पवित्रशास्त्र
सिद्धांत और अनुबंध 109


खंड 109

27 मार्च 1836 को, कर्टलैंड, ओहायो, मंदिर के समर्पण पर भेंट की गई प्रार्थना । भविष्यवक्ता के लिखित कथन के अनुसार, यह प्रार्थना उसे प्रकटीकरण के द्वारा दी गई थी ।

1–5, कर्टलैंड मंदिर का निर्माण मानव पुत्र से भेंट के लिए किया गया था; 6–21, यह प्रार्थना, उपवास, विश्वास, सीखने, महिमा, और सुव्यवस्था का घर, और परमेश्वर का घर होगा; 22–33, अपश्चतापी जो प्रभु के लोगों का विरोध करते हैं वे पराजित हों; 34–42, संत धर्मियों को सिय्योन में एकत्रित करने के लिए आगे बढ़ें; 43–53, संत उन भयानक बातों से मुक्त किए जाएं जो अंतिम दिनों में दुष्ट पर उंडेली जानी हैं; 54–58, राष्ट्र और लोग और गिरजे सुसमाचार के लिए तैयार किए जाएं; 59–67, यहूदी, लमनाई, और संपूर्ण इस्राएल मुक्त किया जाए; 68–80, संतों को महिमा का ताज पहनाया जाए और आदर और अनंत उद्धार प्राप्त करें ।

1 आपका नाम धन्य हो, ओ इस्राएल के प्रभु परमेश्वर, जो अनुबंध को रखता और अपने सेवकों पर दया दिखाता है जो आपके समक्ष सीधी चाल चलते हैं, अपने संपूर्ण हृदयों से—

2 आप जिस ने अपने सेवकों को अपने नाम में इस स्थान (कर्टलैंड) में घर का निर्माण करने की आज्ञा दी है ।

3 और अब आप देखो, ओ प्रभु कि आपके सेवकों ने आपकी आज्ञा के अनुसार किया है ।

4 और अब हम आपसे मांगते, पवित्र पिता, यीशु मसीह के नाम में, आपके प्रिय पुत्र, जिसके नाम मात्र से मानव संतान को उद्धार प्रदान किया जा सकता है, हम मांगते हैं, ओ प्रभु, इस घर को स्वीकार करो, हमारे, आपके सेवकों के, हाथों की कारीगरी को, जिसका निर्माण करने की आज्ञा आपने दी थी ।

5 क्योंकि आप जानते हैं कि हमने यह कार्य बहुत कठिनाई से किया है; और हमारी निर्धनता के होते हुए हमने अपनी वस्तुओं में से आपके घर का निर्माण करने के लिए दिया है, ताकि मनुष्य के पुत्र के पास अपने लोगों के सामने स्वयं को प्रकट करने का स्थान हो ।

6 और जैसा आपने, हमें दिए गए, प्रकटीकरण में कहा है, हमें अपना मित्र बुलाते हुए, कहा—अपनी महासभा को बुलाओ, जैसी मैंने तुम्हें आज्ञा दी है;

7 और जैसा सबको विश्वास नहीं है, तुम परिश्रम से खोजो और एक दूसरे को ज्ञान के शब्द सीखाओ; हां, ज्ञान की सर्वोत्तम पुस्तकों से खोजो; सीखने का प्रयास करो, अध्ययन के द्वारा और विश्वास के द्वारा भी;

8 अपने आपको संगठित करो; प्रत्येक आवश्यक बात को तैयार करो, और एक घर स्थापित करो, अर्थात प्रार्थना का घर, उपवास का घर, विश्वास का घर, सीखने का घर, महिमा का घर, अनुशासन का घर, परमेश्वर का घर;

9 ताकि तुम्हारा प्रवेश करना प्रभु के नाम में हों, कि तुम्हारा बाहर आना प्रभु के नाम में हो, ताकि तुम्हारे सब अभिवादन प्रभु के नाम में हों, सर्वशक्तिमान के लिए हाथों को ऊपर उठाए हुए—

10 और अब, पवित्र पिता, हम आप से हमारी, अपने लोगों की, मदद करने को कहते हैं, अपने अनुग्रह के साथ, हमारी महासभा को बुलाने में, ताकि यह आपके सम्मान और आपकी दिव्य स्वीकृति के लिए की जा सके;

11 और उस तरीके में कि हम योग्य पाए जा सकें, आपकी दृष्टि में, उन प्रतिज्ञा को सुरक्षित करने के लिए जो आपने हमारे, अपने लोगों के, साथ बनाई हैं, हमें दिए गए प्रकटीकरणों में;

12 ताकि आपकी महिमा आपके लोगों पर ठहर सके, और आपके इस घर पर, जिसे अब हम आपको समर्पित करते हैं, ताकि यह पवित्र होने के लिए शुद्ध और अर्पित किया जा सके, और ताकि आपकी पवित्र उपस्थिति निरंतर इस घर में रहे;

13 और कि सब लोग जो प्रभु के घर के द्वार से प्रवेश करेंगे आपकी शक्ति को महसूस कर सकें और स्वीकार करने के लिए बाध्य हों कि आपने इसे शुद्ध किया है, और कि यह आपका घर है, आपकी पवित्रता का स्थान ।

14 और आप अनुमति दें, पवित्र पिता, कि वे सब जो इस घर में आराधना करते हैं उन्हें उत्तम पुस्तकों से ज्ञान के शब्द सीखाये जाएंगे, और कि वे अध्ययन के द्वारा भी सीखने की खोज करेंगे, और विश्वास के द्वारा भी, जैसा आपने कहा है;

15 और कि वे आप में विकास करेंगे, और पवित्र आत्मा की परिपूर्णता को प्राप्त करेंगे, और आपकी व्यवस्था के अनुसार संगठित होंगे, और प्रत्येक जरूरी बात को प्राप्त करने के लिए तैयार होंगे;

16 और यह घर प्रार्थना का घर, उपवास का घर, विश्वास का घर, महिमा का और परमेश्वर का घर, सच में आप का घर होगा;

17 ताकि आपके लोगों का संपूर्ण प्रवेश, इस घर में, प्रभु के नाम में होगा;

18 ताकि उन लोगों का इस घर से संपूर्ण निकास प्रभु के नाम में होगा;

19 और कि उनका सारा अभिवादन प्रभु के नाम में होगा, पवित्र हाथों से, सर्वशक्तिमान के लिए ऊपर उठाए जाएंगे;

20 और कि कोई अशुद्ध बातों को आपके घर में आकर इसे अशुद्ध करने करने की अनुमति नहीं होगी;

21 और जब आपके लोग उल्लंघन करते हैं, उनमें से कोई भी, वे शीघ्रता से पश्चाताप करेंगे और आपके पास लौटेंगे, और आपकी दृष्टि अनुग्रह प्राप्त करेंगे, और उन आशीषों को पुनास्थापित करेंगे जो उन पर उंडलने को नियुक्त की गई हैं जो आपके घर में आपका आदर करेगा ।

22 और हम आप से विनती करते हैं, पवित्र पिता, कि आपके सेवक इस घर से आपकी शक्ति से लैस होकर जाएंगे, और कि आपका नाम उन पर रहेगा, और आपकी महिमा उनके चारों ओर होगी, और आपके स्वर्गदूत उनकी रक्षा करेंगे;

23 और इस स्थान से वे अत्यधिक महान और महिमापूर्ण समाचार देंगे, सच्चाई में, पृथ्वी के अंतिम छोर तक, कि वे जान पाएंगे कि यह आपका कार्य है, और कि आपने अपने हाथ को आगे बढ़ाया है, उसे पूरा करने के लिए जो आपने भविष्यवक्ताओं के मुख द्वारा बोला है, अंतिम दिनों के संबंध में ।

24 हम आपसे विनती करते हैं, पवित्र पिता, उन लोगों को स्थापित करने की जो आराधना करेंगे, और आपके इस घर में सम्मानजनक नाम और प्रतिष्ठता प्राप्त करेंगे, संपूर्ण पीढ़ियों और अनंतता के लिए;

25 ताकि उनके विरूद्ध बनाया गया कोई शस्त्र सफल नहीं होगा; कि वह जो उनके लिए गड्ढा खोदता है स्वयं उस में गिरेगा;

26 ताकि दुष्टता की किसी भी संगठन के पास आपके लोगों से ऊपर उठने और प्रबल होने की शक्ति न होगी जिन पर इस घर में आपका नाम रखा जाता है;

27 और यदि कोई इन लोगों के विरूद्ध उठेगा, तो आपका क्रोध उनके विरूद्ध भड़केगा;

28 और यदि वे इन लोगों को दंड देते हैं तो आप उन्हें दंड देंगे; आप अपने लोगों के लिए लड़ाई लड़ोगे जैसा आपने युद्ध के समय किया था, ताकि वे अपने सभी शत्रुओं के हाथों से मुक्त किए जाएं ।

29 हम आपसे विनती करते हैं, पवित्र पिता, उन सभी को पराजित, और चकित करो, और लज्जित और भ्रमित हों, जिन्होंने परदेश, और संसार में झूठा समाचार फैलाया है, आपके सेवक या सेवकों के विरूद्ध, यदि वे पश्चाताप नहीं करते, जब अनंत सुसमाचार की घोषणा उनके कानों में की जाएगी;

30 और कि उन के सभी कार्यों को मिटा दिया जाए, और ओलों के द्वारा, और दंडों के द्वारा नष्ट किए जाएं जो आप उन पर अपने क्रोध में भेजोगे, ताकि आपके लोगों के विरूद्ध झूठों और दोषों का अंत हो ।

31 क्योंकि आप जानते हो, ओ प्रभु, कि आपके सेवक आपके सम्मुख निर्दोष रहे हैं आपके नाम की गवाही देने में, जिसके लिए उन्होंने इन बातों को सहा है ।

32 इसलिए हम आपके सम्मुख याचना करते हैं इस जुए से पूरी तरह और पूर्णरूप से मुक्त करो;

33 इसे तोड़ डालो, ओ प्रभु; इसे तोड़ डालो अपने सेवकों की गरदनों से, अपनी शक्ति के द्वारा, ताकि हम इस पीढ़ी के बीच खड़े हो सकें और आपके कार्य को करें ।

34 ओ यहोवा, इन लोगों पर दया करो, और क्योंकि सभी मनुष्य पाप करते हैं, अपने लोगों के अपराधों को क्षमा करो, और उन्हें हमेशा के लिए मिटा दो ।

35 आपके सेवकों का अभिषेक उन पर स्वर्ग की शक्ति से मुहरबंद किया जाए ।

36 इसे उन पर परिपूर्ण किया जाए, जैसे पिन्तेकुस्त के दिन उन पर हुआ था; भाषा का उपहार आपके लोगों पर उंडेला जाए, अग्नि के समान फटी जबान भी, और उनकी व्याख्या ।

37 और आपका घर भर जाए, बड़ी आंधी के समान, आपकी महिमा से ।

38 आपके सेवक धारण करें अनुबंध की गवाही, ताकि जब वे बाहर जाएं और आपके वचन की घोषणा करें तो वे व्यवस्था से मुहरबंद हो सकें, और अपने संतों के हृदयों को उन सब दंडों के लिए तैयार करो जो आप भेजने को हो, अपने क्रोध में, पृथ्वी के निवासियों पर, उनके अपराधों के कारण, ताकि आपके लोग सकंट के समय हिम्मत न हारें ।

39 और जिस किसी शहर में आपके सेवक प्रवेश करेंगे, और उस शहर के लोग उनकी गवाही को स्वीकार करेंगे, आपकी शांति और आपका उद्धार उस शहर पर हो; ताकि वे उस शहर के धर्मियों को एकत्रित कर सकें, ताकि वे सिय्योन को आ सकें, या इसके स्टेकों को, आपकी नियुक्ति के स्थानों को, अनंत आनंद के गीतों के साथ;

40 और जब तक यह पूरा नहीं होता है, आपके दंड उस शहर न आएं ।

41 और जिस किसी शहर में आपके सेवक प्रवेश करते हैं, और उस शहर के लोग आपके सेवकों की गवाही को स्वीकार नहीं करते हैं, और आपके सेवक हठी पीढ़ी से स्वयं को बचाने की चेतावनी उन्हें देते हैं, उस शहर पर वैसा ही होने दो जैसा आपने अपने भविष्यवक्ताओं के मुहं से कहलवाया है ।

42 लेकिन आप मुक्त करें, ओ यहोवा, हम आपसे निवेदन करते हैं, अपने सेवकों को उनके हाथों से, और उन्हें उनके रक्त से शुद्ध करें ।

43 ओ प्रभु, हम अपने साथियों के विनाश से प्रसन्न नहीं होते हैं; उनकी आत्माएं आपके समक्ष अमूल्य हैं;

44 लेकिन आपके वचन अवश्य ही पूरे हों । अपने सेवकों की मदद करें कहने में, आपकी महिमा से उनकी मदद करते हुए: आपकी इच्छा पूरी हो, ओ प्रभु, और हमारी नहीं ।

45 हम जानते हैं कि आप अपने भविष्यवक्ताओं के मुंह से भंयकर बातें दुष्ट के संबंध में बोली हैं, अंतिम दिनों में—कि आप अपने दंडों को उंडेलेंगे, असीमितरूप से;

46 इसलिए, ओ प्रभु, अपने लोगों को दुष्ट की विपत्ति से बचाएं; अपने सेवकों को व्यवस्था को मुहरबंद करने के योग्य करें, और गवाही को बांधें, ताकि वे जलाए जाने के समय के विरूद्ध तैयार हो सकें ।

47 हम आपसे विनती करते हैं, पवित्र पिता, उन्हें स्मरण करने के लिए जिन्हें जैक्सन काउंटी, मिसूरी, के निवासियों द्वारा खदेड़ा गया है, उनके पैतृक प्रदेश से, और तोड़ डालो, ओ प्रभु, कष्ट के इस जुए को जो उन पर रखा गया है ।

48 आप जानते हैं, ओ प्रभु, कि वे अत्यधिकरूप से दबाए और सताए गए हैं दुष्ट व्यक्तियों द्वारा; और हमारे हृदय दुख से बहने लगे हैं उनके भारी बोझों के कारण ।

49 ओ प्रभु, आप कब तक इन लोगों को इस कष्ट सहने की अनुमति दोगे, और उनके निर्दोष की चिल्लाहटें आपके कानों तक पहुंचेंगी, और उनका लहू गवाही के रूप में आपके समक्ष आएगा, और उनके समर्थन में अपनी गवाही का प्रदर्शन करोगे ?

50 दया करो, ओ प्रभु, इस दुष्ट भीड़ पर, जिसने आपके लोगों को खदेड़ा है, ताकि वे लूटना बंद करें, कि वे अपने पापों से पश्चाताप करें यदि पश्चाताप मिलता है;

51 लेकिन यदि वे नहीं करते हैं, तो उन्हें अपनी भुजा प्रकट करो, ओ प्रभु, और उसे मुक्त करो जिसे आपने अपने लोगों के लिए सिय्योन नियुक्त किया है ।

52 और यदि ऐसा नहीं हो सकता है, ताकि आपके लोगों का हित आपके समक्ष असफल न हो कि आपका क्रोध भड़के, और आपका आक्रोश उन पर गिरे, कि वे नष्ट न हों, जड़ और शाखा दोनों रूप में, पृथ्वी से;

53 लेकिन जब तक वे पश्चाताप करेगें, आप दयालु और अनुग्रहकारी हैं, और अपने क्रोध को दूर करोगे जब आप अपने अभिषिक्त के चेहरे को देखते हो ।

54 दया करो, ओ प्रभु, पृथ्वी के सभी राष्ट्रों पर; अपने प्रदेश के शासकों पर दया करो; वे सिद्धांत, जिनका इतने आदर और उदारता से बचाव किया गया था, अर्थात, हमारे प्रदेश का संविधान, हमारे पूर्वजों द्वारा, हमेशा के लिए स्थापित किया गया ।

55 याद रखना राजाओं, राजकुमारों, मुखियों, और पृथ्वी के महान जनों को, और सारे लोगों को, और पृथ्वी के गिरजों को, सारे गरीब, जरूरतमंद, और पीड़ित जनों को;

56 ताकि उनके हृदय विनम्र हों जब आपके सेवक आपके घर से बाहर जाएंगे, ओ यहोवा, आपकी नाम की गवाही दें; ताकि सच्चाई के समक्ष वे अपने मतभेंदों को छोड़ें, और आपके लोग सभी की दृष्टि में अनुग्रह प्राप्त करें;

57 ताकि पृथ्वी के सारे छोर जानें कि हम, आपके सेवकों ने, आपकी वाणी सुनी है, और आपने हमें भेजा है;

58 ताकि यह इन सभी लोगों में से, आपके सेवक, याकूब के बेटे, धर्मी को एकत्रित करें आपके नाम में पवित्र शहर का निर्माण करने के लिए, जैसा आपने उन्हें आदेश दिया है ।

59 हम सिय्योन में अन्य स्टेकों को नियुक्त करने की आपसे विनती करते हैं इस के अलावा जिसे आपने नियुक्त किया है, ताकि आपके लोगों का एकत्रित होना महान शक्ति और प्रताप में जारी रह सके, ताकि आपका कार्य धार्मिकता में शीघ्रता से हो सके ।

60 अब यह वचन, ओ प्रभु, हमने आपके समक्ष बोला है, प्रकटीकरणों और आज्ञाओं के संबंध में जो आपने हमें दी हैं, जिनकी अन्य जातियों के रूप में पहचान हुई है ।

61 लेकिन आप जानते हैं कि आप याकूब की संतान के प्रति महान प्रेम महसूस करते हैं, जिन्हें लंबे समय के लिए पहाड़ों पर बिखेरा गया है, बादल और घोर अंधकार के समय ।

62 इसलिए हम आप से याकूब की संतान पर दया करने की विनती करते हैं, ताकि यरूशलेम इस क्षण से मुक्ति प्राप्त करना आरंभ कर सके;

63 और गुलामी का जुआ दाऊद के घराने से टूटना आरंभ हो सके;

64 और यहूदा की संतान उन प्रदेशों में वापस लौटना आरंभ करे जो आपने उनके पूर्वज अब्राहम को दिए थे ।

65 और ऐसा करें कि याकूब के वंशज, जिन्हें उनके उल्लंघनों के कारण श्रापित और दंडित किया गया था, वे अपनी जंगली और असभ्य अवस्था से अनंत सुसमाचार की परिपूर्णता में परिवर्तित हो जाएं;

66 ताकि वे रक्तपात के अपने हथियारों को फेंक दें, और अपने विद्रोह को समाप्त करें ।

67 और इस्राएल के सभी बिखरे हुए वंशज, जिन्हें पृथ्वी के छोरों को खदेड़ा गया है, सच्चाई को जानें, मसीह में विश्वास करें, और अत्याचार से मुक्त किए जाएं, और आपके समक्ष आनंदित हों ।

68 ओ प्रभु, अपने सेवक, जोसफ स्मिथ, जु., को याद रखो, और उसकी सारे कष्टों और अत्याचारों को—कैसे उसने यहोवा से अनुबंध, और आप से वादा किया है, ओ याकूब के सर्वशक्तिमान परमेश्वर—और आज्ञाएं जो आपने उसे दी हैं, और कि उसने ईमानदारी से आपकी इच्छा को करने का प्रयास किया है ।

69 दया करो, ओ प्रभु, उसकी पत्नी और बच्चों पर, ताकि वे आपकी उपस्थिति में सम्मान पाएं, और आपके पोषण करने वाले हाथों द्वारा सुरक्षित रहें ।

70 उनके सभी निकट संबंधियों पर दया रखो, ताकि उनके मतभेदों को दूर किया जाए और धारा के साथ बहाए जाएं; ताकि वे इस्राएल के साथ परिवर्तित और मुक्त किए जाएं, और जानें कि आप परमेश्वर हैं ।

71 याद रखो, ओ प्रभु, अध्यक्षों, अपने गिरजे के सारे अध्यक्षों को भी, कि आपका दायां हाथ उन्हें ऊंचा उठाए, उनके सभी परिवारों, और उनके निकट संबंधियों के साथ, ताकि उनके नाम कायम रहें और पीढ़ी से पीढ़ी तक अनंत यादगार में बने रहें ।

72 अपने सभी गिरजे को याद रखो, ओ प्रभु, उनके सारे परिवारों, और उनके सारे निकट संबंधियों के साथ, उनके सारे बीमार और पीड़ित जनों के साथ, पृथ्वी के सारे गरीब और विनम्र जनों के साथ; ताकि राज्य, जिसे आपने बिना हाथों के बनाया है, बड़ा पहाड़ बन जाए और संपूर्ण पृथ्वी पर फैल जाए;

73 ताकि आपका गिरजा अंधकार की निर्जनता से बाहर निकलकर आए, और ऐसे चमके जैसे निर्मल चांद, ऐसे चमकीला जैसे सूर्य, और ऐसे भंयकर जैसे झंडों के साथ सेना;

74 और दुलहन के समान संवारा जाए उस दिन के लिए जब आप स्वर्गों से पर्दा उठाओगे, और पहाड़ आपकी उपस्थिति में कांप उठेंगे, और घाटियां ऊंची की जाएंगी, और ऊंचे नीचे स्थानों को चौरस किया जाएगा; ताकि पृथ्वी आपकी महिमा से भर जाए;

75 कि जब मृतक के लिए तुरही फूंकी जाएगी, हम आप से बादल में मिलेंगे, ताकि हम सदैव प्रभु के साथ रह सकें;

76 कि हमारे वस्त्र शुद्ध हों, कि हमें धार्मिकता का वस्त्र पहनाया जाए, अपने हाथों में खजूर की डालियों के साथ, और महिमा के ताज हमारे सिरों पर, और अपने सारे कष्टों के अनंत आनंद का प्रतिफल प्राप्त करें ।

77 ओ सर्वशक्तिमान प्रभु परमेश्वर, हमारी इन याचनाओं को सुनो, और स्वर्ग से हमें जवाब दो, आपका पवित्र निवास, जहां आप सिंहासन पर बैठते हैं, महिमा, सम्मान, शक्ति, तेज, पराक्रम, प्रभुत्व, धर्म, न्याय, दया, और परिपूर्णता की अनंतता, अनंतकाल से अंनतकाल तक ।

78 ओ सुनो, ओ सुनो, ओ हमें सुनो, ओ प्रभु ! और इन याचनाओं का जवाब दो, और अपने लिए इस घर के समर्पण को स्वीकार करो, आपके हाथों की कारीगरी, जिसे हमने आपके नाम में बनाया है;

79 और इस गिरजे को भी, इस पर अपना नाम रखो । और अपनी आत्मा की शक्ति के द्वारा हमारी मदद करो, कि हम आपके सिंहासन के चारों ओर उन चमकीले, चमकदार सारापों के साथ अपनी वाणियों को मिला दें, प्रशंसा की स्तुति गीतों के साथ, परमेश्वर और मेमने की होसन्ना गाते हुए !

80 और इन, मेरे नियुक्त किए गए जनों, उद्धार के वस्त्र पहनाए जाएं, और आपके संत आनंद से चिल्लाएं । आमीन, और आमीन ।