2010–2019
आपका महा अभियान
अक्टूबर 2019 महा सम्मेलन


आपका महा अभियान

प्रत्येक दिन, उद्धारकर्ता हमें अपने आराम और सुरक्षा का त्याग करने और उसके साथ शिष्यता की यात्रा में शामिल होने का निमंत्रण देता है ।

होबिट के बारे में

बच्चों का प्रिय काल्पनिक उपन्यास जिसे बहुत साल पहले लिखा गया था इस वाक्य से आरंभ होता है “जमीन में एक गड्डे में एक होबिट रहता था ।”1

बिल्बो बगिन्स की कहानी बहुत सामान्य और साधारण होबिट के बारे में है जो जिसे एक अद्वितीय मौका मिलता है—अभियान करने शानदार अवसर, और एक महान उपहार की प्रतिज्ञा ।

लेकिन समस्या है कि अत्याधिक आत्म-सम्मान वाले होबिटों को अभियान से कोई लेना देना नहीं है । उनका उद्देश्य जीवन में केवल आराम करना है । उन्हें दिन में छह बार भोजन करना अच्छा लगता है जब कभी उन्हें मिलता है और वे बगीचे में अपने सारा दिन गुजारते हैं, मिलने वालों के साथ कहानियां सुनाते हुए, गाते हुए, वाद्य यंत्र बजाते हुए, जीवन के सरल आनंदों का मजा लेते हुए ।

हालांकि, जब बिल्बो को विशाल अभियान का प्रस्ताव दिया गया, उसके हृदय में गहरी जिज्ञासा जागी । वह शुरू से समझ गया था कि यह यात्रा चुनौतिपूर्ण होगी । और खतरनाक भी । यह भी संभावना है कि वह वापस न लौट पाए ।

और फिर भी, अभियान का यह निमंत्रण उसके हृदय में गहरा बैठ चुका है । और इस प्रकार, साधारण होबिट आराम का त्याग करता है और महान अभियान के मार्ग में निकल पड़ता है जिसमें उसे वहां “जाना और वापस लौटना” होगा ।2

आपका अभियान

शायद यह कहानी हम में से बहुतों को दिलचस्प लगती है क्योंकि यह हमारी कहानी भी है ।

बहुत समय पहले, हमारे जन्म से भी पहले, एक युग में जिसकी याद अब धूमिल और लगभग मिट चुकी है, हमें भी एक अभियान में जाने का निमंत्रण दिया गया था । यह प्रस्ताव परमेश्वर, हमारे स्वर्गीय पिता का था । इस अभियान को स्वीकार करने का अर्थ उसकी उपस्थिति और सुरक्षा को छोड़ना था । इसका अर्थ पृथ्वी पर एक ऐसी यात्रा पर आना था जो अनजान खतरे और परिक्षा भरी हुई

हम जानते थे यह सरल नहीं होगी ।

लेकिन हम यह भी जानते थे कि हम अनमोल खाजाने प्राप्त करेंगे, भौतिक शरीर और नश्वरता के अत्याधिक आनंद और दुखों का अनुभव करते हुए । हम प्रयास करना, खोजना, और संघर्ष करना सीखेंगे । हम परमेश्वर और स्वयं के बारे में सच्चाइयों की खोज करेंगे ।

अवश्य ही, हम जानते थे इस मार्ग पर चलते हुए हम बहुत सी गलतियां भी करेंगे । लेकिन हम से प्रतिज्ञा की गई थी: कि यीशु मसीह के महान बलिदान के कारण, हमें हमारे अपराधों से स्वच्छ कर दिया जाएगा, हमारी आत्माओं को परिष्कृत और पवित्र किया जाएगा और एक दिन पुनाजीवित होंगे और अपने प्रियजनों से दुबारा मिलेंगे ।

हमने सीखा परमेश्वर हम से कितना प्रेम करता है । उसने हमें जीवन दिया, और वह चाहता है हम सफल हों । इसलिये, उसने हमारे लिये एक उद्धारकर्ता तैयार किया था । “फिर भी,” हमारे स्वर्गीय पिता ने कहा था, “तुम स्वयं के लिये चुनाव कर सकते हो, क्योंकि यह तुम्हें दिया गया है ।”3

अवश्य ही यह नश्वर अभियान का हिस्सा रहा होगा जिससे परमेश्वर के बच्चों के चिंतित और डर भी गये थे, क्योंकि बहुत सारे हमारे आत्मिक भाइयों और बहनों ने इसका विरोध किया था ।4

चुनने की स्वतंत्रता के उपहार और शक्ति के द्वारा, हमने उस संभावना को समझ गये थे जो सीख और अनंतरूप से बन सकते थे उसके लिये यह जोखिम उचित था ।5

और इस प्रकार, परमेश्वर और उसके प्रिय पुत्र की प्रतिज्ञाओं और शक्ति पर भरोसा करते हुए, हमने चुनौती को स्वीकार किया था ।

मैंने किया था ।

और आपने भी किया था ।

हम अपनी “प्रथम अवस्था” की सुरक्षा का त्याग करने के लिये सहमत हुए और “जाना और वापस लौटना” के अपने स्वयं के महान अभियान पर निकल पड़े ।

अभियान का निमंत्रण

और फिर भी, नश्वर जीवन हमें भटकाने का एक तरीका है, क्या नहीं हैं ? विकास और प्रगति के बजाय आराम और सुविधा का चुनाव करके हम अपने महान उद्देश्य से भटक सकते हैं ।

फिर भी, हमारे हृदयों की गहराई में आत्मिक उद्देश्य पाने की तीव्र इच्छा कायम रहती है जिसे हम अस्वीकार नहीं कर सकते हैं । यह इच्छा एक कारण है जिससे लोग सुसमाचार और यीशु मसीह के गिरजे की ओर खीचे चले आते हैं । पुनास्थापित सुसमाचार, एक प्रकार से, उस अभियान के निमंत्रण का नवीनीकरण है जिसे हमने बहुत पहले स्वीकार किया था । प्रत्येक दिन, उद्धारकर्ता हमें अपने आराम और सुरक्षा का त्याग करने और उसके साथ शिष्यता की यात्रा में शामिल होने का निमंत्रण देता है ।

इस मार्ग में बहुत सारे मोड़ हैं । इसमें पहाड़, घाटियां, और घुमाव हैं । इसमें जाल में फंसाने वाले, भड़काने वाले, और एकाध निगलने वाले भी हैं । लेकिन यदि आप मार्ग में अटल रहते और परमेश्वर में भरोसा करते, तो आप अंतत: आप अपनी महिमापूर्ण मंजिल और अपने स्वर्गीय घर को लौटने के मार्ग का खोज लोगे ।

तो आप कैसे आरंभ करें ?

यह बहुत सरल है ।

अपना मन परमेश्वर पर लगाओ

पहले, आपको अपना मन परमेश्वर की ओर लगाने की जरूरत है । प्रतिदिन उसे पाने का प्रयास करो । उससे प्रेम करना सीखो । और तब उस प्रेम को आपको सीखने, समझने, और उसकी शिक्षाओं का अनुसरण करने और परमेश्वर की आज्ञाओं का पालन करने के लिये प्रेरित करने दो । हमें यीशु मसीह का पुनास्थापित सुसमाचार इतने सरल और स्पष्ट तरीके से दिया गया है कि एक बच्चा भी समझ सकता है । फिर भी यीशु का सुसमाचार जीवन में अत्याधिक जटिल प्रश्नों के उत्तर और इतनी गहराई और जटिलता है कि जीवन भर अध्ययन और मनन करने के बाद भी, हम बहुत मुश्किल एक छोटे हिस्से को ही समझ पाते हैं ।

यदि आप इस अभियान में अपनी योग्यता पर संदेह के कारण झिझकते हैं, तो याद रखें कि शिष्यता कार्यों को परिपूर्ण रूप से करने के बारे में नहीं है; यह कार्यों को स्वेच्छा से करने के बारे में हैं । आपकी योग्यताओं से अधिक यह आपके चुनाव हैं जो दिखाते हैं कि आप वास्तव में क्या हैं । 6

बेशक जब आप असफल होते हो, आप हिम्मत न हारने का चुनाव कर सकते हैं, लेकिन अपने साहस की खोज करें, आगे बढ़े, और ऊपर उठें । यह इस यात्रा की महान परिक्षा है ।

परमेश्वर जानता है कि आप परिपूर्ण नहीं हैं, कि आप कभी-कभी असफल भी होते हो । परमेश्वर आप से कम प्रेम नहीं करता जब आप सफल होने की बजाय संघर्ष करते हो ।

प्यार करने माता-पिता के समान, वह केवल चाहता है कि आप स्वेच्छा से कोशिश करते रहो । शिष्यता पियानो बजाना सीखने के समान है । शायद पहली बार आप “चॉपस्टिकस” धुन ही बजा पाते हो जो समझ में नहीं आती है । लेकिन यदि आप अभ्यास करते रहते हैं, तो सरल धुनें एक दिन सोनाटा, रैप्सोडी, जैसी शानदार संगीत-रचनाएं बन जाती हैं ।

अब, हो सकता है वह दिन इस जीवन के दौरान न आए, लेकिन यह आएगा अवश्य । परमेश्वर केवल चाहता है कि आप स्वेच्छा से प्रयास करते रहें ।

दूसरों के प्रति प्रेम प्रर्दिशत करो

यह मार्ग जिसे आपने चुना है इसके बारे में कुछ दिलचस्प है, लगभग विरोधाभासी: अपने सुसमाचार के अभियान में उन्नति करने का एकमात्र तरीका है दूसरों को भी उन्नति करने में मदद करना ।

दूसरों की मदद करना शिष्यता का मार्ग है । विश्वास, आशा, प्रेम, दया, और सेवा हमें शिष्यों के रूप में परिष्कृत करते हैं ।

गरीब और जरूरतमंद की मदद करने के आपके प्रयासों के माध्यम से, जो कष्ट में हैं उन तक पहुंचने से, आपका स्वयं का चरित्र शुद्ध और विकसित होता है, आपकी आत्मा का विस्तार का होता है, और आपका आत्म-विश्वास और विश्वसनीयता बढ़ती है ।

लेकिन इस प्रेम में कुछ वापसी की आशा नहीं करनी चाहिए । इस प्रकार की सेवा से पहचान, प्रशंसा, या कृपा नहीं की आशा जा सकती है ।

यीशु मसीह के सच्चे शिष्य परमेश्वर और उसके बच्चों से वापसी में कुछ प्राप्त न करने की आशा से प्रेम करते हैं । हम उनसे प्रेम करते हैं जो हमें निराश करते हैं, जो हमें पसंद नहीं करते हैं । उनसे भी जो हमारा मजाक उड़ाते, दुर्व्यवहार करते, और चोट पहुंचान चाहते हैं ।

जब आपके हृदय मसीह के शुद्ध प्रेम से भरे होते हैं, तो इसमें किसी के लिये घृणा, आलोचना, और शर्मिंदा करने की जगह नहीं होती है । आप परमेश्वर की आज्ञाओं का पालन करते हो क्योंकि आप उससे प्रेम करते हैं । इस प्रक्रिया में, आप धीरे-धीरे अपने विचारों और कार्यों में मसीह समान बन जाते हो ।7 क्या कोई अभियान इससे महान हो सकता है ?

अपनी कहानी बांटें

तीसरी बात जिसमें हमें इस यात्रा के दौरान निपुण होने का प्रयास करना है वह अपने ऊपर यीशु मसीह का नाम धारण करना और यीशु मसीह के गिरजे का सदस्य होने पर शर्मिंदा नहीं होना है ।

हम अपने विश्वास को छिपाते नहीं हैं ।

हम इसे दबाते नहीं हैं ।

इसके विपरीत, हम अपनी यात्रा के बारे में दूसरों से सामान्य और स्वाभविक तरह से बात करते हैं । मित्र ऐसा ही करते हैं—वे उन बातों के बारे में बात करते हैं जो उनके लिये महत्वपूर्ण होती हैं । बातें जो उनके हृदयों के निकट होती हैं और उनके लिये बदलाव लाती हैं ।

आप यही करते हो । आप अंतिम-दिनों के संतों के यीशु मसीह के गिरजे के सदस्य के रूप में अपनी कहानियों और अनुभवों को बताते हो ।

कभी कभी आपकी कहानियां लोगों को हंसाती हैं । कभी कभी ये उनके आंसु ले आती हैं । कभी-कभी ये लोगों को निरंतर धैर्य रखने, सहज होने, और परमेश्वर के निकट आने में एक अन्य घंटा, अन्य दिन का सामना करने साहस रखने में मदद करती हैं ।

अपने अनुभवों आमने-सामने, सोशल मिडिया पर, समूहों में, हर स्थान पर बांटें ।

यीशु ने अपने शिष्यों को अंतिम बातों में एक कहा था कि उन्हें संपूर्ण संसार में जाना और पुनाजीवित मसीह की कहानी को बांटना है ।8 आज हम भी उस महान जिम्मेदारी को खुशी से स्वीकार करते हैं ।

हमारे पास बांटने के लिये महिमापूर्ण संदेश है: यीशु मसीह के कारण, प्रत्येक पुरूष, महिला, और बच्चा अपने स्वर्गीय घर को सुरक्षित वापस लौट सकता है और वहां, महिमा और धार्मिकता से निवास कर सकता है !

बांटने के लिये इससे भी अधिक अच्छा समाचार है ।

परमेश्वर हमारे समय में मनुष्य को दिखाई दिया है ! हमारे पास जीवित भविष्यवक्ता है ।

मैं आपको याद दिला दूं कि परमेश्वर आपको पुनास्थापित सुसमाचार या यीशु मसीह के गिरजे को “थोपने” को नहीं कहता है ।

वह केवल चाहता है कि आप इसे न छिपाएं ।

और यदि लोग निर्णय लेते हैं गिरजा उनके लिये नहीं हैं, तो यह उनका फैसला है ।

इसका मतलब यह नहीं है कि आप असफल हो गए । आप उनसे नम्रता से व्यवहार करना जारी रखते हो । न ही इसका मतलब है कि आप उन्हें फिर निमंत्रण न दो ।

अनौपचारिक सामाजिक संपर्क और संवेदनशील, साहसी शिष्यता के बीच अंतर है—निमंत्रण !

हम परमेश्वर के सभी बच्चों से प्रेम और आदर करते हैं, बेशक जीवन में उनका कोई भी स्थिति हो, बेशक उनकी जाति या धर्म कुछ भी हो, बेशक उनके जीवन के निर्णय कुछ भी हों ।

अपने कर्तव्य के तौर, हम कहेंगे, “आओ और देखो !” अपने लिये स्वयं चुनाव करें शिष्यता के मार्ग पर चलना कितना पुरस्कृत और प्रगति करने वाला होगा ।”

हम लोगों को “आने और मदद करने का निमंत्रण देते हैं, जब हम संसार को बेहतर एक स्थान बनाने का प्रयास करते हैं ।”

और हम कहते हैं, “आओ और रहो । हम आपके भाई और बहन हैं । हम परिपूर्ण नहीं हैं । हम परमेश्वर पर भरोसा करते और उसकी आज्ञाओं का पालन करने की कोशिश करते हैं ।

“हमारे साथ जुड़ो, और आप हमें बेहतर बनाओगे । और, इस प्रक्रिया में, आप भी बेहतर बन जाओगे । आओ हम मिलकर इस अभियान में शामिल हों ।”

मैं कब आरंभ करूं ?

जब हमारे मित्र बिल्बो बगिन्स ने अपने भीतर अभियान के निमंत्रण की चेतना को महसूस किया, तो उसने रात को भरपूर आराम करने, पेट भर कर नाश्ता खाने, और सुबह पहले काम करने निर्णय लिया ।

जब बिल्बो जागा, उसने देखा उसका घर अस्त-व्यस्त था, और वह अपनी सुंदर योजना से लगभग भटक गया था ।

लेकिन तभी उसका मित्र गानडाल्फ आया और पूछा, “तुम कब आ रहे हो ?”9 अपने मित्रों तक पहुंचने के लिये, बिल्बो को स्वयं के लिये निर्णय लेना था कि वह क्या करे ।

और इस प्रकार, बहुत ही सामान्य और साधारण होबिट दौड़ते हुए अपने अगले दरवाजे से निकल कर अभियान के मार्ग की ओर इतनी तेजी से गया कि वह अपना हैट, लाठी, और रूमाल लेना भूल गया । वह अपना दूसरा नाश्ता भी आधा खा कर छोड़ दिया ।

शायद यहां हमारे लिये भी एक सबक है ।

यदि आप और मैं जीवन के महान अभियान में शामिल होने और जो हमारे प्रिय स्वर्गीय पिता ने हमारे लिये बहुत पहले तैयार किया था उसके बांटने के लिये प्रेरणा महसूस करते हैं, तो मैं आपको आश्वस्त करता हूं, आज परमेश्वर के पुत्र और हमारे उद्धारकर्ता का सेवा और शिष्यता के मार्ग पर अनुसरण करने का दिन है ।

हम उस क्षण की प्रतिक्षा में पूरा जीवन गुजार सकते हैं जब सबकुछ परिपूर्ण रूप से ठीक हो जाए । लेकिन परमेश्वर को खोजने, दूसरों की सेवकाई करने, और दूसरों के साथ अपने अनुभव बांटने के लिये पूर्णरूप से समर्पित होने का समय अभी है ।

अपने हैट, लाठी, रूमाल, अस्त-व्यस्त घर को पीछे छोड़ दो ।10

उनके लिये जो पहले से ही इस मार्ग पर चल रहे हैं, हिम्मत, करूणा, भरोसा रखो, और चलते रहो !

उनसे जिन्होंने यह मार्ग छोड़ दिया, कृपया लौट आओ, हमारे साथ फिर से शामिल हो जाओ, हमें मजबूत करो ।

और उनसे जिन्होंने अभी आरंभ नहीं किया है, देर क्यों करते हो ? यदि आप इस आत्मिक यात्रा के चमत्कारों को अनुभव करना चाहते हो, अपनी स्वयं के महान अभियान को आरंभ करो ! प्रचारकों से बात करो । अपने अंतिम-दिनों के संत मित्रों से बात करो । उनसे इस अति अद्भुत और अचम्भे कार्य के बारे में बात करो ।11

यह आरंभ करने का समय है !

आओ, हमारे साथ शामिल हो जाओ !

यदि आप महसूस करते हैं कि आपका जीवन अधिक अर्थपूर्ण, एक उच्चत्तर उद्देश्य, अधिक मजबूत पारिवारिक बंधन और परमेश्वर से अधिक निकट संबंध हो सकता है, तो कृपया, आओ हमारे साथ शामिल हो जाओ ।

यदि आप ऐसे लोगों का समुदाय चाहते हो जो स्वयं का उत्तम बनने का प्रयास कर रहे हैं, जो जरूरतमंदों की मदद करते हैं, और विश्व को एक बेहतर स्थान बनाते हैं, तो हमारे साथ शामिल हो जाओ ।

आओ और देखें इस अद्भुत, आश्चर्यजनक, और साहसिक यात्रा में क्या है ।

इस मार्ग में चलते हुए आप स्वयं समझ जाओगे ।

आप इसके अर्थ को समझ जाओगे ।

आप परमेश्वर को समझ जाओगे ।

आप अपने जीवन की अत्याधिक साहसिक और महिमापूर्ण यात्रा को समझ जाओगे ।

इसकी गवाही मैं हमारे मुक्तिदाता उद्धारकर्ता, यीशु मसीह के नाम में देता हूं, आमीन ।

विवरण

  1. J. R. R. Tolkien, The Hobbit or There and Back Again (2001), 3.

  2. Subtitle of The Hobbit.

  3. मूसा 3:17

  4. देखें अय्यूब 38:4–7 (भोर के तारे एक संग आनंद से गाते थे); यशायाह 14:12–13 (“अपने सिंहासन को ईश्वर के तारागण से अधिक ऊंचा करूंगा”); प्रकाशितवाक्य 12:7–11 (स्वर्ग में युद्ध हुआ था) ।

  5. “The Prophet Joseph Smith described agency as ‘that free independence of mind which heaven has so graciously bestowed upon the human family as one of its choicest gifts’ [Teachings of the Prophet Joseph Smith, comp. Joseph Fielding Smith (1977), 49]. यह “मन की स्वतंत्रता,” या स्वतंत्रता वह शक्ति है जो उनमें है जो उन्हें “स्वयं कार्य करने के लिये स्वतंत्र” करती है (सि&अ58:28)। It encompasses both the exercise of the will to choose between good and evil or differing levels of good or evil and also the opportunity to experience the consequences of that choice. Heavenly Father loves His children so much that He wants us to reach our full potential—to become as He is. To progress, a person must possess the innate capacity to make his or her desired choice. Agency is so fundamental to His plan for His children that ‘even God could not make men like himself without making them free’ [David O. McKay, “Whither Shall We Go? Or Life’s Supreme Decision,” Deseret News, June 8, 1935, 1]” (Byron R. Merrill, “Agency and Freedom in the Divine Plan,” in Roy A. Prete, ed., Window of Faith: Latter-day Saint Perspectives on World History [2005], 162).

  6. अपने उपन्यास में हैरी पॉटर एंड द चेंबर ऑफ सीक्रेट्स, लेखिका जे. के. राउलिंग ने हॉगवर्ट्स के हेडमास्टर डंबलडोर को युवा हैरी पॉटर के समान कहा था । यह हम सबों के लिये बढ़िया सलाह भी है । मैंने इसे संदेशों में पहले भी उपयोग किया है और सोचता हूं यह दोहराया जाने के योग्य है ।

  7. “हे प्रियों, अब हम परमेश्वर की संतान हैं, और अब तक यह प्रकट नहीं हुआ, कि हम क्या कुछ होंगे: इतना जानते हैं, कि जब वह प्रकट होगा तो हम भी उसके समान होंगे, क्योंकि उस को वैसा ही देखेंगे जैसा वह है” (1 यूहन्ना 3:2; महत्व जोड़ा गया है) ।

    While such a transformation may be beyond our ability to comprehend, “the Spirit itself beareth witness with our spirit, that we are the children of God:

    “और यदि संतान हैं, तो वारिस भी, बरन परमेश्वर के वारिस और मसीह के संगी वारिस हैं; जबकि हम उसके साथ दुख उठाएं कि उसके साथ महिमा भी पाएं ।

    “क्योंकि मैं समझता हूं, कि इस समय के दुख और क्लेश उस महिमा के सामने, जो हम पर प्रकट होने वाली है, कुछ भी नहीं हैं (रोमियों 8:16–18; महत्व जोड़ा गया है)।

  8. देखें मत्ती 28: 16–20

  9. Tolkien, The Hobbit, 33.

  10. देखें लूका 09:59–35

  11. See LeGrand Richards, A Marvelous Work and a Wonder, rev. ed. (1966).