महा सम्मेलन
परमेश्वर की इच्छा आपको घर लाना है
अप्रैल 2024 महा सम्मेलन


परमेश्वर की इच्छा आपको घर लाना है

अपने प्रिय बच्चों के लिए पिता की योजना की हर बात सबको घर वापस लाने की है।

मैं आपकी प्रार्थनाओं के लिए आभार व्यक्त करना चाहता हूं जब मैंने अध्यक्ष नेलसन के द्वारा, प्रभु यीशु मसीह के प्रेरित के रूप में सेवा करने के लिए नियुक्ति पर कार्य करन आरंभ किया है। आप शायद अच्छी तरह समझ कर सकते हैं कि मैंने कितनी विनम्रता महसूस की है, और मेरे लिए यह असाधारण उथल-पुथल और गंभीर आत्म-परीक्षा का समय रहा है। हालांकि, किसी भी पद में उद्धारकर्ता की सेवा करना और उसके आशा के सुसमाचार को साझा करने में आपके साथ शामिल होना वास्तव में एक बहुत बड़ा सम्मान है।

इसके अलावा, यह कहा जाता है कि हर नए प्रेरित के पीछे किसी हैरान सास का हाथ होता है। मुझे नहीं पता कि सच में ऐसा कहा गया है, लेकिन इस मामले में, ऐसा निश्चित रूप से हो सकता है। और मुझे संदेह है कि यह सच्चाई कि मेरी सास अब हमारे बीच नहीं है, उसके आश्चर्य को किसी भी प्रकार से कम नहीं करता है।

कई महीने पहले, जब मेरी पत्नी और मैं गिरजे के विभिन्न कार्यों के लिए दूसरे देश का दौरा कर रहे थे, तो मैं एक सुबह जल्दी उठा और धुंधली आंखों से हमारे होटल की खिड़की के बाहर से देखा। नीचे व्यस्त सड़क पर, मैंने देखा कि अवरोध तक पहुंचते ही कारों को वापस लौटाने के लिए पास में एक पुलिसकर्मी तैनात किया गया थ। सबसे पहले, केवल कुछ कारें ही सड़क के किनारे तक गई और उन्हें वापस लौटा दिया गया था। लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया और ट्रैफिक बढ़ता गया, कारों की लंबी कतारें लगने लगी थी।

ऊपर की खिड़की से, मैंने देखा कि पुलिसकर्मी यातायात को रोकने और लोगों को वापस लौटाने के लिए अपनी शक्ति से संतुष्ट था। वास्तव में, लगता था उसके पैरे में स्प्रिंग लगा हुआ है, मानो वह जोगिगं कर रहा है, जब कोई कार बैरियर के निकट आता थी। यदि कोई चालक सड़क पर लगे बैरियर से परेशान दिखता, तो पुलिसकर्मी कोई मदद या सहानुभूति नहीं दिखा रहा था। वह बस बार-बार अपना सिर हिलाता और वापस लौटने का इशारा कर रहा था।

मेरे मित्रों, नश्वर जीवन की सड़क पर मेरे साथी शिष्यों, हमारे पिता की सुन्दर योजना, अर्थात उसकी “शानदार” योजना,1 आपको घर लाने के लिए तैयार की गई है, आपको बाहर रखने के लिए नहीं2 किसी ने भी कोई अवरोध नहीं लगाया है और आपको वापस लौटने और आपको दूर भेजने के लिए किसी को वहां तैनात नहीं किया है। वास्तव में, यह बिल्कुल विपरीत है। परमेश्वर निरंतर आपसे संबंध बनाना चाहता है। वह “चाहता है कि उसके सभी बच्चे उसके पास लौटने का चुनाव करें,”3 और वह आपको वापस लाने का हर संभव उपाय करता है।

हमारे प्यारे पिता ने इस पृथ्वी की सृष्टि की देख-रेख की थी ताकि आपको और मुझे नश्वरता का अनुभव करने का अवसर प्रदान किया जा सके, उसे चुनने के लिए हमारी परमेश्वर से मिली नैतिक स्वतंत्रता का उपयोग करने,4 सीखने, आगे बढ़ने, गलतियां करने, पश्चाताप करने, परमेश्वर और हमारे पड़ोसी से प्यार करने, और एक दिन उसके घर लौट जाने का मौका मिले।

उसने अपने मूल्यवान प्रिय पुत्र को इस पतित संसार में मानवीय अनुभव को जीने के लिए, अपने बच्चों को अनुसरण करने के लिए एक उदाहरण प्रदान करने, और प्रायश्चित करने और मुक्ति दिलाने के लिए भेजा था। मसीह का महान प्रायश्चित उपहार शारीरिक और आत्मिक मृत्यु के हर उस अवरोध को हटा देता है जो हमें हमारे अनन्त घर से दूर कर सकता है।

अपने प्रिय बच्चों के लिए पिता की योजना की हर बात सबको घर वापस लाने की है।

परमेश्वर के दूत, उसके भविष्यवक्ता, पुन:स्थापना पवित्र शास्त्र में इस योजना को क्या कहते हैं? वे इसे मुक्ति की योजना,5 अनुग्रह की योजना,6 प्रसन्नता की महान योजना,7 और उद्धार की योजना कहते हैं, जो सभी के लिए है, “मेरे एकलौते के माध्यम से।”8

पिता की प्रसन्नता की महान योजना का उद्देश्य हमारी प्रसन्नता है, यहां, अभी, और अनंत काल में। यह हमारी प्रसन्नता को रोकने के लिए नहीं है और ना ही हमारी किसी चिंता और भय का कारण बनती है।

पिता की मुक्ति की योजना का उद्देश्य वास्तव में आपकी मुक्ति, यीशु मसीह के कष्टों और मृत्यु के द्वारा आपका बचाया जाना है,9 आपको पाप और मृत्यु की कैद से स्वतंत्र किया गया है। यह हमें वैसे ही बने रहने के लिए नहीं है जैसे हम हैं।

पिता के अनुग्रह की योजना का उद्देश्य दया प्रदान करना है जब हम उसकी ओर मुड़ते हैं और उसके प्रति अपनी निष्ठा से अनुबंध का सम्मान करते हैं। यह दया का इनकार करने और दर्द और दुख देने के लिए नहीं है।

पिता की उद्धार की योजना का उद्देश्य वास्तव में महिमा के सिलेस्टियल राज्य में हमारा उद्धार है जब आप यीशु की गवाही प्राप्त करते हैं”10 और अपनी संपूर्ण आत्मा उसे समर्पित करते हैं।11 यह हमें बाहर रखने के लिए नहीं है।

क्या इसका मतलब यह है कि हम अपना जीवन कैसे भी जी सकते हैं? कि हम अपनी स्वतंत्रता का उपयोग करने के लिए कुछ भी चुनें उससे कोई फर्क नहीं पड़ता? कि हम परमेश्वर की आज्ञाओं का पालन करें या नहीं करें? ऐसा बिलकूल नही हैं। निश्चित रूप से यीशु की नश्वर सेवकाई के दौरान उसके आमंत्रणों और विनतियों में से एक यह था कि हम परिवर्तन और पश्चाताप करते हैं और उसके निकट आते हैं।12 नैतिक आचरण के उच्चतर स्तर के अनुसार जीना उसकी सभी शिक्षाओं में मौलिक रूप से निहित13 व्यक्तिगत विकास के लिए, मसीह में परिवर्तन करने के विश्वास और हृदय के महान परिवर्तन के लिए एक आह्वान है।14

वह हमारे स्वार्थी और घमंडी आचरणों में बड़ा बदलाव चाहता है, जोकि मनुष्य के प्राकृतिक स्वभाग का त्याग कर,15 “जा, और फिर पाप न करना” है।16

यदि हम मानते हैं कि सब-के-लिए पिता की इस योजना का इरादा हुमें बचाना, मुक्त करना, दया पहुंचाना है, और इस प्रकार हमें खुशी देना है, तो पुत्र का इरादा क्या है जिसके द्वारा यह महान योजना लाई गई है?

पुत्र स्वयं हमें बताता है: “क्योंकि मैं अपनी इच्छा नहीं, वरन अपने भेजने वाले की इच्छा पूरी करने के लिये स्वर्ग से उतरा हूं।”17

यीशु की इच्छा दयालु पिता की इच्छा है! वह अपने पिता के प्रत्येक बच्चे के लिए योजना के लक्ष्य—उनके साथ अनन्त जीवन प्राप्त करना संभव बनाना चाहता है। इस दिव्य क्षमता से किसी को भी बाहर नहीं किया है।

यदि आपकी प्रवृत्ति चिंता करने की है कि आप कभी खरे नहीं उतरेंगे, या कि मसीह के असीमित प्रायश्चित की अनुग्रहकारी दया बाकी सभी को शामिल करती है, लेकिन आपको नहीं, तो आप गलत समझते हैं। असीमित का अर्थ असीमित है। असीमित में आप और आपके प्रियजन शामिल हैं।16

नफी इस सुंदर सच्चाई की व्याख्या करता है: “वह ऐसा कोई भी कार्य नहीं करता जो संसार के लाभ के लिए न हो; क्योंकि वह संसार से प्रेम करता है, वह इतना प्रेम करता है कि उसने अपना स्वयं का जीवन दे दिया ताकि वह मनुष्यों को अपने पास बुला सके। इसलिए, उसने किसी को भी उसके उद्धार में भाग न लेने की आज्ञा नहीं दी है।”19

उद्धारकर्ता, अच्छा चरवाहा, अपनी खोई हुई भेड़ों की खोज में तब तक जाता है जब तक वह उन्हें नहीं पा लेता।20 वह “नहीं चाहता कि कोई भी नष्ट हो।”21

“दया की मेरी बांह तुम्हारी ओर खुली हुई है, और जो कोई भी आएगा, उसे मैं स्वीकार करूंगा।”22

“क्या तुम में से कोई बीमार है ? उन्हें यहां लाओ। क्या तुममें से कोई लूला, या अन्धा, या लंगड़ा, या विकलांग, या कोढ़ी, या निर्बल, या बहरा है, या कोई है जिसे किसी भी प्रकार का कष्ट हो? उन्हें यहां लाओ और मैं उन्हें चंगा करूंगा क्योंकि मुझ में तुम्हारे लिए दया है; मेरा प्याला दया से भर गया है।”23

उसने उस स्त्री को दूर नहीं किया जिसे लहू बहता था, उसने कोढ़ी को पीछे नहीं हटाया था, उसने व्यभिचार में पकड़ी गई महिला का तिरस्कार नहीं किया, उसने पश्चाताप करने वाले किसी को मना नहीं किया, चाहे उनका पाप कुछ भी रहा हो। और वह आपको या उन लोगों को मना नहीं करेगा जिन्हें आप प्यार करते हैं जब आप अपने टूटे हुए दिलों और पश्चातापी आत्माओं को उसके पास लाते हैं। यह उसका उद्देश्य या उसकी प्रकृति नहीं है, न ही उसकी योजना, उद्देश्य, इच्छा या आशा है।

नहीं, वह अवरोध और बाधा नहीं डालता है; वह उन्हें हटा देता है। वह आपको बाहर नहीं रखता है; बल्कि वह आपका स्वागत करता है।24 उसकी संपूर्ण सेवकाई इस इरादे का जीवंत उदाहरण थी।

फिर निश्चित रूप से स्वयं उसके प्रायश्चित बलिदान को समझना हमारे लिए कठिन है, समझने की हमारी नश्वर क्षमता से परे है। लेकिन, और यह एक महत्वपूर्ण “लेकिन” है, उसके प्रायश्चित बलिदान के पवित्र, बचाने वाले इरादे को हम समझते हैं, समझ सकते हैं।

मंदिर का परदा दो हिस्से में फटा गया था जब सलीब पर यीशु की मौत हुई थी, यह इस बात का प्रतीक है कि पिता की उपस्थिति में वापस जाने की बाधा को दूर कर दिया गया था—उन सभी के लिए जो उसकी ओर आएंगे, उस पर भरोसा करेंगे, अपने बोझ उस पर डालेंगे, और अनुबंध बनाकर उसका जूआ अपने ऊपर ले लेंगे।25

दूसरे शब्दों में, पिता की योजना बाधा डालने के लिए नहीं है। यह कभी नहीं थी; यह कभी नहीं होगी। क्या ऐसे कार्य हैं जिन्हें हमें करने की आवश्यकता है, आज्ञाओं का पालन करने के लिए, हमारी प्रकृति को बदलने के लिए? हां। लेकिन उसकी कृपा से, वे हमारी पहुंच के भीतर हैं, हमारी पकड़ से परे नहीं हैं।

यह अच्छी खबर है! मैं इन सरल सच्चाइयों का अत्यधिक आभारी हूं। पिता की प्रकृति, उसकी योजना, उसका उद्देश्य, उसका इरादा, उसकी इच्छा, और उसकी आशा सभी को आपको, और आपके प्रियजनों को चंगाई देने, सभी को शांति देने, सभी को घर लाने के लिए है। इसकी मैं यीशु मसीह के नाम में गवाही देता हूं, आमीन।

विवरण

  1. रसल एम. नेल्सन, “सिलेस्टियल सोचें!,” Liahona, नव. 2023, 117, 118।

  2. देखें 2 नफी 26:25, 27

  3. सामान्य विवरण पुस्तिका: अंतिम-दिनों के संतों के यीशु मसीह के गिरजे में सेवा करना, 1.1, Gospel Library।

  4. देखें मूसा 7:33

  5. देखें याकूब 6:8; अलमा 12:30

  6. देखेंअलमा 42:15

  7. देखें अलमा 42:8,16

  8. मूसा 6:62

  9. देखें सिद्धांत और अनुबंध 45:4

  10. सिद्धांत और अनुबंध 76:50–70

  11. देखें ओमनी 1:26

  12. देखें मत्ती 4:17

  13. देखें मत्ती 5:-7। उदाहरण के लिए, मत्ती 5:43-44 में, उद्धारकर्ता ने अपने शिष्यों को सिखाया कि “अपने पड़ोसी से प्रेम और अपने शत्रु से बैर” करना ही काफी नहीं है। उसका अनुसरण करने के लिए, उन्हें “[अपने] शत्रुओं से प्रेम” करने की भी आवश्यकता थी।

  14. देखें मुसायाह 5:2। यीशु मसीह की दया को हमारे जीवन में आने में सक्षम होने के लिए, हमें उसकी ओर मुड़ना चाहिए। कनिष्ठ अलमा सिखाता है कि इस गौरवशाली “मुक्ति की योजना को बिना पश्चाताप किए अमल में नहीं लाया जा सकता था, हां, तैयारी की इस प्रारंभिक अवस्था के बिना; क्योंकि यही इसकी शर्त थी, अन्यथा दया निष्प्रभाव हो जाती” (अलमा 42:13)।

  15. देखें मुसायाह 3:19

  16. यूहन्ना 8:11

  17. यूहन्ना 6:38

  18. See Russell M. Nelson, “The Atonement,” Ensign, Nov. 1996, 35: “उसका प्रायश्चित असीमित है—जिसकी कोई सीमा नहीं है। यह संपूर्ण मानवजाति को अनंत मृत्यु से बचाने के लिए भी असीमित है। यह उसकी अपार पीड़ा सहने के संदर्भ में असीमित था। यह उस समय असीमित था, जब इसने पशु बलिदान की आदिकाल की प्रथा को समाप्त कर दिया था। इसका दायरा असीमित था—इसे सभी के लिए एक बार किया जाना था। और प्रायश्चित का अनुग्रह न केवल असीमित लोगों को मिलता है, बल्कि उसके द्वारा बनाए गए असीमित संसारों को भी प्राप्त है। यह नश्वर समझ के किसी भी मानवीय पैमाने से परे असीमित था।”

  19. 2 नफी 26:24

  20. देखें लूका 15:4

  21. देखें 2 पतरस 3:9; सिद्धांत और अनुबंध 18:11–12 भी देखें।

  22. 3 नफी 9:14

  23. 3 नफी 17:7 ; पद 6 भी देखें।

  24. यीशु मसीह की शिक्षाओं में यह बताते हुए कि कुछ व्यक्ति स्वर्ग के राज्य के वारिस नहीं होंगे, वह यह स्पष्ट करता है कि यह परिणाम उनके लिए उसकी इच्छा नहीं है, बल्कि उनकी अपनी पसंद का परिणाम है (देखें मत्ती 7:13–14, 21–25)।

  25. देखें मत्ती 27:50-51; इब्रानियों 9:6-12