महा सम्मेलन
दो महान आज्ञाओं का पुल
अप्रैल 2024 महा सम्मेलन


दो महान आज्ञाओं का पुल

यीशु मसीह का अनुसरण करने की हमारी क्षमता पहली और दूसरी आज्ञाओं के ताल-मेल और दोनों का एक समान निष्ठा से पालन करने की हमारी शक्ति पर निर्भर करती है।

परिचय

जब मेरी पत्नी, लेसा और मैं दुनिया भर में गिरजे के कार्य के लिए यात्रा करते हैं, तो हम बड़ी और छोटी मंडलियों में आप लोगों से मिलकर बहुत खुशी मिलती है। प्रभु के कार्य के प्रति आपकी भक्ति हमें उत्साहित करती है और हमारे लिए यीशु मसीह के सुसमाचार की गवाही होती है। हम जब प्रत्येक यात्रा से घर लौटते हैं, यह सोचते हैं कि क्या हमने उतनी भी खुशी दी जितनी हमने आपसे प्राप्त की है।

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रेनबो पुल।
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त्सिंग मा पुल।
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टॉवर पुल।

यात्रा के दौरान, हमें दर्शनीय स्थलों के लिए कम समय मिलता है। हालांकि, जब भी संभव हो, मैं अपने किसी विशेष शौक के लिए कुछ पल निकालता हूं। मुझे वास्तुकला और डिजाइन में रुचि है और पुलों के प्रति एक विशेष आकर्षण है। झूला पुल मुझे चकित करते हैं। चाहे वह टोक्यो में रेनबो पुल हो, हांगकांग में त्सिंग मा पुल, लंदन में टॉवर पुल, या अन्य जो मैंने देखे हैं, मुझे इन जटिल रचनाओं को बनाने की तकनीकी प्रतिभा पर आश्चर्य होता है। पुल हमें उन स्थानों पर ले जाते हैं जहां हम अन्यथा नहीं जा सकते हैं। (इससे पहले कि मैं वार्ता आरंभ करूं, मैं बताना चाहता हूं इस संदेश को तैयार करने के दौरान, बाल्टीमोर में एक दुखद पुल दुर्घटना हुई है। हम इस दुर्घटना में लोगों की मृत्यु पर शोक और प्रभावित परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हैं।

एक शानदार झूला पुल

हाल ही में, एक सम्मेलन के कार्य के लिए मैं कैलिफोर्निया गया था, जहां मैंने एक बार फिर प्रतिष्ठित गोल्डन गेट पुल को पार किया, जिसे दुनिया तकनीकी का आश्चर्य माना जाता है। यह आश्चर्यजनक संरचना सुंदर रूप, व्यावहारिक उद्देश्य और उत्कृष्ट तकनीकी का मेल है। यह विशाल टावरों के सहारे झूलता हुआ उत्कृष्ट झूला पुल है। समुद्र के पर ऊंचे खड़े विशाल, शानदार झूला पुल के वजन को उठाते दो टॉवरों को पहले बनाया गया था। एकसाथ मिलकर ये आर-पार जाते मुख्य तारों और ऊपर से नीचे लटकते तारों का भार उठाते हैं, जिस पर नीचे सड़क झूलती है। असाधारण स्थिर रहने की क्षमता—टॉवर की शक्ति—इस झूला पुल की तकनीक का कमाल है।

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निर्माणाधीन गोल्डन गेट पुल।

गोल्डन गेट पुल जिला

पुल का प्रारंभिक निर्माण के चित्र इस तकनीकी नियम की गवाही देते हैं। पुल का प्रत्येक हिस्सा सीधे खड़े टावरों से भार उठाने की क्षमता प्राप्त करता है, ये दोनों परस्पर रूप से एक दूसरे से जुड़े हुए होते हैं।

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निर्माणाधीन गोल्डन गेट पुल।

Getty Images/Underwood Archives

जब पुल पूरा हो जाता है, तो दृढ़ता से रखे इसके दो शक्तिशाली टावर और उन्हें मजबूती देने के लिए बनाया गया आधार, ताकत और सुंदरता का प्रतीक होते हैं।

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गोल्डन गेट पुल

आज मैं आपको दो ऊंचे टावरों के एक मजबूत आधार पर बनाए—इस आलीशान पुल को— सुसमाचार की दृष्टि से देखने के लिए आमंत्रित करता हूं।

यीशु मसीह की सेवकाई के समय में, जिसे अब हम पवित्र सप्ताह कहते हैं, एक फरीसी जोकि एक वकील था1 ने उद्धारकर्ता से ऐसा प्रश्न पूछा था जिसे वह सोचता था कि इसका उत्तर देना लगभग असंभव होगा:2 “स्वामी, व्यवस्था में कौन सी आज्ञा बड़ी है?” उद्धारकर्ता को “परखने” और कानूनी उत्तर पाने और धूर्त इरादे से पूछे गए उस वकील के प्रश्न का यीशु मसीह से एक वास्तविक, पावन, पवित्र, दिव्य उत्तर मिला था।

“यीशु ने उसे उत्तर दिया, तू परमेश्वर अपने प्रभु से अपने सारे मन और अपने सारे प्राण और अपनी सारी बुद्धि के साथ प्रेम रख।

“बड़ी और मुख्य आज्ञा तो यही है।” झूला पुल की तुलना पर ध्यान देते हुए, पहला टॉवर!

“और उसी के समान यह दूसरी भी है, कि तू अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रख।” यह दूसरी महान आज्ञा है!

“ये ही दो आज्ञाएं सारी व्यवस्था और भविष्यवक्ताओं का आधार है।”3 झूला पुल के बाकी हिस्से!

हम यीशु मसीह के उत्तर में प्रकट और बोली गई दो महान आज्ञाओं में से प्रत्येक की जांच करते हैं। जब हम ऐसा करते हैं, तो शानदार झूला पुल का चित्र आपके मन की आंखों के सामने आता है।

प्रभु से प्रेम करें

पहली, तुम अपने मन, पराक्रम, और बल से प्रभु से प्यार करना है।

इस उत्तर में, यीशु मसीह पुराने नियम की पवित्र शिक्षाओं में बताई व्यवस्था के सार को बताता है। प्रभु से प्रेम करना सबसे पहले आपके हृदय में होता है—आपके स्वभाव पर। तब प्रभु आपसे अपनी संपूर्ण आत्मा से4—अपनी आत्मा और शरीर से प्रेम करने—और अंत में, अपने संपूर्ण मन—समझ और बुद्धि से प्रेम करने के लिए कहता है। परमेश्वर के प्रति प्रेम संकीर्ण या सीमित नहीं होता है। यह असीमित और अनंत होता है।

मेरे लिए, पहली महान आज्ञा का पालन करना कभी-कभी अस्पष्ट, अर्थात कठिन भी लगता है। कृतज्ञतापूर्वक, जब मैं यीशु के वचनों पर विचार करता हूं, तो यह आज्ञा अधिक समझने योग्य हो जाती है: “यदि तुम मुझ से प्रेम रखते हो, तो मेरी आज्ञाओं को मानोगे।”5 यह मैं कर सकता हूं। मैं स्वर्गीय पिता और यीशु मसीह से प्रेम कर सकता हूं, जो तब प्रार्थना, पवित्र शास्त्र अध्ययन और मंदिर उपासना की ओर ले जाता है। हम पिता और पुत्र से दशमांश का भुगतान करने, सब्त के दिन को पवित्र रखने, एक सदाचारी और पवित्र जीवन जीने और आज्ञाकारी होने के द्वारा प्रेम करते हैं।

प्रभु से प्रेम करना अक्सर प्रतिदिन अनुबंध मार्ग पर बढ़ते हुए छोटे-छोटे कार्यों से नापा जाता है जैसे: युवा लोगों के लिए, सोशल मीडिया का उपयोग करते समय दूसरों की आलोचना करने के बजाय प्रशंसा करना; ऐसी पार्टी, फिल्म या गतिविधि में शामिल न होना जहां हमारे आर्दशों को चुनौती दी जा सकती है; पवित्र बातों के प्रति श्रद्धा दिखाना।

इस करुणामय उदाहरण पर विचार करें। एक उपवास रविवार को वेंस6 और मैंने एक छोटे, साधारण से घर का दरवाजा खटखटाया था। हम और परिषद के अन्य डीकन इन शब्दों की अपेक्षा कर रहे थे, “कृपया अंदर आओ,” दरवाजे से बाहर तक सुने जाने वाले भारी भरकम जर्मन उच्चारण में गर्मजोशी से कोई चिल्लाया। बहन मुलर वार्ड में कई अप्रवासी विधवाओं में से एक थी। वह बहुत आसानी से दरवाजा नहीं खोल सकती थी, क्योंकि वह लगभग अंधी थी। कम रोशनी वाले घर के अंदर कदम रखते हुए, उसने दयालु प्रश्नों से हमारा अभिवादन किया: आपके नाम क्या हैं? आप कैसे हो? क्या आप प्रभु से प्रेम करते हैं? हमने जवाब दिया और बताया कि हम उनकी उपवास की भेंट लेने आए थे। अपनी कम आयु में भी, उसकी तगंहाल परिस्थितियों को हम आसानी से समझ सकते थे, और उनके विश्वास से भरी प्रतिक्रिया गहराई से हृदय को छू रही थी: “मैंने आज सुबह ही मेज पर एक पैसा रखा है। मैं अपनी उपवास की भेंट देने के लिए बहुत आभारी हूं। क्या आप इसे लिफाफे में रखने और मेरी उपवास-भेंट पर्ची भरने करने में सहायता करेंगे?” प्रभु के प्रति उसके प्रेम ने हर बार जब हम उसके घर से निकलते तो हमारे विश्वास को बढ़ाया था।

राजा बिन्यामीन ने उन लोगों के लिए उल्लेखनीय परिणामों की प्रतिज्ञा की थी जो पहली महान आज्ञा का अनुसरण करते हैं। “मैं इस बात का इच्छुक हूं कि तुम उन आशीष प्राप्त और आनंदित लोगों की स्थिति को ध्यान में रखो जो परमेश्वर की आज्ञाओं का पालन करते हैं। उन्हें सभी बातों में आशीष प्राप्त है, … और यदि वे अंत तक सच्चे रहे, तब उनको स्वर्ग मे लिया जाएगा, … [और] अनंत सुख की स्थिति में परमेश्वर के साथ रहेंगे।”7

प्रभु से प्रेम करने से अनन्त सुख मिलता है!

अपने पड़ोसी से प्रेम रखो

फिर यीशु ने कहा, “और उसी के समान यह दूसरी भी है, कि तू अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रख।”8 यह झूले पुल का दूसरा टावर है।

यहां यीशु मसीह इस जीवन में हमारे साथी पुरुषों और महिलाओं से प्रेम करने की हमारी इच्छा के साथ प्रभु से प्रेम करने की हमारी पवित्र इच्छा को एकसाथ जोड़ता है। पहली दूसरी पर निर्भर है। यदि हम अपने पड़ोसियों की उपेक्षा करते हैं तो प्रभु के प्रति प्रेम संपूर्ण नहीं होता है। दूसरों के प्रति इस प्रेम में लिंग, सामाजिक वर्ग, जाति, कामुकता, आय, उम्र या नस्ल की परवाह किए बिना परमेश्वर के सभी बच्चे शामिल हैं। हम उन लोगों की खोज करते हैं जो आहत और टूटे हुए हैं, हाशिए पर हैं, क्योंकि “सभी परमेश्वर के लिए समान हैं।”9 हम “जो कमजोर हैं उन्हें बल दें, झुके थके हाथों को अपने बल से ऊपर उठाए, और कमजोर घुटनों को मजबूत करें।”10

इस उदाहरण पर विचार करें: भाई इवांस को आश्चर्य हुआ11 जब उन्हें अपनी कार रोक कर किसी अज्ञात परिवार के अज्ञात दरवाजे पर दस्तक देने के लिए प्रेरणा मिली थी। जब 10 साल की एक विधवा मां ने दरवाजा खोला, तो वह उनकी कठिन परिस्थितियों और आवश्यकताओं को समझना आसान था। पहला कार्य सरल था, उनके घर को पेंट करना और उसके बाद कई वर्षों के लिए इस परिवार की संसारिक और आत्मिक सेवकाई की गई थी।

इस आभारी मां ने बाद में स्वर्ग से भेजे गए अपने दोस्त के बारे में लिखा: “आपने अपना जीवन हम जैसे छोटे लोगों तक मदद पहुंचाने में बिताया है। मुझे उन बातों को सुनना पसंद है जो प्रभु आपसे कहना चाहता है जब वह आपके द्वारा आर्थिक और आत्मिक रूप से किए गए अच्छे कार्यों के लिए अपनी प्रशंसा व्यक्त करता है, उन लोगों के लिए जिनके बारे में केवल आप और वह कभी भी जान पाएंगे। हमें इतने सारे तरीकों से आशीष देने के लिए धन्यवाद, … उन प्रचारकों के लिए जिन्हें आपने उपलब्ध किया था। … मुझे अक्सर आश्चर्य होता है कि क्या प्रभु ने आपको विशेष रूप से चुना है, या क्या वह केवल आपकी ही सुनता है।”

अपने पड़ोसी से प्यार करने के लिए दया और सेवा के मसीह समान कार्य शामिल हैं। क्या आप द्वेष को छोड़ देंगे, दुश्मनों को क्षमा कर देंगे, अपने पड़ोसियों का स्वागत करेंगे और उनकी सेवा करेंगे, और बुजुर्गों की मदद करेंगे? आप प्रत्येक को प्रेरणा मिलेगी जब आप पड़ोसी के प्रति प्रेम के अपने टॉवर का खड़ा करते हैं।

अध्यक्ष रसल एम. नेल्सन ने सिखाया था: “दूसरों की मदद करना—जितनी हम स्वयं की चिंता करते हैं, उससे कहीं अधिक दूसरों की चिंता करके हम एक ईमानदार प्रयास करते हैं—यही हमारा आनंद है । विशेष रूप से … जब यह सुविधाजनक नहीं होता है और जब यह हमें हमारे आराम का त्याग करना होता है दूसरी महान आज्ञा का पालन यीशु मसीह के सच्चे शिष्य बनने में प्रमुख है।”12

एक दूसरे पर निर्भरता

यीशु ने फिर कहा था, “ये ही दो आज्ञाएं सारी व्यवस्था और भविष्यवक्ताओं का आधार है।”13 यह बहुत शिक्षाप्रद है। प्रभु से प्रेम करने और एक दूसरे से प्रेम करने के बीच एक महत्वपूर्ण आपस में निर्भरता है। गोल्डन गेट पुल के लिए अपने निर्धारित किए गए कार्य को करने के लिए, दोनों टावर समान रूप से मजबूत हैं और समान रूप से झूलते तारों, सड़क मार्ग और पुल के आर-पार जाने वाले यातायात का वजन उठाते हैं। इस तकनीकी समरूपता के बिना, झूला पुल कमजोर हो सकता है, यहां तक कि गिर भी सकता है। किसी भी झूला पुल को वह कार्य करने के लिए जिसे करने के लिए इसे बनाया गया था, उसके टावरों को आपस में मिलकर कार्य करना चाहिए। इसी तरह, यीशु मसीह का अनुसरण करने की हमारी क्षमता पहली और दूसरी आज्ञाओं के ताल-मेल और दोनों का एक समान निष्ठा से पालन करने की हमारी शक्ति पर निर्भर करती है।

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गोल्डन गेट पुल

दुनिया में बढ़ते विवाद से पता चलता है कि हम कई बार इस पर ध्यान देने या याद रखने में विफल रहते हैं। कुछ लोग आज्ञाओं का पालन करने पर इतना अधिक ध्यान केंद्रित करते हैं कि वे उन लोगों के प्रति बहुत कम सहनशील होते हैं जिन्हें वे कम धर्मी के रूप में देखते हैं। कुछ लोगों को उन लोगों से प्रेम करना कठिन लगता है जो अनुबंध से हटकर या यहां तक कि किसी भी धार्मिक भागीदारी से अलग अपना जीवन व्यतीत करना चुनते हैं।

दूसरी ओर, ऐसे लोग भी हैं, जो इस बात को स्वीकार किए बिना दूसरों से प्रेम करने के महत्व पर जोर देते हैं कि हम सभी परमेश्वर के प्रति जवाबदेह हैं। कुछ लोग पूरी तरह से इस धारणा को अस्वीकार कर देते हैं कि संपूर्ण सच्चाई, या सही और गलत जैसी कोई बात होती है, और विशास करते हैं कि हमें केवल इस बात की आवश्यकता है कि हम दूसरों के चुनावों को संपूर्ण सहनशीलता से स्वीकार करें। इनमें से थोड़ा सा भी असंतुलन आपके व्यक्तिगत आत्मिक पुल के झुकने या यहां तक कि गिरने का कारण बन सकता है।

अध्यक्ष डालिन एच. ओक्स ने इसका वर्णन किया था जब उन्होंने कहा: “हमें हर किसी से प्रेम करने की आज्ञा दी गई है, क्योंकि अच्छे सामरी का यीशु मसीह का दृष्टांत सीखाता है कि हर कोई हमारा पड़ोसी है। लेकिन इस दूसरी आज्ञा का पालन करने के उत्साह में हमें पहली को न भूल जाएं, परमेश्वर से अपने मन, प्राण, और बुद्धि से प्रेम करें।”14

निष्कर्ष

तो हम में से प्रत्येक के लिए प्रश्न यह है कि हम विश्वास और निष्ठा के अपने स्वयं के पुल को कैसे बनाते हैं—परमेश्वर से प्रेम करने और हमारे पड़ोसियों दोनों से प्रेम करने के ऊंचे पुल टावरों को खड़ा करते हुए? हम अभी शुरू करते हैं। हमारे शुरुआती प्रयास नैपकिन पेपर पर बनी योजना या पुल की आरंभिक रूपरेखा के समान लग सकते हैं जिसे हम बनाने की आशा करते हैं। इसमें प्रभु के सुसमाचार को अधिक समझने या दूसरों की कम आलोचना करने की प्रतिज्ञा करने के लिए कुछ वास्तविक लक्ष्य शामिल हो सकते हैं। शुरू करने के लिए कोई भी बहुत जवान या बूढ़ा नहीं है।

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पुल डिजाइन का रेखाचित्र।

समय बीतने के साथ, प्रार्थनापूर्ण और विचारशील योजना से, किसी भी अपूर्ण विचार को परिपूर्ण किया जाता है। नए कार्य आदत बन जाते हैं। आरंभिक आदतें संशोधित और परिष्कृत हो जाती हैं। हम स्वर्गीय पिता और उसके एकलौते पुत्र के साथ-साथ अपने उन भाइयों और बहनों के प्रति समर्पित हृदयों और मनों के साथ अपने व्यक्तिगत आत्मिक पुल का निर्माण करते हैं, जिनके साथ हम काम करते, खेलते और रहते हैं।

आने वाले समय में, जब आप किसी शानदार झूला पुल के ऊपर से गुजरते या इसके बहुत ऊंचे टॉवरों का चित्र देखते हैं, तो मैं आपको नए नियम में यीशु मसीह द्वारा बताई दो महान आज्ञाओं को याद करने के लिए आमंत्रित करता हूं। मैं चाहता हूं कि प्रभु के निर्देश हमें प्रेरणा प्रदान करें। हमारी इच्छाएं और मन, हमारे विचार, आत्मिक विषयों पर, अर्थात अपने पड़ोसी से प्रेम करने पर केंद्रित हों।

यह यीशु मसीह और उसके प्रायश्चित में हमारे विश्वास को मजबूत करे जिसकी मैं गवाही देता हूं, यीशु मसीह के नाम पर, आमीन।

विवरण

  1. “नए नियम में, [ वकील शब्द] शास्त्रीके बराबर था, जो पेशे से एक छात्र और कानून का शिक्षक था, जिसमें मूसा की लिखित पांच व्यवस्थाएं, और ‘प्राचीनों की परंपराएं’ भी शामिल थी(मत्ती 22:35; मरकुस 12:28; लूका 10:25)” (Bible Dictionary, “Lawyer”)।

  2. प्राचीन काल में, यहूदी विद्वानों ने तोराह में 613 आज्ञाओं की गणना की थी और एक बनाम दूसरे के सापेक्ष महत्व पर सक्रिय रूप से बहस की थी। शायद वकील ने यीशु के जवाब को उसके खिलाफ उपयोग करने का इरादा किया था। यदि उसने कहा कि एक आज्ञा सबसे महत्वपूर्ण है, तो यह यीशु पर व्यवस्था के दूसरे पहलू की अनदेखी करने का आरोप लगा सकता है। लेकिन उद्धारकर्ता के उत्तर ने उन लोगों को चुप करा दिया जो उसे फंसाने के लिए आए थे, उसने एक मूलभूत बात कही थी जो आज, गिरजे में हम जो कुछ भी करते हैं, उसका आधार है।

  3. मत्ती 22:36–40

  4. देखें सिद्धांत और अनुबंध 88:15

  5. यूहन्ना 14:15

  6. गोपनीयता बनाए रखने के लिए दोनों नाम बदल दिए गए हैं।

  7. मुसायह 2:41।

  8. मत्ती 22:39

  9. 2 नफी 26:33

  10. सिद्धांत और अनुबंध 81:5

  11. गोपनीयता बनाए रखने के लिए नाम बदल दिया गया है।

  12. Russell M. Nelson, “The Second Great Commandment,” Liahona, नवंबर.2019,97।

  13. मत्ती 22:40

  14. Dallin H. Oaks, “Two Great Commandments,” Liahona, नव. 2019, 73– 74 ।