महा सम्मेलन
अंत तक विश्वसनीय रहना
अप्रैल 2024 महा सम्मेलन


अंत तक विश्वसनीय रहना

उसके हाथ से, आप अपने जीवन में आने वाले प्रत्येक गोलियत को गिराने में सक्षम होंगे।

प्रिय युवा मित्रों, आज मैं आपसे—गिरजे के युवाओं से सीधे बात करना चाहती हूं।

हमारी युवतियों की जनरल अध्यक्ष्ता को नियुक्त किये हुए एक साल हो गया है। इस पिछले वर्ष के भीतर कितना कुछ हुआ है!

हम आपमें से कई लोगों से मिल चुके हैं और हमने एक साथ यीशु मसीह की शिक्षाओं का अध्ययन किया है। हमने गाने गाए हैं, नए दोस्त बनाए हैं और अपने समुदायों में आपके साथ सेवा की है। युवा सम्मेलनों और विश्व आयोजनों में आपकी गवाहीं सुनकर हम मजबूत हुए हैं। और हम ने प्रभु के भवन में एक साथ आराधना की है।

हर बार हमने अपने प्रभु यीशु मसीह का एक संदेश साझा किया है। आज की रात अलग नहीं होगी; मेरे पास यीशु मसीह के गिरजे के युवाओं के लिए एक संदेश है।

बड़े सवाल

क्या आपने कभी सोचा है कि पाप की दुनिया में रहते हुए आप परमेश्वर के प्रति कैसे विश्वासी रह सकते हैं? आपको आगे बढ़ने और अच्छा करते रहने की ताकत कहां से मिलती है? आप सच्चे आनंद का अनुभव कैसे करते हैं?

मुझे लगता है कि दाऊद और गोलियत1 का अनुभव मदद कर सकता है।

दाऊद और गोलियत

पुराने नियम में, पलिश्तियों की सेना इस्राएलियों से युद्ध कर रही थी, और हर सुबह और हर शाम, गोलियत नाम का एक विशाल पलिश्ती किसी भी इस्राएली को उससे लड़ने के लिए चुनौती देता था।

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दाऊद और गोलियत

इस्राएली लोगों के बीच दाऊद रहता था, एक युवा चरवाहा जो गोलियत से बहुत छोटा था लेकिन यीशु मसीह में बहुत बड़ा विश्वास रखता था! दाऊद स्वेच्छा से लड़ा था। यहां तक कि राजा ने भी उसे मना करने की कोशिश की, लेकिन दाऊद ने यीशु मसीह पर भरोसा करना चुना था।

इससे पहले दाऊद ने शेर और भालू से भी लड़ाई की थी। इन अनुभवों से, उसे पता चला कि परमेश्वर ने उसकी रक्षा की है और उसे विजयी बनाया था। दाऊद के लिए, परमेश्वर का कार्य सबसे महत्त्वपूर्ण कार्य था। इसलिए, वह उस परमेश्वर में विश्वास से भरा हुआ था जो उसे नहीं त्यागेगा, उसने पांच चिकने पत्थर इकट्ठे किए, अपनी गुलेल उठाई, और उस दैत्य का सामना किया था।

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दाऊद के पांच पत्थर।

पवित्र शास्त्र हमें बताते हैं कि दाऊद ने जो पहला पत्थर फेंका वह गोलियत के माथे पर लगा, जिससे उसका जीवन समाप्त हो गया।2

उत्तर की खोज में

जबकि दाऊद ने गोलियत को एक पत्थर से मारा था, वह पांच के साथ तैयार था। पांच के साथ! यह मुझे यह सोचने पर मजबूर करती है कि मैं दुनिया का सामना करने के लिए स्वयं को कैसे तैयार कर सकती हूं।

क्या होगा यदि दाऊद के प्रत्येक पत्थर उस ताकत को दर्शाते हैं जिसकी हमें अपने जीवन में विजयी होने के लिए आवश्यकता है? वे पांच पत्थर कौन से हो सकते हैं? मैंने इन संभावनाओं के बारे में सोचा:

  1. परमेश्वर के प्रति मेरे प्रेम का पत्थर।

  2. हमारे उद्धारकर्ता, यीशु मसीह में मेरे विश्वास का पत्थर।

  3. मेरी असली पहचान के ज्ञान का पत्थर

  4. मेरे दैनिक पश्चाताप का पत्थर।।

  5. परमेश्वर की शक्ति तक मेरी पहुंच का पत्थर।

आइए इस बारे में बात करें कि हम इन शक्तियों से कैसे आशीषित हैं।

परमेश्वर के प्रति मेरे प्रेम का पत्थर। परमेश्वर से प्रेम करना पहली सबसे महान आज्ञा है।3 युवाओं की शक्ति के लिए पुस्तिका हमें सिखाती है: “परमेश्वर आपसे प्यार करता है। वह आपका पिता है। उसका संपूर्ण प्रेम आपको उससे प्रेम करने के लिए प्रेरित कर सकता है। जब स्वर्गीय पिता के प्रति आपका प्रेम आपके जीवन में सबसे महत्वपूर्ण होता है, तो कई निर्णय आसान हो जाते हैं।”4

परमेश्वर के प्रति हमारा प्रेम और उसके साथ हमारा घनिष्ठ संबंध हमें अपने हृदयों को बदलने और अपनी चुनौतियों पर अधिक आसानी से काबू पाने के लिए आवश्यक शक्ति प्रदान करता है।

हमारे उद्धारकर्ता, यीशु मसीह में विश्वास मेरे विश्वास का दूसरा पत्थर है। जब यीशु मसीह पृथ्वी पर आया, तो उसने हमारे पापों के लिए कष्ट उठाया5 और उसने हमारे दुखों, हमारी पीड़ाओं, हमारी कमजोरियों और हमारी शारीरिक और मानसिक बीमारियों को अपने ऊपर ले लिया। इसीलिए वह जानता है कि हमारी मदद कैसे करनी है। यीशु मसीह में विश्वास रखने का अर्थ है उसकी बुद्धि, उसके समय, उसके प्रेम और हमारे पापों का प्रायश्चित करने की उसकी शक्ति पर पूरा विश्वास करना। यीशु मसीह में विश्वास का पत्थर हमारे जीवन में किसी भी “दैत्य” को हरा देगा।6 हम इस पापी संसार पर विजय प्राप्त कर सकते हैं क्योंकि उसने सबसे पहले इस पर विजय प्राप्त की।7

नंबर तीन मेरी असली पहचान के ज्ञान का पत्थर। हमारे प्रिय भविष्यवक्ता, अध्यक्ष रसल एम. नेल्सन ने हमें सिखाया कि हमारी सबसे महत्वपूर्ण पहचान परमेश्वर की संतान, अनुबंध की संतान और यीशु मसीह के शिष्यों के रूप में है।8

जब मुझे पता चलता है कि मैं वास्तव में कौन हूं तो सब कुछ बदल जाता है।9 जब मुझे अपनी क्षमताओं पर संदेह होता है, तो मैं अक्सर अपने मन में दोहराती हूं “मैं परमेश्वर की बेटी हूं, मैं परमेश्वर की बेटी हूं,” जितनी बार मुझे जरूरत होती है जब तक कि मैं फिर से आगे बढ़ने के लिए तैयार महसूस नहीं करती।

चौथा, मेरे दैनिक पश्चाताप का पत्थर। युवाओं की शक्ति के लिए मार्गदर्शिका में, हम पढ़ते हैं: “पश्चाताप पाप की सजा नहीं है; यह वह तरीका है जिससे उद्धारकर्ता हमें पाप से मुक्त करता है। पश्चाताप का अर्थ है परिवर्तन ―पाप से हट कर परमेश्वर की ओर मुड़ना। इसका अर्थ है सुधार करना और क्षमा प्राप्त करना। इस प्रकार का परिवर्तन कोई एक बार की घटना नहीं है; यह लगातार होने वाली प्रक्रिया है।”10

परमेश्वर की क्षमा को महसूस करने और यह जानने से अधिक स्वतंत्र कुछ भी नहीं है कि हम शुद्ध हैं और उसके समक्ष अपने पापों को स्वीकार कर लिया है। क्षमा हर किसी के लिए संभव है।

पांचवा परमेश्वर की शक्ति तक मेरी पहुंच का पत्थर। हम परमेश्वर के साथ जो अनुबंध बनाते हैं, जैसे कि हम बपतिस्मा की विधि में बनाते हैं, तो हमें परमेश्वर की शक्ति तक पहुंच प्राप्त होती है।11 परमेश्वर की शक्ति वास्तविक शक्ति है जो हमें चुनौतियों का सामना करने, अच्छे निर्णय लेने और कठिन परिस्थितियों धैर्य रखने की हमारी क्षमता बढ़ाने में मदद करती है। यह ऐसी शक्ति है जिसके साथ हम अपनी आवश्यक विशेष क्षमताओं में विकास कर सकते हैं।12

युवाओं की शक्ति के लिए मार्गदर्शिका बताती है: “अनुबंध आपको स्वर्गीय पिता और उद्धारकर्ता से जोड़ते हैं। वे आपके जीवन में परमेश्वर की शक्ति को बढ़ाते हैं।”13

आइए उस संपर्क के बारे में बात करते हैं। याद करें जब यीशु मसीह ने चट्टान पर बने घर और रेत पर बने घर के बीच अंतर सिखाया था?14 एल्डर डीटर एफ. उक्डोर्फ ने समझाया: “तूफान में कोई भी घर तभी टिकता है जब वह घर मजबूत हो। यह सिर्फ इसलिए टिका नहीं रहता क्योंकि चट्टान मजबूत है। घर तूफान से बचता है क्योंकि वह उस मजबूत चट्टान से मजबूती से जुड़ा हुआ होता है। यह चट्टान के साथ संपर्क की ताकत है जो मायने रखती है।”15

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चट्टान पर बना घर।

यीशु मसीह के साथ हमारा व्यक्तिगत संबंध हमें उन लोगों के बीच आगे बढ़ने का साहस और आत्मविश्वास देगा जो हमारी मान्यताओं का सम्मान नहीं करते हैं या जो हमें धमकाते हैं। मसीह हमें उसे लगातार अपने विचारों में रखने के लिए आमंत्रित करता है; वह हमसे कहता है “हर विचार में मेरी ओर देखो।”16 उद्धारकर्ता के बारे में सोचने से हमें निर्णय लेने, बिना किसी डर के कार्य करने और परमेश्वर की शिक्षाओं के विपरीत जो भी हो उसे ना कहने के लिए मन में स्पष्टता मिलती है।17 जब मेरा दिन कठिन होता है और मुझे लगता है कि मैं और नहीं सह सकती, तो मसीह के बारे में सोचने से मुझे शांति और आशा मिलती है।

हम यीशु मसीह की इस शक्ति का लाभ कैसे उठा सकते हैं? हमारे अनुबंधों का पालन करना और यीशु मसीह में हमारा विश्वास बढ़ाना प्रमुख हैं।

मैं वास्तव में चाहती हूं कि दाऊद के पास एक और पत्थर होता; तो वह मेरी गवाही का पत्थर होता। हमारी गवाही व्यक्तिगत आत्मिक अनुभवों से बनी होती है जिसमें हम अपने जीवन में दिव्य प्रभाव को पहचानते हैं।18 वह ज्ञान हमसे कोई नहीं छीन सकता। अपने आत्मिक अनुभवों को जीने से हम जो जानते हैं वह अमूल्य है। उस ज्ञान के प्रति सच्चा होना हमें स्वतंत्रता देता है। यह हमें खुशी देता है! यदि हम सच्चाई से प्यार करते हैं, तो हम इसकी खोज करेंगे, और एक बार जब हम इसे पा लेते हैं, तो हम इसकी रक्षा करेंगे।19

आमंत्रण

जैसा की मैंने पत्थर संख्या छह को चुना, वैसे ही मैं भी आपको अपनी कक्षा, परिषद या परिवार से मिलने और इस बारे में सोचने के लिए आमंत्रित करती हूं कि परमेश्वर के प्रति विश्वासी बने रहने और दुनिया पर विजय पाने के लिए आपको और कौन सी ताकत हासिल करने की जरूरत है।

प्रतिज्ञा

प्रिय मित्रों, मसीह हमारे जीवन की यात्रा में हमारा साथ देने के लिए उत्सुक हैं। मैं आपसे प्रतिज्ञा करती हूं, की जब आप लोहे की छड़ी को पकड़ेंगे, तब आप यीशु मसीह के साथ हाथ मिलाकर चलेंगे।20 वह आपका मार्गदर्शन करेगा, और वह आपको सिखाएगा21 उसके हाथ से, आप अपने जीवन में आने वाले प्रत्येक गोलियत को गिराने में सक्षम होंगे।

गवाही

मैं गवाही देती हूं कि हर दिन प्रार्थना करने में, हर दिन मॉरमन की पुस्तक पढ़ने में, हर रविवार को पवित्र प्रभु भोज में भाग लेने में, और सेमिनरी जाने में खुशी होती है—जो बहुत सवेरे होती है! अच्छा करने में आनंद मिलता है।

पूरी दुनिया के परमेश्वर, दुनिया के उद्धारकर्ता, राजाओं के राजा के प्रति विश्वासी रहने में आनंद मिलता है। यीशु मसीह का शिष्य होने में आनंद मिलता है।

परमेश्वर हमारा पिता है। वह आपके दिल की इच्छाओं और आपकी संभावनाओं को जानता है, और वह आप पर भरोसा करता है।

प्रिय युवाओं, यीशु मसीह आपको अंत तक विश्वासी बने रहने में मदद करेगा। इन सच्चाइयों के बारे में, मैं यीशु मसीह के नाम पर अपनी गवाही देती हूं, आमीन।