पवित्रशास्त्र
सिद्धांत और अनुबंध 25


खंड 25

भविष्यवक्ता जोसफ स्मिथ द्वारा हारमनी, पेनसिलवैनिया, जुलाई 1830 में दिया गया प्रकटीकरण । (खंड 24 का शीर्षक देखें) । यह प्रकटीकरण ऐमा स्मिथ, भविष्यवक्ता की पत्नी को प्रभु की इच्छा प्रकट करता है ।

1–6, ऐमा स्मिथ, एक चुनी हुई महिला, को अपने पति की सहायता और दिलासा देने के लिए नियुक्त किया जाता है; 7–11, वह लिखने, धर्मशास्त्रों की व्याख्या करने, और स्तुति-गीत चुनने के लिए भी नियुक्त की जाती है; 12–14, धर्मी का गीत प्रभु की आराधना है; 15–16, इस प्रकटीकरण में आज्ञाकारिता के सिद्धांत सभी पर लागू होते हैं ।

1 प्रभु अपने परमेश्वर की वाणी पर ध्यान दो, जब मैं तुम, ऐमा स्मिथ, मेरी बेटी, से बात करता हूं; क्योंकि मैं तुम से सच सच कहता हूं, वे सब जो मेरे सुसमाचार को ग्रहण करते हैं मेरे राज्य में मेरे बेटे और बेटियां हैं ।

2 अपनी इच्छा के संबंध में एक प्रकटीकरण मैं तुम्हें देता हूं; और यदि तुम विश्वासी रहती और मेरे समक्ष नेकी के मार्ग पर चलती हो, मैं तुम्हारा जीवन सुरक्षित रखूंगा, और सिय्योन में उत्तराधिकार प्राप्त करोगी ।

3 देखो, तुम्हारे पाप क्षमा हो गए हैं, और तुम एक चुनी हुई महिला हो, जिसे मैंने नियुक्त किया है ।

4 उन बातों के लिए मत बड़बड़ करो जिन्हें तुमने देखा नहीं है, क्योंकि वे तुमसे और संसार से छिपा कर रखी गई हैं, जोकि आने वाले समय में मैं उचित समझता हूं ।

5 और तुम्हारी नियुक्ति की जिम्मेदारी मेरे सेवक, जोसफ स्मिथ, जु., तुम्हारे पति को उसके कष्टों में, नम्रता की आत्मा में, सांत्वना के शब्दों से दिलासा देना है ।

6 और जब वह जाता है तुम उसके साथ जाओगी, और उसके लिए लेखक बनोगी, जब उसके लिए कोई लिखने वाला न हो, ताकि मैं अपने सेवक, ओलिवर कॉउड्री, कहीं भी भेज सकूं ।

7 और तुम उसके हाथों द्वारा धर्मशास्त्रों की व्याख्या करने, और गिरजे को, समझाने के लिए नियुक्त की जाओगी उसके अनुसार जैसा तुम्हें मेरी आत्मा द्वारा बताया जाएगा ।

8 क्योंकि वह अपने हाथों को तुम्हारे ऊपर रखेगा, और तुम पवित्र आत्मा प्राप्त करोगी, और तुम अपना समय लिखने, और अधिक सीखने में बिताओगी ।

9 और तुम्हें भयभीत होने की जरूरत नहीं, क्योंकि गिरजे में तुम्हारा पति तुम्हें समर्थन देगा; क्योंकि उनके लिए उसकी नियुक्ति है, कि सभी बातें उन पर प्रकट की जा सकें, जो कुछ मैं चाहता हूं, उनके विश्वास के अनुसार ।

10 और मैं तुम से सच कहता हूं कि तुम इस संसार की बातों को अस्वीकार करोगी, और अच्छाई की खोज करोगी ।

11 और यह भी, तुम्हें दिया जाएगा, पवित्र स्तुति-गीतों का चुनाव करने के लिए, जैसा तुम्हें बताया जाएगा, जोकि मुझे पसंद है, मेरे गिरजे में उपयोग किए जाएं ।

12 क्योंकि मेरी आत्मा हृदय से गाये गीत से प्रसन्न होती है; हां, धर्मी के गीत मेरी आराधना है, और इनका उत्तर उनके सिरों पर आशीष के साथ दिया जाएगा ।

13 इसलिए, अपने हृदय में खुशी मनाओ और आनंदित हो, और उन अनुबधों पर अटल रहो जो तुमने बनाये हैं ।

14 नम्रता की आत्मा में निरंतर बने रहो, और घमंड से सतर्क रहो । तुम्हारी आत्मा में तुम्हारे पति, और उस महिमा में प्रसन्न हो जो उस पर आएगी ।

15 निरंतर मेरी आज्ञाओं का पालन करना, और धार्मिकता का मुकुट तुम प्राप्त करोगी । और सिवाये इसे किए जाने से, जहां मैं हूं तुम वहां नहीं आ सकती ।

16 और मैं तुम से सच, सच कहता हूं, कि सबों के लिए यह मेरी वाणी है । आमीन ।