पवित्रशास्त्र
सिद्धांत और अनुबंध 9


खंड 9

अप्रैल 1829, भविष्यवक्ता जोसफ स्मिथ द्वारा ओलिवर कॉउड्री को हारमनी, पेनसिलवैनिया में दिया गया प्रकटीकरण । ओलिवर को कुछ समय के लिए, अनुवादक के श्रतुलेख पर, धैर्य रखने का निर्देश और लिखने के लिए संतुष्ट होने की प्रेरणा दी जाती है, बजाय अनुवाद करने का प्रयास करने के ।

1–6, अन्य प्राचीन अभिलेखों का अभी अनुवाद किया जाना है; 7–14, मॉरमन का पुस्तक का अनुवाद अध्ययन द्वारा और आत्मिक पुष्टिकरण द्वारा किया जाता है ।

1 देखो, मैं तुम से कहता हूं, मेरे बेटे, कि क्योंकि तुमने उसके अनुसार अनुवाद नहीं किया जैसा तुम मेरी इच्छा करते हो, और फिर से मेरे सेवक जोसफ स्मिथ, जु., के लिए लिखना शुरू किया, इसलिए मैं चाहता हूं कि तुम इसे करना जारी रखो जब तक यह अभिलेख पूरा नहीं हो जाता, जो मैंने तुम्हें सौंपा है ।

2 और तब, देखो, अन्य अभिलेख मेरे पास हैं, जो मैं तुम्हें शक्ति दूंगा कि तुम अनुवाद करने में मदद कर सको ।

3 धैर्य रखो, मेरे बेटे, क्योंकि यह मेरी समझदारी है, और यह उचित नहीं है कि तुम इस समय अनुवाद करो ।

4 देखो, वह कार्य जिसे करने के लिए तुम्हें नियुक्त किया है यह मेरे सेवक जोसफ के लिए लिखना है ।

5 और, देखो, ऐसा इसलिए है क्योंकि तुमने वैसा करना जारी नहीं रखा जैसा तुमने शुरू किया, जब तुमने अनुवाद करना आरंभ किया, इसलिए मैंने इस योग्यता को तुम से वापस ले लिया है ।

6 मेरे बेटे, शिकायत मत करो, क्योंकि यह मेरी समझदारी है कि मैंने तुम्हारे साथ इस तरह व्यवहार किया है ।

7 देखो, तुमने समझा नहीं है; तुमने सोचा कि मैं इसे तुम्हे दे दूं, जबकि तुमने बिना विचार किए मुझसे सिर्फ मांगा ।

8 लेकिन, देखो, मैं तुम से कहता हूं, कि तुम्हें इसका विचार अपने मन में करना चाहिए; तब तुम मुझ से पूछो कि क्या यह सही है, और यदि यह सही है तो मैं तुम्हारे मन में उत्तेजना पैदा करूंगा; इसलिए, तुम समझ जाओगे कि यह सही है ।

9 लेकिन यदि यह सही नहीं है तो तुम्हें ऐसी अनुभूतियां नहीं होंगी, लेकिन तुम्हें अचेतनता का आभास होगा जिसके कारण तुम उसे भूल जाओगे जो गलत है; इसलिए, तुम उसे नहीं लिख सकते जो पवित्र है सिवाय मेरे द्वारा इसे तुम्हें दिया जाए ।

10 अब, यदि तुम इसे जानते होते तो तुम अनुवाद कर सकते थे; फिर भी, यह उचित नहीं है कि तुम अब अनुवाद करो ।

11 देखो, यह उचित था जब तुमने शुरू किया था; लेकिन तुम भयभीत थे, और वह समय बीत चुका है, और अब यह उचित नहीं है;

12 अर्थात, क्या तुम देखते नहीं कि मैंने अपने सेवक जोसफ को पर्याप्त शक्ति दी है, जिसके द्वारा इसकी पूर्ति की जा सके? और तुम में किसी को मैं दोषी नहीं ठहराता ।

13 इस काम को करो जिसकी मैंने तुम्हें आज्ञा दी है, और तुम उन्नति करोगे । विश्वसनीय बने रहो, और किसी लालच के आगे मत झुको ।

14 उस कार्य में दृढ़ता से डटे रहो जिसके लिए मैंने तुम्हें नियुक्त किया है, और तुम्हारे सिर का एक बाल भी बांका न होगा, और तुम अंतिम दिन उत्कर्ष प्राप्त करोगे । आमीन ।