पवित्रशास्त्र
सिद्धांत और अनुबंध 129


खंड 129

भविष्यवक्ता जोसफ स्मिथ द्वारा, नावू, एलिनोए में, 9 फरवरी 1843 को दिए गए निर्दश, तीन महान कुंजियों को बताते हुए जिसके द्वारा सेवकाई के दूतों और आत्माओं की सही प्रकृति में अंतर किया जा सके ।

1–3, स्वर्ग में पुनःजीवित और आत्मिक दोनों प्राणी हैं; 4–9, कुंजियां दी गई हैं जिसके द्वारा परदे के पार के दूत पहचाने जा सकें ।

1 स्वर्ग में दो प्रकार के प्राणी हैं, अर्थात: स्वर्गदूत, जोकि पुनःजीवित व्यक्ति हैं, जिनके पास मांस और हड्डियों का शरीर हैं—

2 उदाहरण के लिए, यीशु ने कहा था: मेरे हाथ और मेरे पांव को देखो, कि मैं वहीं हूं; मुझे छुकर देखो; क्योंकि आत्मा के हड्डी मांस नहीं होता जैसा तुम मुझ में देखते हो ।

3 दूसरा: धर्मियों की आत्माओं को परिपूर्ण किया गया है, वे जो पुनःजीवित नहीं हुए हैं, लेकिन उसी महिमा को प्राप्त करते हैं ।

4 जब एक दूत यह कहते हुए आता है कि उसके पास परमेश्वर का संदेश है, उसे अपना हाथ दो और तुम से हाथ मिलाने का निवेदन करो ।

5 यदि वह दूत होगा तो वह ऐसा करेगा, और तुम उसके हाथ को महसूस करोगे ।

6 यदि वह परिपूर्ण किए धर्मी व्यक्ति की आत्मा होगी तो वह अपनी महिमा में आएगा; क्योंकि केवल इसी प्रकार वह प्रकट हो सकता है—

7 उससे अपने साथ हाथ मिलाने के लिए कहें, लेकिन वह हिलेगा नहीं, क्योंकि स्वर्ग की व्यवस्था के विरूद्ध है कि धार्मिक व्यक्ति धोखा दे; लेकिन वह फिर भी उसके संदेश को देगा ।

8 यदि वह ज्योति के दूत के रूप में शैतान है, तो जब उससे हाथ मिलाने को कहते हो तो वह अपना हाथ आपको देगा, और तुम कुछ महसूस नहीं करोगे; इसलिए तुम उसे पहचान सकते हो ।

9 ये तीन महान कुंजियां हैं जिसके द्वारा तुम जान सकते हो कि कोई परमेश्वर के शासन की ओर से है ।