महा सम्मेलन
स्तंभ और किरणें
अप्रैल 2024 महा सम्मेलन


स्तंभ और किरणें

हमें भी प्रकाश का अपना स्तंभ प्राप्त कर सकते हैं—एक समय में एक किरण पाकर।

मेरा संदेश उन लोगों के लिए है जो अपनी गवाही के बारे में चिंता करते हैं क्योंकि उन्हें अभी तक प्रभावशाली आत्मिक अनुभव नहीं हुए हैं। मैं प्रार्थना करता हूं कि उन्हें कुछ शांति और आश्वासन दे पाऊंगा।

यीशु मसीह के सुसमाचार की पुन:स्थापना प्रकाश और सच्चाई के अचानक प्रकट होने से आरंभ हुई थी! न्यूयॉर्क प्रदेश में जोसफ स्मिथ नामक बहुत ही साधारण किशोर बालक, प्रार्थना करने वृक्षों के उपवन में जाता है। वह अपनी आत्मा और परमेश्वर के समक्ष अपनी स्थिति को लेकर चिंतित है। वह अपने पापों के लिए क्षमा मांगता है। और वह उलझन में है कि कौन से गिरजे में शामिल होना है। उसे स्पष्ट समझ और शांति की आवश्यकता है—उसे प्रकाश और ज्ञान की आवश्यकता है।1

जैसे ही जोसफ प्रार्थना करने के लिए घुटने टेकता और “[अपने] हृदय की अभिलाषाओं को परमेश्वर को समर्पित करता है,” घना अंधकार उसे घेर लेता है। कुछ बुरी, दमनकारी, और बहुत वास्तविक शक्ति उसे रोकने की कोशिश करती है—उसकी जीभ को बांधती है ताकि वह बोल न सके। अंधकार की शक्तियां इतनी तीव्र हो जाती हैं कि जोसफ को लगता है कि वह मरने वाला है। लेकिन वह “शत्रु की इस शक्ति से स्वयं को मुक्त करने के लिए उसने अपनी संपूर्ण शक्ति का उपयोग करते हुए परमेश्वर को पुकारा, जिसने उसे जकड़ रखा था।” और फिर, “उसी क्षण जब [वह] निराशा में डूबने और स्वयं के नाश के लिए तैयार था,” जब वह नहीं जानता कि वह इसका सामना और अधिक कर सकता है, तभी एक शानदार प्रकाश उस उपवन में भर जाता है, अंधेरे और उसकी आत्मा के शत्रु को दूर भगाता है।2

सूर्य से अधिक उज्जवल एक “प्रकाश का स्तंभ” धीरे-धीरे उस पर उतरता है। एक व्यक्ति दिखाई देता है, और फिर दूसरा।2 जिनकी चमक और महिमा का वर्णन करना कठीन है। पहला, हमारा स्वर्गीय पिता, उसका नाम लेता है, “दूसरे की ओर इशारा करते हुए—[जोसफ!] उसने कहा: “यह मेरा प्रिय पुत्र है। इसकी सुनो!4

और प्रकाश और सच्चाई के अचानक प्रकट होने के साथ, पुन:स्थापना आरंभ हुई है। उसके बाद दिव्य प्रकटीकरण और आशीषों की मानो बाढ़-सी आ गई: नया पवित्र शास्त्र, पुन:स्थापित पौरोहित्य कुंजियां, प्रेरित और भविष्यवक्ता, विधियां और अनुबंध, और प्रभु के सच्चे और जीवित गिरजे की पुन:स्थापना हुई, जो किसी दिन पृथ्वी को यीशु मसीह और उसके पुन:स्थापित सुसमाचार के प्रकाश और गवाही से भर देगा।

वह सब, और भी बहुत कुछ, एक किशोर बालक की हताश प्रार्थना और प्रकाश के स्तंभ के साथ आरंभ हुआ था।

हमारी भी अपनी हताश आवश्यकताएं हैं। हमें भी आत्मिक भ्रम और सांसारिक अंधकार से मुक्ति की आवश्यकता है। हमें भी स्वयं जानने की आवश्यकता है।5 यही कारण है कि अध्यक्ष रसल एम. नेल्सन ने हमें स्वयं को “पुन:स्थापना के शानदार प्रकाश में ओत-प्रोत करने” 6 के लिए आमंत्रित किया है।

पुन:स्थापना की महान सच्चाइयों में से एक यह है कि आकाश खुला है—कि हम भी स्वर्ग से प्रकाश और ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं। मैं गवाही देता हूं कि यह सच है।

लेकिन हमें आत्मिक जाल से सावधान रहना चाहिए। कभी-कभी विश्वासी गिरजे के सदस्य हतोत्साहित हो जाते हैं और दूर चले जाते हैं क्योंकि उन्हें प्रभावशाली आत्मिक अनुभव प्राप्त नहीं होते हैं—क्योंकि उन्होंने अपने स्वयं प्रकाश के स्तंभ का अनुभव नहीं किया है। अध्यक्ष स्पेंसर डब्ल्यू. किंबल ने चेतावनी दी, “हमेशा चमत्कार होने की आशा के कारण, कई लोग प्रकटीकरण के निरंतर प्रवाह को प्राप्त नहीं कर पाएंगे।”7

इसी तरह अध्यक्ष जोसफ एफ. स्मिथ ने याद किया था, “प्रभु ने मुझ से चमत्कार रोक दिए थे [जब मैं छोटा था], और मुझे पंक्ति दर पंक्ति, नियम पर उपदेश, थोड़ा यहां और वहां थोड़ा करके सच्चाई दिखाई गई थी।”8

भाइयों और बहनों, यह प्रभु का विशेष तरीका है। हमें प्रकाश का स्तंभ भेजने के बजाए, प्रभु हमें निरंतर प्रकाश की छोटी किरणें भेजता है, एक के बाद एक।

प्रकाश की वे किरणें लगातार हमें प्राप्त हो रही हैं। पवित्र शास्त्र सिखाते हैं कि यीशु मसीह “प्रकाश और … संसार का जीवन” है,9 कि उसकी “आत्मा हर एक पुरुष [और स्त्री] को प्रकाश देती है जो जगत में आता है,”10 और यह कि उसका प्रकाश “आकाश की विशालता को भरता है,” और “सभी को जीवन” देता है।”11 मसीह का प्रकाश सचमुच हमारे चारों ओर है।

यदि हमने पवित्र आत्मा का उपहार प्राप्त किया है और हम विश्वास करने, पश्चाताप करने और अपने अनुबंधों का पालन करने का प्रयास कर रहे हैं, तो हम इन दिव्य किरणों को लगातार प्राप्त करने के योग्य रहते हैं। एल्डर डेविड ए. बेडनार के यादगार वाक्यांश में, “हम ‘प्रकटीकरण के समय में जी रहे हैं।’”12

और फिर भी, हम में से प्रत्येक भिन्न है। कोई भी दो लोग परमेश्वर के प्रकाश और सच्चाई को एक समान तरीके से प्राप्त नहीं करते हैं। इस बारे में सोचने के लिए कुछ समय निकालें कि आप प्रभु के प्रकाश और आत्मा को कैसे प्राप्त करते हैं।

आपने प्रकाश और गवाही के अचानक प्रकट होने को अनुभव किया होगा जब “इसने [किसी] विषय के संबंध में” आपके मन को शांत किया था जिसे लेकर आप चिंतित थे।13

या किसी प्रभाव के रूप में—एक धीमी हल्की वाणी—जिसने “आपके मन में और आपके हृदय में” वास किया”14 और आपको कुछ अच्छा करने के लिए प्रेरित किया था, जैसे कि किसी की मदद करना।

हो सकता है आप गिरजे में किसी कक्षा में हों—या किसी युवा शिविर में—और यीशु मसीह का अनुसरण करने और विश्वासी बने रहने की तीव्र इच्छा महसूस की हो।15 शायद आप भी खड़े हुए हों और गवाही साझा की थी जो आपकी आशा में सच्ची थी और फिर महसूस किया था कि यह सच्ची थी।

या शायद आप प्रार्थना कर रहे हों और आनंदायक आश्वासन महसूस किया हो कि परमेश्वर आपसे प्रेम करता है।16

आपने शायद किसी को यीशु मसीह की गवाही देते सुना हो, और इसने आपके हृदय को स्पर्श किया और आपको आशा से भर दिया था।17

शायद आप मॉरमन की पुस्तक में पढ़ रहे थे और किसी पद ने आपकी आत्मा से बात की, मानो परमेश्वर ने इसे सिर्फ आपके लिए लिखा था—और एहसास हुआ कि यह आपके लिए था।18

शायद आपने दूसरों के प्रति परमेश्वर के प्रेम को महसूस किया हो जब आप उनकी सेवकाई में हो।19

हो सकता है कि अवसाद या चिंता के क्षणों में आपके लिए आत्मा को महसूस करना कठिन हो, लेकिन आपके पास “प्रभु की कोमल दया” को पीछे मुड़कर देखने और पहचानने का अनमोल उपहार और विश्वास हो।20

मेरा कहना यह है कि गवाही की स्वर्गीय किरणें प्राप्त करने के कई तरीके हैं। अवश्य ही, ये केवल कुछ ही हैं। हो सकता हो वे इतने नाटकीय न हों, लेकिन वे सभी हमारी गवाही का हिस्सा होते हैं।

भाइयों-बहनों, मैंने प्रकाश का स्तम्भ तो नहीं देखा, लेकिन, आपकी तरह, मैंने भी अनेक दिव्य किरणों का अनुभव किया है। वर्षों से, मैंने ऐसे अनुभवों को संजोने की कोशिश की है। मैं समझता है कि जब मैं उन्हें संजोता हूं, तो मैं उन्हें अधिक पहचानता और याद रखता हूं। यहां मेरे अपने जीवन से कुछ उदाहरण हैं। हो सकता है वे कुछ के लिए बहुत प्रभावशाली न हों, लेकिन वे मेरे लिए अनमोल हैं।

मुझे याद है कि मैं एक बपतिस्मा सभा के दौरान नटखट किशोर था। जब सभा शुरू होने वाली थी, तो मैंने महसूस किया कि आत्मा मुझे बैठने और श्रद्धालु होने को कह रही है। मैं बैठ गया और बाकी सभा में चुप बैठा रहा।

अपने मिशन से पहले, मुझे डर था कि मेरी गवाही उतनी मजबूत नहीं थी। मेरे परिवार में किसी ने मिशन की सेवा नहीं की थी, और मुझे पता नहीं था कि मैं इसे कर सकता था या नहीं। मुझे याद है कि यीशु मसीह की दृढ़ गवाही प्राप्त करने के लिए मैंने कठोर अध्ययन और प्रार्थना की थी। फिर एक दिन, जब मैंने स्वर्गीय पिता से विनती की, तो मुझे प्रकाश और उत्साह की एक शक्तिशाली भावना महसूस हुई थी। और मुझे पता चला। मुझे उसी क्षण पता चला था।

मुझे याद है कि सालों बाद एक रात “पवित्र आत्मा” के प्रभाव ने मुझे बताया गया था कि मुझे एल्डर परिषद में सेवा करने के लिए नियुक्त किया जाएगा।21 दो हफ्ते बाद मुझे नियुक्त किया गया था।

मुझे एक महा सम्मेलन याद है जहां बारह प्रेरितों की परिषद के प्रिय सदस्य ने गवाही के उन्हीं शब्दों को कहा था जिन्हें मैंने एक मित्र को बताया था और उन्हें मैं सुनने की आशा करता था।

मुझे याद है कि मैंने सैकड़ों भाइयों के साथ घुटने टेककर एक प्रिय मित्र के लिए प्रार्थना की थी जो हृदय रुक जाने के बाद छोटे, सुदूर अस्पताल में वेंटिलेटर पर बेहोश पड़ा था। जब हमने उसके जीवन के लिए याचना करते हुए अपने हृदयों को एक किया, वह उठा खड़ा हुआ और अपने गले से वेंटिलेटर निकाल दिया था। वह आज स्टेक अध्यक्ष के रूप में सेवा कर रहा है।

और मुझे याद है कि एक प्रिय मित्र और सलाहकार को सपने में देखने के बाद प्रभावशाली आत्मिक भावनाओं के साथ जागना जिसका बहुत जल्दी निधन हो गया और वह मेरे जीवन में एक बड़ा खाली स्थान छोड़ गया था। वह मुस्करा रहा था और खुश था। मुझे पता था कि वह ठीक था।

ये मेरी कुछ किरणें हैं। आपको अपने अनुभव हुए हैं—गवाही के आपके अपने चमकदार प्रकाश का अचानक प्रकट होना। जब हम इन किरणों को पहचानते हैं, याद करते हैं, और इकट्ठा करके “एक करते हैं,”22 तो कुछ अद्भुत और प्रभावशाली होने लगता है। “समझ से समझ जुड़ी रहती है”—“सच्चाई को सच्चाई गले लगती है।”23 गवाही की एक किरण की वास्तविकता और शक्ति दूसरे को मजबूत करती और जोड़ती है, एक के बाद एक। नियम पर नियम, आज्ञा पर आज्ञा, थोड़ी किरण यहां, थोड़ी किरण वहां—एक समय में एक छोटा, कीमती आत्मिक क्षण—हमारे भीतर चमकदार, आत्मिक अनुभवों को बढ़ता है। शायद कोई भी किरण इतनी मजबूत या प्रभावशाली नहीं होती है कि वह पूरी गवाही बना सके, लेकिन एक साथ मिलकर वे इतना प्रकाश बना सकती हैं जो संदेह के अंधेरे को दूर कर सकता है।

“ओह फिर, क्या यह सच नहीं है?” अलमा कहता है। “मैं तुमसे कहता हूं, हां, क्योंकि यह प्रकाश है”24

“वह जो परमेश्वर का है प्रकाश है,” प्रभु हमें सिखाता है, “और वह जो प्रकाश प्राप्त करता है, और परमेश्वर में बना रहता है, अधिक प्रकाश प्राप्त करता है; और उस प्रकाश की चमक अधिक चमकदार बन जाती है उस संपूर्ण दिन तक।”25

इसका अर्थ है, भाइयों और बहनों, समय बीतने के साथ और “महान निष्ठा”26 के द्वारा हमारे पास भी प्रकाश का अपना स्तंभ हो सकता है—एक समय में एक किरण। और उस स्तंभ के बीच में, हम भी एक प्रेम करने वाला स्वर्गीय पिता देखेंगे, जो हमें नाम से बुलाता है, हमें हमारे उद्धारकर्ता, यीशु मसीह, की ओर इशारा करता है, और हमें “उसकी सुनने” के लिए आमंत्रित करता है!

मैं यीशु मसीह की गवाही देता हूं, कि वह संपूर्ण संसार का—और आपके और मेरे व्यक्तिगत संसार का प्रकाश और जीवन है।

मैं गवाही देता हूं कि वह सच्चे और जीवित परमेश्वर का सच्चा और जीवित पुत्र है, और वह इस सच्चे और जीवित गिरजे का मुखिया है, जिसका मार्गदर्शन और निर्देशन उसके सच्चे और जीवित भविष्यवक्ताओं और प्रेरितों द्वारा किया जाता है।

हम उसके महिमामय प्रकाश को पहचानें और प्राप्त करें और फिर दुनिया के अंधेरे को दूर करने के लिए उसे चुनें—हमेशा और सदैव। यीशु मसीह के नाम में, आमीन।

विवरण

  1. देखें जोसफ स्मिथ—इतिहास 1:10-13

  2. देखें जोसफ स्मिथ—इतिहास 1:14-16

  3. Joseph Smith, “Journal, 9–1835,” 24, josephsmithpapers.org.

  4. जोसफ स्मिथ—इतिहास 1:17

  5. देखें जोसफ स्मिथ—इतिहास 1:20। जब जोसफ स्मिथ प्रथम दिव्य दर्शन के बाद घर लौटे, तो उनकी मां ने पूछा कि क्या वह ठीक है। उन्होंने जवाब दिया, “मैं एक भिन्न व्यक्ति बन गया हूं। … मैंने अपने लिए सीखा है कि प्रेस्बिटेरियनवाद सच नहीं है”(जोर दिया गया)।

  6. Russell M. Nelson, “Closing Remarks,” Liahona, नवं. 2019, 122।

  7. Spencer W. Kimball, in Conference Report, Munich Germany Area Conference, 1973, 77; quoted in Graham W. Doxey, “The Voice Is Still Small,” Ensign, Nov. 1991, 25.

  8. Teachings of Presidents of the Church: Joseph F. Smith (1998), 201: “जब मैं एक लड़के के रूप में पहली बार सेवकाई शुरू की थी, तो मैं अक्सर बाहर जाता और प्रभु से मुझे चमत्कार दिखाने के लिए कहता था, ताकि मुझे भी गवाही मिल सके। लेकिन प्रभु ने मुझ से चमत्कार नहीं दिखाए, बल्कि मुझे सच्चाई दिखाई, नियम पर नियम, आज्ञा पर आज्ञा, थोड़ा यहां, थोड़ा वहां देकर, उसने मुझे मेरे सिर से पैर तक सच्चाई से आशीषित किया, और जब तक संदेह और भय पूरी तरह से मुझसे निकल नहीं गया था। उसे ऐसा करने के लिए स्वर्ग से किसी स्वर्गदूत को भेजने की आवश्यकता नहीं थी, न ही उसे किसी प्रधान स्वर्गदूत की तुरही बजानी पड़ी थी। जीवित परमेश्वर की आत्मा की धीमी हल्की आवाज से, उसने मुझे वह गवाही दी थी जो मेरे पास है। और इस नियम और शक्ति से वह मनुष्यों के सभी बच्चों को सच्चाई का ज्ञान देगा जो उनके साथ कायम रहेगा, और यह उन्हें सच्चाई को जानने के लिए प्रेरित करेगा, जैसा परमेश्वर जानता है, और पिता की इच्छा पूरी करने के लिए जैसा मसीह जानता है।

  9. मुसायाह 16:9

  10. सिद्धांत और अनुबंध 84:46; यह भी देखें यूहन्ना 1:9.

  11. सिद्धांत और अनुबंध 88:12-13

  12. डेविड ए. बेडनार, The Spirit of Revelation (2021), 7.

  13. सिद्धांत और अनुबंध 6:23

  14. सिद्धांत और अनुबंध 8:2; हिलामन 5:30भी देखें।

  15. मुसायाह 5:2; सिद्धांत और अनुबंध 11:12 भी देखें।

  16. देखें 2 नफी 4:21; हिलामन 5:44

  17. प्रभु ने आत्मिक उपहार के रूप में दूसरों की गवाही पर विश्वास करने की क्षमता की पहचान की है (देखें सिद्धांत और अनुबंध 46:13–14)।

  18. उसी प्रकटीकरण में उसने उनसे कहा,… मेरी वाणी है जो इन्हें तुम से [ये वचन] बोलती है; इसलिये, तुम गवाही दे सकते हो कि तुमने मेरी वाणी सुनी है, और मेरे वचनों को जानते हो” (सिद्धांत और अनुबंध 18:35–36)।

  19. देखें मुसायाह 2:17; मोरोनी 7:45-48

  20. 1 नफी 1:20। एल्डर गेरिट डब्ल्यू. गोंग ने “हमारे जीवन में प्रभु की कई कोमल दयाओं को देखने और आनन्दित होकर आंखों से देखने” के बारे में बात की है” (“Ministering,” Liahona, May 2023, 18) और कैसे “हमारे जीवन में प्रभु का हाथ अक्सर बाद में स्पष्ट दिखाई देता है” (“Always Remember Him,” Liahona, May 2016, 108). हमारे जीवन में प्रभु के हाथ को कृतज्ञतापूर्वक पहचानने और स्वीकार करने का उपहार, भले ही हमने इसे पहचाना या इस समय इसे महसूस नहीं किया, शक्तिशाली होता है। पवित्र शास्त्र अक्सर याद रखने की आत्मिक शक्ति की बात करते हैं (देखें हिलामन 5:9–12; सिद्धांत और अनुबंध 20:77, 79), जो प्रकटीकरण का अग्रदूत हो सकता है (देखें मोरोनी 10:3–4)।

  21. जोसफ स्मिथ ने सिखाया, “कोई व्यक्ति प्रकटीकरण की आत्मा का पहला संकेत देखकर सीख सकता है; उदाहरण के लिए, जब आप महसूस करते हैं कि शुद्ध ज्ञान आप को प्राप्त हो रहा है, तो यह आप के मन में अचानक विचार उत्पन्न कर सकता है, ताकि इस पर ध्यान दे करके, यह उसी दिन या जल्द ही पूरा हो सके; (अर्थात) वे बातें जो परमेश्वर की आत्मा द्वारा आपके मन में आई थी, पूरी होंगी; और इस प्रकार परमेश्वर की आत्मा को सीखकर और उसे समझकर, आप प्रकटीकरण के नियम में प्रगति कर सको, जब तक कि आप मसीह यीशु में परिपूर्ण न हो जाओ” Teachings of Presidents of the Church: Joseph Smith [2007], 132).

  22. इफिसियों 1:10

  23. सिद्धांत और अनुबंध 88:40: “क्योंकि समझ से समझ जुड़ी रहती है; ज्ञान को ज्ञान स्वीकार करता है; सच्चाई को सच्चाई गले लगती है; गुण से गुण प्रेम करता है; ज्योति से ज्योति जुड़ती है।”

  24. अलमा 32:35। अलमा ने जोर दिया कि ये चमकदार अनुभव, हालांकि अक्सर छोटे होते हैं, हर मायने में वास्तविक होते हैं। उनकी वास्तविकता तब और भी शक्तिशाली हो जाती है जब वे एक शक्तिशाली संपूर्ण बनाने के लिए एक साथ जुड़ जाते हैं।

  25. सिद्धांत और अनुबंध 50:24

  26. अलमा 32:41