पवित्रशास्त्र
सिद्धांत और अनुबंध 66


खंड 66

भविष्यवक्ता जोसफ स्मिथ द्वारा, हाएरम, ओहायो में, 29 अक्टूबर 1831 में दिया गया प्रकटीकरण । विलियम ई. मैकलेलिन ने गुप्त में प्रभु से भविष्यवक्ता के द्वारा पांच प्रश्नों के उत्तर जानने की याचना की थी जिसे जोसफ स्मिथ नहीं जानते थे । मैकलेलिन की प्रार्थना पर, भविष्यवक्ता ने प्रभु से पूछा और इस प्रकटीकरण को प्राप्त किया था ।

1–4, अनंत अनुबंध सुसमाचार की परिपूर्णता है; 5–8, एल्डरों को लोगों को प्रचार, गवाही, और समझना है; 9–13, विश्वासी शिष्यता संबंधी सेवा अनंत जीवन की विरासत सुनिश्चित करती है ।

1 देखो, अपने सेवक विलियम ई. मैकलेलिन से प्रभु इस प्रकार कहता है—आशीषित हो तुम, जितना तुम अपने पापों का त्याग करते, और मेरी सच्चाइयां प्राप्त करते हो, प्रभु तुम्हारा मुक्तिदाता कहतता है, संसार का उद्धारकर्ता, वे सभी जो मेरे नाम पर विश्वास करते हैं ।

2 मैं तुम से सच कहता हूं, मेरे अनंत अनुबंध को प्राप्त कर तुम आशीषित हो, मेरे सुसमाचार की परिपूर्णता भी, जोकि मानव संतान को दिया गया है, ताकि वे जीवन प्राप्त कर सकें और उन महिमाओं के भागीदार बनाए जा सकें जोकि अंतिम दिनों में प्रकट की जाएंगी, जैसा प्रचीन भविष्वक्ताओं और प्रेरितों द्वारा लिखा गया था ।

3 मैं तुम से सच कहता हूं, मेरे सेवक विलियम, कि तुम निष्कलंक हो, लेकिन पूर्णरूप से नहीं; इसलिए, पश्चाताप करो, उन बातों से जो मेरी दृष्टि में प्रिय नहीं हैं, प्रभु कहता है, क्योंकि प्रभु तुम्हें इन्हें दिखाएगा ।

4 और अब, सच में, मैं, प्रभु, तुम्हें दिखाऊंगा तुम्हारे संबंध में मेरी इच्छा क्या है, या मेरी इच्छा तुम्हारे संबंध में क्या है ।

5 देखो, मैं तुम से सच कहता हूं, कि यह मेरी इच्छा है कि तुम एक प्रदेश से दूसरे प्रदेश, एक शहर से दूसरे शहर, मेरे सुसमाचार की घोषणा करो, हां, उन क्षेत्रों के आस-पास जहां इसकी घोषणा नहीं की गई है ।

6 इस स्थान में बहुत दिनों तक मत ठहरो; अभी सिय्योन प्रदेश मत जाओ; लेकिन जितना तुम भेज सकते हो, भेजो; किसी भी प्रकार से, अपनी संपत्ति के विषय में मत सोचो ।

7 पूर्वी प्रदेशों को जाओ, प्रत्येक स्थान में गवाही दो, प्रत्येक व्यक्ति को और उनके आराधना स्थलों में, लोगों के साथ समझते हुए ।

8 मेरा सेवक सैमूएल एच. स्मिथ तुम्हारे साथ जाए, और उसे छोड़ना नहीं, और उसे अपने निर्देश देना; और वह जो विश्वासी है प्रत्येक स्थान में मजबूत किया जाएगा; और मैं, प्रभु, तुम्हारे साथ चलूंगा ।

9 बीमारों पर अपने हाथों को रखना, और वे चंगें होंगे । तब तक लौटना नहीं जब तक मैं, प्रभु, तुम से न कहूं । कष्ट में धैर्य रखना । मांगना, और तुम्हें दिया जाएगा; खटखटाना, और तुम्हारे लिए खोला जाएगा ।

10 घबराना नहीं । सभी अनैतिकता का त्याग करना । व्यभिचार न करना—जिसके प्रयास ने तुम्हें कष्ट दिया था ।

11 इन बातों का पालन करना, क्योंकि ये सच्ची और विश्वसनीय हैं; और तुम अपने पद का सम्मान करोगे, और बहुत से लोगों को उनके सिरों पर अनंत आनंद के गीतों के साथ सिय्योन ले जाओगे ।

12 अंत तक इन बातों में कायम रहना, और तुम्हें मेरे पिता के दहिने ओर अनंत जीवन का ताज मिलेगा, जो अनुग्रह और सच्चाई से परिपूर्ण है ।

13 सच में, प्रभु तुम्हारा परमेश्वर, तुम्हारा मुक्तिदाता, अर्थात यीशु मसीह इस प्रकार कहता है । आमीन ।