पवित्रशास्त्र
सिद्धांत और अनुबंध 76


खंड 76

भविष्यवक्ता जोसफ स्मिथ और सिडनी रिगडन को, हायरम, ओहायो में, 16 फरवरी 1832 में, दिया गया दिव्यदर्शन । इस दिव्यदर्शन की भूमिका को लिखते जोसफ स्मिथ का इतिहास दर्शाता है: “अमर्स्ट सम्मेलन से मेरे लौटने पर, मैंने धर्मशास्त्रों के अनुवाद को पुनः आरंभ किया । प्राप्त हुए भिन्न-भिन्न प्रकटीकरणों से, यह स्पष्ट था कि मनुष्य के उद्धार संबंध में बहुत सी बातों को बाइबिल से निकाल दिया गया था, या इसके संकलन से पहले खो गई थी । यह बिलकुल स्पष्ट था कौन सी सच्चाइयों को हटाया गया था, कि यदि परमेश्वर प्रत्येक को नश्वर जीवन में किए गए कार्यों के अनुसार प्रतिफल देता तो शब्द ‘स्वर्ग,’ जैसा कि संतों के लिए अनंत घर की योजना है, में एक से अधिक राज्य शामिल होने चाहिए । उसी प्रकार, … संत यूहन्ना के सुसमाचार का अनुवाद करते हुए, स्वयं मैंने और एल्डर रिगडन ने यह दिव्यदर्शन देखा था” । जब यह दिव्यदर्शन दिया गया भविष्यवक्ता यूहन्ना 5:29 का अनुवाद कर रहे थे ।

1–4, प्रभु परमेश्वर है; 5–10, सभी विश्वासी को राज्य के रहस्यों को प्रकट किया जाएगा; 11–17, धर्मी या अधर्मी के पुनरूत्थान में सब जी उठेंगे; 18–24, बहुत से संसार के निवासी यीशु मसीह के प्रायश्चित के द्वारा परमेश्वर के आत्मिक पुत्र और पुत्रियां हैं; 25–29, परमेश्वर का स्वर्गदूत गिरा और शैतान बना; 30–49, शैतान के पुत्र अनंत कष्ट सहते हैं; बाकी सब कुछ अंश का उद्धार प्राप्त करते हैं; 50–70, उत्कर्ष प्राप्त लोगों की महिमा और प्रतिफल की सिलेस्टियल राज्य में व्याख्या की जाती है; 71–80, टैरस्टियल राज्य की विरासत प्राप्त करेंगे की व्याख्या की जाती है; 81–113, टेलिस्टियल, टैरस्टियल, और सिलेस्टियल महिमाओं में लोगों की दशा को समझाया जाता है; 114–119, विश्वासी परमेश्वर के राज्य के रहस्यों को पवित्र आत्मा की शक्ति से देख और समझ सकते हैं ।

1 सुनो, ओ तुम स्वर्गों, और कान लगाओ, ओ पृथ्वी, और इसके निवासियों तुम आनंद मनाओ, क्योंकि प्रभु परमेश्वर है, और उसके सिवाय कोई उद्धारकर्ता नहीं है ।

2 महान है उसका विवेक, शानदार हैं उसके मार्ग, और उसके कार्यों की सीमा कोई नहीं पा सकता ।

3 उसके उद्देश्य असफल नहीं होते, और न ही कोई ऐसा है जो उसके हाथ रोक सके ।

4 अनंतकाल से अनंतकाल तक वह एक समान है, और उसके वर्षों का कभी अंत नहीं है ।

5 क्योंकि प्रभु इस प्रकार कहता है—मैं, प्रभु, दयालु और अनुग्रहकारी हूं उन पर जो मुझ से भय खाते हैं, और उनका आदर करके प्रसन्न होता हूं जो धार्मिकता में और सच्चाई में अंत तक मेरी सेवा करते हैं ।

6 महान होंगे उनके प्रतिफल और अनंत होगी उनकी महिमा ।

7 और उन्हें मैं सब रहस्यों को प्रकट करूंगा, हां, मेरे राज्य के सब गुप्त रहस्य प्रचीन काल से, और आने वाले समयों के लिए, अपने राज्य से संबंधित सब बातों के बारे में अपनी इच्छा की प्रसन्नता मैं उन पर प्रकट करूंगा ।

8 हां, यहां तक कि अनंतकाल के आश्चर्य वे जानेंगे, और आने वाली बातें मैं उन्हें दिखाऊंगा, यहां तक कि बहुत से पीढ़ियों की बातें ।

9 और उनका ज्ञान महान होगा, और उनकी समझ स्वर्ग तक पहुंचेगी; और उनके सामने बुद्धिमान का ज्ञान नाश होगा, और समझदार की समझ तुच्छ होगी ।

10 क्योंकि अपनी आत्मा के द्वारा में उन्हें ज्ञान दूंगा, और अपनी शक्ति के द्वारा मैं अपनी इच्छा के रहस्यों को उन पर प्रकट करूंगा—हां, वे बातें भी जिन्हें आंख ने नहीं देखा, न ही कान ने सुना, न ही अभी मनुष्य के हृदय में प्रवेश किया है ।

11 हम, जोसफ स्मिथ, जू., और सिडनी रिगडन, फरवरी के सोलवें दिन, हमारे प्रभु के एक हजार आठ सौ और बत्तीस वर्ष में आत्मा में होकर—

12 आत्मा की शक्ति के द्वारा हमारी आंखें खुली और हमने ज्ञान प्राप्त किया, ताकि हम परमेश्वर की बातों को देख और समझ सकें—

13 वे बातें भी जो संसार के बनने से पहले आरंभ से थी, जो पिता के द्वारा नियु्क्त की गई थी, उसके एकलौते पुत्र के द्वारा, जो पिता की गोद में था, आरंभ से ही;

14 जिसकी हम गवाही देते हैं; और जो गवाही हम देते हैं वह यीशु मसीह के सुसमाचार की पूर्णता है, वह वही पुत्र है, जिसे हमने देखा और जिसके साथ हमने स्वर्गीय दिव्यदर्शन में बातें की थी ।

15 यानि जब हम अनुवाद का कार्य कर रहे थे, जिसके लिए प्रभु ने हमें नियुक्त किया था, हम यूहन्ना के पांचवें अध्याय की उन्नतीसवीं आयत पर पहुंचे थे, जो हमें बताया गया इस प्रकार था—

16 मृतक के पुनरूत्थान के विषय में बोलते हुए, उनके संबंध में जो मानव पुत्र की वाणी सुनेंगे:

17 और ऐसा होगा; वे जिन्होंने अच्छाई की है, धर्मी के पुनरूत्थान में; और वे जिन्होंने बुराई की है, अधर्मी के पुनरूत्थान में ।

18 अब इसने हमें अचंभित किया था, क्योंकि यह हमें आत्मा के द्वारा दिया गया था ।

19 और जब हम इन बातों पर चिन्तन किया, प्रभु ने हमारी मन की आखों को छुआ और वे खुल गई, और प्रभु की महिमा चारों ओर फैल गई ।

20 और हमने पुत्र की महिमा को देखा, पिता के दाहिने ओर, और उसकी परिपूर्णता को प्राप्त किया;

21 और हम पवित्र स्वर्गदूतों को देखा, और उन्हें जो उसके सिहांसन के सम्मुख पवित्र हैं, परमेश्वर, और मेमने की उपासना करते हुए, जो उसकी उपासना सदैव और हमेशा करते हैं ।

22 और अब, उसके बारे में कई गवाहियां दिए जाने के पश्चात, यह वह गवाही है, सबसे अंतिम, जिसे हम उसके विषय में देते हां: कि वह जीवित है!

23 क्योंकि हमने उसे देखा था, परमेश्वर के दाहिने ओर; और हमने गवाही देती हुए वाणी को सुना कि यही पिता का एकलौता पुत्र है—

24 कि उसके द्वारा, और उसके माध्यम से, और उससे, संसारों की सृष्टि हुई है और हुई थी, और उनके निवासी परमेश्वर के प्रिय बेटे और बेटियां हैं ।

25 और हमने यह भी देखा, और गवाही देते हैं, कि परमेश्वर का स्वर्गदूत जोकि परमेश्वर की उपस्थिति में अधिकारी था, जिसने एकलौते पुत्र के विरूद्ध विद्रोह किया था जिससे पिता प्रेम करता था और जो पिता की गोद में था, पिता और पुत्र की उपस्थिति से नीचे धकेल दिया था ।

26 और शैतान कहलाया, क्योंकि स्वर्ग उसके लिए रोये थे—वह लूसिफर था, भोर का पुत्र ।

27 और हमने देखा, और नजर उठाई, वह गिर पड़ा! गिर पड़ा, निसंदेह रूप से भोर का पुत्र!

28 और जबकि हम अभी आत्मा में ही थे, प्रभु ने हमें आदेश दिया था कि हम इस दिव्यदर्शन को लिखें; क्योंकि हमने शैतान को देखा था, वह पुराना सांप, अर्थात शैतान, जिसने परमेश्वर के विरूद्ध विद्रोह किया था, और हमारे परमेश्वर और उसके मसीह से राज्य लेना चाहा था—

29 इसलिए, उसने परमेश्वर के संतों के साथ युद्ध किया, और उन्हें चारों ओर से घेर लिया ।

30 और हमने देखा उनके कष्टों का दिव्य दर्शन देखा जिसके साथ युद्ध किया और पराजित किया, क्योंकि प्रभु की वाणी इस प्रकार आई:

31 प्रभु इस प्रकार कहता है उन सब के संबंध में जो मेरी शक्ति जानते हैं, और इसके भागीदार बनाए गए हैं, और शैतान की शक्ति के द्वारा स्वयं कष्ट सहा पराजित होने के लिए, और सच्चाई का इंकार किया और मेरी शक्ति को तुच्छ समझा—

32 ये वे हैं जो शैतान के पुत्र हैं, जिनके विषय में मैं कहता हूं कि उनके लिए बेहतर होता यदि उन्होंने कभी जन्म ही न लिया होता—

33 क्योंकि वे क्रोध के बरतन हैं, परमेश्वर के क्रोध का कष्ट सहने के लिए दंडित, शैतान और उसके दूतों के साथ अनंतकाल में;

34 जिसके विषय मैंने कहा है इस संसार में कोई क्षमा नहीं है और न ही आने वाले संसार में—

35 पवित्र आत्मा का इंकार करते हुए इसे प्राप्त करने के पश्चात, और पिता के एकलौते पुत्र का इंकार करते हुए, उसे स्वयं के लिए क्रूस पर चढ़ाते हुए और उस पर कलंक लगाते हैं ।

36 ये वे हैं जो आग और गंधक की झील में धकेले जाएंगे, शैतान और उसके दूतों के साथ—

37 और केवल वे जिनपर दूसरी मृत्यु का कोई प्रभाव न होगा;

38 हां, सच, केवल वे जो प्रभु के उचित समय में मुक्ति नहीं प्राप्त नहीं करेंगे, उसके क्रोध के कष्टों को सहने के बाद ।

39 क्योंकि बाकी सब मृतक के पुनरूत्थान द्वारा जीवित किए जाएंगे, मेमने की विजय और महिमा के द्वारा, जो मारा गया था, जो संसारों के बनाए जाने से पहले पिता की गोद में था ।

40 और यह सुसमाचार है, खुशी का संदेश, जिसकी वाणी ने स्वर्गों से हमें गवाही दी थी—

41 कि वह संसार में आया, अर्थात यीशु, संसार के लिए क्रूस पर चढ़ाए जाने, और संसार के पापों को उठा जाने, और संसार को पवित्र करने, और सारी अधार्मिकता से इसे शुद्ध करने के लिए ।

42 कि उसके द्वारा सब बचाए जा सकें जिस पर पिता ने अपना अधिकार रखा और उसके द्वारा बनाया;

43 जो पिता की महिमा करता है, और उसके हाथों के सब कार्यों को बचाता है, सिवाय शैतान के पुत्रों के जो पुत्र का इंकार करते हैं पिता का उसे प्रकट किए जाने के पश्चात ।

44 इसलिए, वह सब को बचाता है सिवाय उनके—वे जो अनंत दंड भोगेंगे, जोकि अंतहीन दंड है, जोकि अनंतकाल का दंड है, शैतान और उसके दूतों के साथ अनंतता में, जहां कीड़े कभी मरते नहीं, और आग कभी बुझती नहीं, जोकि उनकी याताना है—

45 और उनका अंत, न ही उनका स्थान, और न ही उनकी यातना, कोई मनुष्य नहीं जानता;

46 न ही इसे प्रकट किया गया था, न है, और न ही मनुष्य पर प्रकट किया जाएगा, सिवाय उनके जो इसके भोगी बनाए जाते हैं;

47 फिर भी, मैं, प्रभु, बहुतों को दिव्यदर्शन द्वारा दिखाता हूं, तुरंत इसे फिर से बंद कर देता हूं;

48 इसलिए, इसके अंत, चौड़ाई, ऊंचाई, गहराई, और कष्ट को, वे समझते नहीं, न ही कोई अन्य मनुष्य सिवाय उनके जो इस दंड के लिए नियुक्त किए गए हैं ।

49 और हम ने एक वाणी सुनी, कहते हुए: दिव्यदर्शन लिखो, क्योंकि देखो, यह अधर्मी के कष्टों के दिव्यदर्शन का अंत है ।

50 और फिर हम गवाही देते हैं—क्योंकि हमने देखा और सुना, और यह मसीह के सुसमाचार की गवाही है उनके संबंध जो धर्मी के पुनरूत्थान में जी उठेंगे—

51 ये वे हैं जो यीशु की गवाही स्वीकार किया था, और उसके नाम पर विश्वास किया और उसके दफन के समान बपतिस्मा लेते हैं, उसके नाम में पानी में दफन होते हुए, और इस आज्ञा के अनुसार जो उसने दी है—

52 कि आज्ञाओं का पालन करने के द्वारा वे अपने पापों से धोये और साफ किए जा सकें, और उसके द्वारा हाथों को रखने के द्वारा पवित्र आत्मा को प्राप्त कर सकें जो इस शक्ति से नियुक्त और मुहरबंद किया गया है;

53 और जो विश्वास द्वारा विजयी हुए, और प्रतिज्ञा की पवित्र आत्मा द्वारा मुहरबंद किए गए, जिस पिता उन सब पर भेजता है जो धर्मी और सच्चे हैं ।

54 ये वे हैं जो गिरजे के पहलौठे हैं ।

55 ये वे हैं जिन्हें हाथों में पिता ने सब बातें दी हैं—

56 ये वे हैं जो याजक और राजा हैं, जिन्होंने उसकी परिपूर्णता, और उसकी महिमा को प्राप्त किया है ।

57 और सर्वशक्तिमान के याजक हैं, मलकिसिदिक की रीति के अनुसार, जोकि इनोक की रीति के अनुसार था, जोकि एकलौते पुत्र की रीति के अनुसार था ।

58 इसलिए, जैसा यह लिखा गया है, वे परमेश्वर हैं, अर्थात परमेश्वर के पुत्र—

59 इसलिए, सारी वस्तुएं उनकी हैं, चाहे जीवन या मृत्यु, या वर्तमान वस्तुएं, या आने वाली वस्तुएं, सब उनकी हैं और वे मसीह के हैं, और मसीह परमेश्वर का है ।

60 और वे सब बातों पर विजय प्राप्त करेंगे ।

61 इसलिए, कोई मनुष्य घमंड न करे, बजाए इसके वह परमेश्वर की महिमा करे, जो सभी शत्रुओं को अपने पैरों तले कुचलेगा ।

62 ये परमेश्वर की उपस्थिति और उसके मसीह में सदैव और हमेशा निवास करेंगे ।

63 ये वे हैं जिन्हें वह अपने साथ लाएगा, जब वह आकाश के बादलों से पृथ्वी पर अपने लोगों पर राज करने आएगा ।

64 ये वे हैं जो पहले पुनरूत्थान में भागीदार होंगे ।

65 ये वे हैं जो धर्मी के पुनरूत्थान में जी उठेंगे ।

66 ये वे हैं जो सिय्योन पर्वत, और जीवित परमेश्वर के शहर, सबसे पवित्रत्तम, स्वर्गीय स्थान को आएंगे ।

67 ये वे हैं जो अनगिनत स्वर्गदूतों की संगति, महा सभा और इनोक और पहलौठो के गिरजे में आए हैं ।

68 ये वे हैं जिनके नाम स्वर्ग में लिखे गए हैं, जहां परमेश्वर और मसीह सभी के न्यायधीक्ष हैं ।

69 ये वे धर्मी व्यक्ति हैं जो मध्यस्थ यीशु के द्वारा नए अनुबंध में परिपूर्ण बने हैं, जो अपने स्वयं के लहू के बहाने के द्वारा परिपूर्ण प्रायश्चित को पूरा किया था ।

70 ये वे हैं जिनके शरीर सिलेस्टियल हैं, जिसकी महिमा सूर्य, अर्थात परमप्रधान परमेश्वर की महिमा के समान है, जिसकी महिमा की व्याख्या धर्मशास्त्रों में आकाश के सूर्य के समान की गई है ।

71 और फिर, हमने टैरिस्टियल संसार देखा, और देखो और नजर उठाओ, ये वे हैं जो टैरिस्टियल हैं, जिनकी महिमा पहलौठे के गिरजे से भिन्न है जिसने पिता की परिपूर्णता को स्वीकार किया है, ठीक जैसे चांद का तेज आकाश में सूर्य से भिन्न है ।

72 देखो, ये वे हैं जो बिना व्यवस्था के मर गए थे;

73 और ये वे भी हैं जो मनुष्यों की आत्माएं कैद में हैं, जिनसे पुत्र भेंट करता है, और उन्हें सुसमाचार का प्रचार करता है, ताकि उनका शरीर में मनुष्यों के समान न्याय किया जाए;

74 जिन्होंने यीशु की गवाही को शरीर में स्वीकार नहीं किया था, लेकिन बाद में इसे स्वीकार किया था ।

75 ये वे हैं जो पृथ्वी के सम्मानयोग्य व्यक्ति हैं, जो लोगों की धूर्तता के द्वारा अंधे किए गए थे ।

76 ये वे हैं जो उसकी महिमा स्वीकार करते हैं, लेकिन उसकी परिपूर्णता नहीं ।

77 ये वे हैं जो पुत्र की उपस्थिति को स्वीकार करते हैं, लेकिन पिता की परिपूर्णता को नहीं ।

78 इसलिए, वे टैरिस्टियल के शरीर हैं, और सिलेस्टियल के नहीं, और तेज में भिन्न हैं जैसे चांद सूर्य से भिन्न है ।

79 ये वे हैं जो यीशु की गवाही में साहसी नहीं हैं; इसलिए, वे हमारे परमेश्वर के राज्य में ताज नहीं प्राप्त करते ।

80 और अब यह दिव्यदर्शन का अंत है जो हमने टैरिस्टियल का देखा था, जिसे प्रभु ने हमें लिखने का आदेश दिया था जब हम आत्मा में ही थे ।

81 और फिर, हमने टेलिस्टियल का तेज देखा, जिसका तेज कम है, जैसे आकाश में तारों का तेज चांद के तेज से भिन्न होता है ।

82 ये वे हैं जो मसीह के सुसमाचार को स्वीकार नहीं करते, और न ही यीशु की गवाही ।

83 ये वे हैं जो पवित्र आत्मा को अस्वीकार नहीं करते ।

84 ये वे हैं जो नरक को धकेले जाते हैं ।

85 ये वे हैं जो शैतान से मुक्त नहीं कराए जाएंगे अंतिम पुनरूत्थान तक, जब तक प्रभु, अर्थात मसीह मेमना, अपना कार्य समाप्त नहीं कर लेगा ।

86 ये वे हैं जो अनंत जीवन में उसकी परिपूर्णता को अनंत संसार में स्वीकार नहीं करते, लेकिन टैरिस्टियल की सेवकाई के द्वारा पवित्र आत्मा को स्वीकार करते हैं ।

87 और सिलिस्टियल की सेवकाई के द्वारा टैरिस्टियल ।

88 और स्वर्गदूतों की सेवाकाई से टैलिस्टियल भी इसे स्वीकार करते हैं जो उनकी सेवा करने के लिए नियुक्त किए जाते हैं, या जो उनके लिए सेवा करने वाली आत्माएं नियुक्त की जाती हैं; क्योंकि वे उद्धार के वारिस होंगे ।

89 और हमने इस प्रकार देखा था, उस स्वर्गीय दिव्यदर्शन में, टेलिस्टियल की महिमा, जो समझ से बिलकुल परे है;

90 और कोई मनुष्य इसे नहीं जानता सिवाय उसके जिस पर परमेश्वर ने इसे प्रकट किया है ।

91 और इस प्रकार हमने टैरिस्टियल संसार की महिमा को देखा था जो सब बातों में टैलिस्टियल संसार के तेज से बिलकुल परे है, अर्थात तेज में, और बल में, और सामर्थ में, और प्रभुता में ।

92 और इस प्रकार हमने सिलेस्टियल संसार का तेज देखा था, जो सब बातों में बढ़कर—जहां परमेश्वर, अर्थात पिता, अपने सिंहासन पर हमेशा और सदैव राज करता है;

93 जिसके सिंहासन के सम्मुख सब लोग विनम्र श्रद्धा में झुकते हैं, और उसे हमेशा और सदैव महिमा देते हैं ।

94 वे जो उसकी उपस्थिति में रहते हैं पहैलोठे का गिरजा हैं; और वे देखते हैं जैसे वे दिखती हैं, और जानते हैं जैसे वे जानी जाती हैं, उसकी परिपूर्णता को और उसके अनुग्रह को प्राप्त करते हुए;

95 और वह उन्हें बल में, और शक्ति में, और प्रभुता में समान बनाता है ।

96 और सिलेस्टियल संसार की महिमा अद्वितीय है, जैसे सूर्य का तेज अद्वितीय है ।

97 और टैरेस्टियल संसार की महिमा अद्वितीय है, जैसे चांद का तेज अद्वितीय है ।

98 और टैलिस्टियल संसार का तेज अद्वितीय है, जैसा तारों का तेज अद्वितीय है; क्योंकि जैसे एक तारा दूसरे से महिमा में भिन्न होता है, वैसे ही टैलिस्टियल संसार में लोग एक दूसरे से भिन्न होते हैं;

99 क्योंकि ये वे हैं जो पौलुस के हैं, और अपुल्लोस के, और केफा के ।

100 ये वे हैं जो कहते हैं कुछ एक हैं और कुछ अन्य के—कुछ मसीह के और कुछ यूहन्ना के, और कुछ मूसा के, और कुछ एलिय्याह के, और कुछ यशायाह के, और कुछ यशायाह के, और कुछ इनोक के;

101 लेकिन सुसमाचार स्वीकार नहीं किया, और न ही यीशु की गवाही, और न ही भविष्यवक्ताओं, और न ही अनंत अनु्बंध ।

102 सबसे अंत में, ये सब वे हैं जो संतों के साथ एकत्रित नहीं होंगे, पहलौठे के गिरजे में उठाए जाने, और बादल में स्वीकार किए जाने के लिए ।

103 ये वे हैं जो झूठे, और टोना करने वाले, और व्यभिचारी, और हत्यारे हैं, और झूठ को चाहने वाले और बोलने वाले ।

104 ये वे हैं जो पृथ्वी पर परमेश्वर के क्रोध को सहते हैं ।

105 ये वे हैं जो अनंत आग का प्रतिशोध सहते हैं ।

106 ये वे हैं जो नरक में डाले जाते हैं और सर्वशक्तिमान परमेश्वर का क्रोध सहते हैं, समय की परिपूर्णता तक, जब मसीह सभी शत्रुओं को अपने पैरों तले कुछ डालेगा, और अपने कार्य को परिपूर्ण करेगा;

107 जब वह राज्य को सौंप देगा, और पिता को प्रस्तुत करेगा, बेदाग, कहते हुए: मैंने पराजित किया है और अकेले ही हौद में दाखें रोंदी हैं, अर्थात सर्वशक्तिमान परमेश्वर के भयानक क्रोध की प्रचंडता की दाखें ।

108 तब वह उसकी महिमा के मुकुट से सुशोभित होगा, अपनी शक्ति के सिंहासन पर युगानुयुग राज करने के लिए बैठेगा ।

109 लेकिन देखो, और नजर उठाकर, हमने टैलिस्टियल संसार का तेज और इसके निवासियों को देखा, कि वे अनगिनत थे जैसे आकाश के नभमंडल में तारे, या जैसे समुद्र तट पर रेत;

110 और प्रभु की वाणी को कहते हुए सुना: वे सब घुटने के बल झूकेंगे, और प्रत्येक जबान उसका अंगीकार करेगा जो युगानुयुग सिंहासन पर बैठता है ।

111 क्योंकि उनके कार्यों के अनुसार उनका न्याय किया जाएगा, और प्रत्येक व्यक्ति अपने स्वयं के कार्यों के अनुसार प्राप्त करेगा, रहने के स्थानों में जो तैयार किए गए हैं;

112 और वे परमप्रधान के सेवक होंगे; लेकिन जहां परमेश्वर और मसीह निवास करते हैं वे नहीं आ सकते, अनंतकाल के लिए ।

113 यह उस दिव्यदर्शन का अंत है जो हमने देखा था, जिसे हमें लिखने को आदेश दिया गया था जबकि हम आत्मा में ही थे ।

114 लेकिन महान और आश्चर्यजनक हैं प्रभु के कार्य, और उसके राज्य के रहस्य जो उसने हमें दिखाए थे, जो महिमा में, और शक्ति में, और प्रभुता में बिलकुल परे हैं;

115 जो उसने आदेश दिया हमें नहीं लिखना चाहिए जबकि हम आत्मा में ही थे, और लोगों को बोलने की अनुमति नहीं है;

116 और न ही व्यक्ति उन्हें समझने के योग्य हैं, क्योंकि इन्हें केवल पवित्र आत्मा की शक्ति के द्वारा देखा और समझा जा सकता है, जो परमेश्वर उन्हें प्रदान करता है जो उससे प्रेम करते हैं, और उसके सम्मुख स्वयं को शुद्ध करते हैं;

117 उन्हें वह स्वयं के लिए देखने और समझने का यह सौभाग्य प्रदान करता है;

118 कि आत्मा की शक्ति और अनुभूति के द्वारा, जब शरीर में हैं, वे महिमा के संसार में उसकी उपस्थिति को सहने के योग्य हो सकें ।

119 और परमेश्वर और मेमने की महिमा, और आदर, और प्रभुता युगानुयुग होती रहे । आमीन ।