पवित्रशास्त्र
सिद्धांत और अनुबंध 98


खंड 98

भविष्यवक्ता जोसफ स्मिथ द्वारा, कर्टलैंड, ओहायो में, 6 अगस्त 1833 में, दिया गया प्रकटीकरण । यह प्रकटीकरण मिसूरी में संतों पर अत्याचार के परिणामस्वरूप मिला था । मिसूरी में बसने वाले गिरजे के अत्यधिक संतों की संख्या के कारण कुछ दूसरे बसने वालों को कठिनाई हुई, जिन्होने संतों की संख्या, राजनीतिक और अर्थिक प्रभाव, और सांस्कृतिक और धार्मिक अंतर के कारण संकट महसूस किया था । जुलाई 1833 में, एक उग्र भीड़ ने गिरजे की संपत्ति को नष्ट किया, गिरजे के दो सदस्यों पर तारकोल लगाकर पंख चिपकाए, और मांग करी कि संत जैकसन काऊंटी छोड़ दें । यद्यपि मिसूरी में परेशानियों के कुछ समाचार निसंदेह कर्टलैंड (नौ सौ मील दूर) में भविष्यवक्ता तक पहूंचे थे, इस परिस्थिति की गंभीरता उन्हें इस दिन प्रकटीकरण के द्वारा ही पता चली थी ।

1–3, संतों के कष्ट उनकी भलाई के लिए होंगे; 4–8, संतों को प्रदेश की संवैधानिक व्यवस्था को सर्मथन देना है; 9–10, ईमानदार, बुद्धिमान, और भले लोगों को धर्मनिरपेक्ष सरकार को सर्मथन करना है; 11–15, वे जो प्रभु के कारण अपनी जीवन बलिदान करते हैं अनंत जीवन प्राप्त करेंगे; 16–18, युद्ध को त्यागना और शांति की घोषणा करना; 19–22, कर्टलैंड में संतों को फटाकारे जाने और पश्चाताप करने का आदेश दिया जाता है; 23–32, अपने लोगों पर किए अत्याचारों और कष्टों के संबंध में प्रभु अपनी व्यवस्था को प्रकट करता है; 33–38, युद्ध तभी उचित है जब प्रभु इसका आदेश देता है; 39–48, संतों को अपने शत्रुओं को क्षमा करना चाहिए, यदि वे, जो पश्चाताप करते हैं, तो वे भी प्रभु के प्रतिशोध से बचेंगे ।

1 मेरे मित्रों मैं तुम से सच कहता हूं, डरो नहीं, तुम्हारे हृदयों में दिलासा हो; हां, अत्यधिक आनंदित हो, और प्रत्येक काम में धन्यवाद दो;

2 धैर्य से प्रभु की प्रतिक्षा करें, क्योंकि तुम्हारी प्रार्थनाएं सेनाओं के प्रभु के कानों तक पहुंच गई हैं, और इस मुहर और गवाही से लिखी गई हैं—प्रभु ने वादा और आदेश दिया कि इन्हें पूरा किया जाएगा ।

3 इसलिए, वह तुम्हें यह प्रतिज्ञा देता है, एक अटल अनुबंध के साथ कि इन्हें पूरा किया जाएगा; और सब बातें जिनसे तुमने कष्ट उठाया है मिलकर तुम्हारी भलाई, मेरे नाम की महिमा के लिए कार्य करेंगी, प्रभु कहता है ।

4 और अब, प्रदेश की व्यवस्था के संबंध में मैं तुम से सच कहता हूं, मेरी यह इच्छा है कि मेरे लोग उन सब बातों का पालन करेंगे जिनका मैं उन्हें आदेश देता हूं ।

5 और प्रदेश की व्यवस्था जोकि संवैधानिक है, स्वतंत्रता के उस सिद्धांत का सर्मथन करते हुए जो अधिकारों और सुविधाओं बनाए रखती है, संपूर्ण मानवजाति से संबंध रखती है, और मेरे सम्मुख उचित है ।

6 इसलिए, मैं, प्रभु, तुम्हें, और मेरे गिरज के तुम्हारे भाइयों को उचित ठहराता हूं, उस व्यवस्था का सर्मथन करें जो प्रदेश की संवैधानिक व्यवस्था है;

7 और मनुष्य की व्यवस्था के संबंध में, जो कुछ इस से अधिक या कम है, बुराई से होता है ।

8 मैं, प्रभु परमेश्वर, तुम्हें स्वतंत्र करता हूं, इसलिए तुम वास्तव में स्वतंत्र हो; और व्यवस्था भी तुम्हें स्वतंत्र करती है ।

9 फिर भी, जब दुष्ट शासन करता है लोग दुख कष्ट सहते हैं ।

10 इस कारण, ईमानदार लोगों और बुद्धिमान लोगों को परिश्रम से पाने का प्रयास करना चाहिए, और भले लोगों और बुद्धिमान लोगों तुम्हें सर्मथन करना चाहिए; वरना जो कुछ इस से अधिक या कम है बुराई से होता है ।

11 और मैं तुम्हें एक आदेश देता हूं, कि तुम सब बुराइयों का त्याग करोगे और भलाई से जुड़े रहोगे, ताकि तुम उस प्रत्येक वचन का पालन करो जो परमेश्वर के मुंह से निकलता है ।

12 क्योंकि वह विश्वासियों को थोड़ा-थोड़ा करके, नियम पर नियम देता है; और इसके द्वारा मैं तुम्हारी परिक्षा लूंगा और तुम्हें परखूंगा ।

13 और जो कोई मेरे कारण अपनी जीवन बलिदान करेगा, मेरे नाम के कारण, इसे दुबारा प्राप्त करेगा, अर्थात अनंत जीवन ।

14 इसलिए, अपने शत्रुओं से मत डरो, क्योंकि मैंने अपने हृदय में निश्चय किया है, प्रभु कहता है, कि मैं सब बातों में तुम्हारी परिक्षा लूंगा, कि तुम मेरे अनुबंध का पालन करोगे, मृत्यु तक भी, ताकि तुम योग्य पाए जा सको ।

15 क्योंकि यदि तुम मेरे अनुबंध का पालन नहीं करोगे तो तुम मेरे योग्य नहीं हो ।

16 इसलिए, युद्ध को त्यागो और शांति की घोषणा करो, और परिश्रम से बच्चों के हृदयों को उनके माता-पिता की ओर, और माता-पिता का हृदय बच्चों की ओर फेरने का प्रयास करो;

17 और फिर, यहूदियों के हृदय भविष्यवक्ताओं की ओर, और भविष्यवक्ताओं को यहूदियों की ओर; और कहीं ऐसा न हो कि मैं आऊं और संपूर्ण पृथ्वी का सत्यानाश करूं, और मेरे सम्मुख संपूर्ण मानवजाति नष्ट हो जाए ।

18 तुम्हारे हृदय न घबराए; क्योंकि मेरे पिता के घर में बहुत से रहने के स्थान हैं, और मैंने तुम्हारे लिए जगह तैयार की है; और जहां मेरे पिता और मैं हूं, तुम भी वहां रहो ।

19 देखो, मैं, प्रभु, बहुतों से अधिक प्रसन्न नहीं हूं जो कर्टलैंड के गिरजे में हैं;

20 क्योंकि वे अपने पापों, और अपने दुष्ट मार्ग, उनके हृदयों के घमंड, और उनके स्वार्थ, और उनके सब घिनौने कामों का त्याग नहीं करते हैं, और ज्ञान के शब्दों और अनंत जीवन का पालन नहीं करते जो मैंने उन्हें दिया है ।

21 मैं तुम से सच कहता हूं, कि मैं, प्रभु, उन्हें दंड दूंगा और जो कुछ मैं चाहता हूं करूंगा, यदि वे पश्चाताप और जो कुछ मैं उन से कहा है उसका पालन नहीं करते हैं ।

22 मैं फिर तुम से कहता हूं, यदि तुम उसका पालन करते हो जो कुछ मैं तुम्हें आदेश देता हूं, मैं, प्रभु, तुम से सब क्रोध और अग्नि की ज्वलन को दूर कर दूंगा, और नरक के द्वार तुम विरूद्ध प्रबल नहीं होंगे ।

23 अब, मैं तुम से तुम्हारे परिवारों के संबंध में बोलता हूं—यदि लोग तुम पर, या तुम्हारे परिवारों पर एक बार आक्रमण करते हैं, और तुम इसे धैर्यपूर्वक सहते हो और उनके विरूद्ध कुछ नहीं बोलते, न ही बदला लेते हो, तो तुम्हें प्रतिफल दिया जाएगा;

24 लेकिन यदि तुम इसे धैर्यपूर्वक इसे नहीं सहते, तो इसे ऐसा समझा जाएगा जो कुछ तुम्हारे साथ किया गया उचित किया गया ।

25 और फिर, यदि तुम्हारे शत्रु तुम पर दूसरी बार आक्रमण करेगा, और तुम अपने शत्रु के विरूद्ध बदला नहीं लेते, और धैयपूर्वक इसे सह लेते हो, तो तुम्हारा प्रतिफल सौ-गुणा होगा ।

26 और फिर, यदि वह तुम पर तीसरी बार आक्रमण करता है, और तुम इसे धैर्यपूर्वक सह लेते हो, तुम्हारा प्रतिफल चार-गुणा का दुगना होगा ।

27 और ये तीनों प्रमाण तुम्हारे शत्रुओं के विरूद्ध खड़े होंगे यदि वह पश्चाताप नहीं करता, और इन्हें मिटाया नहीं जा सकेगा ।

28 और अब, मैं तुम से सच कहता हूं, यदि वह शत्रु मेरे प्रतिशोध से बच जाता है, यानि उसे मेरे सम्मुख न्याय के लिए नहीं लाया जाता, तब तुम निश्चय करना कि तुम उसे मेरे नाम से चेतावनी दोगे, ताकि वह तुम पर आक्रमण न करे, न ही तुम्हारे परिवार पर, तुम्हारे बच्चों के बच्चों पर भी तीसरी और चौथी पीढ़ी तक ।

29 और फिर, यदि वह तुम पर या तुम्हारे बच्चों, या तुम्हारे बच्चों के बच्चों तीसरी और चौथी पीढ़ी तक आक्रमण करता है, तो मैंने तुम्हारे शत्रु को तुम्हारे हाथों में कर दिया है;

30 और फिर यदि तुम उसे छोड़ देतो हो, तुम्हें तुम्हारी भलाई के लिए प्रतिफल दिया जाएगा; और तुम्हारे बच्चों को और बच्चों के बच्चों को भी तीसरी और चौथी पीढ़ी तक ।

31 फिर भी, तुम्हारा शत्रु तुम्हारे हाथों में है; और यदि तुम उसे उसके कार्यों के अनुसार प्रतिफल देते हो तो तुम उचित ठहराए जाते हो; यदि उसने तुम्हारे जीवन को लेना चाहा है, और उसके द्वारा तुम्हारा जीवन खतरे में है, तो तुम्हारा शत्रु तुम्हारे हाथों में है और तुम उचित ठहराए जाते हो ।

32 देखो, यह व्यवस्था मैंने अपने सेवक नफी, और तुम्हारे पूर्वजों, जोसफ, और याकूब, और इसहाक, और इब्राहिम, और मेरे सब प्रचीन भविष्यवक्ताओं और प्रेरितों की दी थी ।

33 और फिर, यह वह व्यवस्था है जो मैं अपने प्राचीनों को दी थी, ताकि वे किसी राष्ट्र, जाति, भाषा, या लोगों के विरूद्ध युद्ध न करें, जब तक मैं, प्रभु, ने उन्हें आदेश न दूं ।

34 और यदि कोई राष्ट्र, भाषा, या लोग, उनके विरूद्ध युद्ध की घोषणा करते हैं, तो सबसे पहले उन लोगों, राष्ट्र, या भाषा पर शांति की चिन्ह उठाना चाहिए ।

35 और यदि वे लोग शांति के समझौते को स्वीकार नहीं करते, न तो दूसरी बार और न ही तीसरी बार, तो उन्हें इन प्रमाणों को प्रभु के सम्मुख लाना चाहिए;

36 तब मैं, प्रभु, उन्हें एक आज्ञा देता दूंगा, और उन्हें उस राष्ट्र, भाषा, या लोगों के विरूद्ध युद्ध में जाने को उचित ठहराऊंगा ।

37 और मैं, प्रभु, उनके युद्धों को, और उनके बच्चों के युद्धों को, और उनके बच्चों के बच्चों के युद्धों को तीसरी और चौथी पीढ़ी तक लडूंगा ।

38 देखो, यह सब लोगों के लिए एक उदाहरण है, मेरे सम्मुख उचित ठहराए जाने के लिए, प्रभु तुम्हारा परमेश्वर कहता है ।

39 और फिर, मैं तुम से सच कहता हूं, यदि तुम्हारा शत्रु तुम पर पहली बार आक्रमण करता है और बाद में तुम्हारी क्षमा की याचना करता है, तुम उसे क्षमा कर देते हो, और इसे अपने शत्रु के विरूद्ध प्रमाण नहीं रखते—

40 और इसी प्रकार दूसरी बार और तीसरी बार भी; और जितनी बार भी तुम्हारा शत्रु उस अपराध से पश्चाताप करता है जो अपराध उसने तुम्हारे विरूद्ध किया है, तुम उसे क्षमा करते हो, सात गुणा सत्तर बार तक ।

41 और यदि वह तुम्हारे विरूद्ध अपराध करता है और पहली बार पश्चाताप नहीं करता, फिर भी तुम उसे क्षमा करते हो ।

42 और यदि वह तुम्हारे विरूद्ध दूसरी बार अपराध करता है, और पश्चाताप नहीं करता, फिर भी उसे क्षमा करते हो ।

43 और यदि वह तुम्हारे विरूद्ध तीसरी बार अपराध करता है, और पश्चाताप नहीं करता, तुम उसे तभी क्षमा करते हो ।

44 लेकिन यदि वह चौथी बार तुम्हारे विरूद्ध अपराध करता है तुम उसे क्षमा नहीं करते, लेकिन इन प्रमाणों को प्रभु के सम्मुख लाते हो; और इन्हें मिटाया नहीं जाता जब तक वह पश्चाताप नहीं करता और तुम्हें उसका चार-गुणा प्रतिफल नहीं देता जो उसने तुम्हारे विरूद्ध अपराध किया है ।

45 और यदि वह ऐसा करता है, तो तुम उसे अपने संपूर्ण हृदय से क्षमा कर दोगे; और यदि वह ऐसा नहीं करता, तो मैं, प्रभु, तुम्हारे शत्रु से सौ-गुणा बदला लूंगा;

46 और उसके बच्चों पर, और उसके बच्चों के बच्चों उन सब पर जो मुझ से नफरत करते हैं, तीसरी और चौथी पीढ़ी तक ।

47 लेकिन बच्चे पश्चाताप करेंगे, या बच्चों के बच्चे, और प्रभु उनके परमेश्वर की ओर फिरते हैं, उनके संपूर्ण हृदयों और उनकी संपूर्ण मन, और शक्ति से, और अपने सब अपराधों की चार-गुणा भर-पाई नहीं करते जिससे उन्होंने अपराध किया था, या जिससे उनके पूर्वजों ने अपराध किया था, या उनके पूर्वजों के पूर्वजों ने अपराध किया था, तब तब तुम्हारे क्रोध की अग्नि हटा दी जाएगी;

48 और उन पर से बदला हटा दिया जाएगा, प्रभु तुम्हारा परमेश्वर कहता है, और उनके अपराध प्रभु के सम्मुख प्रमाण के रूप में कभी नहीं लाए जाएंगे । आमीन ।