2010–2019
अनुबंध संबंध
अक्टूबर 2019 महा सम्मेलन


अनुबंध संबंध

परमेश्वर से संबंध रखना और एक दूसरे के साथ उसके अनुबंधित मार्ग में चलना अनुबंध संबंध द्वारा आशीषित होना है ।

प्रिय भाइयों और बहनों, कहानी एक प्राथमिक बच्चे की है जाे प्रार्थना करना सीख रहा है। “अक्षर ए, अक्षर बी, … अक्षर जी के लिये आपको धन्यवाद” बच्चा आगे प्रार्थना करता है, “अक्षर एक्स, वाई, जे़ड के लिये धन्यवाद । प्रिय स्वर्गीय पिता, अंक 1, अंक 2 के लिये धन्यवाद ।” प्राथमिक शिक्षिका चिंता करती है लेकिन इंतजार करती हैं । बच्चा कहता, “धन्यवाद अकं 5, अंक 6—और प्राथमिका शिक्षिका के लिये धन्यवाद । वाे ही एक ऐसी व्यक्ति है जाे मुझे मेरी प्रार्थना पूरी करने देती है ।”

स्वर्गीय पिता प्रत्येक बच्चे की प्रार्थना सुनता हैं । असीमित प्रेम के साथ, वह हमें विश्वास में आने और अनुबंध में उसके गिरजे का हिस्सा बनने के लिये प्रोत्साहित करता है ।

यह संसार धोखा, छल-कपट, कुटिलता की बहुत सी बातों से भरा पड़ा है । बहुत कुछ अस्थाई और सतही लगता है । जब हम छल, दिखावा, सोशल मीडिया पर दूसरों द्वारा व्यक्त किए गए पसंद और नापसंद पर ध्यान नहीं देते हैं, तो हम सतही, क्षणिक रिश्तों, या संसारिक स्वार्थों की चाहत से अधिक की लालसा करते हैं । शुक्र है, इन विषयों का समाधान करने का एक तरीका है ।

जब हम अनुबंध के द्वारा परमेश्वर और अपने आस-पास के लोगों से प्रेम करने के लिये परमेश्वर की महान आज्ञाएं मानते हैं तो, हम ऐसा अजनबी या मेहमान के रूप में नहीं, बल्कि घर में उसके बच्चे के रूप में करते हैं ।1 प्राचीन झूठी बात अभी भी सत्य है । अनुबंध संबंध के द्वारा अपने संसारिक अस्तित्व को खोकर, हम अपने सर्वोत्तम—स्वतंत्र, सजीव, वास्तविक, अनंत अस्तित्व2 को पाते और बनाते, और अपने अति महत्वपूर्ण रिश्तों को परिभाषित करते हैं । अनुबंध संबंध, पावन विधियों द्वारा, परमेश्वर और एक दूसरे के साथ सच्ची प्रतिज्ञा बनाना और पालन करना है, जो धार्मिकता की शक्ति हमारे जीवनों में आमंत्रित करती हैं ।3 जब जो कुछ हम हैं उसके आधार पर अनुबंध करते हैं, तो जो हम हैं उसे अधिक बन सकते हैं । अनुबंध संबंध हमें बनने के लिये स्थान, समझ, क्षमता देता है । यह जीवन में विश्वास और उद्धार लाता है ।4

दिव्य अनुबंध परमेश्वर के लिये और उससे प्रेम करने, और इसी प्रकार से एक-दूसरे के लिये और उनसे प्रेम करने का स्रोत बन जाते हैं । परमेश्वर, हमारा स्वर्गीय पिता हमसे उससे अधिक प्रेम करता और जानता है जितना हम स्वयं से प्रेम करते या स्वयं को जानते हैं । यीशु मसीह में विश्वास और व्यक्तिगत परिवर्तन(पश्चाताप) दया, अनुग्रह, क्षमा लाता है । ये नश्वरता में अनुभव किए जाने वाली पीड़ा, अकेलापन, अन्याय में दिलासा देते हैं । हमारा स्वर्गीय पिता चाहता है हम परमेश्वर के सर्वोत्तम उपहार—उसका आनंद, उसके अनंत जीवन को प्राप्त करें ।5

हमारा पिता अनुबंध का पिता है । अपने स्वभाव के कारण, वह “अनुबंध का पालन करता और दया दिखाता है ।”6 उसके अनुबंध तब तक कायम रहेंगे “जबतक अंत काल नहीं आता, या जबतक पृथ्वी कायम रहेगी, या जबतक एक भी व्यक्ति पृथ्वी पर बचाए जाने के लिये बचा रहेगा ।”7 हम नश्वरता में अनिश्चितता और संदेह में भटकने के लिये नहीं, बल्कि अपने अनुबंधित संबंधो जोकि “मृत्यु के बंधनों से अधिक मज़बूत हैं” में आनंदित होने के लिये बने हैं ।8

परमेश्वर की विधियां और अनुबंध सभी के लिये एक समान हैं, और इन्हें पूरा करने की आवश्यकताएं भी एक समान हैं । परमेश्वर की निष्पक्षता में, प्रत्येक व्यक्ति प्रत्येक स्थान और आयु के उद्धार की विधियों को प्राप्त कर सकता है । स्वतंत्रता दी गई है—लोग चुनाव करते हैं- वे चाहे तो इन विधियों को स्वीकार कर सकते हैं । परमेश्वर की विधियां उसके अनुबंधित मार्ग पर मार्गदर्शन करती हैं । अपने बच्चों को वापस लाने की परमेश्वर की योजना को हम मुक्ति की योजना, उद्धार की योजना, सुख की योजना कहते हैं । मुक्ति, उद्धार, सिलेस्टियलल सुख यीशु मसीह के “परिपूर्ण प्रायश्चित के द्वारा” संभव हैं ।9

परमेश्वर से संबंध रखना और एक दूसरे के उसके अनुबंधों के मार्ग पर चलना अनुबंध संबंध के द्वारा आशीषित होना है ।

पहला, अनुबंध संबंध “नई वाचा के मध्यस्थ के रूप” यीशु मसीह में केंद्रित होता है ।10 सब बातें मिलकर हमारी भलाई के कार्य करती हैं जब हम “परमेश्वर के अनुग्रह द्वारा मसीह में पवित्र हाेते हैं, … पिता के अनुबंध में शामिल हाे कर ।”11 प्रत्येक उत्तम और प्रतिज्ञा की गई आशीष उन्हें मिलती है जो अंत तक विश्वासी बन रहते हैं । उन “आनंदित लोगों की स्थिति को ध्यान में रखो जो परमेश्वर की आज्ञाओं का पालन करते हैं । क्योंकि देखो, उनको सभी बातों में आशीष प्राप्त है चाहे वह शारीरिक हो या आत्मिक; और … वे अनंत सुख की स्थिति में परमेश्वर के साथ रहेंगे ।”12

जब हम अपने अनुबंधों का सम्मान करते हैं, तो कभी-कभी हम महसूस करते हैं कि हम स्वर्गदूतों की संगति में हैं । और हम होंगे स्वर्गदूतों की संगति में—जिनसे हम प्रेम करते और जो हमें परदे के इस ओर आशीष देते हैं और जो परदे की दूसरी ओर से हमें प्रेम करते और आशीष देते हैं ।

हाल ही में बहन गोंग और मैंने अनुबंध संबंध के उत्तम उदाहरण को अस्पताल के कमरे में देखा था । एक युवा पिता को गुर्दा बदलने की सख्त आवश्यकता थी । उस के लिये गुर्दा प्राप्त करने के लिये उसका परिवार रोया, उपवास रखा, और प्रार्थना की । जब खबर आई कि गुर्दा मिल गया है, तो उसकी पत्नी ने शांति से कहा, “मैं आशा करती हूं कि अन्य परिवार ठीक है ।” अनुबंध द्वारा संबंध रखना, प्रेरित पौलुस के शब्दों में, “कि मैं तुम्हारे बीच में होकर तुम्हारे साथ उस विश्वास के द्वारा जो मुझ में, और तुम में है, शांति पाऊं ।”13

जीवन के इस मार्ग में, हम परमेश्वर में विश्वास खो सकते हैं, लेकिन वह हम में विश्वास नहीं खोता है । जैसा कहा जाता है, वह द्वार पर खड़ा हमारे आने की प्रतिक्षा करता है । वह हमें उन अनुबंधों पर आने या वापस लौटने का निमंत्रण देता है जो उसके मार्ग की ओर ले जाते हैं । वह हमें गले लगाने की प्रतिक्षा करता है, जबकि हम “अभी दूर ही हैं ।”14 जब हम अपने जीवन के उतार-चढ़ावों या अनुभवों को विश्वास की दृष्टि से देखते हैं, तो हम उसके दयालु अनुग्रहों और प्रोत्साहन को देख सकते हैं, विशेषरूप से हमारी परिक्षाओं, दुखों और चुनौतियों में, हमारी खुशियों में भी । बेशक हम कितनी बार ठोकर खाएं या असफल हों, यदि हम उसकी ओर बढ़ते रहते हैं, वह हमारी मदद करेगा, एक समय में एक कदम ।

दूसरा, मॉरमन की पुस्तक प्रमाण है जिसे हम अपने हाथ में अनुबंध संबंध को थाम सकते हैं । मॉरमन की पुस्तक नये अनुबंध के रूप में परमेश्वर के बच्चों को एकत्रित करने के लिए, प्रतिज्ञा किया गया साधन है ।15 जब हम मॉरमन की पुस्तक को पढ़ते हैं, स्वयं और दूसरों के साथ, चाहे मन में या जोर से, हम परमेश्वर से “सच्चे हृदय के साथ, वास्तविक उद्देश्य से” पूछ सकते हैं, और पवित्र आत्मा की शक्ति से परमेश्वर का आश्वासन प्राप्त कर सकते हैं कि मॉरमन की पुस्तक सच्ची है ।16 इस में यह आश्वासन शामिल है कि यीशु मसीह हमारा उद्धारकर्ता है, जोसफ स्मिथ पुनास्थापना के भविष्यवक्ता हैं, और प्रभु का गिरजा उसके नाम द्वारा बुलाया जाता है—अंतिम-दिनों के संतों के यीशु मसीह का गिरजा ।17

मॉरमन की पुस्तक प्राचीन और वर्तमान अनुबंध के द्वारा आप से बात करती है, जो लेही के बच्चे, “भविष्यवक्ताओं की संतान है ।”18 आपके पूर्वजों को प्रतिज्ञा का अनुबंध प्राप्त हुआ था, कि उनके वंशज, एक आवाज़ को पहचान लेंगे जैसा मॉरमन की पुस्तक में लिखा है कि कोई धरती से पुकार रहा है ।19 वह आवाज़ जो आप पढ़ते समय महसूस करते हो गवाही देती है कि “आप अनुबंधित बच्चे हो”20 और यीशु ही आपका चरवाहा है ।

मॉरमन की पुस्तक हम में से प्रत्येक को निमंत्रण देती है, अलमा के शब्दों में, “तुमने उसके साथ अनुबंध किया है, कि [हम] उसकी सेवा करेंगे और उसकी आज्ञाओं का पालन करेंगे, ताकि वह [हमारे] ऊपर अपनी आत्मा अधिकता से उड़ेल सके ।” 21जब हम अच्छे के लिये बदलना चाहते हैं—जैसा किसी ने लिखा है, “दुखी होना बंद करके और सुखी होकर आनंदित रहकर”—हम दिशा, मदद, और सामर्थ स्वीकार करने के योग्य होते हैं । हम अनुबंध के द्वारा परमेश्वर और विश्वासियों से संबंध रखने के लिये आ सकते हैं और हम मसीह के सिद्धांत की प्रतिज्ञा की आशीष प्राप्त करते हैं—अब ।22

उसके बच्चों को पुनास्थापित पौरोहित्य अधिकार से आशीषित करने के अनुबंध संबंध रखने का तीसरा हिस्सा है । इस युग में, यूहन्ना बपतिस्मा देने वाला और प्रेरित पतरस, याकूब, और यूहन्ना महिमापूर्ण संदेशवाहक के रूप में उसके पौरोहित्य अधिकार को पुनास्थापित करने के लिये परमेश्वर की ओर से आए हैं ।23 परमेश्वर का पौरोहित्य और उसकी विधियां पृथ्वी पर रिश्तों को मधुर और स्वर्ग में अनुबंधित रिश्तों को मुहरबंद करती हैं ।24

पौरोहित्य वास्तव में जन्म से मृत्यु तक आशीषित कर सकता है—नवजात शिशु के नामकरण से लेकर कब्र को आशीषित करने तक । पौरोहित्य आशीषें चंगाई, दिलासा, सलाह देताी हैं । एक पिता अपने बेटे से नाराज़ था, आखिरकार प्रेम उत्पन्न हुआ जब पिता ने अपने बेटे को पौरोहित्य आशीष दी थी । अपने परिवार में एकमात्र सदस्य के रूप में, एक युवा मां अपने प्रति परमेश्वर के प्रेम के बारे में अनिश्चित थी जबतक उसने प्रेरणादायक पौरोहित्य आशीष को प्राप्त नहीं किया था । विश्वभर में, नेक कुलपति, कुलपति की आशीषें देने के लिये आत्मकि रूप से तैयार होते हैं । जब कुलपति अपने हाथों को आपके सिर पर रखता है, वह आपके प्रति परमेश्वर के प्रेम को महसूस और व्यक्त करता है । वह आपकी वंशावली को इस्राएल के घराने में घोषित करता है । वह प्रभु से आशीषों को बताता है । विचार करने के योग्य है, एक कुलपति की पत्नी ने मुझे बताया था कि कैसे वह और उसका परिवार विशेषकर उन दिनों में आत्मा को आमंत्रित करता है जब उनके पापा कुलपति की आशीष देते हैं ।

अंत में, अनुबंध संबंध रखने की आशीषें आती हैं जब हम प्रभु के भविष्यवक्ता और अनुबंधित जीवन जीने में आनंद मनाते हैं, विवाह सहित । अनुबंधित विवाह पवित्र और अनंत हो जाता है जब हम प्रतिदिन स्वयं की खुशी के सामने अपने पति/पत्नी और परिवार की खुशी को महत्व देते हैं । जब “मैं” की जगह “हम” ले लेता है, तो हम मिलकर विकास करते हैं । हम एकसाथ बूढ़े होते हैं; हम एकसाथ जवान होते हैं । जब हम जीवन के दौरान स्वयं को भूल कर एक दूसरे को आशीषित करते हैं, तो हम अपनी आशाओं और आनंदों को समय और अनंतकाल में पवित्र पाते हैं ।

जबकि परिस्थितियां भिन्न हो सकती हैं, जब हम अपना सर्वोत्तम देते हैं, और जीवन के मार्ग में ईमानदारी से उसकी मदद मांगते और चाहते हैं, तो प्रभु पवित्र आत्मा के द्वारा हमारा मार्गदर्शन करेगा, अपने समय और तरीके से ।25 विवाह के अनुबंध उनके आपसी इच्छा से मान्य होते हैं जो उन्हें बनाते हैं—परमेश्वर की और चुनने की हमारी स्वतंत्रता का सम्मान करते हुए और उसकी मदद की आशीषों की याद में जब हम संगठित होकर इसे चाहते हैं ।

अनुबंध संबंध की आशीषें हमारे घरों और हृदयों में परिवार की सभी पीढ़ियों में महसूस की जाती हैं । मैं व्यक्तिगत उदाहरणों से समझाना चाहता हूं ।

जब बहन गोंग और मेरे बीच में प्रेम हाे रहा था और हम विवाह की ओर जा रहे थे, तब मैंने स्वतंत्रता और निर्णयों के बारे में सुना था । कुछ समय के लिये, हम दो भिन्न महाद्वीपों पर दो भिन्न देशों में स्कूल मे पढ़ रहे थे । इसलिये मैं ईमानदारी से कह सकता हूं कि मैंन अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में पीएचडी की है ।

जब मैंने पूछा, “स्वर्गीय पिता क्या मुझे सूसन से विवाह करना चाहिए ?” मैंने शांति महसूस की । लेकिन जब मैंने वास्तविक उद्देश्य से प्रार्थना करना सीखा, “स्वर्गीय पिता, मैं सूसन से प्रेम करता हूं और उससे विवाह करना चाहता हूं ।” मैंने प्रतिज्ञा की मैं उत्तम पति होऊंगा और पिता भी हो सकता हूं”—जब मैंने ऐसा किया और अपना उत्तम निर्णय लिया, उस समय सबसे प्रभावशाली आत्मिक स्वीकृति मिली थी ।

अब, हमारा गोंग और लिंडसे पारिवारिक खोज परिवार वृक्ष, कहानियां, और फोटो खोज करने, जोड़ने, और पीढ़ी के अनुभव अनुबंध संबंध बनाने में हमारी मदद करते हैं । 26 हमारे लिये, सम्मानित पूर्वजों में निम्नलिखित शामिल हैं:

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ऐलिस ब्लेयर बैंगरटर

पर-नानी ऐलिस ब्लेयर बैंगरटर, जिनके पास एक दिन में तीन विवाह प्रस्ताव थे, बाद में अपने पति से मक्खन बनाने के यंत्र पैडल लगाने को कहा था ताकि वह एक ही समय मक्खन, बुनाई और पढ़ सके ।

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Loy Kuei Char

पर-दादा लॉय कुई चार अपने बच्चों को अपनी पीठ पर उठा कर और परिवार के कुछ सामान को गधे पर रखा कर उन्होंने हवाई का बड़ा द्वीप पर लावा मैदानों को पार किया था । चार परिवार की पीढ़ियों की प्रतिबद्धता और बलिदान आज उनके परिवार को आशीषित करती हैं ।

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मैरी एलिस पॉवेल लिंडसे

दादी मैरी एलिस पॉवेल लिंडसे पांच छोटे बच्चाें के साथ अकेले रह गई थी जब उनके पति और सबसे बड़े बेटे का निधन कुछ दिनों के अंतर में हुआ था । 47 वर्ष की विधवा, दादी ने स्थानीय मार्गदर्शकों और सदस्यों की सहायता से अपने परिवार को पाला था । इन कई वर्षों के दौरान, दादी ने प्रभु से प्रतिज्ञा की थी यदि वह उसकी मदद करेगा, ताे वह कभी शिकायत नहीं करेंगी । प्रभु ने उनकी मदद की । उन्होंने कभी शिकायत नहीं की ।

भाइयों और बहनों, पवित्र आत्मा द्वारा गवाही देने के द्वारा, प्रत्येक अच्छी और अनंत बात परमेश्वर हमारे अनंत पिता और उसके पुत्र, यीशु मसीह, और उसके प्रायश्चित की जीवित सच्चाई में केंद्रित होती हैं । हमारा प्रभु, यीशु मसीह, नये अनुबंध का मध्यस्थ है । यीशु मसीह की गवाही देना मॉरमन की पुस्तक का अनुबंधित उद्देश्य है ।27 शपथ और अनुबंध के द्वारा, परमेश्वर का पुनास्थापित पौरोहित्य अधिकार परमेश्वर के सभी बच्चों को आशीषित करने के लिये हैं, जिसमें शामिल हैं अनुबंध, पीढ़ीगत परिवारिक, और व्यक्तिगत आशीषें ।

हमारे उद्धारकर्ता ने कहा है, “मैं अलफा और ओमेगा हूं, प्रभु मसीह; हां, यहां तक कि मैं ही, आरंभ और अंत हूं, संसार का मुक्तिदाता ।”28

आरंभ से हमारे साथ , वह, हमारे सभी अनुबंध संबंध रखने में, अंत तक हमारे साथ है । मैं यह गवाही यीशु मसीह के पावन और पवित्र नाम में देता हूं, आमीन ।