2010–2019
गिरजे का सही नाम
अक्टूबर 2018


गिरजे का सही नाम

जब हम उसके गिरजे से उसका नाम हटा देते हैं, तो हम बिना सोचे-समझे उसे हमारे जीवनों के केंद्र से हटा रहे हैं ?

मेरे प्रिय भाइयों और बहनों, इस सुंदर सब्त के दिन हम प्रभु की बहुत सी आशीषों को मिलकर आनंद उठाते हैं । हम यीशु मसीह के पुनास्थापित सुसमाचार की आपकी गवाहियों, उसके अनुबंधित मार्ग में बने रहने या लौटने, और उसके गिरजे में आपकी समर्पित सेवा के लिए आभारी हैं ।

आज मैं आप से अतिमहत्वपूर्ण विषय पर चर्चा करने के लिये बाध्य महसूस करता हूं । कुछ सप्ताह पूर्व, मैंने गिरजे का सही नाम बोलने पर एक वक्तव्य जारी किया था ।1मैंने ऐसा इसलिये किया था क्योंकि प्रभु ने मेरे मन पर उस नाम के महत्व का प्रभाव डाला था जो उसने अपने गिरजे के लिये घोषित किया था, अर्थात अंतिम-दिनों के संतों का यीशु मसीह का गिरजा ।2

जैसा कि आप आशा कर सकते हैं, इस वक्तव्य के और संशोधित शैली निर्देशिका3के जवाब मिलेजुले रहे हैं । बहुत से सदस्यों ने तुरंत गिरजे के नाम को अपने ब्लॉग और समाजिक मिडिया के पृष्ठों में ठीक कर दिया । दूसरों ने सोचा, बाकी सबकुछ जो संसार में हो रहा है उनके चलते, “इतनी छोटी सी बात” को महत्व नहीं देना चाहिए । और कुछ ने कहा ऐसा नहीं किया जा सकता, तो कोशिश ही क्यों करें ? मैं समझाता हूं क्यों हम इस विषय पर इतना ध्यान देते हैं । लेकिन पहले मैं यह बता दूं कि यह प्रयास क्या नहीं है:

  • यह नाम बदलनानहींहै ।

  • यह पुनाब्रांड बनानानहींहै ।

  • यहअधिकआर्कषक बनाना नहीं है ।

  • यह बिना सोचा-समझानहींहै ।

  • और यह छोटी सी बातनहींहै ।

असल में, यहएक सुधार है । यहप्रभु की आज्ञा है । जोसफ स्मिथ ने उसके द्वारा पुनास्थापित गिरजे को नाम नहीं दिया था; न ही मॉरमन ने दिया था । उद्धारकर्ता ने स्वयं कहा था, “क्योंकि मेरा गिरजा अंतिम-दिनों में इस प्रकार कहलाया जाएगा, अर्थात अंतिम-दिनों के संतों का यीशु मसीह का गिरजा |”4

यहां तक की, 34 ईस्वी में, हमारे पुनाजीवित प्रभु ने उसके गिरजे के सदस्यों को इसी प्रकार निर्देशन दिया था जब उसने उनसे अमेरिकी उपमहाद्वीप में मुलाकात की थी । उस समय उसने कहा था:

“इसलिए गिरजे का नाम तुम मेरे नाम पर रखोगे । …

“और यह मेरा गिरजा कैसे हो सकता है यदि इसे मेरे नाम से न पूकारा जाए ? क्योंकि यदि गिरजे का नाम मूसा के नाम पर रखा जाएगा तो वह मूसा का गिरजा होगा; या यदि इसका नाम किसी व्यक्ति के नाम पर रखा जाएगा तो यह उस व्यक्ति का गिरजा होगा; परन्तु यदि इसका नाम मेरे नाम पर होगा तो यह मेरा गिरजा होगा ।”5

इस प्रकार गिरजे का नाम बदला नहीं जा सकता । जबकि उद्धारकर्ता ने स्पष्टरूप से बताया है कि उसके गिरजे का नाम क्या होना चाहिए, और उसने अपनी घोषणा के आरंभ में कहा है, “इस प्रकार मेरा गिरजा पूकारा जाएगा,” वह इस विषय में गंभीर है । और यदि हम अन्य नामों का उपयोग करते हैं या उन नामों को स्वयं बढ़ावा देते हैं, तो उसे बुरा लगता है ।

नाम में क्या है, या इस विषय में, उपनाम में क्या है ? जब गिरजे के उपनामों की बात होती है जैसे “अदिस गिरजा,” “मॉरमन गिरजा,” या “अंतिम-दिनों के संतों का गिरजा,” सबसे महत्वपूर्ण बात है कि इनमें उद्धारकर्ता के नाम का न होनाहै । प्रभु के गिरजे से प्रभु का नाम हटाना शैतान की बहुत बड़ी जीत है । जब हम उद्धारकर्ता के नाम का उपयोग नहीं करते हैं, तो हम उन सब कार्यों को अस्वीकार कर रहें जो यीशु मसीह ने हमारे लिया किया था—यहां तक कि उसका प्रायश्चित भी ।

इस पर उसके दृष्टिकोण से विचार करें: नश्वरतापूर्व रूप से वह यहोवा था, पुराने नियम का परमेश्वर । अपने पिता के निर्देशन के अधीन, वह इस और अन्य संसारों का सृष्टिकर्ता था ।6 उसने पिता की आज्ञा के प्रति समर्पित होने और कुछ ऐसा करने का चयन किया जिसे कोई अन्य नहीं कर सकता था ! अपनी महिमा का त्याग कर पृथ्वी पर शरीर में पिता के एकलौते पुत्र के रूप में आया, क्रूरता से उसको ठट्ठों में उड़ाया गया, थूका गया, और कोड़े मारे गए । गतस्मनी के बाग में, हमारे उद्धारकर्ता ने अपने ऊपर प्रत्येकदर्द, प्रत्येक पाप, और कभी भी आप और मेरा द्वारा अनुभव की गई सारीवेदना और कष्ट को, और उसके भी अन्य जो कभी भी जीया है या कभी जीएगा । उस दर्दनाक बोझ कारण, उसके प्रत्येक रोम छिद्र से लहू बहा था ।7 यह सारे कष्ट अत्याधिक बढ़ गए थे जब वह कलवरी की सलीब पर निर्दयता से चढ़ा दिया गया था ।

इन दर्दनाक अनुभवों और उसके पुनरुत्थान के द्वारा—उसका अनंत प्रायश्चित—हम सबों को यदि हम पश्चाताप करते हैं तो, अमरत्व प्रदान करता है, और हम में से प्रत्येक को पाप के प्रभावों से मुक्ति दिलाता है ।

उद्धारकर्ता के पुनरुत्थान और उसके प्रेरितों की मृत्यु के पश्चात, दुनिया सदियों तक अंधकार में थी । फिर वर्ष 1820 में, परमेश्वर पिता और उसका पुत्र, यीशु मसीह, प्रभु के गिरजे को पुनास्थापित करने के लिये भविष्यवक्ता जोसफ स्मिथ को प्रकट हुए ।

उसके सबकुछ सहने के पश्चात—मानवजाति के लिये उसके सबकुछ करने के पश्चात, मैं अत्याधिक खेद महसूस करता हूं कि हमने अनजाने में प्रभु के पुनास्थापित गिरजे को अन्य नामों से पूकारना स्वीकार किया है जोकि प्रत्येक यीशु मसीह के पवित्र नाम को हटता है ।

प्रत्येक रविवार को हम प्रभु-भोज में भाग लेते हैं, हम स्वर्गीय पिता के साथ अपनी पवित्र प्रतिज्ञा को नवीन करते हैं कि हम अपने ऊपर उसके पुत्र, यीशु मसीह का नाम धारण करने की इच्छा करते हैं । 8हम उसका अनुसरण करने, पश्चाताप करने, उसकी आज्ञाओं का पालन करने, सदैव उसे स्मरण करने की प्रतिज्ञा करते हैं ।

जब हम उसके गिरजे से उसका नाम हटा देते हैं, हम बिना सोच-समझे उसे हमारे जीवनों के केंद्र से हटा रहे हैं ?

उद्धारकर्ता का नाम अपने ऊपर धारण करने में शामिल है दूसरों को घोषणा करना और गवाही देना—हमारे कार्यों और हमारे शब्दों के द्वारा—कि यीशु ही मसीह है । क्या हम उसे जिसने हमें मॉरमन कहा है अपमानित करने से इतने भयभीत हो गए हैं, कि हम स्वयं उद्धारकर्ता की रक्षा करने में असफल रहे हैं, कि हम उसकी रक्षा करें अर्थात उस नाम में जिसके द्वारा उसके गिरजे को पूकारा जाए ?

यदि हमें लोग और व्यक्ति के रूप में यीशु मसीह के प्रायश्चित की शक्ति को पाना है—हमें शुद्ध करने और चंगाई देने के लिये, हमें शक्ति देने और हमारा विकास करने, और अंतत: अपना उत्कृष प्राप्त करने के लिये—तो हमें अवश्य ही उसे उस शक्ति का स्रोत स्वीकार करना चाहिए । हम उसके गिरजे को उसके घोषित नाम द्वारा पूकार कर आरंभ कर सकते हैं ।

क्योंकि अधिकतर दुनिया के लिये, वर्तमान में प्रभु का गिरजा “मॉरमन गिरजे” के रूप में जाना जाता है । लेकिन हम प्रभु के गिरजे के सदस्यों के रूप में जानते हैं कि इसका मुखिया कौन है: यीशु मसीह स्वयं । दुर्भाग्य से, बहुत से जो शब्द मॉरमन सुनते हैं शायद सोचते हैं कि हम मॉरमन की आराधना करते हैं । ऐसा नहीं है ! हम उस महान प्रचीन अमेरिकन भविष्यवक्ता का सम्मान और आदर करते हैं । 9 लेकिन हम मॉरमन के शिष्य नहीं हैं । हम प्रभु के शिष्य हैं ।

पुनास्थापित गिरजे के आरंभिक दिनों में, शब्द जैसे मॉरमन गिरजा और मॉरमन 10 अक्सर—निर्दयता, गाली के लिये विशेषण के रूप में प्रयोग किए जाते थे —यीशु मसीह के गिरजे को इन अंतिम दिनों में पुनास्थापित करने में परमेश्वर के हाथ को छिपाने के लिये।11

भाइयों और बहनों, गिरजे के सही नाम को पुनास्थापित करने के विरूद्ध बहुत से संसारिक तर्क हैं । क्योंकि डिजिटल संसार जिसमें हम रहते हैं, और सर्च इंजन में सुधार के साथ जो हमें किसी भी सूचना को तुरंत उपलब्ध करने में मदद करते हैं—प्रभु के गिरजे की सूचना सहित—विरोधी कहते हैं कि यह सुधार इस समय अकलमंदी नहीं है । दूसरे महसूस करते हैं कि क्योंकि हम व्यापकरूप से “मॉरमन” और “मॉरमन गिरजे” के रूप में जाने जाते हैं, हम इसका अच्छा उपयोग करना चाहिए ।

यदि यह मानव-निर्मित संगठन की छाप बदलने के विषय में चर्चा होती, तो ये तर्क ठीक हो सकते हैं । लेकिन इस महत्वपूर्ण विषय में, हम उसे देखते हैं जिसका यह गिरजा है और स्वीकार करते हैं कि प्रभु के विचार और हमारे विचार एक समान नहीं हैं । यदि हम धैर्य रखेंगे और अपना कार्य अच्छे से करते हैं, तो प्रभु हमें इस महत्वपूर्ण कार्य में मदद करेगा । आखिरकार, हम जानते हैं कि प्रभु उनकी मदद करता है जो उसकी इच्छा पूरी करने का प्रयास करते हैं, ठीक जैसे उसने समुद्र पार करने के लिये जहाज बनाने में नफी की मदद की थी । 12

इन गलतियों में सुधार करने के हमारी कोशिशों में हमें विनम्र और धैर्य रखना होगा । जिम्मेदार मीडिया हमारे अनुरोध का जवाब देने में समझदार रहेगा ।

पिछले महा सम्मेलन में, एल्डर बेनजीमन डी होयोस ने इस प्रकार की घटना के विषय में बोला था । उन्होंने कहा :

“कुछ साल पहले मैक्सिको में गिरजे के सार्वजनिक मामलों के कार्यालय में सेवा करते समय, [मेरा साथी और मैं] एक रेडियो बातचीत में भाग लेने के लिये निंमत्रित किए गये थे ... [एक कार्यक्रम निर्देशक ने हमसे पूछा], ‘गिरजे का नाम इतना लंबा क्यों है ? ...

“मेरा साथी और मैं इस विशेष प्रश्न पर मुस्कराए और फिर समझाया कि गिरजे का नाम मनुष्य द्वारा चुना नहीं गया था । यह उद्धारकर्ता द्वारा दिया गया था । ... कार्यक्रम निर्देशक ने तुरंत और आदर से जवाब दिया था, ‘हम इस बहुत खुशी से दोहराएंगे ।’”13

यह रिपोर्ट एक नमूना पेश करती है । एक एक करके, लोगों के रूप में हमारे उत्तम प्रयासों की आवश्यकता है उस गलती को सुधारने की जो कई वर्षों से स्वीकार की जा रही है । 14 शेष संसार हमें सही नाम से पूकारने के लिये हमारे मार्गदर्शन का पालन करे या न करे । लेकिन हमारा परेशान होना गलत होगा यदि अधिकतर संसार गिरजे और इसके सदस्यों को गलत नाम से पूकारता जबकि हम स्वयं भी वैसा ही करते हैं ।

हमारी संशोधित शैली निर्देशिका सहायक है । यह कहती है: “प्रथम संदर्भ में, गिरजे का पूरा नाम: ‘अंतिम-दिनों के संतों का यीशु मसीह का गिरजा ।’ जब छोटा किया जाए तो दूसरे संदर्भ की आवश्यकता है, शब्द ‘गिरजा’ या ‘यीशु मसीह का गिरजा’ का उपयोग करें । ‘यीशु मसीह का पुनास्थापित गिरजा’ भी सही है और उपयोग किया जाना चाहिए ।”15

यदि कोई पूछता है, “क्या आप मॉरमन हैं ?” आप जवाब दे सकते हैं, “यदि आप पूछ रहे हैं कि क्या मैं अंतिम-दिनों के संतों के यीशु मसीह के गिरजे का सदस्य हूं, तो हां मैं हूं !”

यदि कोई पूछता है, “क्या आप अंतिम-दिनों के संत हो ?”16 आप जवाब दे सकते हैं, “हां, मैं हूं । मैं यीशु मसीह में विश्वास करता हूं और उसके पुनास्थापित गिरजे का सदस्य हूं ।”

मेरे प्रिय भाइयों और बहनों, मैं आपसे प्रतिज्ञा करता हूं कि यदि हम प्रभु के गिरजे का सही नाम फिर से स्थापित करने में अपना सर्वोत्तम करेंगे तो, वह जिसका यह गिरजा है अपनी शक्ति और आशीषों को अंतिम-दिनों के संतों के सिरों पर इस तरह उंडेलेगा, 17 जैसा हमने पहले कभी नहीं देखी हैं । हमारे पास यीशु मसीह के पुनास्थापित सुसमाचार की आशीषों को प्रत्येक राष्ट्र, जाति, भाषा, और लोगों तक पहुंचाने और संसार को प्रभु के द्वितीय आगमन के लिये तैयार करने में परमेश्वर का ज्ञान और शक्ति होगी ।

इसलिये, नाम में क्या है ? जब बात प्रभु के गिरजे के नाम के विषय में होती है, तो उत्तर है “सबकुछ!” यीशु मसीह ने हमें गिरजे को उसके के नाम से पूकारने का निर्देश दिया है क्योंकि यह उसका गिरजा है, उसकी शक्ति से भरा हुआ ।

मैं जानता हूं कि परमेश्वर जीवित है । यीशु ही मसीह है । वह आज अपने गिरजे का मार्गदर्शन करता है । मैं यह गवाही यीशु मसीह के पवित्र नाम में देता हूं, आमीन ।

विवरण

  1. “The Lord has impressed upon my mind the importance of the name He has revealed for His Church, even The Church of Jesus Christ of Latter-day Saints. We have work before us to bring ourselves in harmony with His will. In recent weeks, various Church leaders and departments have initiated the necessary steps to do so. Additional information about this important matter will be made available in the coming months” (Russell  M. Nelson, in “The Name of the Church” [official statement, Aug. 16, 2018], mormonnewsroom.org).

  2. Preceding Presidents of the Church have made similar requests. For example, President George Albert Smith said: “Don’t let the Lord down by calling this the Mormon Church. He didn’t call it the Mormon Church” (in Conference Report, Apr. 1948, 160).

  3. See “Style Guide—The Name of the Church,” mormonnewsroom.org.

  4. सिद्धांत और अनुबंध 115:4

  5. 3 नफी 27:7–8

  6. देखें मूसा 1:33

  7. देखें सिद्धांत और अनुबंध 19:18

  8. देखें मोरोनी 4:3; सिद्धांत और अनुबंध 20:37, 77

  9. मॉरमन, मॉरमन की पुस्तक के चार प्रमुख लेखकों में से एक था, नफी, याकूब, और मोरोनी अन्य थे । सभी प्रभु के चश्मदीद गवाह थे, जैसे प्रेरित अनुवादक, भविष्यवक्ता जोसफ स्मिथ था ।

  10. Even the word Mormonites was among terms of derision that were employed (see History of the Church, 2:62–63, 126).

  11. Other epithets seem to have occurred in New Testament times. During the Apostle Paul’s trial before Felix, Paul was said to be “a ringleader of the sect of the Nazarenes” (Acts 24:5). Regarding the use of the phrase “of the Nazarenes,” one commentator wrote: “This was the name usually given to Christians by way of contempt. They were so called because Jesus was of Nazareth” (Albert Barnes, Notes, Explanatory and Practical, on the Acts of the Apostles [1937], 313).

    Similarly, another commentary states: “As our Lord was contemptuously called ‘The Nazarene’ (Matt. xxvi. 71), so the Jews designated his disciples ‘Nazarenes.’ They would not admit that they were Christians, i.e. disciples of the Messiah” (The Pulpit Commentary: The Acts of the Apostles, ed. H. D. M. Spence and Joseph S. Exell [1884], 2:231).

    In a related vein, Elder Neal A. Maxwell observed: “Throughout scriptural history, we see recurring efforts to demean prophets in order to dismiss them—to label them in order to diminish them. Mostly, however, they are simply ignored by their contemporaries and by secular history. After all, early Christians were merely called ‘the sect of the Nazarenes.’ (Acts 24:5.)” (“Out of Obscurity,” Ensign, Nov. 1984, 10).

  12. देखें 1 नफी 18:1–2

  13. Benjamín De Hoyos, “Called to Be Saints,” Liahona, May 2011, 106.

  14. जबकि यह हमारे नियंत्रण में नहीं है कि दूसरे हमें क्या कहकर बुलाएं, लेकिन यह पूर्णरूप से हमारे नियंत्रण में है कि हम स्वयं को क्या कहकर संदर्भ करते हैं । हम कैसे दूसरों से गिरजे के सही नाम का सम्मान करने की आशा कर सकते है यदि हम स्वयं गिरजे के सदस्य के रूप में ऐसा करने में विफल रहते हैं ?

  15. Style Guide—The Name of the Church,” mormonnewsroom.org.

  16. शब्द संत अक्सर पवित्र बाइबिल में प्रयोग किया जाता है । इफिसियों को लिखे पौलुस के पत्र में, उदाहरण के लिए, उसने हर अध्याय में कम से कम एक बार शब्द संत का उपयोग किया था । संत वह व्यक्ति है जो यीशु मसीह में विश्वास करता और उसका अनुसण करने का प्रयास करता है ।

  17. देखें सिद्धांत और अनुबंध 121:33