पवित्रशास्त्र
सिद्धांत और अनुबंध 90


खंड 90

भविष्यवक्ता जोसफ स्मिथ द्वारा, कर्टलैंड, ओहायो में, 8 मार्च 1833 में, दिया गया प्रकटीकरण । यह प्रकटीकरण प्रथम अध्यक्षता को स्थापित करने के संबंध में अगला कदम है (देखें खंड 81 का शीर्षक); इसके परिणामस्वरूप, इसमें बताए सलाहकार 18 मार्च 1833 को नियुक्त किए गए थे ।

1–5, राज्य की कुंजियां जोसफ स्मिथ को सौंपी जाती हैं और उसके द्वारा गिरजे को; 6–7, सिडनी रिगडन और फ्रैड्रिक जी. विलियमस को प्रथम अध्यक्षता में सेवा करनी है; 8–11, सुसमाचार को इस्राएल के राष्ट्रों, अन्यजातियों को, और यहूदियों को, प्रत्येक व्यक्ति को उसकी स्वयं की भाषा में प्रचार करना है; 12–18, जोसफ स्मिथ और उसके सलाहकारों को गिरजे को ठीक से संगठित करना है; 19–37विभन्न लोगों को ईमानदारी से चलने और उसके राज्य में सेवा करने की प्रभु द्वारा सलाह दी जाती है ।

1 प्रभु इस प्रकार कहता है, मैं तुम से, सच, सच, कहता हूं मेरे बेटे, तुम्हारे पाप तुम्हें क्षमा कर दिए गए हैं, तुम्हारी याचना के अनुसार, क्योंकि तुम्हारी प्रार्थनाएं और तुम्हारे भाइयों की प्रार्थनाएं मेरे कानों तक पहुंची हैं ।

2 इसलिए, तुम अब से आशीषित किए जाते हो जो तुम्हें दी गई हैं राज्य की कुंजियों को धारण करता है; यह राज्य अंतिम बार स्थापित किया जा रहा है ।

3 मैं तुम से सच कहता हूं, इस राज्य की कुंजियां तुम से कभी वापस नहीं ली जाएंगी, जब तक तुम संसार में हो, और न ही आने वाले संसार में;

4 फिर भी, तुम्हारे द्वारा दूसरों को वचन दिए जाएंगे, हां, अर्थात गिरजे को ।

5 और वे सब जो परमेश्वर के वचन प्राप्त करते हैं, वे सावधान हों कि वे इन पर कैसे विचार करते हैं कहीं इन्हें हल्के में न लिया जाए, वरना इसके कारण वे दंड का कारण बनेंगे, और ठोकर खाएंगे और गिरेंगे जब तूफान आते हैं, और आंधियां चलती हैं, और वर्षा होती हैं, और उनके घर पर टक्करें लगाती हैं ।

6 और फिर, मैं तुम्हारे भाइयों से सच कहता हूं, सिडनी रिगडन और फ्रैड्रिक जी. विलियमस, उनके पाप उनके लिए क्षमा किए गए हैं, और वे इस अंतिम राज्य की कुंजियों को धारण करने के लिए तुम्हारे समान समझे जाएगें;

7 इसके अतिरिक्त तुम्हारी सेवकाई के द्वारा भविष्यवक्ताओं के विद्यालय की कुंजियां भी, जिसे संगठित करने की मैंने आज्ञा दी है;

8 कि इसके द्वारा वे सिय्योन के, और इस्राएल के राष्ट्रों के, और अन्यजातियों के, जितने अधिक विश्वास करेंगे, उद्धार के लिए अपनी सेवकाई में परिपूर्ण हो सकें;

9 कि तुम्हारी सेवकाई के द्वारा वे वचन प्राप्त कर सकें, और अपनी सेवकाइयों के द्वारा वचन पृथ्वी के छोर तक जा सके, अन्यजातियों को पहले, और फिर, देखो, और नजर उठाओ, वे यहूदियों को जाएंगे ।

10 और फिर वह दिन आता है जब राष्ट्रों, गैर-मसीही राष्ट्रों, जोसफ के घराने को, उनके उद्धार का सुसमाचार पर विश्वास कराने के लिए प्रभु की भुजा सामर्थ में प्रकट की जाएगी ।

11 क्योंकि उस दिन में ऐसा होगा, कि प्रत्येक व्यक्ति सुसमाचार की परिपूर्णता अपनी स्वयं की जबान, और उसकी स्वयं की भाषा में सुनेगा, उनके द्वारा जो इस अधिकार से नियुक्त किए गए हैं, सहायक की प्रभाव के द्वारा, जो उन पर यीशु मसीह के प्रकटीकरण के लिए प्रदान की गई है ।

12 और अब, मैं तुम से सच कहता हूं, मैं तुम्हें आदेश देता हूं कि तुम सेवकाई और अध्यक्षता में बने रहोगे ।

13 और जब तुम भविष्यवक्ताओं का अनुवाद करना समाप्त कर दो, तुम तब से गिरजे और विद्यालय के कामकाज की अध्यक्षता करोगे;

14 और समय समय पर, जैसा सहायक द्वारा बताया जाएगा, राज्य के रहस्यों को बताने वाले प्रकटीकरणों को प्राप्त करोगे;

15 और गिरजे को संगठित करोगे, और अध्ययन करोगे और सीखोगे, और सब अच्छी पुस्तकों, और भाषाओं, जबानों, और लोगों से परिचित होगे ।

16 और यह तुम्हारे संपूर्ण जीवन में कार्य और उद्देश्य होगा, परिषद में अध्यक्षता करना, और इस गिरजे और राज्य के सब कामकाज को ठीक करना ।

17 न लज्जित होना, और न कभी व्याकुल होना; लेकिन अपने संपूर्ण अभिमान और घमंड से सावधान रहना, क्योंकि यह तुम्हारी आत्माओं पर फंदे के समान आता है ।

18 अपने घरों को व्यवस्थित करो; आलसीपन और अशुद्धता को अपने से दूर रखो ।

19 अब, मैं तुम से सच कहता हूं, जितनी जल्दी संभव हो, तुम्हारे सलाहकार और लेखक, अर्थात फ्रैड्रिक जी. विलियमस के परिवार के लिए एक स्थान उपलब्ध कराया जाए ।

20 और मेरे वृद्ध सेवक, जोसफ स्मिथ, सि., अपने परिवार के साथ उसी स्थान पर रहना जारी रहे जहां वह अभी रहता है; और इसे बेचा नहीं जाए जब तक प्रभु निर्धारित नहीं करता ।

21 और यह सलाहकार जिसे मैंने चुना है, अर्थात सिडनी रिगडन, वहीं रहेगा जहां वह अभी रहता है जब तक प्रभु निर्धारित नहीं करता है ।

22 और धर्माध्यक्ष सावधानी से एक प्रतिनिधि प्राप्त करे, और वह एक धनी व्यक्ति हो जिसके पास धन-संपत्ति संग्रहित हो—परमेश्वर का व्यक्ति, और मजबूत विश्वास का हो—

23 ताकि इस से वह प्रत्येक कर्ज से छुटकारा पाने के योग्य हो सके; ताकि प्रभु के भंडारगृह को लोगों की आंखों के समक्ष लज्जित न होना पड़े ।

24 परिश्रम से खोजो, हमेशा प्रार्थना करो, और विश्वासी बने रहो, और सब बातें मिलकर तुम्हारे अच्छे के लिए होंगी, यदि तुम सीधाई से चलो और उस अनुबंध को स्मरण करो जिसे तुमने एक दूसरे के साथ बनाया है ।

25 तुम्हारे परिवार छोटे हों, विशेषकर मेरे वृद्ध सेवक जोसफ स्मिथ, सि., उनकी तुलना में जो तुम्हारे परिवारों से संबंध नहीं रखते;

26 ताकि जो वस्तुएं तुम्हारे लिए उपलब्ध कराई जाती हैं, मेरे कार्य को करने के लिए, तुम से न ले ली जाएं और उन्हें दे दी जाएं जो योग्य नहीं हैं—

27 और तुम्हें उन कार्यों को करने में बाधा हो जिसकी मैंने तुम्हें आज्ञा दी है ।

28 और फिर, मैं तुम से सच कहता हूं, यह मेरी इच्छा है कि मेरी दासी वियना जैक्वीस अपने खर्चों को सहन करने के लिए धन प्राप्त करे, और सिय्योन प्रदेश में जाए;

29 और शेष धन मुझे समर्पित कर दिया जाए, और वह मेरे स्वयं के समय में प्रतिफल प्राप्त करे ।

30 मैं तुम से सच कहता हूं, कि मेरी दृष्टि में यह उचित है कि वह सिय्योन प्रदेश को जाए, और धर्माध्यक्ष के हाथ से विरासत प्राप्त करे;

31 ताकि वह शांति से बस सके जब तक वह विश्वासी रहती है, और अब से अपने जीवन में खाली न रहे ।

32 और देखो, मैं तुम से सच कहता हूं, कि तुम इस आज्ञा को लिखोगे, और सिय्योन में तुम्हारी भाइयों को कहता हूं, प्रेमभरे अभिवादन से, कि मैंने तुम्हें सिय्योन की अध्यक्षता के लिए भी नियुक्त किया है मेरे स्वयं के समय में ।

33 इसलिए, वे मुझे इस विषय के संबंध में तंग न करें ।

34 देखो, मैं तुम से कहता हूं कि सिय्योन में तुम्हारे भाई पश्चाताप करना आरंभ करते हैं, तो स्वर्गदूत उनके कारण आनंदित होते हैं ।

35 फिर भी, मैं बहुत सी बातों से प्रसन्न नहीं हूं; और मैं अपने सेवक विलियम ई. मैकलेलिन से प्रसन्न नहीं हूं, और न ही अपने सेवक सिडनी गिलर्बट से; और धर्माध्यक्ष से भी, और अन्यों को बहुत सी बातों का पश्चाताप करना है ।

36 लेकिन मैं तुम से सच कहता हूं, कि मैं, प्रभु, सिय्योन से संतुष्ट हूं, और उसके प्रभावशाली लोगों से चर्चा करता हूं, और उसे दडं देता हूं जब तक यह मेरे समक्ष उत्तम और शुद्ध नहीं हो जाता ।

37 क्योंकि इसे अपने स्थान से नहीं हटाया जाएगा । मैं, प्रभु, ने इसे कहा है । आमीन ।