पवित्रशास्त्र
सिद्धांत और अनुबंध 43


खंड 43

भविष्यवक्ता जोसफ स्मिथ द्वारा, कर्टलैंड, ओहायो में, फरवरी 1831 में, दिया गया प्रकटीकरण । इस समय गिरजे के कुछ सदस्य लोगों द्वारा प्रकटीकर्ताओं के झूठे दावों से परेशान थे । भविष्यवक्ता ने प्रभु से पूछा और गिरजे के एल्डरों को संबोधित इस संदेश को प्राप्त किया था । पहला भाग गिरजा प्रशासन के विषयों के बारे में है; दूसरे भाग में चेतावनी है जोकि एल्डरों को पृथ्वी के राष्ट्रों को देनी है ।

1–7, प्रकटीकरण और आज्ञाएं केवल नियुक्त के द्वारा आते हैं; 8–14, संतों को प्रभु के समक्ष संपूर्ण पवित्रता में कार्य करने के द्वारा शुद्ध किया जाता है; 15–22, एल्डरों को पश्चाताप का प्रचार और प्रभु के महान दिन के लिए लोगों को तैयार करने भेजा जाता है; 23–28, प्रभु लोगों को अपनी स्वयं की आवाज के द्वारा और सृष्टि की शक्तियों द्वारा संबोधन करता है; 29–35, सहस्र वर्ष और शैतान का बांधा जाना आएगा ।

1 ओ सुनो, तुम मेरे गिरजे के एल्डरों, और मेरे वचनों पर कान लगाओ जो मैं तुम से बोलूंगा ।

2 क्योंकि देखो, मैं तुम से सच, सच, कहता हूं, कि तुम्हें मेरे गिरजे की व्यवस्था के लिए आदेश मिला है, उसके द्वारा जिसे मैंने तुम्हें मेरे हाथ से आज्ञा और प्रकटीकरण प्राप्त करने के लिए नियुक्त किया है ।

3 और यह तुम निश्चितरूप से जानोगे—कि किसी अन्य को तुम्हें आज्ञाएं और प्रकटीकरणों को प्राप्त करने के लिए नियुक्त नहीं किया गया जबतक उसे हटाया जाता, यदि वह मुझे में बना रहता है ।

4 लेकिन में तुम से सच, सच, कहता हूं, कि इस उपहार के लिए किसी अन्य को नियुक्त नहीं किया जाएगा सिवाय उसके द्वारा; क्योंकि यदि इसे उससे ले लिया जाता है तो उसके पास कोई शक्ति नहीं होगी सिवाय अपने स्थान में अन्य को नियुक्त करने के ।

5 और तुम्हारे लिए यह व्यवस्था होगी, कि तुम किसी से शिक्षा प्राप्त नहीं करोगे जो तुम्हारे पास प्रकटीकरणों या आदेशों के रूप में आएंगी;

6 और यह मैं तुम्हें देता हूं ताकि तुम्हें धोखा न दिया जा सके, कि तुम जान सको वे मेरी नहीं हैं ।

7 क्योंकि मैं तुम से सच कहता हूं, कि वह जो मुझे से नियुक्त किया गया है द्वार से आएगा और नियुक्त किया जाएगा जैसा मैंने तुम्हें पहले बताया है, उन प्रकटीकरणों को सीखाने जो तुमने प्राप्त किए हैं और उनके द्वारा प्राप्त करोगे जिसे मैंने नियुक्त किया है ।

8 और अब, देखो, मैं तुम्हें आज्ञा देता हूं, कि जब तुम मिलकर एकत्रित होते हो तुम एक दूसरे को निर्देश दोगे और समझाओगे, ताकि तुम जान सको मेरे गिरजे को कैसे व्यवहार करना और निर्देश देना है, कैसे मेरी व्यवस्था और आज्ञाओं के विषय पर कार्यवाही करनी है, जो मैंने तुम्हें दी हैं ।

9 और इस प्रकार तुम मेरे गिरजे की व्यवस्था में निर्देशित किए जाओगे, और उसके द्वारा पवित्र होगे जो तुमने प्राप्त किया है, और तुम अपने आपको संपूर्ण पवित्रता में मेरे समक्ष बांध सकोगे—

10 कि जितना तुम इसे करते हो, उस राज्य में महिमा जोड़ी जाएगी जो तुमने प्राप्त किया है । जितना तुम इसे नहीं करते हो, इसे ले लिया जाएगा, यहां तक कि उसे भी जो तुमने प्राप्त किया है ।

11 तुम उस दुष्टता से दूर हो जाओ जो तुम्हारे बीच है; अपने आपको मेरे समक्ष पवित्र करो;

12 और यदि तुम राज्य की महिमा करना चाहते हो, तो तुम मेरे सेवक जोसफ स्मिथ, जु., को नियुक्त करो और मेरे समक्ष उसका समर्थन करो विश्वास की प्रार्थना के द्वारा ।

13 और फिर, मैं तुम से कहता हूं, कि यदि तुम राज्य के भेदों को चाहते हो, उसे भोजन और वस्त्र उपलब्ध कराओ, और जो कुछ उसे आवश्यकता है उस कार्य को पूरा करने के लिए जिसका आदेश मैंने उसे दिया है;

14 और यदि तुम इसे नहीं करते हो तो वह उनके साथ रहेगा जिसने उसे ग्रहण किया है, ताकि मैं अपने लिए पवित्र लोग अपने समक्ष सुरक्षित रख सकूं ।

15 मैं फिर कहता हूं, मेरे गिरजे के तुम एल्डरों ध्यान से सुनो, जिन्हें मैंने नियुक्त किया है: तुम्हें सीखाए जाने के लिए नहीं भेजा गया, लेकिन मानव संतान को उन बातों को सीखाने जो मैंने तुम्हारे हाथों में दी हैं मेरी आत्मा की शक्ति के द्वारा;

16 और तुम्हें ऊंचे से सीखाया जाना है । अपने आपको पवित्र करो और तुम्हें शक्ति प्रदान की जाएगी, ताकि तुम्हें उसे दिया जा सके जो मैंने कहा है ।

17 तुम ध्यान से सुनो, क्योंकि, देखो, प्रभु का महान दिन निकट है ।

18 क्योंकि दिन आता है जब प्रभु स्वर्ग से अपनी वाणी में बोलेगा; आकाश थरथराएगा और पृथ्वी कांपेगी, और परमेश्वर की तुरही लंबी और तेज दोनों होगी, और सोये हुए राष्ट्रों से कहेगी: तुम संतों उठो और जागो; तुम पापियों ठहरो और सोये रहो जबतक मैं तुम्हे फिर से पूकारूंगा ।

19 इसलिए अपनी कमर कस लो कहीं ऐसा न हो तुम दुष्ट के बीच पाए जाओ ।

20 अपनी आवाजों को उठाओ और चुप मत रहो । राष्ट्रों को पश्चाताप करने को कहो, वृद्ध और युवा दोनों, दास और स्वतंत्र दोनों, कहते हुए: अपने आपको तैयार करो प्रभु के महान दिन के लिए;

21 क्योंकि यदि मैं, जोकि एक पुरूष हूं, अपनी आवाज उठाता हूं और तुम से पश्चाताप करने को कहता हूं, और तुम मुझ से नफरत करते हो, तो तब तुम क्या कहोगे जब वह दिन आता है जब पृथ्वी के छोर से गर्जनाएं अपनी आवाज में बोलेंगी, सभी जीवितों के कानों में ये कहते हुए—पश्चाताप करो, और प्रभु के महान दिन के लिए तैयार रहो ?

22 हां, और फिर, जब बिजली पूर्व से पश्चिम चमकेगी, और अपनी आवाज में जीवितों को बोलेगी, और जो सुनते हैं उन सभी के कानों में सन्नाटा छा जाएगा, इन शब्दों को कहते हुए—तुम पश्चाताप करो, क्योंकि प्रभु का महान दिन आता है ?

23 और फिर, स्वर्ग से प्रभु अपने शब्दों में बोलेगे, कहते हुए: सुनो, ओ तुम पृथ्वी के राष्ट्रों, और उस परमेश्वर के वचनों को सुनो जिसने तुम्हें बनाया था ।

24 ओ, तुम पृथ्वी के राष्ट्र, कितनी बार मैंने तुम्हें एकत्रित किया है जैसे एक मूर्गी अपने बच्चों को अपने पंखों के नीचे एकत्रित करती है, लेकिन तुमने नहीं चाहा !

25 कितनी बार मैंने अपने सेवकों के मुंह से तुम्हें कहलवाया, और स्वर्गदूतों की सेवा द्वारा, और मेरी स्वयं की वाणी द्वारा, और गर्जनाओं के संदेश द्वारा, और बिजली की गड़गड़ाट के द्वारा, और तूफानों के संदेश द्वारा, और भूकंपों, और महान ओला-वृष्टि के संदेश द्वारा, और सूखे और हर प्रकार की महामारी के संदेश द्वारा, और तुरही की बड़ी ध्वनि द्वारा, और न्याय के संदेश द्वारा, और पूरे दिन की दया के संदेश द्वारा, और महिमा और सम्मान और अनंत जीवन की संपत्तियों के संदेश द्वारा, और अनंत उद्धार के साथ तुम्हें बचा लिया होता, लेकिन तुमने नहीं चाहा !

26 देखो, वह दिन आ गया है, जब मेरे प्रचंड क्रोध का कटोरा भर चुका है ।

27 देखो, मैं तुम से सच कहता हूं, कि ये वचन प्रभु तुम्हारे परमेश्वर के हैं ।

28 इसलिए, तुम परिश्रम करो, तुम मेरे दाख के बगीचे में अंतिम बार परिश्रम करो—अंतिम बार पृथ्वी के निवासियों से याचना करो ।

29 क्योंकि मैं अपने स्वयं के निर्धारित समय पृथ्वी पर न्याय करने आऊंगा, और मेरे लोग मुक्ति पाएंगे और मेरे साथ पृथ्वी पर राज करेंगे ।

30 क्योंकि महान सहस्र वर्ष, जिसके विषय में मैंने अपने सेवकों के मुंह से बाला है, आएंगे ।

31 क्योंकि शैतान बांधा जाएगा, और जब उसे फिर से छोड़ा जाएगा केवल थोड़े समय के लिए राज करने के लिए, और फिर आएगा पृथ्वी का अंत ।

32 और वह जो धार्मिकता में रहता है पलक झपकते ही बदल जाएगा, और अग्नि द्वारा पृथ्वी नष्ट हो जाएगी ।

33 और दुष्ट कभी न बुझने वाली अग्नि में डाले जाएंगे, और उनके अंत को पृथ्वी पर कोई मनुष्य न जानता, और न कभी जान पाएगा, जबतक वे मेरे समक्ष न्याय के लिए आते हैं ।

34 तुम इन वचनों पर ध्यान दो । देखो, मैं यीशु मसीह, संसार का उद्धारकर्ता हूं । इन बातों को अपने हृदयों में संजो कर रखो, और अनंतता की महान सच्चाइयां तुम्हारे मनों में बनी रहे ।

35 गंभीर रहो । मेरी सभी आज्ञाओं का पालन करो । तो भी । आमीन ।