पवित्रशास्त्र
सिद्धांत और अनुबंध 84


खंड 84

भविष्यवक्ता जोसफ स्मिथ द्वारा, कर्टलैंड, ओहायो में, 22 और 23 सितंबर 1832 में, दिया गया प्रकटीकरण भविष्यवक्ता जोसफ स्मिथ द्वारा, कर्टलैंड, ओहायो में, 22 और 23 सितंबर 1832 में, दिया गया प्रकटीकरण । सितंबर महिने के दौरान, एल्डरों ने अपने पूर्वी प्रदेशों में अपने मिशन से लौटना और अपने कार्यों का विवरण बनाना आरंभ कर दिया था । जब वे इस आनंद की अवधि में एक साथ थे उस समय निम्नलिखित संदेश प्राप्त हुआ था । भविष्यवक्ता ने इसे पौरोहित्य पर प्रकटीकरण का नाम दिया था । । सितंबर महिने के दौरान, एल्डरों ने अपने पूर्वी प्रदेशों में अपने मिशन से लौटना और अपने कार्यों का विवरण बनाना आरंभ कर दिया था । जब वे इस आनंद की अवधि में एक साथ थे उस समय निम्नलिखित संदेश प्राप्त हुआ था । भविष्यवक्ता ने इसे पौरोहित्य पर प्रकटीकरण का नाम दिया था ।

1–5, नया यरूशलेम और मंदिर मिसूरी में बनाया जाएगा; 6–17, मूसा से आदम तक पौरोहित्य वंशावली दी गई; 18–25, उच्चतर पौरोहित्य के पास परमेश्वर के ज्ञान की कुंजी है; 26–32, लघुतर पौरोहित्य के पास स्वर्गदूतों की सेवकाई और प्रारंभिक सुसमाचार की कुंजी है; 33–44, पुरूष पौरोहित्य की शपथ और अनुबंध के द्वारा अनंत जीवन प्राप्त करते हैं; 45–53, मसीह की आत्मा लोगों को ज्ञान देती, और संसार पाप की स्थिति मे रहता है; 54–61, संतों को उन बातों की गवाही देनी चाहिए जो उन्होंने प्राप्त की हैं; 62–76, उन्हें सुसमाचार का प्रचार करना है, और चिन्ह प्रकट होंगे; 77–91, एल्डरों को बिना बटुआ या झोले के जाना है, और प्रभु उनकी जरूरतों का ख्याल रखेगा; 92–97, महामारियां और श्राप उनके लिए सुरक्षित रखे गए हैं जो सुसमाचार को अस्वीकार करते हैं; 98–102, सिय्योन की मुक्ति का नया गीत दिया जाता है; 103–110, प्रत्येक व्यक्ति अपने स्वयं के पद में बना रहे और नियुक्ति में परिश्रम करे; 111–120, प्रभु के सेवकों को अंतिम दिनों की उजाड़ने वाली घृणित वस्तु की घोषणा करनी है ।

1 यीशु मसीह का प्रकटीकरण उसके सेवक जोसफ स्मिथ, जू., और छह एल्डरों को, जब वे अपने हृदयों में एक होते और स्वर्ग से प्रार्थनाएं करते हैं ।

2 हां, प्रभु के वचन उसके गिरजे के संबंध में, उसके लोगों की पुनःस्थापना के लिए अंतिम दिनों में स्थापित किए जाते हैं, जो उसने अपने भविष्यवक्ताओं के मुहं से कहलवाया है, और सिय्योन पर्वत पर उसके संतों के एकत्रित होने के लिए, यह नये यरूशलेम का शहर होगा ।

3 यह शहर बनाया जाएगा, मंदिर के स्थान पर आरंभ होकर, जोकि प्रभु की उंगली द्वारा नियुक्त किया गया है, मिसूरी प्रदेश की पश्चिमी सीमाओं में, और जोसफ स्मिथ, जू., और अन्यों द्वारा समर्पित किया गया जिनसे प्रभु अति प्रसन्न था ।

4 सच में यह प्रभु का वचन है, कि नया यरूशलेम शहर संतों के एकत्रित होने के द्वारा बनाया जाएगा, इस स्थान से आरंभ होकर, अर्थात मंदिर के स्थान से, यह मंदिर इस पीढ़ी में खड़ा किया जाएगा ।

5 क्योंकि सच में इस पीढ़ी का प्रभु के लिए घर का निर्माण होने तक अंत न होगा, और बादल इस पर ठहरेंगे, यह बादल वास्तव में प्रभु की महिमा होगी, जो घर को पूरी तरह से भर देगा ।

6 और मूसा के बेटे, पवित्र पौरोहित्य के अनुसार जो उसने अपने ससुर, यित्रो के हाथ से प्राप्त किया था;

7 और यित्रो ने इसे कालेब के हाथ से प्राप्त किया था;

8 और कालेब ने इसे एलीहू के हाथ से प्राप्त किया था;

9 और एलीहू ने इसे यिर्मी के हाथ से प्राप्त किया था;

10 और यिर्मी ने गाद के हाथ से;

11 और गाद ने यशायाह के हाथ से;

12 और यशायाह ने इसे परमेश्वर के हाथ से प्राप्त किया था ।

13 यशायाह अब्राहम के दिनों में रहता था, और उससे आशीषित हुआ था—

14 इस अब्राहम ने पौरोहित्य मलकिसिदिक से प्राप्त किया था, जिसने इसे अपने पूर्वजों की वंशावली से प्राप्त किया था, नूह तक;

15 और नूह से लेकर इनोक तक, उनके पूर्वजों की वंशावली से;

16 और इनोक से ऐबल तक, जो अपने भाई के षडयंत्र के द्वारा मारा गया था, जिसने पौरोहित्य परमेश्वर के आदेशों के कारण प्राप्त किया था, उसके पिता के हाथ द्वारा, जोकि प्रथम पुरूष था—

17 यह पौरोहित्य गिरजे में सभी पीढ़ियों में निरंतर बना रहा है, और दिनों का न आरंभ है न ही सालों का अंत ।

18 और प्रभु ने हारून और उसके वंश पर भी पौरोहित्य स्थापित किया था, उनकी संपूर्ण पीढ़ियों तक, यह पौरोहित्य भी हमेशा बनी और कायम रहती है उस पौरोहित्य के साथ जो कि परमेश्वर की पवित्रत्तम रीति के अनुसार है ।

19 और यह उच्चतर पौरोहित्य सुसमाचार की सेवकाई करती है और राज्य के रहस्यों की कुंजी को धारण करती है, अर्थात परमेश्वर के ज्ञान की कुंजी ।

20 इसलिए, इसकी विधियों में, परमेश्वरत्व की शक्ति प्रकट होती है ।

21 और इसकी विधियों, और पौरोहित्य के अधिकार के बिना, परमेश्वरत्व की शक्ति लोगों को शरीर में प्रकट नहीं होती है;

22 क्योंकि बिना इसके कोई व्यक्ति परमेश्वर के चेहरे को नहीं देख सकता, अर्थात पिता को, और जीवित रहे ।

23 अब इस मूसा ने निर्जन प्रदेश में इस्राएल की संतान को स्पष्टता से सीखाया था, और परिश्रम से अपने लोगों को पवित्र किया था ताकि वे परमेश्वर के चेहरे को देख सकें;

24 लेकिन उन्होंने अपने हृदयों को कठोर किया था और उसकी उपस्थिति को सहन न कर सके थे; इसलिए, प्रभु ने अपने क्रोध में, क्योंकि उनके विरूद्ध उसका क्रोध भड़का था, शपथ ली कि वे निर्जन प्रदेश के दौरान वह मेरे विश्राम में प्रवेश करने न पाएंगे, यह विश्राम उसकी महिमा की परिपूर्णता है ।

25 इसलिए, उसने मूसा को उनके बीच से उठा लिया था, और पवित्र पौरोहित्य को भी;

26 और लघुतर पौरोहित्य बनी रही, यह पौरोहित्य के पास स्वर्गदूतों की सेवकाई और सुसमाचार की तैयारी की कुंजी है;

27 यह सुसमाचार पश्चाताप का और बपतिस्मे का, और पापों की क्षमा का सुसमाचार है, और संसारिक आज्ञाओं की व्यवस्था, जिसे प्रभु ने अपने क्रोध में हारून के घराने से लेकर इस्राएल की संतान की बीच यूहन्ना तक जारी रखा, जिसे परमेश्वर ने तैयार किया था, पवित्र आत्मा से परिपूर्ण होकर उसकी माता के गर्भ से ।

28 क्योंकि उसने बपतिस्मा पाया था जब वह बालक ही था, और परमेश्वर के स्वर्गदूत द्वारा इस शक्ति से नियुक्त किया गया था जब वह आठ दिनों का था, यहूदियों के राज्य को नष्ट करने के लिए, और प्रभु के मार्ग को उसके लोगों के सामने सीधा करने के लिए, प्रभु के आगमन के लिए उन्हें तैयार करने के लिए, जिसके हाथों में सब अधिकार दिए गए हैं ।

29 और फिर, एल्डर और बिशप के पद आवश्यक रूप से जुड़े हैं जो उच्च पौरोहित्य से संबंध रखते हैं ।

30 और फिर, शिक्षक और डीकन के पद आवश्यक रूप से जुड़े हैं जो लघुतर पौरोहित्य से संबंध रखते हैं, यह पौरोहित्य हारून और उसके बेटों को प्रदान की गई थी ।

31 इसलिए, जैसा मैंने मूसा के बेटों के संबंध में कहा था—अन्य शब्दों में मूसा के बेटे और हारून के बेटे भी प्रभु के घर में स्वीकार्य भेंट और बलिदान चढ़ाएंगे, यह घर प्रभु के लिए बनाया जाएगा इस पीढ़ी में पवित्र किए हुए स्थान पर जैसा मैंने नियुक्त किया है—

32 और मूसा के और हारून के बेटे प्रभु की महिमा से परिपूर्ण हो जाएंगे, सिय्योन पर्वत पर प्रभु के घर में, जिसके बेटे तुम हो; और बहुत से भी जिन्हें मैंने नियुक्त किया और मेरा गिरजा बनाने के लिए भेजा है ।

33 क्योंकि जो इन दो पौरोहित्यों को पाने के लिए विश्वासी रहता है जिनके विषय में मैंने बोला है, और अपनी नियुक्ति को आगे बढ़ाता है, उनके शरीरों को नवीन करने के लिए आत्मा द्वारा पवित्र किए जाते हैं ।

34 वे मूसा के और हारून के बेटे और इब्राहिम के वंश बन जाते हैं, और गिरजे और राज्य, और परमेश्वर के चुने हुए ।

35 और वे सब भी जो पौरोहित्य को प्राप्त करते हैं मुझे प्राप्त करते हैं, प्रभु कहता है;

36 क्योंकि वह जो मेरे सेवकों को प्राप्त करता है मुझे प्राप्त करता है;

37 और वह जो मुझे प्राप्त करता है मेरे पिता को प्राप्त करता है;

38 और वह जो मेरे पिता को प्राप्त करता है मेरे पिता के राज्य को प्राप्त करता है; इसलिए वह सब जो मेरे पिता के पास है उसे दिया जाएगा ।

39 और यह उस शपथ और अनुबंध के अनुसार है जो इस पौरोहित्य से संबंध रखते हैं ।

40 इसलिए, वे सब जो इस पौरोहित्य को प्राप्त करते हैं, मेरे पिता की इस शपथ और अनुबंध को प्राप्त करता है, जिसे वह तोड़ नहीं सकता, और न ही इसे हटाया जा सकता है ।

41 लेकिन जो इस अनुबंध को तोड़ता है इसे प्राप्त करने के पश्चात, और पूर्णरूप से इसे त्याग देता है, उसे न तो इस संसार में और न ही आने वाले संसार में पापों की क्षमा मिलेगी ।

42 और उन सबों पर हाय जो इस पौरोहित्य में नहीं आते हैं जो तुमने प्राप्त की है, जिसकी मैं अब तुम पर पुष्टि करता हूं जो आज उपस्थित हैं, स्वर्गों से मेरी स्वयं की वाणी द्वारा; और जैसे मैंने स्वर्गीय लोगों को और अपने स्वर्गदूतों को प्रदान की है जिन्हें तुम्हारी जिम्मेदारी सौंपी है ।

43 और अब मैं तुम्हें स्वयं के संबंध में सावधान करने के लिए एक आज्ञा देता हूं, अनंत जीवन के वचनों पर गंभीरता से ध्यान देना ।

44 क्योंकि तुम परमेश्वर के मुंह से निकले प्रत्येक वचन द्वारा जीवन व्यतीत करोगे ।

45 क्योंकि प्रभु का वचन सच्चाई है, और जो सच्चाई है वह ज्ञान है, और जो ज्ञान है वह आत्मा है, अर्थात यीशु मसीह की आत्मा ।

46 और आत्मा प्रत्येक व्यक्ति को ज्ञान देती है जो इस संसार में आता है; और आत्मा प्रत्येक व्यक्ति को संसारभर में ज्ञान देती है, जो आत्मा के वचन पर ध्यान देता है ।

47 और हर कोई जो आत्मा के वचन पर ध्यान देता है परमेश्वर के पास आता है, असल में पिता के ।

48 और पिता उसे अनुबंध के विषय में सीखाता है जिसे उसने नवीकृत और तुम पर निश्चित किया है, जिसकी पुष्टि तुम्हें तुम्हारे लिए की जाती है, और न केवल तुम्हारे लिए, वरन संपूर्ण संसार के लिए ।

49 और संपूर्ण संसार पाप में लिप्त है, और अंधकार में कराहता और पाप की कैद में है ।

50 और इसके द्वारा तुम जान सकते हो कि वे पाप की कैद में हैं, क्योंकि वे मेरे पास नहीं आते ।

51 क्योंकि जो कोई मेरे पास नहीं आता पाप की कैद में है ।

52 और जो कोई मेरी वाणी को स्वीकार नहीं करता मेरी वाणी को नहीं पहचानता, और मेरा नहीं है ।

53 और इसके द्वारा तुम धर्मी और दुष्ट में अंतर समझ सकते हो, और यह संपूर्ण संसार इस समय पाप और अंधकार से कराहता है ।

54 और तुम्हारे मन अविश्वास के कारण पहले से अंधकारमय हो चुके हैं, और क्योंकि तुमने उन बातों को गंभीरता से नहीं लिया जो तुमने प्राप्त की हैं—

55 उस अभिमान और अविश्वास से संपूर्ण गिरजे को दंड की अवस्था में ले आया है ।

56 और यह दंड सिय्योन के बच्चों पर लगाया जाता है, सभी पर ।

57 और वे इस दंड की अवस्था में तब तक बने रहेंगे जब तक वे पश्चाताप और नये अनुबंध को स्मरण नहीं करते, अर्थात मॉरमन की पुस्तक और पिछले आदेश जो मैंने उन्हें दिए हैं, ये केवल बोले जाने के लिए नहीं हैं, लेकिन उसके अनुसार कार्य करना है जो मैंने लिखा है—

58 ताकि वे अपने पिता के राज्य में मिलने के लिए प्रतिफल ला सकें; वरना अभिशाप बना रहता है और दंड सिय्योन के बच्चों पर उंडेला जाएगा ।

59 अन्य शब्दों में क्या राज्य के बच्चे मेरे पवित्र प्रदेश को दूषित करेंगे? मैं तुम से सच कहता हूं, नहीं ।

60 मैं तुम से, सच, सच, कहता हूं जो अब मेरे वचनों को सुनते हैं, जोकि मेरी वाणी है, तुम आशीषित हो जब तक तुम इन बातों को स्वीकार करते हो;

61 क्योंकि मैं इस आदेश के साथ तुम्हें तुम्हारे पापों से क्षमा करता हूं—जो तुम्हारे मनों में गंभीरता और प्रार्थना की आत्मा में कायम रहती है, संपूर्ण संसार को उन बातों की गवाही देते हुए जो तुम्हें बताई गई हैं ।

62 इसलिए, तुम संपूर्ण संसार में जाओ; और जिस किसी स्थान पर तुम नहीं जा सकते तुम भेजोगे, ताकि गवाही तुम्हारे से संपूर्ण संसार में प्रत्येक प्राणी तक जा सके ।

63 और जैसा मैंने अपने प्रेरितों से कहा था, वैसा ही मैं तुम से कहता हूं, क्योंकि तुम मेरे प्रेरित हो, अर्थात परमेश्वर के उच्च याजक; तुम वो हो जिसे मेरे पिता ने मुझे सौंपा है; तुम मेरे मित्र हो;

64 इसलिए, जैसै मैंने अपने प्रेरितों से कहा था मैं तुम से दुबारा कहता हूं, कि प्रत्येक आत्मा जो तुम्हारे संदेशों पर विश्वास करती, और पापों की क्षमा के लिए जल के द्वारा बपतिस्मा लेती है, पवित्र आत्मा प्राप्त करेगी ।

65 और ये चिन्ह उनमें होंगे जो विश्वास करते हैं—

66 मेरे नाम से वे बहुत आश्चर्यजनक कार्य करेंगे;

67 मेरे नाम से वे दुष्ट आत्माओं को निकालेंगे;

68 मेरे नाम से वे रोगी को चंगा करेंगे;

69 मेरे नाम से वे अंधे की आंखें खोलेंगे, और बहरे के कानों को खोलेंगे;

70 और गूंगे की जबान बोलेगी;

71 और यदि कोई व्यक्ति उन्हें विष देगा तो यह उन्हें हानि नहीं पहुंचाएगी;

72 और सांप के विष में उन्हें हानि पहुंचाने की शक्ति नहीं होगी ।

73 लेकिन मैं उन्हें आज्ञा देता हूं, कि वे इन बातों के लिए स्वयं की बढ़ाई नहीं करेंगे, और न ही इन्हें संसार के समक्ष बोलेंगे; क्योंकि ये बातें तुम्हें तुम्हारे लाभ के लिए और उद्धार के लिए दी गई हैं ।

74 मैं तुम से, सच, सच कहता हूं, वे जो तुम्हारे संदेशों पर विश्वास नहीं करते, और मेरे नाम में जल में बपतिस्मा नहीं लेते, उनके पापों की क्षमा के लिए, ताकि वे पवित्र आत्मा प्राप्त कर सकें, वे दोषी ठहराए जाएंगे, और मेरे पिता के राज्य में प्रवेश नहीं करेंगे जहां मेरा पिता और मैं हूं ।

75 और यह प्रकटीकरण तुम पर, और आज्ञा, इसी क्षण से प्रभावकारी होती है संपूर्ण संसार पर, और सुसमाचार उन सबों के लिए है जिन्होंने इसे प्राप्त नहीं किया है ।

76 लेकिन, मैं उन सब से सच कहता हूं जिन्हें राज्य दिया गया है—तुम्हारे द्वारा यह उन्हें प्रचार किया जाना चाहिए, ताकि वे अपने पहले के बुरे कामों का पश्चाताप करेंगे; क्योंकि उन्हें उनके बुरे अविश्वासी हृदयों के लिए फटकारा जाना चाहिए, और सिय्योन में तुम्हारे भाइयों को तुम्हारे विरूद्ध उनके विद्रोह के लिए उस समय जब मैंने तुम्हें भेजा था ।

77 और फिर मैं तुम से कहता हूं, मेरे मित्रों, क्योंकि अब से मैं तुम्हें मित्र बुलाऊंगा, यह उचित है कि मैं तुम्हें यह आज्ञा दूं, ताकि तुम उस समान मेरे मित्र बन जाओ जैसे उस समय थे जब मैं उनके साथ था, अपने अधिकार द्वारा सुसमाचार प्रचार करने के लिए यात्रा करता था;

78 क्योंकि मैंने उन्हें बटुआ या झोला ले जाने की अनुमति नहीं दी थी, और न ही दो कुर्ते ।

79 देखो, मैं तुम्हें भेजता हूं संसार को साबित करने लिए, और मजदूर अपनी मजदूरी के योग्य है ।

80 और कोई व्यक्ति जो जाएगा और राज्य के इस सुसमाचार का प्रचार करेगा, और इन सब बातों में विश्वासी होने में असफल न होगा, मन में थकेगा नहीं, न ही अंधकारमय होगा, न ही शरीर में, न अंग, न जोड़; और उसके सिर के बाल बिना प्रभु की इच्छा के भूमि पर न गिरेंगे । और वे भूखे न रहेंगे, न ही प्यासे ।

81 इसलिए, तुम कल के बारे में मत सोचो, जैसे तुम क्या खाओगे, या तुम क्या पीयोगे, या तुम क्या वस्त्र पहनोगे ।

82 क्योंकि, जंगली सोसनों पर ध्यान करो, कैसे वे बढ़ते हैं, वे न तो परिश्रम करते हैं, न कातते हैं; और संसार के राज्य, अपनी सारी महिमा में, उन में से किसी एक के समान वस्त्र पहने हुए नहीं हैं ।

83 क्योंकि तुम्हारा पिता, जोकि स्वर्ग में, जानता है कि तुम्हें ये सब वस्तुएं चाहिए ।

84 इसलिए, कल का दिन अपनी चिंता स्वयं करेगा ।

85 न ही तुम पहले से सोचना तुम क्या कहोगे; लेकिन अपने मनों में जीवन की बातों को निरंतर संजोकर रखना, और जो कुछ तुम को कहना होगा, वह उसी क्षण तुम्हें बता दिया जाएगा वह भाग जिसे प्रत्येक व्यक्ति को बांटा जाएगा ।

86 इसलिए, तुम्हारे बीच कोई व्यक्ति, क्योंकि यह आज्ञा सभी विश्वासियों के लिए है जो परमेश्वर के गिरजे में सेवकाई के लिए नियुक्त किए गए हैं, इस क्षण से बटुआ या झोला न ले, जो राज्य के इस सुसमाचार की घोषणा करने जाते हैं ।

87 देखो, मैं तुम्हें संसार को उनके सभी अधार्मिक कार्यों के लिए निरूतर करने भेजता हूं, और उन्हें न्याय के विषय में सीखाने के लिए जो आने को है ।

88 और जो कोई तुम्हें स्वीकार करता है, वहां मैं भी रहूंगा, क्योंकि मैं तुम्हारे आगे चलूंगा । मैं तुम्हारे दहिने ओर और तुम्हारे बाईं ओर रहूंगा, और मेरी आत्मा तुम्हारे हृदयों में रहेगी, और मेरे स्वर्गदूत तुम्हारे समर्थन के लिए तुम्हारे आस-पास रहेंगे ।

89 जो कोई तुम्हें स्वीकार करता है मुझे स्वीकार करता है; और वह तुम्हें भोजन कराएगा, और तुम्हें वस्त्र पहनाएगा, और तुम्हें धन देगा ।

90 और वह जो तुम्हें भोजन कराता, या तुम्हें वस्त्र पहनाता, या तुम्हें धन देता है, किसी रीति से अपना प्रतिफल न खोएगा ।

91 और वह जो इन बातों को नहीं करता मेरा शिष्य नहीं है; इसके द्वारा तुम मेरे शिष्यों को पहचान सकते हो ।

92 वह जो तुम्हें स्वीकार नहीं करता है, उसके पास से स्वयं अकेले चले आओ, और अपने पैरों को पानी से धो डालो, साफ पानी से, चाहे गरमी में या सरदी में, और इसकी गवाही अपने पिता को दो जोकि स्वर्ग में है, और उस व्यक्ति के फिर लौट कर मत जाना ।

93 और जिस किसी गांव या शहर में तुम प्रवेश करते हो, ऐसा ही करना ।

94 फिर भी, परिश्रम से खोज करना और कोई कमी न करना; और उस घर पर हाय, या उस गांव या शहर पर जो तुम्हें अस्वीकार करता है, या तुम्हारे संदेश, या तुम्हारी गवाही को मेरे विषय में ।

95 हाय, मैं फिर कहता हूं, उस घर पर, या गांव, या शहर पर जो तुम्हें अस्वीकार करता, या तुम्हारे संदेश को, या तुम्हारी गवाही को मेरे विषय में;

96 क्योंकि मैं, सर्वशक्तिमान, ने अपने हाथों राष्ट्रों पर रखा है, उनकी दुष्टता के लिए उन्हें अभिशाप देने के लिए ।

97 और महामारी आएगी, और वे पृथ्वी से तब तक नहीं उठाए जाएंगे जब तक मैं अपना कार्य पूरा न कर लूं, जोकि धार्मिकता में शीघ्रता से होगा—

98 जब तक सब मुझे जानेंगे, जो बच जाते हैं, छोटे से लेकर बड़े तक, और प्रभु के ज्ञान से भर जाएंगे, और साक्षात देखेंगे, और वे पूकारेंगे, और मिलकर यह नया गीत गाते हुए, कहेंगे:

99 प्रभु सिय्योन को वापस लाया है;प्रभु ने अपने लोगों, इस्राएल को मुक्ति दिलाई है,अनुग्रह से चुने जाने के अनुसार,जो विश्वास और उनके पूर्वजोंके अनुबंध के द्वारा हुआ था ।

100 प्रभु ने अपने लोगों को मुक्ति दिलाई है;और शैतान बांध दिया गया है और समय नहीं है ।प्रभु ने सब कुछ साथ एक में ही इक्कट्ठा किया है ।प्रभु स्वर्ग से सिय्योन नीचे ले आया है ।प्रभु नीचे से सिय्योन ले आया है ।

101 पृथ्वी ने पीड़ा उठाई और अपनी शक्ति को उत्पन्न किया है;और सच्चाई उसके हृदय में स्थापित है;और स्वर्ग उस पर मुस्कराया है;और उसने अपने परमेश्वर की महिमा को धारण किया है;क्योंकि वह अपने लोगों के बीच खड़ा है ।

102 महिमा, और आदर, और शक्ति, और सामर्थ,का श्रेय हमारे परमेश्वर का हो; क्योंकि वह दया,न्याय, अनुग्रह और सच्चाई, और शांति से भरपूर है,हमेशा और सदैव, आमीन ।

103 और फिर, मैं तुम से, सच, सच, कहता हूं, यह जरूरी है कि प्रत्येक व्यक्ति जो मेरे अनंत सुसमाचार की घोषणा करने जाता है, कि यद्यपि उनके परिवार हैं, और उपहार के द्वारा धन प्राप्त करते हैं, कि उन्हें इसे उन्हें भेजना चाहिए या इसका उपयोग उनके लाभ के लिए करे, जैसा प्रभु उन्हें निर्देश देगा, क्योंकि यही मुझे लगता है ।

104 और वे सब जिनके परिवार नहीं हैं, जो धन प्राप्त करते हैं, इसे सिय्योन में धर्माध्यक्ष को भेजें, या ओहायो में धर्माध्यक्ष को, ताकि यह प्रकटीकरणों को बताने और इन्हें प्रकाशित करने के लिए समर्पित की जाए, और सिय्योन स्थापित करने के लिए ।

105 और यदि कोई व्यक्ति तुम में से किसी को कुर्ता, या सूट देगा, पुराना लो और इसे गरीब को दे दो, और अपने मार्ग पर आनंद मनाते हुए जाओ ।

106 और यदि कोई व्यक्ति तुम्हारे बीच आत्मा में मजबूत हो, वह अपने साथ उसे ले जो कमजोर है, ताकि वह पूर्ण न्रमता में उन्नत हो सके, कि वह भी मजबूत हो सके ।

107 इसलिए, अपने साथ उन्हें लो जो लघुतर पौरोहित्य से नियुक्त हुए हैं, और उन्हें अपनी भेंट निर्धारित करने से पहले भेजो, और मार्ग तैयार करने के लिए, और उन भेंटों को पूरा करने के लिए जो तुम स्वयं पूरा नहीं कर सकते ।

108 देखो, यह तरीका है जिससे मेरे प्रेरितों ने, प्राचीन समय में, मेरे गिरजे का निर्माण मेरे लिए किया था ।

109 इसलिए, प्रत्येक व्यक्ति अपने स्वयं के पद पर बना रहे, और अपनी स्वयं की नियुक्ति में परिश्रम करे; और सिर पैर से न कहे कि इसे पैर की जरूरत नहीं; क्योंकि बिना पैर के शरीर कैसे खड़ा रह सकता है?

110 शरीर को प्रत्यके सदस्य की जरूरत होती है, ताकि सब मिलकर उन्नत हो सकें, ताकि प्रणाली परिपूर्ण रखी जा सके ।

111 और देखो, उच्च याजकों को यात्रा करनी चाहिए, और एल्डरों को भी, और लघुतर याजकों भी; लेकिन डीकनों और शिक्षकों को गिरजे की देखभाल के लिए नियुक्त किया जाना चाहिए, गिरजे के स्थाई सेवादार ।

112 और धर्माध्यक्ष, न्यूवेल के नाइट, को भी आस-पास यात्रा करनी चाहिए और सब गिरजों के बीच में, गरीब की खोज करते हुए उनकी जरूरतों का प्रबंध करना धनी और घमंडी को नम्र बनाकर ।

113 वह जिम्मेदारी लेने और अपने संसारिक काम को करने के लिए एक प्रतिनिधि को भी सेवा में लगा सकता है जैसा वह निर्देश देगा ।

114 फिर भी, धर्माध्यक्ष न्यू यॉर्क शहर जाए, एलबनी शहर भी, और बॉस्टन शहर भी, और इन शहरों में लोगों को सुसमाचार की वाणी से चेतावनी दें, ऊंचे स्वर में, विनाश और पूर्ण बरबादी जो उनकी प्रतिक्षा करती है यदि वे इन बातों को अस्वीकार करते हैं ।

115 क्योंकि यद इन बातों को अस्वीकार करते हैं तो उनके न्याय का समय निकट है, और उनके घर उनके लिए उजाड़कर छोड़ें जाएंगे ।

116 उसे मुझ में भरोसा होने दो और वह नष्ट नहीं किया जाएगा; और उसके सिर का बाल भूमि पर न गिरेगा ।

117 और मैं तुम से सच कहता हूं, मेरे शेष सेवकों, तुम जाओ जैसे तुम्हारी परिस्थितियां अनुमति देंगी, अपनी विभिन्न नियुक्तियों में, बड़े और मुख्य शहरों और गांवों को, संसार को उनके सब अधर्म और दुष्ट कार्यों की धार्मिकता में निंदा करते हुए, स्पष्टता और समझदारी से अंतिम दिनों में उजाड़नेवाली घृणित बातों की व्याख्या करो ।

118 क्योंकि, तुम्हारे साथ सर्वशक्तिमान प्रभु कहता है, मैं उनके राज्यों को नष्ट करूंगा; मैं न केवल पृथ्वी को हिलाऊंगा, लेकिन तारों से भरा आकाश कांपेगा ।

119 क्योंकि मैं, प्रभु, ने आकाश की शक्तियों को लेने के लिए को अपने हाथ को बढ़ाया है; तुम इसे अभी देख नहीं सकते, फिर भी कुछ देर और तुम इसे देखोगे, और जानोगे कि मैं हूं, और कि मैं आऊंगा और अपने लोगों के साथ राज करूंगा ।

120 मैं अलफा और ओमेगा, आदि और अंत हूं । आमीन ।