर रहे हैं जैसा वह चाहता है ?

हाल में हुई अध्यक्ष हेनरी बी. आएरिंग के साथ चर्चा में, उन्होंने इन महत्वपूर्ण बदलावों में संतों के ढलने की प्रसंशा की थी लेकिन यह आशा भी जाताई कि सदस्य समझेंगे कि सेवकाई मात्र अच्छा होने से अधिक है । इसका अर्थ यह नहीं है कि अच्छा होना महत्वपूर्ण नहीं है, लेकिन वे जो सेवकाई का वास्तविक अर्थ समझते हैं महसूस करते हैं कि यह मात्र अच्छा होने से बहुत अधिक है । प्रभु के तरीके से किए जाने पर, सेवकाई से अच्छे स्थाई प्रभाव होते हैं जो संपूर्ण अनंतता को प्रभावित करते हैं, जैसा एल्डर गोडी के लिये हुआ था ।

“उद्धारकर्ता ने उदाहरण द्वारा दिखाया था कि सेवा करने का अर्थ क्या होता जब उसने प्रेम प्रभावित होकर सेवा की थी । ... उसने अपने आस-पास के लोगों को शिक्षा दी, प्रार्थना की, दिलासा दी, और आशीष दी, सबों को अपने पीछे चलने का निमंत्रण दिया । जब गिरजे के सदस्य सेवा करते हैं उच्च और पवित्र तरीके से, तो वे प्रार्थनापूर्वक उसके समान सेवा करने—गिरज की देख-भाल करने, और उनके साथ होने और उन्हें मजबूती देने, प्रत्येक सदस्य के घर जाने, और प्रत्येक को यीशु मसीह का सच्चा शिष्य बनने में मदद का प्रयास करते हैं ।”5

हम समझते हैं कि सच्चा चरवाहा अपनी भेंड़ों से प्रेम करता है, वह प्रत्येक को नाम से जानता और उन में निजी दिलचस्पी रखता है |6

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पहाड़ों में भेड़ें

मेरे एक मित्र ने अपने जीवन के कई साल भेड़-पालक के रूप में बिताए थे, बीहड़ रॉकी पर्वत में जानवरों और भेड़ों का पालन करते हुए । उसने एक मेरे साथ भेड़ों को पालने में हुई चुनौतियों और खतरों का बताया था । उसने कहा था कि बसंत के आरंभ में, जब बर्फ पहाड़ों पर पिघल जाती थी, वह अपने परिवार की भेड़ें लगभग 2000 को गरमियों के लिये पहाड़ों पर ले जाता था । वहां, वह भेड़ों की देख-भाल पतझड़ आने तक करता था, जब वे गरमियों के घास के मैदान से सरदियों में निर्जन भूमि पर आते थे । उसने बताया था भेड़ों के विशाल झुंड की देख-भाल करना बहुत कठिन था, इसमें दिन के आरंभ से और देर रात तक—, सूर्योदय से बहुत पहले और देर रात जगने की जरूरत होती थी । वह इसे अकेला बिलकुल नहीं कर सकता था ।

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भेड़ों के साथ कर्मचारी

दूसरे लोग झुंड के देखभाल में मदद करते थे, जिसमें अनुभवी कर्मचारी जिनकी मदद युवा कर्मचारी करते थे जो अपने अनुभवी साथियों के ज्ञान का लाभ उठाते थे । उसने दो वृद्ध घोड़ों, दो जवान घोड़ों जो सीख रहे थे, दो वृद्ध रखवाली-कुत्ते, और दो या तीन उनके पिल्लों पर भी भरोसा किया था । गरमियों के दौरान, मेरा मित्र और उसकी भेड़ें हवा और वर्षा, बीमारी, चोट, सूखा, और लगभग हर उस कठिनाई का समाना करते थे जिसकी आप कल्पना कर सकते हैं । कई साल तो उन्हें पहाड़ पर पानी ढोना पड़ता था भेड़ों को जीवित रखने के लिये । फिर, हर साल, पतझड़ में, जब सरदियां आरंभ होती थी, खराब मौसम आरंभ होता और भेड़ों को पहाड़ से नीचे लाते और गिनते, लगभग 200 भेड़ें खो जाया करती थी ।

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भेड़ों की देख-भाल करना
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भेड़ों का झुंड

बसंत के आरंभ में जहां पहाड़ पर 2000 भेड़े हुआ करती थी प्रत्येक पतझड़ में घट कर 1800 रह जाती थी । बहुत सी भेड़ें जो कम होती थी वे बीमारी या मृत्यु कारण नहीं होती थी, इसलिये कम होती थी क्योंकि जंगली जानवर जैसे पहाड़ी शेर या भेड़िया उन्हें खा जाते थे । ये जानवर अक्सर उन भेड़ों का शिकार करते थे जो अपने झुंड की सुरक्षा से भटक जाते थे, स्वयं को अपने चरवाहे की सुरक्षा से अलग कर लेते थे । क्या आप एक क्षण के लिये विचार करेंगे जो मैंने अभी बताया है, आत्मिक संदर्भ में ? चरवाहा कौन है ? झुंड कौन है ? वे कौन हैं जो चरवाहे की मदद करते हैं ?

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अच्छा चरवाहा

प्रभी यीशु मसीह ने स्वयं कहा था, “मैं अच्छा चरवाहा हूं, और मैं अपनी भेड़ें जानता हूं, ... और मैं अपनी भेड़ों के लिये अपना जीवन देता हूं ।”7

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यीशु अपनी भेड़ों को चराता है

भविष्यवक्ता नफी ने सीखाया था कि यीशु “अपनी भेड़ों को चराएगा, और वे उसमें चारागाह पाएंगी ।”8 मैं उसमें निरंतर शांति पाता हूं यह जानते हुए कि “प्रभु मेरा चरवाहा है”9 और हम सब उसे जानते हैं और उसकी देख-रेख में हैं । जब हम जीवन के तूफानों, बीमारी, चोट, और सूखा का सामना करते हैं, तो प्रभु हमारा चरवाहा हमारी सेवकाई करता है । वह हमारी आत्मा को बचाता है ।

उस तरह मेरा मित्र भी अपनी भेड़ों की देखरेख युवा और वृद्ध कर्मचारियों, घोड़ों, और रखवाली कुत्तों की सहायता से करता है, प्रभु को भी अपने झुंड की चुनौतीपूर्ण देखभाल करने के लिये मदद की आवश्यकता होती है ।

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यीशु मसीह सेवकाई करता हुआ

प्रेमी स्वर्गीय पिता के बच्चों के रूप में और उसकी झुंड की भेड़ों के रूप में, हम निजिरूप से सेवकाई की आशीष प्राप्त करते हैं । उसी प्रकार, हमारे पास अपने पास दूसरों की चरवाहे के रूप में सेवकाई करने की जिम्मेदारी है । हम प्रभु के वचनों पर ध्यान देते हैं “मेरे नाम में जाओ और सेवा करो, और ... मेरी भेड़ों को एकत्र करो ।”10

चरवाहा कौन है ? परमेश्वर के राज्य में प्रत्येक पुरूष, महिला, और बच्चा चरवाहा है । इसके लिये नियुक्ति की आवश्यकता नहीं है । जिस क्षण हम बपतिस्मे के जल में प्रवेश करते हैं, हमें यह कार्य सौंपा जाता है । हम दूसरों तक प्रेम में पहुंचते हैं क्योंकि यही कार्य हमारे उद्धारकर्ता ने हमें करने की आज्ञा दी है । अलमा ने जोर दिया था: “कौन ऐसा चरवाहा है ... जिसके पास भेड़े हैं और उनकी देखभाल नहीं करता, कि कोई भेड़िया प्रवेश न कर और उसके झुंड को खत्म कर दे ? ... क्या वह उसे बाहर नहीं निकालेगा ?11 जब कभी हमारे पड़ोसी कष्ट में होते हैं संसारिकरूप से या आत्मिकरूप से, हम उनकी सहायता को दौड़ते हैं । हम एक दूसरे के बोझ को उठाते हैं ताकि वे हल्के हों । जो शोक करते हैं उनके साथ हम शोक मनाते हैं । हम उन्हें दिलासा देते हैं जिन्हें दिलासा की जरूरत है ।12 प्रभु प्रेम से हमसे यह आशा करता है । और वह दिन आएगा जब वह हमें अपने झुंड की देख भाल के लिये जिम्मेदार ठहराएगा ।13

मेरे चरवाहा मित्र ने दूसरी बहुत महत्वपूर्ण बात बताई थी भेड़ों की देख भाल के संबंध में । उसने आगे कहा था कि भटकी हुई भेड़ को जंगली जानवरों से अधिक खतरा होता है । असल में, 15 प्रतिशत उसका और उसके दल का कुल समय भटकी हुई भेड़ों को खोजने में लग जाता था । वे जान गए थे कि जितनी जल्दी भटकी हुई भेड़ उन्हें मिल जाती थी, इससे पहले की वह झुंड से काफी दूर चले जाए, बहुत कम संभावना होती थी कि उस भेड़ को नुकसान पहुंचेगा । भटकी हुई भेड़ को खोजने में बहुत धैर्य और अनुशासन की जरूरत होती है ।

कुछ साल पहले, मैंने समाचार पत्र में एक लेख देखा था इतना अच्छा था कि मैंने उसे बचा कर रखा था । पेज की मुख्य पंक्ति पर लिखा था, “समर्पित कुत्ता अपनी भटकी हुई भेड़ को अकेला नहीं छोड़ता है ।” 14 इस लेख में मेरे मित्र के बाड़े के निकट कम संख्या की भेड़ों के विषय में लिखा था । जो किसी तरह अपने गरमियों के बाड़े से पीछे रह गई थी । दो या तीन महिने बाद, वे असहाय हो गई और बर्फीली पहाड़ियों में फंस गई । जब भेड़े भटक गई थी तो उनका रखवाली-कुत्ता उनके साथ था क्योंकि उनकी देखभाल और सुरक्षा करना उसकी जिम्मेदारी थी । वह भेड़ों को अकेला नहीं छोड़ सकता था । वह उनके साथ रहा --- महिनों तक सरद और बर्फीले मौसम में भटकी हुई भेड़ों को घेरे में रखता हुआ, भेड़ियों, पहाड़ी शेरों, या अन्य किसी जंगली जानवर से बचाता हुआ । वह उनके साथ तब तक रहा जब तक वह उन्हे चरवाहे और झुंड की सुरक्षा में न ले आया । इस लेख के मुख्य पृष्ठ पर चित्र देखकर कोई भी इस रखवाली-कुत्ते की आंखों और व्यवहार में हिम्मत की शक्ति को समझ सकता था ।

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रखवाली कुत्ते की आंखों में चरित्र और आचरण

नये नियम में, हमें उद्धारकर्ता से एक दृष्टांत और निर्देशन मिलता है जो चरवाहे के रूप में बहनों और भाइयों की सेवकाई की हमारी जिम्मेदारी के विषय में अधिक समझता है, जो भटक गए हैं :

“तुम में से कौन है जिसकी सौ भेड़ें हों, और उनमें से एक खो जाए तो निन्नानवे को जंगल में छोड़कर, उस खोई हुई को जब तक मिल न जाए खोजता न रहे ?

“और जब मिल जाती है, तब वह बड़े आनंद से उसके कांधे पर उठा लेता है ।

“और घर में आकर मित्रों और पड़ोसियों को इकट्ठा करके कहता है, मेरे साथ आनंद करो, क्योंकि मेरी खोई हुई भेड़ मिल गई है ।15

जब हम इस दृष्टांत के पाठ को संक्षिप्त करते हैं, तो हम ये बहुमूल्य सलाह पाते हैं :

  1. पहला, हमें खोई हुई भेड़ की पहचान करनी है ।

  2. दूसरा, हमें उनकी खोज करनी है जबतक वे मिल नहीं जाती ।

  3. तीसरा, जब वे मिल जाती हैं, हम उन्हें अपने कांधों से सहारा दे कर घर लाते हैं ।

  4. अंत में, हम उनकी वापसी पर मित्रों के साथ मिलाते हैं ।

भाइयों और बहनों, हमारी महानत्तम चुनौती और हमारा महानत्तम प्रतिफल तब मिलता है जब हम भटकी हुई भेड़ की सेवकाई करते हैं । गिरजे के सदस्य मॉरमन की पुस्तक में “अपने लोगों की देखभाल करते और उनका धार्मिकता की बातों से उनका पोषण करते थे ।”16 हम उनके उदाहरण का अनुसरण कर सकते हैं जब हम याद रखते हैं कि सेवकाई “आत्मा द्वारा, ... और प्रत्येक सदस्य की आवश्यकता अनुसार की जाती है ।” यह भी आवश्यक है कि हम “लोगों और परिवारों को उनकी अगली विधि के लिये तैयार करें, अनुबंधों का पालन करें … , और आत्म निर्भर बनें ।”17

हमारे स्वर्गीय पिता के लिये प्रत्येक व्यक्ति कीमती है । सेवकाई करने का उसका निजी निमंत्रण उसके लिये अति मूल्यवान और महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह उसका कार्य और महिमा है । सही मायने में यह अनंतता का कार्य है । उसका प्रत्येक बच्चा उसकी दृष्टि में बेशकीमती है । वह आपसे इतना प्रेम करता है जिसकी आप कल्पना नहीं कर सकते । समर्पित रखवाली-कुत्ते के समान, प्रभु हवा, तूफान, बर्फ , और बहुत कुछ से आपकी सुरक्षा के लिये पहाड़ पर ठहरा रहेगा ।

अध्यक्ष रसल एम. नेलसन ने पिछले महा सम्मेलन में हमें सीखाया था: “संसार के लिये हमारा संदेश [और मैं जोड़ता हूं, ’हमारे सेवकाई झुंड के लिये] सरल और सच्चा है: हम परमेश्वर के सभी बच्चों को निमंत्रण देते हैं परदे के दोनों ओर अपने उद्धारकर्ता के निकट आओ, पवित्र मंदिर की आशीषें प्राप्त करो, अनंत आनंद प्राप्त करो, और अनंत जीवन के योग्य बनो ।18

मैं आशा करता हूं हम इस भविष्यसंबंधी दिव्यदर्शन की ओर दृष्टि उठाएंगे, ताकि हम लोगों को मंदिर और अंतत: हमारे उद्धारकर्ता, यीशु मसीह की ओर ले जा सकें । वह हमसे चमत्कार करने की आशा नहीं करता । वह केवल कहता कि हम अपने भाइयों और बहनों को उसके पास लाएं, क्योंकि उसके पास आत्मओं को बचाने की शक्ति है ।19 जब हम ऐसा करते हैं, हम इस प्रतिज्ञा को पूरा करते और अवश्य करेंगे: “और जब प्रधान चरवाह प्रकट होगा, तो तुम्हें महिमा का मुकुट दिया जाएगा, जिसका तेज कभी कम नहीं होगा ।” मैं इसकी, और हमारे उद्धारकर्ता और मुक्तिदाता की गवाही, यीशु मसीह के नाम में देता हूं, आमीन ।