पवित्रशास्त्र
सिद्धांत और अनुबंध 6


खंड 6

अप्रैल 1829, भविष्यवक्ता जोसफ स्मिथ और ओलिवर कॉउड्री को हारमनी, पेनसिलवैनिया में दिया गया प्रकटीकरण । 7 अप्रैल 1829, ओलिवर कॉउड्री ने मॉरमन की पुस्तक के अनुवाद में लेखक के रूप में कार्य करना आरंभ किया । उसे पहले ही उन पट्टियों के विषय में भविष्यवक्ता की गवाही की सच्चाई का दिव्य एहसास करा दिया गया था जिन पर मॉरमन की पुस्तक का अभिलेख लिखा हुआ था । भविष्यवक्ता ने यूरिम और थूमिम के द्वारा प्रभु से पूछा और यह जवाब प्राप्त किया था ।

1–6, प्रभु के खेत में काम करने वाले मजदूरों को उद्धार मिलता है; 7–13, उद्धार के उपहार से बढ़कर अन्य कोई उपहार नहीं है; 14–27, सच्चाई की गवाही आत्मा की शक्ति से आती है; 28–37, मसीह को देखो, और निरंतर भला करो ।

1 एक महान और शानदार कार्य मानव संतान पर प्रकट होने को है ।

2 देखो मैं परमेश्वर हूं; मेरे वचन पर ध्यान दो, जोकि जीवित और शक्तिशाली, जोड़ों और मज्जा दोनों को काटकर अलग करने वाली दोधारी तलवार से तेज है; इसलिए मेरे वचनों पर ध्यान दो ।

3 देखो, खेत पककर कटनी के लिए तैयार है; इसलिए, जो फसल एकत्र करना चाहता है, वह हंसिये को अपने बल से चलाये, और समय रहते फसल एकत्र कर ले, ताकि वह अपनी आत्मा के लिए परमेश्वर के राज्य में उद्धार संजोकर रख सके ।

4 हां, जो कोई हंसिया चलायेगा और फसल एकत्र करेगा, वह परमेश्वर द्वारा नियुक्त किया गया है ।

5 इसलिए, यदि तुम मुझ से मांगोगे तो पाओगे, यदि तुम खटखटाओगे तो तुम्हारे लिए खोला जाएगा ।

6 अब, जैसा तुमने मांगा है, देखो, मैं तुम से कहता हूं, मेरी आज्ञाओं का पालन करो, और सिय्योन के हित को लाने और स्थापित करने का प्रयास करो;

7 संपत्ति की नहीं अपितु बुद्धि की इच्छा रखो, और देखो, परमेश्वर के रहस्य तुम पर प्रकट किए जाएंगे, और तब तुम समृद्ध बनाये जाओगे । देखो, जिसके पास अनंत जीवन है वह समृद्ध है ।

8 मैं तुम से, सच, सच, कहता हूं, तुम मुझ से जैसी इच्छा करोगे वैसा तुम पाओगे; और यदि तुम इच्छा करते हो, तो तुम इस पीढ़ी में बहुत अच्छा करने के माध्यम बनोगे ।

9 इस पीढ़ी से पश्चाताप के सिवाय कुछ मत कहो; मेरी आज्ञाओं का पालन करो, और मेरी आज्ञाओं के अनुसार, मेरे कार्य को करने में सहायता करो, और तुम आशीषित किए जाओगे ।

10 देखो तुम्हारे पास एक उपहार है, और तुम अपने उपहार के कारण आशीषित हो । स्मरण रखो यह पवित्र है और स्वर्ग से आता है—

11 और यदि तुम पूछोगे, तो तुम उन रहस्यों को जानोगे जो महान और आश्चर्यजनक हैं; इसलिए तुम अपने उपहार का उपयोग करो, ताकि तुम रहस्यों को जान सको, ताकि बहुतों को सच्चाई प्रकट कर सको, हां, उन्हें उनके जीवनों के गलती को मनवा सको ।

12 सिवाय उनके जो तुम्हारे धर्म के हैं किसी अन्य पर अपने उपहार को प्रकट नहीं करना । पवित्र बातों का अनादर नहीं करना ।

13 यदि तुम अच्छाई करोगे, हां, और अंत तक विश्वासी बने रहोगे, तो तुम परमेश्वर के राज्य में बचाये जाओगे, जोकि परमेश्वर के सभी उपहारों में सर्वोत्तम है; क्योंकि उद्धार के उपहार से बढ़कर अन्य कोई उपहार नहीं है ।

14 मैं तुम से, सच, सच, कहता हूं, जो कुछ तुमने किया उसके लिए तुम आशीषित किए गए; क्योंकि तुमने मुझ से पूछा है, और देखो, जब जब तुमने पूछा तुम्हें मेरी आत्मा का निर्देश प्राप्त हुआ है । यदि तुम ऐसे नहीं रहते तो, तुम उस स्थान पर नहीं पहुंचते जहां इस समय तुम हो ।

15 देखो, तुम जानते हो कि तुमने मुझ से पूछा और मैंने तुम्हारी समझ को स्पष्ट किया; और अब मैं तुम से इन बातों को कहता हूं ताकि तुम जान सको कि तुम्हें सच्चाई की आत्मा द्वारा स्पष्ट किया गया है ।

16 हां, मैं तुम से कहता हूं, कि तुम जान सको कि सिवाय परमेश्वर के अन्य कोई तुम्हारे हृदय के विचारों और इच्छाओं को नहीं जान सकता है ।

17 मैं तुम से ये सब बातें तुम्हें एक गवाह के रूप में कहता हूं—कि जो वचन या कार्य तुम लिख रहे हो वे सच्चे हैं ।

18 इसलिए मेहनती बनो; विश्वासनीयता से, मेरे सेवक जोसफ के साथ खड़े रहो, वचन के कारण वह चाहे जितनी भी कठिन परिस्थितियों में हो ।

19 उसके दोषों में उसे परामर्श दो, और उसकी परामर्श भी प्राप्त करो । धैर्यवान बनो; संयमी बनो; शांत बनो; धैर्य, विश्वास, आशा और उद्धारता रखो ।

20 देखो, तुम ओलिवर हो, और मैंने तुम्हारी इच्छाओं के कारण तुम से कहा है; इसलिए अपने हृदय में वचनों को संजो कर रखो । परमेश्वर की आज्ञाओं का पालन करने में विश्वासी और मेहनती बनो, और मैं तुम अपने प्रेम की बाहों में घेरे रहूंगा ।

21 देखो, मैं यीशु मसीह, परमेश्वर का पुत्र हूं । मैं वही हूं जो अपने घर में आया, और मेरे अपनों ने मुझे ग्रहण नहीं किया । मैं वह ज्योति हूं जो अंधकार में चमकती है, और अंधकार इसे समझ नहीं सकता ।

22 मैं तुम से सच, सच कहता हूं, यदि तुम्हें अतिरिक्त गवाही की इच्छा हो, तो अपना ध्यान उस रात पर लगाओ जब तुमने सारे मन से प्रार्थना की थी, कि तुम इन बातों की सच्चाई के संबंध में जान सको ।

23 क्या मैंने तुम्हारे मन को इस विषय के संबंध में शांत नहीं किया था? परमेश्वर से इससे अधिक गवाही तुम क्या पा सकते हो?

24 और अब, देखो, तुमने एक गवाही पाई है; क्योंकि यदि मैंने तुमसे उन बातों को बताया है जो कोई इंसान नहीं जानता क्या तुम ने एक गवाही नहीं पाई?

25 और, देखो, मैं तुम्हें एक उपहार देता हूं, यदि तुम मुझसे इच्छा करते हो, अनुवाद करने के लिए, जैसा मेरा सेवक जोसफ करता है ।

26 मैं तुम से, सच, सच कहता हूं, कि ऐसे अभिलेख हैं जिनमें मेरा अधिकतर सुसमाचार शामिल है, जोकि लोगों की दुष्टाता के कारण छिपा कर रखे गए हैं;

27 और अब मैं तुम्हें आज्ञा देता हूं, कि यदि तुम्हारे पास अच्छी इच्छाएं हैं—स्वयं के लिए स्वर्ग में धन एकत्रित करने की इच्छा—तब तुम, अपने उपहार के साथ, मेरे धर्मशास्त्रों के उन हिस्सों को प्रकट करने में सहायता करोगे, जोकि अधर्म के कारण छिपा दिए गए हैं ।

28 और अब, देखो, मैं तुम्हें, और अपने सेवक जोसफ को भी, इस उपहार की कुंजियां देता हूं, जो इस सेवकाई को प्रकट करेंगी; और दो या तीन गवाहों के मुंह से प्रत्येक वचन प्रमाणित किया जाएगा ।

29 मैं तुम से सच, सच कहता हूं, यदि वे मेरे वचनों को, और मेरे सुसमाचार और सेवकाई के इस हिस्से को अस्वीकार करते हैं, तो तुम आशीषित हो, क्योंकि वे तुम्हारे साथ उससे अधिक नहीं कर सकते जितना उन्होंने मेरे साथ किया है ।

30 और यद्यपि वे तुम्हारे साथ भी वैसा ही करते हैं जैसा उन्होंने मेरे साथ किया था, तो तुम आशीषित हो, क्योंकि तुम मेरे साथ महिमा में रहोगे ।

31 लेकिन यदि वे मेरे वचनों को अस्वीकार नहीं करते, जोकि दी गई गवाही के द्वारा स्थापित किए जाएंगे, वे आशीषित हैं, और तब तुम अपने कार्यों के फल में आनंद पाओगे ।

32 मैं तुम से, सच, सच, कहता हूं, जैसा मैंने अपने शिष्यों से कहा था, जहां दो या तीन किसी एक विषय पर मेरे नाम में एकत्रित होते हैं, देखो, वहां मैं उनके मध्य में उपस्थित होंगा—जैसा कि मैं तुम्हारे मध्य में हूं ।

33 अच्छा करने से मत डरो, मेरे बेटों, क्योंकि जो कुछ तुम बोते हो, वही तुम काटोगे; इसलिए, यदि तुम अच्छा करते हो तो तुम अपने लिए अच्छा ही प्रतिफल प्राप्त करोगे ।

34 इसलिए, डर मत, छोटे झुंड; अच्छा करो, बेशक संसार और नरक की शक्तियां मिलकर तुम्हारा विरोध करें, क्योंकि यदि तुमने मेरी चट्टान पर निर्माण किया है तो, वे विजय प्राप्त नहीं कर सकते ।

35 देखो, मैं तुम पर दंड की आज्ञा नहीं देता; जाओ और फिर पाप न करना, गंभीरता से उस कार्य को करना जिसकी आज्ञा मैंने तुम्हें दी है ।

36 प्रत्येक विचार में मेरी ओर देखो; संदेह मत करो, भयभीत मत हो ।

37 देखो उन घावों को जिसने मेरी बगल को छेदा था, और मेरे हाथों और पांवों में कीलों के निशानों को; विश्वसनीय बनो, मेरी आज्ञाओं का पालन करो, और तुम स्वर्ग के राज्य को विरासत में पाओगे । आमीन ।